नई दिल्ली/चंडीगढ़ । इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर ने डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजेंद्र उर्फ़ राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर के खिलाफ मिली शिकायत को तत्परता से अनसुना कर देने की जतिंदर सिंह की 'कार्रवाई' पर नाराजगी जता कर तथा सवाल उठा कर मामले को दिलचस्प तो बना ही दिया है, साथ ही राजा साबू और उनके चहेतों के लिए समस्या भी खड़ी कर दी है । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस में क्लब व डिस्ट्रिक्ट सपोर्ट मैनेजर जतिंदर सिंह को राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए हुए चुनाव को अमान्य घोषित करने के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के फैसले में बरती गई अनियमितता के बारे में शिकायत मिली, जिसका तुरंत जवाब देते हुए जतिंदर सिंह ने शिकायतकर्ता को लिखा कि यह डिस्ट्रिक्ट के चुनाव से जुड़ा मामला है, इसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ही जवाब देगा, इसलिए उससे ही संपर्क करो । जतिंदर सिंह द्वारा दिए गए इस जवाब ने तथा जवाब देने में दिखाई गई फुर्ती ने सभी को हैरान किया । जिसने भी इस मामले को जाना उसने यही सवाल उठाया कि शिकायत ही जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रवैये पर है, तो शिकायतकर्ता को न्याय पाने के लिए उसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से संपर्क करने का जतिंदर सिंह का सुझावपूर्ण आदेश देने का मतलब भला क्या है ? जिन कुछेक लोगों ने इस बारे में जतिंदर सिंह से बात की, उन्हें जतिंदर सिंह ने यह कह कर टरकाया कि इस मामले में राजा साबू का सीधा इन्वॉल्वमेंट है, मैं भी समझ रहा हूँ कि जो हुआ है वह गलत हुआ है, लेकिन इस मामले को एंटरटेन करने का मतलब अपनी नौकरी को खतरे में डालना होता, राजा साबू तो मेरी नौकरी ही खा जायेंगे - इसलिए मैंने इस मामले से जल्दी से जल्दी पिंड छुटाने में ही अपनी भलाई देखी है ।
जतिंदर सिंह ने राजा साबू के कोप से अपनी नौकरी बचाने के चक्कर में उक्त मामले से पिंड छुटाने की जो कोशिश की है, उसके कारण वह लेकिन एक दूसरी मुसीबत में घिर गए दिख रहे हैं । दरअसल इस मामले की खबर जब इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को मिली, तो उन्होंने जतिंदर सिंह के रवैये के प्रति गहरी नाराजगी व्यक्त की । उनकी नाराजगी का कारण यह रहा कि जतिंदर सिंह ने मामले को उनके संज्ञान में लाए बिना तथा उनसे विचार-विमर्श किए बिना 'फैसला' क्यों कर लिया । उनका कहना है कि जतिंदर सिंह मैनेजर हैं, इस तरह के मामलों में फैसला करने का उन्हें कोई अधिकार ही नहीं है । उल्लेखनीय है कि इस तरह के मामलों में होता यह है कि जतिंदर सिंह मौजूद इंटरनेशनल डायरेक्टर के सामने मामले को रखते हैं और मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर का जो फैसला होता है, उससे शिकायतकर्ता को अवगत कराते हैं । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के संबंध में जतिंदर सिंह को जो शिकायत मिली, उसे उन्हें मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर के सामने लाना चाहिए था और उनका फैसला 'लेना'/बताना चाहिए था ।जतिंदर सिंह ने ऐसा नहीं किया, उससे पीटी प्रभाकर ने अपने आप को अपमानित महसूस किया है । रोटरी में ही क्या, हमारे समाज में ही प्रथा है कि हम उगते सूरज को ही जल चढ़ाते हैं, डूबते सूरज के सामने तो तफ़रीह वाले मूड में आ जाते हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में पीटी प्रभाकर डूबते सूरज की तरह ही हैं; इंटरनेशनल डायरेक्टर के पद पर वह मुश्किल से दो माह और हैं - इसलिए रोटरी में उनकी शान और उनका रुतबा घटता हुआ दिखने लगा है; लेकिन लगता है कि जतिंदर सिंह कुछ ज्यादा ही तफ़रीह वाले मूड में आ गए । वह यह भूल गए कि पीटी प्रभाकर अभी इंटरनेशनल डायरेक्टर हैं और अभी कुछ दिन और रहेंगे ।
जतिंदर सिंह की मनमानी से पैदा हुई पीटी प्रभाकर की नाराजगी दो कारणों से महत्वपूर्ण है : पहला कारण तो यह कि पीटी प्रभाकर भले ही करीब दो माह बाद इंटरनेशनल डायरेक्टर नहीं रहेंगे; लेकिन अगले रोटरी वर्ष में इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के साथ नजदीकी के चलते उनकी भूमिका बहुत ही महत्वपूर्ण होगी और उन्हें हलके में नहीं लिया जा सकेगा; दूसरा कारण उनका खुन्नसी स्वभाव है - उन्हें जानने वाले बताते हैं कि वह जिस मामले में हाथ डाल देते हैं फिर उस मामले में आरपार करने की हद तक चले जाते हैं ।
