Monday, May 4, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन के रूप में राज चावला को काम न करने देने की चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी की हरकत से राज चावला को जो सहानुभूति मिलती दिख रही है, उसमें विजय गुप्ता का काम बिगड़ता जा रहा है

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के रूप में राज चावला को काम न करने देने की चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी की चालबाजी को फेल करने के लिए नवीन गुप्ता ने आश्चर्यजनक तरीके से साहस तो दिखाया था, लेकिन इन दोनों ने जब घुड़की लगाई तो नवीन गुप्ता का सारा साहस तुरंत से हवा भी हो गया । उल्लेखनीय है कि तरह-तरह की बहानेबाजी के जरिये चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कामकाज को ठप्प किया हुआ है । इसी पर अपनी नाराजगी जताते हुए नवीन गुप्ता ने एक ईमेल लिख कर रीजनल काउंसिल में कामकाज होने देने की वकालत की । नवीन गुप्ता चूँकि कुछ न करने के लिए मशहूर हैं, इसलिए उनकी इस वकालत पर सभी को आश्चर्य हुआ । आश्चर्य इसलिए भी हुआ, क्योंकि इस वकालत के जरिए नवीन गुप्ता दरअसल चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी को सीधी चुनौती देने की कोशिश करते हुए 'दिखे' । नवीन गुप्ता के इस बदले बदले रूप ने सभी को हैरान भी किया । यह हैरानी किंतु ज्यादा देर टिकी नहीं रह पाई - क्योंकि नवीन गुप्ता के इस साहस पर चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी ने जैसे ही उन्हें 'नियमानुसार कामकाज होने' का वास्ता देते हुए घुड़की दी, नवीन गुप्ता ने तुरंत उनकी हाँ में हाँ मिलानी शुरू कर दी ।
नवीन गुप्ता के इस समर्पण ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में कामकाज शुरू हो सकने की संभावनाओं को धक्का पहुँचाया है । कुछेक लोगों को लगता है कि चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी का नाटक अब पूरा हो गया है, और अब वह कोई अड़ंगेबाजी नहीं करेंगे तथा जल्दी ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में कामकाज सुचारू रूप से शुरू हो जायेगा । अन्य कुछेक लोगों को लगता है कि चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी द्वारा खेला जा रहा यह नाटक सेंट्रल काउंसिल के एक तीसरे सदस्य विजय गुप्ता को चूँकि पसंद आ रहा है, इसलिए वह कोशिश करेंगे कि यह नाटक अभी और चले । असल में, यह नाटक चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी ने अपनी अपनी ईगो को संतुष्ट करने के लिए शुरू किया था, जिसमें फिर विजय गुप्ता को अपना फायदा दिखने लगा और वह पर्दे के पीछे से इस नाटक को लंबा खिंचवाने में लग गए । सेंट्रल काउंसिल के अगले चुनाव में विजय गुप्ता को अपनी सीट खतरे में दिख रही है । सेंट्रल काउंसिल की अपनी सीट को बचाने के लिए विजय गुप्ता को राज चावला को घेरे में और दबाव में रखना जरूरी लग रहा है । 
उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव में विजय गुप्ता को अमरजीत चोपड़ा के समर्थन तथा लुधियाना से मिले वोटों के कारण जीत प्राप्त हुई थी । प्रेसीडेंट चुनाव में अपनी फजीहत के लिए विजय गुप्ता ने अमरजीत चोपड़ा को जिम्मेदार ठहरा कर तथा उनके खिलाफ भारी गाली-गलौच करके अमरजीत चोपड़ा के समर्थन को तो पहले ही खो दिया है; विशाल गर्ग व संजय वासुदेव की उम्मीदवारी के चलते इस बार लुधियाना से वोट मिल पाने की भी उन्हें कोई सूरत नहीं दिख रही है । ऐसे में, विजय गुप्ता की निगाह पिछले दो वर्षों में चार्टर्ड एकाउंटेंट बने नए वोटरों पर है । उन्हें लगता है कि महँगी पार्टियों में खिला-पिला कर और नाच-गाना सुनवा/दिखवा कर वह नए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के वोट जुटा लेंगे । इस कोशिश में उन्हें लेकिन राज चावला से खतरा है ।
दरअसल रीजनल काउंसिल का चेयरमैन होने के नाते राज चावला के लिए नए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के साथ संबंध बनाना/जोड़ना आसान होगा । दूसरों के मुकाबले तुलनात्मक रूप से राज चावला चूँकि ज्यादा इंटरनेट फ्रेंडली हैं और फेसबुक पर खासे सक्रिय हैं, इसलिए भी युवाओं के बीच उनके लिए अच्छा समर्थन बनने का अनुमान लगाया जा रहा है । इसी कारण से विजय गुप्ता को लगता है कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के रूप में राज चावला की सक्रियता नए चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच पैठ बनाने की उनकी योजना को कामयाब नहीं होने देगी; और इसीलिए विजय गुप्ता चाहते हैं कि रीजनल काउंसिल के चेयरमैन के रूप में राज चावला काम न कर पाएँ । चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी की हरकत से विजय गुप्ता को तो जैसे मुँहमाँगी मुराद मिल गई । अपने स्वार्थ में विजय गुप्ता चाहेंगे कि चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी का नाटक अभी कुछ दिन और चले, ताकि राज चावला को कुछ काम करने का मौका न मिल सके और लोगों के बीच उनकी नकारात्मक छवि बने । 
चेयरमैन के रूप में काम न करने देने के जरिये राज चावला को लोगों से दूर करने की यह रणनीति - कुछेक लोगों को लगता है कि - बूमरेंग भी कर सकती है । ऐसे लोगों का कहना है कि अभी ही राज चावला को जिस तरह की हमदर्दी मिल रही है उससे लग रहा है कि उन्हें चेयरमैन के रूप में काम न करने देने से लोगों के बीच उनका समर्थन वास्तव में बढ़ा ही है । लोगों का कहना है कि चेयरमैन पद पर राज चावला के चयन को जिस तरह से सेंट्रल काउंसिल व रीजनल काउंसिल के कुछेक सदस्य पचा नहीं पा रहे हैं और शुरू से ही तरह तरह की बहानेबाजियों के जरिए उनकी राह में रोड़े डालने का काम कर रहे हैं, उससे आम चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच उनके लिए सहानुभूति बनी है और लोग महसूस कर रहे हैं तथा कह रहे हैं कि राज चावला के साथ बहुत नाइंसाफी हो रही है । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि विजय गुप्ता रीजनल काउंसिल के चेयरमैन का पद अपने चेले दीपक गर्ग को दिलवाना चाहते थे, किंतु जिसमें वह बुरी तरह विफल रहे थे । विजय गुप्ता के लिए उस हार से भी बड़ा झटका लेकिन यह है कि चरनजोत सिंह नंदा और संजीव चौधरी के जरिए वह लोगों के बीच राज चावला की नकारात्मक पहचान बनाना चाहते हैं, लेकिन हो उलटा रहा है । यानि, पिछले कुछ समय से विजय गुप्ता का हर दाँव उलटा ही पड़ रहा है ।