Friday, May 8, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की रोटरी इंटरनेशनल में दर्ज हुई शिकायत के साथ प्रस्तुत हुईं कॉन्करेंस की संख्या तथा शिकायत की ड्रॉफ्टिंग से साबित और जाहिर यह हुआ है कि टीके रूबी ने अपनी लड़ाई में डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ साथ डिस्ट्रिक्ट के बाहर के रोटरी के बड़े नेताओं का भी सक्रिय समर्थन जुटा लिया है

चंडीगढ़ । टीके रूबी ने डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में एक नया अध्याय अंततः जोड़ दिया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने के नतीजे को मनमाने व षड्यंत्रपूर्ण तरीके से अमान्य कर देने के फैसले को रोटरी इंटरनेशनल में आधिकारिक तरीके से चेलैंज करके टीके रूबी ने सभी को जैसे हैरान कर दिया है । दरअसल किसी को यह उम्मीद नहीं थी कि टीके रूबी इस हद तक जा सकेंगे । वह इस हद तक न जा सकें, इसके लिए उनकी घेराबंदी भी कस कर की गई थी । उन्हें 'समझाने' के नाम पर तथा तरह तरह के ललचाने वाले ऑफर देते हुए उन पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनाने की पूरी कोशिश की गई कि अपने साथ हुई नाइंसाफी को वह ज्यादा मुद्दा न बनायें । एक तरफ टीके रूबी को घेरने और उन्हें दबाव में लेने की कोशिश की गई थी, तो दूसरी तरफ डिस्ट्रक्ट में हवा बनाई गई कि टीके रूबी को न डिस्ट्रिक्ट में और न डिस्ट्रिक्ट के बाहर कोई समर्थन मिलेगा और ऐसे में वह कुछ कर ही नहीं सकेंगे । डिस्ट्रिक्ट चलाने का अहंकार रखने वाले नेताओं को ऐसा लगा भी कि उनकी यह दोहरी तरकीब सफल हो रही है । दरअसल टीके रूबी की तरफ से भी ठंडापन दिखाया जा रहा था; वह ऐसा जाहिर कर रहे थे जैसे कि वह बड़ी बेचारगी और लाचारी वाली स्थिति में हैं और उन्होंने समझ लिया है कि जो हुआ है वही अंतिम सच है तथा इसके अलावा कुछ और होना जाना नहीं है । टीके रूबी की तरफ से मिल रहे इस रिएक्शन ने खेल के मुख्य खिलाड़ियों के हौंसले को बढ़ाने का काम किया और वह आश्वस्त होते हुए दिखे कि टीके रूबी को उन्होंने घेर लिया है । टीके रूबी के क्लब की तरफ से रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस को लिखी शिकायती चिट्ठी को जिस फुर्ती के साथ लौटा दिया गया, उससे तो खेल के मुख्य खिलाड़ियों की जैसे बाँछे खिल गईं और उन्होंने मान लिया कि इस बात से टीके रूबी और उनके समर्थकों का मनोबल पूरी तरह टूट चुका है तथा उनके पास अब चुप रहने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा रह गया है । 
टीके रूबी की तरफ से निश्चिंत हो चुके, डिस्ट्रिक्ट को अपनी उँगलियों पर चलाने वाले नेताओं को लेकिन तब खासा जोर का झटका लगा जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कार्यालय को रोटरी इंटरनेशनल से टीके रूबी द्वारा एक हजार डॉलर की फीस के साथ दर्ज की गई आधिकारिक शिकायत पर जबाव देने का नोटिस मिला । टीके रूबी को निपटा देने की खुशफहमी पाले नेताओं के लिए चकराने वाली बात यह रही कि टीके रूबी ने उन्हें या अन्य किसी को यह आभास भी नहीं होने दिया और इतना बड़ा कदम उठा लिया । बड़ी बात यह रही कि अपनी शिकायत के पक्ष में उन्होंने बीस से ज्यादा क्लब्स की कॉन्करेंस भी जुटा लीं - और डिस्ट्रिक्ट के नेताओं को इसकी भनक भी नहीं लगी । इस तथ्य ने यही साबित किया कि टीके रूबी को जिस मनमाने व षड्यंत्रपूर्ण तरीके से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी नहीं बनने दिया गया है, उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच काफी रोष है तथा टीके रूबी