दरअसल इन्हीं कारणों से राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के मामले को उनके संज्ञान में लाए बिना निपटा देने के जतिंदर सिंह के तरीके पर पैदा हुई उनकी नाराजगी के संकेतों को समझने की कोशिश की जा रही है । रोटरी के कई बड़े नेताओं को लगता है कि जतिंदर सिंह ने उक्त मामले में जो फुर्ती दिखाई, उससे पीटी प्रभाकर को राजा साबू को 'लपेटने' का मौका छिनता हुआ दिखा है, इसलिए वह नाराज हुए हैं । पीटी प्रभाकर को इंटरनेशनल डायरेक्टर के रूप में कई बार राजा साबू के कारण अपमानित होना पड़ा है; अपने अपमान का बदला लेने के लिए राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर के खिलाफ हुई शिकायत को पीटी प्रभाकर एक टूल की तरह इस्तेमाल करना चाहते थे - लेकिन जो जतिंदर सिंह की 'फुर्ती' के कारण उनसे छिन गया । पीटी प्रभाकर को कुछेक लोग यह भी समझा रहे हैं कि हो सकता है कि उनके 'डर' से राजा साबू ने ही जतिंदर सिंह से फुर्ती से फैसला लिखवा लिया हो । दरअसल इन्हीं संभावनाओं के चलते पीटी प्रभाकर की नाराजगी की खबर ने राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को अमान्य घोषित करने के षड्यंत्रपूर्ण व मनमाने फैसले को रोटरी नेताओं की दिलचस्पी के केंद्र में ला दिया है ।
हालाँकि रोटरी में कोई भी यह नहीं मानेगा कि चाहें पीटी प्रभाकर हों, या राजा साबू के हाथों प्रताड़ित व अपमानित हुआ कोई और पदाधिकारी/नेता - वह राजा साबू के खिलाफ खुलेआम कुछ कहेगा या करेगा । रोटरी में राजा साबू का जैसा जो जलवा है, उसे देखते हुए किसी को भी इस बात की जरा सी भी उम्मीद नहीं है । किंतु किसी भी दूसरी राजनीति की तरह रोटरी की राजनीति में भी बातें/चीजें 'ब्लैक' एण्ड 'व्हाइट' में ही नहीं होती हैं, बहुत कुछ पर्दे के पीछे होता है । यहाँ दोस्तों को दोस्तों के साथ दगा करते हुए और विरोधियों को गले मिलते हुए गहरे आश्चर्य के साथ खूब देखा जा सकता है ।
इसी तर्ज पर जैसे यह बात सच है कि राजा साबू के खिलाफ कोई भी कुछ नहीं कहेगा/करेगा; वैसे ही यह बात भी सच है कि कई लोग हैं जो राजा साबू के फूले हुए गुब्बारे की हवा निकालने के लिए मौके की तलाश में हैं । राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव के नतीजे को मनमाफिक न पाकर उसे निरस्त करने के मामले को एक ऐसे ही मौके के रूप में देखा जा रहा है । रोटरी के कई बड़े नेताओं को लग रहा है कि इस मामले के जरिए वह रोटरी में बनी हुई राजा साबू की सारी क्रीज खराब कर सकेंगे । रोटरी में राजा साबू ने इस बात का उदाहरण देकर अपना एक नैतिकतावादी आभामंडल (ऑरा) बनाया हुआ है कि उनके डिस्ट्रिक्ट में बड़े नियम-कायदे से काम होते हैं, किसी के साथ नाइंसाफी नहीं होती है, और किसी को कोई शिकायत नहीं होती है । सच बात यह है कि उनके डिस्ट्रिक्ट में कोई कभी शिकायत करने का साहस नहीं करता है । इस बार लेकिन असलियत सामने आ गई है - और शिकायत का साहस भी दिख गया है । रोटरी इंटरनेशनल के साऊथ एशिया ऑफिस तक राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में होने वाली बेईमानियों और मनमानियों की शिकायत यदि आ पहुँची है, तो यह रोटरी में राजा साबू की बनी क्रीज को थोड़ा-बहुत बिगाड़ने का काम तो करती है । इस शिकायत को निष्प्रभावी बना कर और जतिंदर सिंह से शिकायतकर्ताओं का मनोबल तोड़ने वाला जवाब दिलवा कर राजा साबू ने अपनी क्रीज को बचाने की व्यवस्था तो अच्छी की थी, किंतु इस व्यवस्था पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर की नाराजगी की खबर ने मामले को फिर से जिंदा कर दिया है और दिलचस्प बना दिया है ।
पीटी प्रभाकर की नाराजगी से यह संकेत तो मिलता ही है कि वह राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में हुई मनमानी को लेकर डिस्ट्रिक्ट में पैदा हुए असंतोष के जरिए राजा साबू की फजीहत होते 'देखना' तो चाहते हैं । अपनी इस चाहत को पूरा करने के लिए वह आगे क्या 'प्रयास' करते हैं - यह देखने की बात होगी ।