Saturday, May 9, 2015

रोटरी इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर का पद प्राप्त करने के चलते इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के विनोद बंसल की संभावित उपस्थिति क्या सचमुच में खासी वजनदार बन गई है ?

नई दिल्ली । विनोद बंसल के रोटरी इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर बनने की खबर से रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के लिए सज रहे 'बहादुरों' तथा दूसरे खिलाड़ियों के बीच हड़कंप मच गया है । दरअसल रोटरी की चुनावी राजनीति में रोटरी इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर के पद को इंटरनेशनल डायरेक्टर पद तक पहुँचने की सीढ़ी के रूप में देखा/पहचाना जाता है । इंटरनेशनल कन्वेंशन में करीब साढ़े पाँच सौ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को ट्रेंड करने के लिए विभिन्न देशों से करीब चालीस पूर्व गवर्नर्स को ट्रेनिंग लीडर के रूप में चुना जाता है । भारत से दो पूर्व गवर्नर्स को इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर के रूप में चुना जाता है - एक दक्षिण भारत से और दूसरा गैर दक्षिण भारत से । माना/समझा जाता है कि रोटरी राजनीति के बड़े खिलाड़ी ऐसे पूर्व गवर्नर्स को ही इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर चुनते हैं, जिन्हें वह आगे बढ़ाना चाहते हैं । इसीलिए विनोद बंसल के इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर चुने जाने पर इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के संभावित उम्मीदवारों की नींद उड़ जाना स्वाभाविक ही है । यह नींद उड़ना इसलिए भी स्वाभाविक है कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अभी जो लोग दौड़ लगाते दिख रहे हैं, उनमें विनोद बंसल को तो काफी पीछे माना/समझा जा रहा है । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी दौड़ में आगे दिखने वाले लोगों में भरत पांड्या, अशोक गुप्ता, दीपक कपूर, सुरेंद्र सेठ आदि का नाम लिया जा रहा है; तो इनके बाद के लोगों में जेटी व्यास, गुलाम वाहनवती, आलोक बिलौरे, विनय कुलकर्णी, राजीव प्रधान आदि का नाम लिया/सुना जा रहा है । विनोद बंसल का नाम तो इनके बाद कहा/बताया जाता है । कुछेक लोग तो यहाँ तक कहते/मानते हैं कि विनोद बंसल तो वास्तव में अगली से अगली बार के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं । 
विनोद बंसल को लेकिन लंबी छलांग के खिलाड़ी के रूप में भी देखा/पहचाना जाता है । बहुत सी पोजिशंस उन्होंने बहुत ही जल्दी प्राप्त की हैं । जिन पोजिशंस को प्राप्त करने में दूसरों को लंबा इंतजार करना पड़ा है तथा काफी एड़ियाँ रगड़नी पड़ी हैं, उन्हें विनोद बंसल ने चमत्कारिक तरीके से बहुत ही कम समय में हासिल किया है । रोटरी के बड़े पदाधिकारियों तथा नेताओं के साथ नजदीक व विश्वास के संबंध बनाने में विनोद बंसल ने जो कामयाबी हासिल की है, उसके चलते तो वह कई लोगों के बीच ईर्ष्या के पात्र भी बन गए हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होते हुए ही विनोद बंसल को दिल्ली में प्रस्तावित रोटरी इंस्टीट्यूट के चेयरमैन बनने का जो मौका मिल रहा था, उसकी आहट से उनके अपने डिस्ट्रिक्ट के कुछेक पूर्व गवर्नर्स तो इतना जल-भुन गए थे कि उन्होंने दिल्ली में इंस्टीट्यूट होने की संभावना में ही मट्ठा डाल दिया था । दिल्ली की बजाये चेन्नई में हुए इंस्टीट्यूट में विनोद बंसल को हालाँकि वाइस चेयरमैन के पद से ही संतोष करना पड़ा था, लेकिन दूसरे वाइस चेयरमैनों की तुलना में वह काफी 'जूनियर' ही थे । बहुत ही कम समय में तथा तेज रफ्तार के साथ विनोद बंसल ने रोटरी में जो कुछ पाया है, उसे देखते/जानते हुए रोटरी की राजनीति में वह बहुतों के लिए चुनौती बन गए हैं - कईयों को तो उन्होंने पीछे धकेल दिया है । 
रोटरी इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर बन कर विनोद बंसल ने अपने डिस्ट्रिक्ट - जो अभी डिस्ट्रिक्ट 3010 ही है, डिस्ट्रिक्ट 3011 तो एक जुलाई से होगा  - के ही कई तुर्रमखाओं को जैसे जमीन सुँघा दी है । डिस्ट्रिक्ट 3010 में अभी तक सुशील गुप्ता, राजेश बत्रा, रंजन ढींगरा ही इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर बने हैं । विनोद बंसल के रूप में डिस्ट्रिक्ट 3010 को कई वर्षों के बाद इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर का पद मिला है । दूसरे महत्वाकांक्षी व आगे बढ़ने के लिए तिकड़में और जुगाड़ लगाते रहने वाले, तथा खुद को डिस्ट्रिक्ट का 'चौधरी' समझने/बताने वाले नेताओं को विनोद बंसल की इस उपलब्धि से खासा तगड़ा झटका लगा है । उन्हें झटका इस कारण से भी लगा है, क्योंकि वह भी जान/समझ रहे हैं कि इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर के रूप में विनोद बंसल को अगले रोटरी वर्ष में जयपुर में होने जा रहे रोटरी इंस्टीट्यूट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को ट्रेनिंग देने का मौका मिलेगा और इस वजह से रोटरी इंस्टीट्यूट में उन्हें खासी अहमियत मिलेगी । डिस्ट्रिक्ट के कुछेक चौधरियों की नींद लेकिन यह जान/देख कर और भी ज्यादा उड़ी हुई है कि इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर का पद प्राप्त करने के चलते इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में विनोद बंसल की संभावित उपस्थिति खासी वजनदार बन गई है ।  
रोटरी इंटरनेशनल ट्रेनिंग लीडर बन कर विनोद बंसल ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी दौड़ में शामिल नेताओं के बीच जिस तरह से खलबली मचाई है, उसके कारण रोटरी की चुनावी राजनीति खासी दिलचस्प भी हो गई है ।