के प्रति हमदर्दी है । उक्त षड्यंत्र में शामिल नेताओं को झटका लेकिन इस बात से लगा है कि लोगों के बीच यह स्पष्ट हो जाने के बावजूद, कि जो हुआ है वह राजा साबू की सहमति और मिलीभगत से हुआ है, क्लब्स टीके रूबी की शिकायत को सपोर्ट करने के लिए कॉन्करेंस देने के लिए तैयार हो गए । नेताओं को उम्मीद थी कि जो हुआ उससे डिस्ट्रिक्ट में लोगों को नाराजगी तथा टीके रूबी के प्रति हमदर्दी भले ही हो, उनके साथ खड़ा होने की हिम्मत कोई नहीं करेगा । नेताओं की यह उम्मीद जिस तरह से झूठी साबित हुई उससे यही साबित हुआ है कि टीके रूबी के प्रति डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच समर्थन तो है ही, उस समर्थन को जरूरत पड़ने पर अपने साथ 'दिखाने' का मैकेनिज्म भी टीके रूबी को पता है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक के कार्यालय में रोटरी इंटरनेशनल से टीके रूबी द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत की जो कॉपी पहुँची है, उसे देखने/पढ़ने वाले नेताओं के कान शिकायत की ड्रॉफ्टिंग देख/पढ़ कर भी खड़े हुए हैं । रोटरी इंटरनेशनल के नियम-कानूनों का हवाला देते हुए जिस तरह से अपनी आपत्तियाँ बताई गईं हैं और नोमीनेटिंग कमेटी के गठन को तथा उसके द्वारा लिए गए फैसले को अमान्य करने के निर्णय में बरती गईं अनदेखियों तथा मनमानियों को रेखांकित किया गया है, उससे जाहिर होता दिखता है कि शिकायत को ड्रॉफ्ट करने का काम रोटरी के किन्हीं बड़े नेताओं ने किया है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और दूसरे नेता लोग चूँकि टीके रूबी को और उनके संगी-साथियों को अच्छे से 'जानते' हैं, इसलिए मानते/समझते हैं कि इतनी परफेक्ट ड्रॉफ्टिंग इनके बस की बात तो नहीं है; और अवश्य ही यह ड्रॉफ्टिंग रोटरी के किन्हीं बड़े नेताओं की गाइडेंस में हुई है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तथा टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी न बनने देने के खेल में शामिल दूसरे बड़े नेता इस सब से यह नतीजा निकाल रहे हैं कि अपनी लड़ाई में टीके रूबी उतने अकेले नहीं हैं, जितना अकेला उन्हें समझा जा रहा था । टीके रूबी को घेरने में लगे नेताओं को लग रहा है कि टीके रूबी ने अपनी लड़ाई में डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ साथ डिस्ट्रिक्ट के बाहर के रोटरी के बड़े नेताओं का भी सक्रिय समर्थन जुटा लिया है । इन नेताओं को यह बात भी अच्छी तरह पता है कि रोटरी के बड़े नेताओं में कई ऐसे हैं जिन्हें राजा साबू से अपने अपने हिसाब-किताब पूरे करने हैं; और ऐसे नेताओं में से ही कोई या कई टीके रूबी को न्याय दिलाने में मदद कर रहे हैं । 
इस मदद से स्वाभविक रूप से टीके रूबी की लड़ाई का दायरा बड़ा - बहुत बड़ा हो जाता है । टीके रूबी के लिए यह लड़ाई भले ही हाथ में आ चुके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के छिन जाने से पैदा हुई निराशा से उबरने तथा न्याय पाने भर से जुड़ी हो; रोटरी में उनकी इस लड़ाई को लेकिन एक बड़े संदर्भ के साथ जोड़ कर देखा जा रहा है । उल्लेखनीय है कि राजा साबू जब किसी डिस्ट्रिक्ट में भाषण देते हैं, तो अपने भाषण का एक बड़ा हिस्सा वह यह बताने पर खर्च करते हैं कि उनके डिस्ट्रिक्ट में तो कोई राजनीति होती नहीं है, और सभी काम बड़े आपसी सौहार्दपूर्ण तरीके से होते हैं, और किसी को कभी कोई शिकायत नहीं होती । सुनने वाले हालाँकि अच्छी तरह जानते हैं कि उनके डिस्ट्रिक्ट में भी खूब राजनीति होती है; राजा साबू अपने प्रभाव और अपनी 'कलाकारी' से