Sunday, July 6, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के विभाजित डिस्ट्रिक्ट में दीपक तलवार ने जिस अंदाज में रवि चौधरी की उम्मीदवारी के प्रति पूर्व गवर्नर्स के समर्थन का दावा किया है, उससे रवि चौधरी की राह में वास्तव में रोड़े ही पड़े हैं

नई दिल्ली । रवि चौधरी की विभाजित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनने की कोशिश उनके अपने ही क्लब के पूर्व गवर्नरों के दिलचस्पी न लेने के कारण सिरे नहीं चढ़ पा रही है । उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक तलवार ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी को हरी झंडी दिलवाने की तैयारी की; और इस तैयारी के तहत उन्होंने लोगों के बीच अफवाह फैला दी कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में आने वाले लगभग सभी पूर्व गवर्नर्स ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी को हरी झंडी दे दी है, और जो दो-तीन पूर्व गवर्नर अभी हरी झंडी देने को राजी नहीं हैं - उन्हें भी जल्दी ही राजी कर लिया जायेगा । विभाजित डिस्ट्रिक्ट अभी बना नहीं है, लेकिन उस प्रस्तावित डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी रवि चौधरी होंगे - दीपक तलवार ने जैसे यह 'घोषित' कर दिया है । जिस भी पूर्व गवर्नर ने यह सुना उसने इस बात को एक चुटकुले से ज्यादा महत्व नहीं दिया । जिसने भी किसी पूर्व गवर्नर से इस बारे में पूछा, उसे जबाव की बजाये सवाल सुनने को मिला कि तुम भी दीपक तलवार की बातों पर विश्वास करते हो ? किसी किसी ने रवि चौधरी के प्रति सहानुभूति भी प्रकट की कि उस बेचारे को पहले असित मित्तल मिले थे और अब दीपक तलवार मिल गए हैं । यह सुझाव भी आये कि रवि चौधरी को यदि सचमुच अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करनी है, तो उन्हें ऐसे लोगों से सलाह करनी चाहिए और ऐसे लोगों को बागडोर सौंपनी चाहिए जो सिर्फ अपना ऊल्लू सीधा करने के चक्कर में ही न रहते हों । असित मित्तल के चक्कर में वह पहले ही मुसीबतों में फँस चुके हैं । उस अनुभव से तो उन्हें सबक लेना ही चाहिए ।
दीपक तलवार ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी के जिस गुब्बारे को फुलाने की कोशिश की, वह फुलाते-फुलाते ही इसलिए फट गया क्योंकि रवि चौधरी के क्लब में जो दो पूर्व गवर्नर हैं उन्हें ही उक्त गुब्बारे से दूर देखा/पाया गया । उल्लेखनीय है कि रवि चौधरी के क्लब में दो पूर्व गवर्नर हैं - रमेश चंद्र और दमनजीत सिंह । इन दोनों को चूँकि रवि चौधरी की उम्मीदवारी की प्रस्तुति में कोई दिलचस्पी लेते हुए नहीं देखा गया, इसलिए अन्य पूर्व गवर्नर्स को यह समझने में देर नहीं लगी कि दीपक तलवार ने रवि चौधरी की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने जुगाड़ों को जुटाने के लिए तैयारी शुरू कर दी है । यहाँ यह स्पष्ट रूप से जान लें कि रमेश चंद्र और या दमनजीत सिंह ने रवि चौधरी की उम्मीदवारी का कोई विरोध नहीं किया है; किंतु चूँकि यह दोनों रवि चौधरी की उम्मीदवारी के लिए कुछ करते हुए भी नहीं दिख रहे हैं इसलिए रवि चौधरी की उम्मीदवारी के प्रति इनकी भूमिका संदेहास्पद बनी है । लोगों को कहना यह है कि रवि चौधरी अपनी उम्मीदवारी को लेकर यदि सचमुच गंभीर हैं तो सबसे पहले उन्हें अपने क्लब के इन दोनों पूर्व गवर्नर्स में अपनी उम्मीदवारी के प्रति दिलचस्पी पैदा करनी होगी । यह सच है कि यह दोनों लोग चुनावी राजनीति के झमेले में ज्यादा नहीं पड़ते हैं, लेकिन फिर भी रवि चौधरी को ऐसा कुछ तो करना ही चाहिए जिससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच यह भ्रम न फैले कि यह दोनों उनकी उम्मीदवारी के साथ नहीं हैं ।
