Wednesday, July 9, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के विभाजित डिस्ट्रिक्ट में क्लब से हरी झंडी मिलने के साथ साथ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत हुई सतीश सिंघल की उम्मीदवारी ने भी, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर बने असमंजस को ख़त्म करने का काम किया है

गाजियाबाद/नोएडा । रोटरी क्लब गाजियाबाद ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को औपचारिक रूप से हरी झंडी देकर तथा रोटरी क्लब नोएडा ने सतीश सिंघल की उम्मीदवारी की प्रस्तुति के संकेत देकर विभाजित डिस्ट्रिक्ट में चुनावी राजनीति की गर्मी बढ़ा दी है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की चर्चा तो पहले से ही थी, किंतु डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की स्थिति में इस बात को लेकर कन्फ्यूजन बना हुआ था कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए उम्मीदवार होंगे, या डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए ? यह कन्फ्यूजन दरअसल इसलिए बना क्योंकि अरनेजा गिरोह ने लोगों के बीच अफवाह उड़ाई हुई थी कि दीपक गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए शरत जैन की उम्मीदवारी को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का फैसला कर लिया है । अरनेजा गिरोह के लोगों की बातों पर चूँकि लोग भरोसा नहीं करते हैं, इसलिए किसी ने उनके इस दावे पर विश्वास तो नहीं किया; लेकिन चूँकि दीपक गुप्ता ने जोरशोर से उनके दावे का जबाव नहीं दिया, इसलिए मामला कन्फ्यूजन में आ गया । इस स्थिति से निपटने के लिए दीपक गुप्ता ने जब जोरशोर से यह साफ किया कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए ही उम्मीदवार थे, हैं और रहेंगे - तब भी अरनेजा गिरोह के नेताओं ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर कन्फ्यूजन बनाये रखने की अपनी कोशिशों को छोड़ा नहीं । अभी चार दिन पहले तक जेके गौड़ लोगों के बीच यह दावा करते हुए सुने गए थे कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में वह चुनाव नहीं होने देंगे और समझाबुझा कर दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए राजी कर लेंगे । अरनेजा गिरोह के दूसरे नेता भी बताते फिर रहे थे कि उन्होंने दीपक गुप्ता को भरोसा दिलाया है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उनके आलावा और कोई उम्मीदवार नहीं आयेगा और इस तरह वह बिना कुछ किये ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बन जायेंगे ।
रोटरी क्लब गाजियाबाद के बोर्ड ने विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को औपचारिक रूप से हरी झंडी देकर कन्फ्यूजन फैलाने की सारी कोशिशों पर लेकिन विराम लगा दिया है । जो जानकारी मिली है उसके अनुसार डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का प्रस्ताव जीपी अग्रवाल ने रखा जिसका अनुमोदन मनमोहन अग्रवाल ने किया । बाकी सदस्यों ने एक स्वर से प्रस्ताव का समर्थन किया । इस जानकारी का प्रतीकात्मक रूप से बड़ा महत्व है । महत्व का कारण यह है कि जेके गौड़ ने जीपी अग्रवाल और मनमोहन अग्रवाल के भरोसे ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की राह में रोड़ा बिछाने की तैयारी की थी । जेके गौड़ अक्सर ही जीपी अग्रवाल और मनमोहन अग्रवाल का अपने 'आदमी' के रूप में जिक्र करते रहे हैं । समझा जाता है कि दीपक गुप्ता को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी के लिए राजी करने का भरोसा जेके गौड़ को इन्हीं दोनों से मिलने वाली मदद पर निर्भर था । जेके गौड़ को उम्मीद थी कि क्लब के लोगों में मनमुटाव पैदा करके जैसी खलबली उन्होंने रोटरी क्लब गाजियाबाद सेंट्रल में मचा/मचवा दी है, वैसी ही खलबली वह रोटरी क्लब गाजियाबाद में भी मचा/मचवा देंगे । किंतु लगता है कि जीपी अग्रवाल और मनमोहन अग्रवाल उनके झाँसे में नहीं आये और इसीलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को जीपी अग्रवाल द्धारा प्रस्तावित करने का और मनमोहन अग्रवाल द्धारा अनुमोदित करने का खास महत्व है ।
