Wednesday, July 16, 2014

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के सदस्य डॉक्टर सुनील गुप्ता ने सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों में प्रकाशित/प्रसारित अपने आलेखों और अपनी टिप्पणियों का प्रिंटेड प्रारूप प्रस्तुत करके आर्थिक, वाणिज्यिक व सामाजिक विषयों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच अपनी पहचान को और समृद्ध किया है

गाजियाबाद । डॉक्टर सुनील गुप्ता ने सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों में प्रकाशित/प्रसारित अपने आलेखों और अपनी टिप्पणियों का प्रिंटेड प्रारूप प्रस्तुत किया है । इस प्रिंटेड प्रारूप से डॉक्टर सुनील गुप्ता को तो एक नया पाठक-वर्ग मिलेगा ही, साथ ही उन लोगों को भी डॉक्टर सुनील गुप्ता के विचारों से परिचित होने का अवसर मिलेगा जो सोशल मीडिया पर सक्रिय नहीं हैं । डॉक्टर सुनील गुप्ता के आलेखों और टिप्पणियों का यह प्रिंटेड प्रारूप उन लोगों के लिए भी उपयोगी साबित होगा जो सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों पर उपलब्ध इन आलेखों व टिप्पणियों को देख/पढ़ तो चुके होंगे, लेकिन जिन्हें कभी अचानक उनके किसी आलेख या टिप्पणी को देखने/पढ़ने की या उसका संदर्भ लेने की जरूरत आ पड़े । प्रिंटेड प्रारूप के शुरू में ही दिए गए इंडेक्स में आलेख/टिप्पणी का शीर्षक इस जानकारी के साथ दिया गया है कि वह किस तारीख को सोशल मीडिया में जारी हुआ और प्रिंटेड प्रारूप में वह किस पृष्ठ पर उपलब्ध है । इस जानकारी के साथ उपलब्ध प्रिंटेड प्रारूप शोधछात्रों के काम को आसान कर देता है ।
डॉक्टर सुनील गुप्ता के आलेखों व टिप्पणियों के विषयों का दायरा बहुत व्यापक है । अर्थव्यवस्था के नवीनीकरण (रीस्ट्रक्चरिंग) का मुद्दा हो, या नए भूमि अधिग्रहण कानून का मसला हो, या स्वच्छ भारत की बात हो, या रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के नियम-कानूनों की व्याख्या हो - डॉक्टर सुनील गुप्ता ने सभी विषयों पर तथ्यपरक तरीके से अपनी कलम चलाई है । रोजगार, महँगाई, लघु उद्योगों से जुड़े विषय हों और या नौजवानों, महिलाओं, पिछड़ों, अल्पसंख्यकों के उत्थान से संबद्ध मामले हों - डॉक्टर सुनील गुप्ता ने समस्या को संपूर्णता में समझने का प्रयास किया है । कॉरपोरेट क्षेत्र में होने वाले बदलाव भी डॉक्टर सुनील गुप्ता की निगाह से नहीं बच पाते हैं और वहाँ नतीजों को प्रभावित करने वाली बातों को पहचानने का तथा उनका आकलन करने का उन्होंने भरसक प्रयास किया है । इसके साथ ही, देश में होने वाली राजनीतिक व सामाजिक हलचलों पर भी डॉक्टर सुनील गुप्ता की निगाह बराबर बनी रहती है । उनके आलेखों व टिप्पणियों के विषय देख कर ही लगता है देश की आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों से जुड़ा शायद ही कोई विषय हो जो उनसे छूटा हो ।
इसी कारण से डॉक्टर सुनील गुप्ता के आलेख और टिप्पणियाँ प्रतियोगिता परीक्षाओं में भाग लेने वालों से लेकर देश और समाज के प्रति जागरूक रहने वाले लोगों के लिए - तथा देश और समाज के विकास में किसी भी स्तर की भूमिका निभाने की इच्छा रखने वाले लोगों के लिए उपयोगी हैं । शायद यही कारण है कि अपने आलेखों व टिप्पणियों को लेकर शुरू किए गए उनके फेसबुक पेज को तीन-साढ़े तीन माह की अवधि में ही सोलह हजार से ज्यादा पाठक मिल गए हैं । कम समय में उनको प्राप्त हुई पाठक संख्या से यह भी पता चलता है कि जिस तरह के विषयों को डॉक्टर सुनील गुप्ता ने साधा है, उन विषयों पर जानकारी पाने की लोगों के बीच कितनी ज्ञानात्मक 'भूख' है और इस ज्ञानात्मक 'भूख' को दूर करने के साधन कितने कम हैं । डॉक्टर सुनील गुप्ता ने इस तरह लोगों की एक बड़ी जरूरत को पूरा करने का महत्वपूर्ण काम किया है ।