दीपक तलवार ने हो सकता है कि रवि चौधरी को समझा दिया हो कि यह दोनों तुम्हारे साथ नहीं भी होंगे तो क्या करेंगे, मैं तुम्हें गवर्नर बनवा दूँगा । ऐसा ही कुछ असित मित्तल और उनके साथियों ने भी उन्हें समझाया था; मुकेश अरनेजा तो सार्वजनिक रूप से दावा करते थे कि वह चाहें तो किसी रिक्शेवाले को गवर्नर चुनवा/बनवा दें । उनकी बातों में आकर रवि चौधरी भी उन पूर्व गवर्नर्स के लिए अपमानपूर्ण शब्दावली का इस्तेमाल करने लगे थे, जो उनके साथ नहीं दिख रहे थे । दीपक तलवार के भरोसे रवि चौधरी क्या एक बार फिर उसी 'दिशा' की तरफ बढ़ रहे हैं ? रवि चौधरी के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि चुनावी नजरिये से रवि चौधरी के लिए अच्छा मौका है; बशर्ते वह इस अच्छे मौके का फायदा उठाने में होशियारीपूर्ण संलग्नता का परिचय दें । वह लोगों के बीच सक्रिय नहीं होंगे और 'इसके' या 'उसके' भरोसे रहेंगे तो फिर यह अच्छा मौका भी अच्छा साबित नहीं होगा ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट के विभाजन  के हालात जिस तरह से मजबूत बने हैं, उसके चलते विभाजित डिस्ट्रिक्ट में दो चुनाव होने की संभावना बनी है । पहले वर्ष के लिए डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी है, और उनके सामने कोई चुनौती भी नहीं देखी/पहचानी जा रही है । सुरेश भसीन की उम्मीदवारी की आहट पहले थी तो, लेकिन चूँकि उनकी कोई सक्रियता नहीं देखी जा रही है इसलिए उनकी उम्मीदवारी को लेकर संदेह पैदा हो गया है । उनके परिवार में हुए एक फंक्शन में रोटेरियंस की उपस्थिति भी कम देखी गई, जिससे उक्त संदेह और बढ़ गया है । कुछेक लोगों को लगता है कि डॉक्टर सुब्रमणियन की स्थिति के मजबूत दिखने और दो चुनाव होने के मद्देनजर हो सकता है कि सुरेश भसीन यह तय करने के लिए इंतजार कर लेना चाहते हों कि वह पहले वर्ष के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करें या दूसरे वर्ष के लिए - और इसीलिए उन्होंने अपने आप को अभी पीछे कर लिया हो । सुरेश भसीन के साथ साथ सरोज जोशी और अजय नारायण की उम्मीदवारी की भी चर्चा सुनी जाती रही है । किंतु उनकी भी कोई सक्रियता नहीं देखी गई है । संभव है कि सुरेश भसीन की तरह वह भी फैसला करने के लिए डिस्ट्रिक्ट के विभाजित होने का इंतजार कर लेना चाहते हों ।
ऐसे में, रवि चौधरी ने दीपक तलवार के जरिये अपनी उम्मीदवारी की चर्चा चलवा कर दूसरे वर्ष के लिए अपनी बढ़त बनाने की जो चाल चली है, वह शुरुआत के लिहाज से तो अच्छी है; लेकिन वह जिस तरह दीपक तलवार की हवा-हवाई बातों पर भरोसा करते दिख रहे हैं उससे उनकी उड़ान के शुरू होते ही बैठने का खतरा पैदा हो गया है । रवि चौधरी के लिए चुनौती की बात दरअसल यह है कि विभाजित डिस्ट्रिक्ट में जिन लोगों का बहुमत है उनके बीच उनकी एक नकारात्मक पहचान है । इस नकारात्मक पहचान से पीछा छुड़ाने का काम वह अपनी सक्रियता और संलग्नता से ही कर सकते हैं और यही करने में वह कोई दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं । दीपक तलवार ने जिस अंदाज में रवि चौधरी की उम्मीदवारी के प्रति पूर्व गवर्नर्स के समर्थन का दावा किया है, उससे रवि चौधरी के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद तक की राह में वास्तव में रोड़े ही पड़े हैं ।