इसी के साथ, विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को लेकर पैदा किए जा रहे असमंजस पर आधिकारिक रूप से पानी पड़ गया है ।
दीपक गुप्ता की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट पद की उम्मीदवारी को लेकर बने असमंजस को ख़त्म करने का काम सतीश सिंघल की उम्मीदवारी की प्रस्तुति ने भी किया है । सतीश सिंघल की उम्मीदवारी से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति का अपना अलग झमेला शुरू हो गया है, जिसमें दीपक गुप्ता पर दबाव बनाने वाले अरनेजा गिरोह के लोगों के हाथ से दीपक गुप्ता को झाँसा देने का मौका छिन गया है । रोटरी क्लब नोएडा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए सतीश सिंघल की उम्मीदवारी को प्रस्तुत करके विभाजित डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में खासी गर्मी पैदा कर दी है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए हालाँकि पिछले ही सप्ताह रोटरी क्लब वैशाली ने प्रसून चौधरी की उम्मीदवारी को प्रस्तुत किया था । उम्मीदवारी की घोषणा करने के बाद से प्रसून चौधरी चूँकि सीन से गायब दिख रहे हैं, इसलिए उनकी उम्मीदवारी से जो लोग उत्साहित हुए थे उनका उत्साह ठंडा पड़ने लगा । प्रसून चौधरी के क्लब के लोगों ने प्रसून चौधरी के देश से बाहर होने की जानकारी देकर उनकी उम्मीदवारी से उत्साहित लोगों का उत्साह बनाये रखने का प्रयास तो किया है, लेकिन प्रसून चौधरी की अनुपस्थिति से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई का परिदृश्य सूना-सूना जरूर हो गया है । ऐसे में, सतीश सिंघल की उम्मीदवारी की प्रस्तुति ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी लड़ाई के परिदृश्य को रोचक बना दिया है ।
सतीश सिंघल ने पिछले रोटरी वर्ष में भी अपनी उम्मीदवारी के संकेत दिए थे, लेकिन फिर जल्दी ही उन्होंने अपने आप को पीछे कर लिया था । अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने का तब सतीश सिंघल ने तो कोई कारण नहीं बताया था, लेकिन उनके नजदीकियों का कहना था कि एक उम्मीदवार के रूप में जो तैयारियाँ जरूरी होती हैं उनमें सतीश सिंघल ने कोई कमी पाई होगी और इसीलिए फिर उन्होंने अपनी उम्मीदवारी से पीछे हटने का फैसला किया होगा । अपने नजदीकियों में सतीश सिंघल योजना बना कर और पूरी तैयारी के साथ काम करने वाले व्यक्ति के रूप में जाने/पहचाने जाते हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि पिछले अनुभव से सबक लेकर सतीश सिंघल ने अबकी बार उम्मीदवारी प्रस्तुत करने से पहले आवश्यक तैयारी निश्चित ही कर ली होगी । ब्लड बैंक बना कर सतीश सिंघल अपनी कार्य-क्षमता का तथा तय किए गए लक्ष्य को प्राप्त करने की अपनी सामर्थ्य का परिचय पहले ही दे चुके हैं । ब्लड बैंक की स्थापना जैसे बड़े और महत्वपूर्ण काम को सफलतापूर्वक अंजाम देने के चलते रोटरी में उनका नाम भी है और उनकी पहचान भी है । इसी नाम और पहचान के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत हुई उनकी उम्मीदवारी ने विभाजित डिस्ट्रिक्ट के संदर्भ वाली चुनावी राजनीति में गर्मी पैदा कर दी है । प्रसून चौधरी के साथ सतीश सिंघल के संभावित चुनावी मुकाबले को खासी दिलचस्पी के साथ देखा जा रहा है । यह सच है कि रोटेरियंस के बीच नाम और पहचान के मामले में सतीश सिंघल का पलड़ा प्रसून चौधरी से भारी है, लेकिन अपने क्लब के सक्रिय सदस्यों का जैसा समर्थन प्रसून चौधरी के साथ है, वैसा समर्थन सतीश सिंघल को अभी जुटाना है । प्रसून चौधरी की उम्मीदवारी को रमणीक तलवार जैसे रोटेरियंस का खुला समर्थन प्राप्त है, जिन्हें संजय खन्ना की घमासानपूर्ण चुनावी लड़ाई में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का अनुभव है । सतीश सिंघल को ऐसे किसी 'सारथी' की अभी तलाश करना है । जाहिर है कि सतीश सिंघल और प्रसून चौधरी की अपनी अपनी खूबियाँ और कमजोरियाँ हैं - अपनी अपनी खूबियों और कमजोरियों के साथ वह कैसे अपना चुनाव अभियान चलाते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा ।