गाजियाबाद । सुभाष जैन को अपनी तमाम सक्रियता के बावजूद अपनी उम्मीदवारी के लिए जितना/जैसा ठंडा और नकारात्मक रिस्पॉन्स मिल रहा है, उससे उनकी उम्मीदवारी के अभियान के तेजी पकड़ने के अनुमान फेल होते हुए दिखने लगे हैं । बहुत लोगों को उम्मीद थी कि सुभाष जैन ने जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की है, तो वह अच्छी तैयारी के साथ उसके लिए समर्थन जुटाने के अभियान में निकलेंगे । सुभाष जैन अपने परिचितों के बीच अपनी इसी खूबी के लिए जाने/पहचाने जाते हैं कि वह जो भी काम हाथ में लेते हैं, उसे प्रभावी तरीके से अंजाम तक पहुँचाते हैं । लेकिन अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तावित अपनी उम्मीदवारी के अभियान के संदर्भ सुभाष जैन अपनी उक्त खूबी को प्रदर्शित कर पाने में अभी तक तो विफल ही नजर आ रहे हैं । रोटरी क्लब गाजियाबाद आईडियल के प्रेसीडेंट इलेक्ट पंकज जैन के एक बिजनेस ईवेंट में उन्होंने अपनी उम्मीदवारी के प्रमोशन का जो मौका बनाया, उसके कारण तो उनकी भारी फजीहत हुई है । उक्त ईवेंट में सुभाष जैन की तरफ से आमंत्रित किए गए रोटेरियंस को वहाँ जिस बदइंतजामी का शिकार होना पड़ा, उससे देख/सुन कर उन लोगों को गहरा धक्का लगा जो सुभाष जैन की तरफ से बेहतर तैयारियों की उम्मीद लगाए हुए थे । मौके पर मौजूद कुछेक रोटेरियंस के अनुसार, बदइंतजामी को दूर करने के लिए लोगों के बीच सुभाष जैन को खुद पकौड़े सर्व करने के लिए मजबूर होना पड़ा, लेकिन फिर भी कई रोटेरियंस पकौड़े न मिलने की शिकायत करते सुने/देखे गए । सुभाष जैन के उक्त उपक्रम को कई रोटेरियंस ने आपसी बातचीत में, तो कुछेक ने सुभाष जैन के सीधे मुँह पर वाहियात बताया । 'बेगाने की शादी में अब्दुल्ला के दीवाने' होने वाले मुहावरे की तर्ज पर पंकज जैन के आयोजन से फायदा उठाने की सुभाष जैन ने जो कोशिश की, उसने उन्हें ऐसा झटका दिया है कि उससे उबरना उनके लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है ।
सुभाष जैन के लिए इससे भी बड़ी चुनौती लेकिन क्लब में बनी हुई है, जिससे उबरने/निकलने के लिए उन्हें कोई उपाय तक नहीं सूझ रहा है । क्लब में योगेश गर्ग ने अपनी उम्मीदवारी का दावा जता कर सुभाष जैन की उम्मीदवारी की राह में जो रोड़ा डाला हुआ है, उस रोड़े को हटाने के बारे में सुभाष जैन अभी तक कोई प्रयास करते हुए भी नहीं दिखे हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि क्लब में योगेश गर्ग द्वारा पैदा हुए इस झंझट से निबटने की उनकी सारी उम्मीद अगले रोटरी वर्ष में होने वाले क्लब के अध्यक्ष आशीष गर्ग पर टिकी है । आशीष गर्ग को सुभाष जैन 'अपना आदमी' बताते हुए दावा कर रहे हैं कि अगले रोटरी वर्ष में योगेश गर्ग से आशीष गर्ग निपटेंगे । सुभाष जैन को आशीष गर्ग से यह उम्मीद भले ही हो, लेकिन क्लब के दूसरे सदस्यों का मानना/कहना है कि आशीष गर्ग भले ही सुभाष जैन के 'आदमी' हों, लेकिन अध्यक्ष के रूप में काम तो उन्हें नियमानुसार ही करना होगा; और इसलिए सुभाष जैन जिस मनमाने तरीके से मामले को हल कर लेने की उम्मीद लगाये हुए हैं, उससे तो बात बनेगी नहीं । उल्लेखनीय है कि योगेश गर्ग से निपटने के लिए सुभाष जैन ने अभी ही प्रयास किए थे और उन्हें उम्मीद थी कि स्कूली धंधे में संग-साथ के चलते मौजूदा अध्यक्ष स्वाति गुप्ता उनका साथ देंगी । लेकिन स्वाति गुप्ता से उन्हें कोई मदद या फेवर मिलता नहीं दिखा तो उन्होंने अपने प्रयासों को समेट लिया और अपनी सारी उम्मीद आशीष गर्ग पर टिका दी हैं । क्लब में जो सुभाष जैन के शुभचिंतक भी हैं, उनका भी मानना और कहना है कि सुभाष जैन 'जिस तरह की' मदद अध्यक्ष से चाहते हैं उस तरह की मदद करने को न स्वाति गुप्ता तैयार हुईं और न आशीष गर्ग तैयार होंगे - तैयार हो भी गए, तो भी कर नहीं पायेंगे ।