शिकायत सामने नहीं आने देते और डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच एक झूठा और नकली किस्म का सौहार्द 'दिखता' रहता है । राजा साबू इसी का वास्ता देकर अपनी पीठ खुद ही थपथपाते रहते हैं और दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के लोगों के बीच इसी बात के लिए अपनी बड़ाई करते रहते हैं । इस बार लेकिन उनकी राजनीति का दाँव उलटा पड़ गया लग रहा है । उनकी तरफ से टीके रूबी को मैनेज करने की कोशिशें तो हालाँकि काफी हुईं हैं, लेकिन लोगों को मैनेज करने में अभी तक सफल होते रहे उनके फार्मूले लगता है कि टीके रूबी के मामले में काम नहीं आए हैं । इसीलिए जिस बात की किसी को उम्मीद नहीं थी, टीके रूबी ने उसे कर दिखाया है । सचमुच में, न डिस्ट्रिक्ट में और न डिस्ट्रिक्ट के बाहर के रोटेरियंस में किसी को उम्मीद नहीं थी कि टीके रूबी अपनी लड़ाई को इस हद तक ले जायेंगे और एक हजार डॉलर की फीस के साथ रोटरी इंटरनेशनल में अपनी शिकायत दर्ज करवायेंगे । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट की लड़ाई रोटरी इंटरनेशनल में आधिकारिक रूप से दर्ज हो जाए, इसकी वास्तव में किसी ने कल्पना भी नहीं की थी । इसीलिए इस आलेख के शुरू में ही कहा गया है कि टीके रूबी ने वास्तव में डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में एक नया अध्याय जोड़ा है ।
राजा साबू के नजदीकियों का कहना है कि टीके रूबी के साथ जो हुआ, उसमें राजा साबू का सीधा दखल कुछ नहीं है; वह तो बस उन लोगों के कहे में आ गए जिनसे वह घिरे रहते हैं । ऐसे लोगों ने उन्हें आश्वस्त किया था कि वह टीके रूबी को मैनेज कर लेंगे । अब जब टीके रूबी मैनेज नहीं हो पाए हैं और मामला रोटरी इंटरनेशनल की अदालत में दर्ज हो गया है, तो फजीहत लेकिन राजा साबू की हो रही है । राजा साबू के नजदीकियों ने ही बताया कि जो हो रहा है, राजा साबू उससे दुखी हैं और तथाकथित ग्रीवन्स कमेटी के गठन व उसके फैसले को अमान्य करवा कर टीके रूबी को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी घोषित करवा देना चाहते हैं; ताकि झंझट खत्म हो तथा रोटरी में उनकी और फजीहत न हो । इस खेल के मास्टरमाइंड लोग लेकिन अभी भी उन्हें आश्वस्त करने में लगे हुए हैं कि वह मामले को संभाल लेंगे और ज्यादा आगे नहीं बढ़ने देंगे । इन लोगों ने राजा साबू को बताया है कि जिन क्लब्स ने कॉन्करेंस दी हैं, उन क्लब्स के लोगों पर दबाव बना कर वह कॉन्करेंस वापस करवा देंगे, जिससे कि शिकायत अपने आप ही अमान्य हो जायेगी । इस फार्मूले में समस्या लेकिन यह है कि शिकायत को मान्य बनाये रखने के लिए कुल पाँच-छह कॉन्करेंस ही चाहिए हैं; अभी जो बीस के करीब कॉन्करेंस दी गईं हैं उनमें से आखिर वह कितनी कॉन्करेंस वापस करवा लेंगे ? समस्या टीके रूबी के संगी-साथियों द्वारा कही/बताई जा रही उन बातों से भी है, जिनमें दावा किया गया है कि उन्हें इस तरह की हरकत होने का पहले से ही आभास है और इसलिए उन्होंने छह-आठ क्लब्स की कॉन्करेंस और ली हुई हैं जिन्हें अभी जमा नहीं कराया गया है; और वक्त-जरूरत के लिए गोपनीय रूप से रखा हुआ है । टीके रूबी की तरफ की इस तैयारी को देखते हुए ही राजा साबू के कुछेक शुभचिंतकों ने सलाह दी है कि राजा साबू को अपनी तरफ से पहल करके इस मामले को सम्मानजनक तरीके से खत्म करना/करवाना चाहिए । इन शुभचिंतकों का कहना है कि राजा साबू को समझना चाहिए कि उन्हें घेरे रहने वाले नेता अपने स्वार्थ में उनकी किरकिरी करवा रहे हैं और उनकी पहचान व प्रतिष्ठा को धूल में मिलाये दे रहे हैं ।