Saturday, July 5, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ ने सुभाष जैन को सब्जबाग दिखा कर रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल को विघटन के कगार पर पहुँचा दिया है

गाजियाबाद । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के सदस्यों ने आजकल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट जेके गौड़ को निशाने पर लिया हुआ है । उनके बीच इस बात को लेकर बेहद नाराजगी और गुस्सा है कि जेके गौड़ ने अपनी घटिया तिकड़मों से उनके क्लब में फूट पड़वाने वाली स्थितियाँ पैदा कर दी हैं । रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल में योगेश गर्ग और सुभाष जैन के बीच चल रहे 'शीत-युद्ध' के कारण क्लब के विघटन की जो स्थिति बनी है उसके पीछे मुख्य खेल जेके गौड़ का ही देखा/पहचाना जा रहा है । क्लब के कुछेक लोगों ने दावा तो किया है कि योगेश गर्ग और सुभाष जैन के बीच जो मामला है, उसे सुलझा लिया जायेगा और क्लब की एकता बनी रहेगी । लेकिन क्लब के अन्य कुछेक लोगों के अनुसार, सुभाष जैन के रवैये को देखते/समझते हुए इस दावे के सच साबित होने की उम्मीद कम ही है । इन कुछेक सदस्यों का कहना है कि उन्होंने योगेश गर्ग से अनुरोध किया था कि वह सुभाष जैन से मिलकर 'अपना झगड़ा' ख़त्म करें - लेकिन योगेश गर्ग ने यह कहकर उनके अनुरोध को ख़ारिज कर दिया कि उनका सुभाष जैन के साथ कोई झगड़ा ही नहीं है, वह किस झगड़े को ख़त्म करें । इन लोगों ने योगेश गर्ग पर लेकिन दबाव बनाया कि वह अपनी तरफ से पहल करके सुभाष जैन से बात करें । क्लब के सदस्यों का दबाव बना, तो योगेश गर्ग इसके लिए राजी हो गए । उन्होंने सुभाष जैन को फोन किया और मिलने की बात की - सुभाष जैन ने अगले दिन अपने ऑफिस में मिलने का समय तय किया । अगले दिन वह समय आता, उससे पहले योगेश गर्ग को सुभाष जैन से एसएमएस मिला जिसमें कहीं जाने की बात कहते हुए मिलने के आयोजन को ख़त्म दिया । सुभाष जैन की तरफ से - न उस समय और न बाद में ही - यह भी नहीं बताया गया कि मिलने का कार्यक्रम कब हो सकता है । सुभाष जैन के इस रवैये से साफ हो जाता है कि क्लब का भविष्य किस दिशा की तरफ बढ़ रहा है ।
समझा जाता है कि सुभाष जैन के इस रवैये को खाद-पानी जेके गौड़ की तरफ से मिल रहा है । सुभाष जैन और जेके गौड़ के 'संबंधों' से परिचित क्लब के सदस्यों का कहना है कि जेके गौड़ ने सुभाष जैन को समझा दिया है कि वह तो उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनवाना चाहते हैं, लेकिन योगेश गर्ग उनकी राह का रोड़ा बनेंगे - इसलिए पहले योगेश गर्ग से ही निपटो । हाल ही के दिनों में, पहले गाजियाबाद के अन्य क्लब्स के लोगों के बीच और फिर अपने ही क्लब की असेम्बली में योगेश गर्ग को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनाने की बात जिस तरह से उठी उससे सुभाष जैन को जेके गौड़ की बात में दम दिखा है और वह जेके गौड़ की सलाहानुसार योगेश गर्ग से निपटने की तैयारी में जुट गए हैं । योगेश गर्ग के साथ सुभाष जैन के रोटरी के स्तर पर ही नहीं, परिवार के स्तर पर भी जिस तरह के संबंध रहे हैं, उनसे परिचित रहे क्लब के सदस्यों को - मिलने की योगेश गर्ग की कॉल को टाल देने की सुभाष जैन की कार्रवाई में उक्त तैयारी के संकेत और सुबूत दिख रहे हैं । योगेश गर्ग और सुभाष जैन के बीच का जो 'शीत-युद्ध' क्लब की एकता के लिए खतरा बन गया है, उसके लिए एक अकेले जेके गौड़ को जिम्मेदार ठहराना, हालाँकि उनके साथ ज्यादती करना भी होगा । सच यही है कि क्लब में 'आग' तो पहले से ही सुलग रही थी - लेकिन हाँ, उसमें घी डालने का काम जेके गौड़ ने ही किया है । जेके गौड़ ने घी तबियत से डाला है, और इसके चलते ही क्लब में सुलग रही आग भड़क उठी है ।