डॉक्टर सुनील गुप्ता पेशे से चार्टर्ड एकाउंटेंट हैं । 15 नबंवर 1966 को एक कृषक परिवार में जन्मे डॉक्टर सुनील गुप्ता ने 1990 में चार्टर्ड एकाउंटेंसी की पढ़ाई पूरी कर ली थी । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के सदस्य के रूप में डॉक्टर सुनील गुप्ता ने शुरू से ही प्रोफेशन और प्रोफेशन से जुड़े लोगों को प्रभावित करने वाले मुद्दों को उठाना और उन्हें हल करने की दिशा में आगे बढ़ाना शुरू कर दिया था । इस सक्रियता के चलते ही डॉक्टर सुनील गुप्ता बहुत जल्दी ही इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की गाजियाबाद ब्रांच के चेयरमैन बने । चेयरमैन के रूप में डॉक्टर सुनील गुप्ता की पहल से किए गए प्रयत्नों के चलते ही गाजियाबाद में चार्टर्ड एकाउंटेंसी के छात्रों को गाजियाबाद में ही परीक्षा देने की सुविधा प्राप्त हुई; अन्यथा उन्हें परीक्षा देने के लिए दिल्ली जाना पड़ता था । डॉक्टर सुनील गुप्ता द्धारा दिलचस्पी लेने के बाद ही इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने गाजियाबाद में चार्टर्ड एकाउंटेंसी के छात्रों के लिए कोचिंग की व्यवस्था शुरू की । इन सफलताओं से डॉक्टर सुनील गुप्ता की सक्रियता का क्षेत्र बढ़ा और उन्होंने बड़े स्तर पर अपने आपको खड़ा किया । इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के जब वह सदस्य बने, तो वह उक्त काउंसिल के सदस्य बनने वाले गाजियाबाद के पहले चार्टर्ड एकाउंटेंट थे । इसके बाद, डॉक्टर सुनील गुप्ता ने फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा ।
डॉक्टर सुनील गुप्ता आज पंजाब नेशनल बैंक, जनरल इंश्योरेंस कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया तथा रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉर्पोरेशन लिमिटेड के निदेशक मंडल के सदस्य हैं । इसके साथ ही वह मिनिस्ट्री ऑफ स्टील की स्टील कंज्यूमर्स काउंसिल के सक्रिय सदस्य भी हैं । एसोचैम, सीआईआई तथा पीएचडी चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एण्ड इंडस्ट्रीज तथा प्रेस क्लब ऑफ इंडिया की सदस्यता के जरिये भी उनकी संलग्नता और सक्रियता का व्यापक दायरा है । फिक्की की नेशनल एक्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्य के रूप में फिक्की की गतिविधियों और उसके फैसलों में डॉक्टर सुनील गुप्ता की निर्णायक भूमिका रहती है । यूनिटी इंटरनेशनल फाउंडेशन की इकोनोमिक अफेयर्स कमेटी के चेयरमैन के रूप में डॉक्टर सुनील गुप्ता ने विभिन्न देशों के बीच के व्यापारिक संबंधों को और प्रगाढ़ तथा व्यावहारिक बनाने के लिए नीति संबंधी एक ड्राफ्ट तैयार करने का एक महत्वपूर्ण काम किया है । इंडिया सेंटर फाउंडेशन ने इंडिया-जापान ग्लोबल पार्टनरशिप तथा देहली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर की प्रस्तुति में जो कामयाबी प्राप्त की है, उसमें डॉक्टर सुनील गुप्ता की सक्रिय भागीदारी रही है ।
विभिन्न संस्थाओं में विविधतापूर्ण भूमिकाओं का निर्वाह करते रहने के बावजूद डॉक्टर सुनील गुप्ता ने अपनी स्वतंत्र एकेडमिक पहचान को भी बनाये रहने का अनोखा काम किया है । इसी का नतीजा है कि वह एक स्वतंत्र लेखक, विचारक और व्याख्याकार के रूप में भी पहचाने जाते हैं । आर्थिक, वाणिज्यिक व सामाजिक विषयों पर समाचार पत्रों में लेख लिखते रहने तथा टेलीविजन चैनलों पर होने वाली चर्चाओं में नियमित रूप से भाग लेते रहने के चलते डॉक्टर सुनील गुप्ता आर्थिक, वाणिज्यिक व सामाजिक विषयों में दिलचस्पी रखने वाले लोगों के बीच एक जाना-पहचाना नाम है । आर्थिक व वाणिज्यिक विषयों पर उनकी कुछेक किताबें भी प्रकाशित हैं । सोशल मीडिया के विभिन्न चैनलों में प्रकाशित/प्रसारित अपने आलेखों और अपनी टिप्पणियों का प्रिंटेड प्रारूप प्रस्तुत करके डॉक्टर सुनील गुप्ता ने एक एकेडमिक की अपनी पहचान को और समृद्ध करने की दिशा में ही कदम बढ़ाया है ।