सुभाष जैन के लिए क्लब का यह झमेला डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच समर्थन जुटाने की उनकी कोशिशों में एक बड़ी रूकावट बना हुआ है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट में लोगों को यही समझना मुश्किल हो रहा है कि सुभाष जैन अपनी उम्मीदवारी के लिए जब अपने क्लब में हरी झंडी नहीं ले पा रहे हैं, तो वह उम्मीदवार बनेंगे कैसे ? सुभाष जैन के सामने उम्मीदवार बनने के यूँ तो दूसरे रास्ते हो सकते हैं, लेकिन समस्या स्पष्टता की है - जिसके अभाव में सुभाष जैन की उम्मीदवारी को लेकर ही कन्फ्यूजन बना हुआ है । ऐसे में, जबकि सुभाष जैन लोगों के बीच अपनी उम्मीदवारी को लेकर ही भरोसा पैदा नहीं कर पा रहे हैं, तब फिर अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाना उनके लिए कितना मुश्किल हो रहा होगा - इसे सहज ही समझा जा सकता है । सुभाष जैन के लिए मुसीबत की बात यह हो रही है कि डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी की हवा नहीं बनती दिख रही है, तो उसके कारण क्लब में उनकी उम्मीदवारी के संभावित समर्थक हतोत्साहित हो रहे हैं । यानि क्लब का झंझट उन्हें दोनों तरफ से चोट पहुँचा रहा है । इसीलिए सुभाष जैन की उम्मीदवारी के प्रति समर्थन का भाव रखने रोटेरियंस का मानना और कहना है कि सुभाष जैन को पहले अपने क्लब में पैदा हुए झंझट को हल करना चाहिए, जिससे कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी को लेकर पैदा हुआ और बना हुआ कन्फ्यूजन दूर हो सके ।
सुभाष जैन को जेके गौड़ के रवैये से भी झटका लगा है । स्कूली धंधे की जो सक्रियता है उसमें तो जेके गौड़ उनके साथ बिलकुल कंधे से कंधा मिलाकर रहते हैं और उनकी हाँ में हाँ मिलाते रहते हैं; रोटरी में भी जेके गौड़ अभी तक उनके साथ 'ठीक' ही रहे हैं; लेकिन सुभाष जैन ने शिकायत की है कि जब से वह उम्मीदवार 'बने' हैं, तब से जेके गौड़ का रवैया कुछ बदला बदला से है । जेके गौड़ के बदले बदले रवैये की शिकायत कई अन्यों को भी है - हालाँकि यह शिकायत जायज नहीं है । जेके गौड़ अब गवर्नर हैं यार, रवैया कुछ बदलना भी चाहिए; और उनके बदले रवैये को झेलने के लिए दूसरे लोगों को तैयार भी होना चाहिए । सुभाष जैन की समस्या लेकिन दूसरी है । अपनी उम्मीदवारी को उन्होंने अचानक से यदि प्रस्तुत किया है, तो उसके पीछे जेके गौड़ की ही प्रेरणा रही है । सुभाष जैन ने खुद ही लोगों को बताया है कि जेके गौड़ से मदद मिलने का आश्वासन मिलने के बाद ही उन्होंने अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है । लेकिन अब जब वह उम्मीदवार बन गए हैं, तब जेके गौड़ उन्हें कोई तवज्जो नहीं दे रहे हैं और उनकी पर्याप्त मदद नहीं कर रहे हैं । जेके गौड़ का कहना लेकिन कुछ और है । जिन लोगों ने उन्हें बताया कि सुभाष जैन उनसे मदद नहीं मिलने से खफा हैं, उन्हें जेके गौड़ ने कहा कि सुभाष जैन की समस्या यह है कि वह सोचते/चाहते हैं कि मैं रोजाना सुबह उन्हें फोन करूँ और उनसे पूछूँ कि मुझे उनकी क्या क्या मदद करनी है: जेके गौड़ ने थोड़ा तल्खी से कहा कि मदद सुभाष जैन को मुझसे चाहिए तो सुभाष जैन को मुझे फोन करना होगा और बताना होगा कि मुझसे उन्हें क्या मदद चाहिए । जेके गौड़ ने अपने इस रिएक्शन से सुभाष जैन को आईना दिखाने का जो काम किया है, वह स्वाभाविक भी है और सही भी है; साथ ही इससे यह भी पता चलता है कि सुभाष जैन के एटीट्यूड से जेके गौड़ कितने आहत हैं ।
सुभाष जैन का यह एटीट्यूड ही उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है और इसी के कारण तमाम सक्रियता के बावजूद उनकी उम्मीदवारी के अभियान में हवा भरती हुई नहीं दिख रही है ।