क्लब के सदस्यों का ही कहना है कि पिछले तीन-चार वर्षों में सुभाष जैन को यह बात सालना शुरू हुई कि रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट में 'योगेश गर्ग के क्लब' के रूप में क्यों देखा/पहचाना जाता है । यह खुन्नस पहली बार उस वर्ष देखने में आई, जिस वर्ष संजय पाण्डेय अध्यक्ष थे । जीओेवी में तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर असित मित्तल ने अध्यक्ष के रूप में संजय पाण्डेय की परफॉर्मेंस पर असंतोष व्यक्त किया था, लेकिन इसके दो महीने बाद ही उन्होंने संजय पाण्डेय के लिए सबसे बड़े अवार्ड का फैसला किया । असित मित्तल ने अपने इस फैसले से जब योगेश गर्ग को अवगत कराया तो योगेश गर्ग ने उनके इस फैसले पर हैरानी व्यक्त करते हुए कहा कि अभी दो महीने पहले ही तुम जिस अध्यक्ष के कामकाज पर असंतोष जता चुके हो, उसे सबसे बड़ा अवार्ड दोगे तो यह पक्षपातपूर्ण फैसला नहीं लगेगा । असित मित्तल ने उन्हें बताया कि इस फैसले के लिए असिस्टेंट गवर्नर अतुल गोयल और सुभाष जैन की बड़ी तगड़ी सिफारिश है । बाद में, अतुल गोयल ने योगेश गर्ग को समझाने का प्रयास किया कि हमारे क्लब के अध्यक्ष को डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा अवार्ड मिल रहा है, तो आप उसका विरोध क्यों कर रहे हैं । योगेश गर्ग ने उनसे कहा कि वह विरोध नहीं कर रहे हैं; वह तो सिर्फ यह कह रहे हैं कि तिकड़म और सिफारिश से लिए गए अवार्ड से क्लब की बदनामी ही होगी । योगेश गर्ग के इस तर्क को तरह तरह से व्याख्यायित करके अतुल गोयल और सुभाष जैन ने क्लब के लोगों को बताया कि संजय पाण्डेय को उक्त अवार्ड मिलने का विरोध योगेश गर्ग इसलिए कर रहे हैं, ताकि डिस्ट्रिक्ट के सबसे बड़े अवार्ड के प्राप्तकर्ता के रूप में भाभी जी का नाम ही चलता रहे - भाभी जी, यानि योगेश गर्ग की पत्नी रेखा गर्ग । उल्लेखनीय है कि क्लब के अध्यक्ष के रूप में रेखा गर्ग को तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुशील खुराना ने डिस्ट्रिक्ट का सबसे बड़ा अवार्ड दिया था । रेखा गर्ग को मिले अवार्ड को बीच में लाकर सुभाष जैन ने अतुल गोयल के साथ मिल कर योगेश गर्ग पर पहला बड़ा हमला किया था ।
बाद में, पता यह चला कि संजय पाण्डेय को उक्त अवार्ड दिलवाने के लिए अतुल गोयल और सुभाष जैन ने असित मित्तल के साथ क्लब के वोट का सौदा किया था । यह सौदा कराने का काम जेके गौड़ ने किया था । उस रोटरी वर्ष में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए संजय खन्ना और रवि चौधरी के बीच चुनाव हो रहा था, जिसमें रवि चौधरी की उम्मीदवारी की बागडोर असित मित्तल के हाथ में थी और गाजियाबाद में रवि चौधरी के लिए समर्थन जुटाने का ठेका जेके गौड़ ने लिया हुआ था । रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने वास्ते जेके गौड़ द्धारा आयोजित पार्टी में गाना गाने आई लड़की को लेकर मार-पिटाई और खून-खच्चर तक होने वाली घटना 'रचनात्मक संकल्प' के पाठकों को याद होगी ही । उस चुनाव में योगेश गर्ग ने संजय खन्ना की उम्मीदवारी का समर्थन करने की वकालत की थी, किंतु जेके गौड़ के मार्फ़त असित मित्तल से हो चुके सौदे के चलते अतुल गोयल और सुभाष जैन ने रवि चौधरी के हक़ में फैसला करवाया । ऐसा करने के जरिये सुभाष जैन ने दरअसल यह दिखाने/बताने की कोशिश की कि जिस क्लब को योगेश गर्ग के क्लब के रूप में देखा/पहचाना जाता है, उस क्लब में योगेश गर्ग की चलती ही नहीं है ।
इसके अगले वर्ष, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में जेके गौड़ ने इन पँक्तियों के लेखक को ही कई बार बताया था कि गाजियाबाद में एक अकेले योगेश गर्ग ही उनसे नाराज थे, लेकिन उन्हें तो उन्होंने एक बार मिल कर ही मना लिया था । पीछे, नोमीनेटिंग कमेटी के एक चुनाव में जेके गौड़ ने योगेश गर्ग के साथ धोखाधड़ी की थी, योगेश गर्ग उसी के कारण जेके गौड़ से खफा थे । खुद जेके गौड़ के अनुसार, जेके गौड़ ने जब अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन की गुहार लगाई तो योगेश गर्ग ने उन्हें इस बात का कोई अहसास ही नहीं होने दिया कि वह उनसे नाराज भी थे । लेकिन चुने जाते ही, जेके गौड़ ने कहना/बताना शुरू किया कि योगेश गर्ग तो उनकी जगह डॉक्टर सुब्रमणियन का समर्थन करना चाहते थे लेकिन क्लब में उनकी किसी ने सुनी ही नहीं । जेके गौड़ के अनुसार ही, सुभाष जैन लगातार उन्हें बताते रहते थे कि क्लब में योगेश गर्ग तो डॉक्टर सुब्रमणियन के पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश करते हैं । क्लब के लोगों का कहना था कि सुभाष जैन इस तरह की बातें दरअसल यह बताने/जताने के लिए करते हैं ताकि लोगों के बीच यह संदेश जाए कि क्लब में योगेश गर्ग की तो जरा भी नहीं चलती है, और क्लब का जो भी फैसला होता है वह उनकी मर्जी और पसंद से होता है । क्लब के लोगों ने हालाँकि तुरंत ही स्पष्ट कर दिया था कि उम्मीदवारों को लेकर क्लब में जब भी कभी चर्चा होती थी, योगेश गर्ग हमेशा ही यही कहते थे कि जो भी उम्मीदवार हैं उनमें गवर्नर बनने लायक तो डॉक्टर सुब्रमणियन हैं, किंतु गाजियाबाद का होने के नाते हमें समर्थन जेके गौड़ का करना चाहिए । यानि, सच यह है कि जेके गौड़ गवर्नर के रूप में योगेश गर्ग के लिए पहली पसंद तो नहीं थे, किंतु जेके गौड़ का विरोध उन्होंने कभी नहीं किया । सुभाष जैन और जेके गौड़ लेकिन फिर भी योगेश गर्ग को विरोधी के रूप में देखते/बताते रहे ।
पिछले दिनों हुए सीओएल के चुनाव में रमेश अग्रवाल के पक्ष में, तथा डिस्ट्रिक्ट के विभाजन के पक्ष में क्लब का वोट/समर्थन जुटाने के लिए जेके गौड़ ने सुभाष जैन की मदद ली, और सुभाष जैन ने योगेश गर्ग को अँधेरे में और धोखे में रखकर उक्त फैसले करवाए । इस तरह, पिछले तीन वर्षों में क्लब के भीतर रहते हुए सुभाष जैन ने और क्लब से बाहर रहते हुए जेके गौड़ ने क्लब में योगेश गर्ग की जड़ें खोदने का काम किया और अधिकतर मौकों पर वह सफल भी रहे/दिखे । लेकिन निरंतर प्राप्त की जाती रही सफलताओं के बावजूद वह योगेश गर्ग की पहचान और हैसियत को एक खरोंच भी नहीं दे पाए । डिस्ट्रिक्ट विभाजन की राजनीति के चलते गाजियाबाद के रोटेरियंस के सामने जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवारों को चुनने का मौका आया तो उन्होंने सुभाष जैन को नहीं, योगेश गर्ग को चुना । यह तो हुई गाजियाबाद की बात; इसके बाद जब रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल के सदस्यों ने क्लब असेम्बली में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया को अंजाम दिया तो उन्होंने भी सुभाष जैन की मौजूदगी में योगेश गर्ग को उम्मीदवार के रूप में चुना । इस तरह पहले शहर में और फिर क्लब में सुभाष जैन को योगेश गर्ग से मात खानी पड़ी । समझा जाता है कि इससे सुभाष जैन बुरी तरह बौखला गए हैं और अब वह योगेश गर्ग के साथ आरपार कर लेना चाहते हैं । उनका रवैया देख/जान कर ऐसा लगता है कि जैसे उन्होंने तय कर लिया है कि अब बात नहीं होगी, अब एक्शन होगा ।
जेके गौड़ ने सुभाष जैन को आश्वस्त किया है कि अपने गवर्नर-काल में वह उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुनवायेंगे । उस महान उपलब्धि को प्राप्त करने के लिए - सुभाष जैन को भी लगता है, और जेके गौड़ ने भी उन्हें समझाया है कि योगेश गर्ग का पक्का इंतजाम करना होगा । इसीलिए सुभाष जैन ने योगेश गर्ग की बात करने की पहल को ठुकरा दिया है । सुभाष जैन के इस रवैये से रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल में कुछ खास धमाका होने की चर्चा ने जोर पकड़ लिया है ।