Wednesday, May 27, 2015

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 के एक आयोजन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सुधीर मंगला के हाथों हुई पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल की फजीहत का शरत जैन और जेके गौड़ ने भी जो मजा लिया, उससे रमेश अग्रवाल बहुत खफा हैं

नई दिल्ली । रमेश अग्रवाल, शरत जैन और जेके गौड़ से इस बात पर बुरी तरह खफा हैं कि 'वाश' प्रोग्राम को लेकर रोटरी इंडिया विन्स कमेटी व यूनिसेफ के बीच मेमोरेण्डम पर हस्ताक्षर होने के कार्यक्रम में सुधीर मंगला जब उन्हें डांट-फटकार लगा रहे थे, तब यह दोनों चुपचाप खड़े तमाशा देख रहे थे और मजे ले रहे थे । रमेश अग्रवाल का रोना है कि इन दोनों को गवर्नर बनवाने में उन्होंने अथक मेहनत की, और अपने आप को लोगों के बीच बुरी तरह बदनाम तक करवाया - लेकिन इसका बदला इन्होंने इस तरह दिया कि सुशील गुप्ता, संजय खन्ना, विनोद बंसल, संगीता बंसल, रमेश चंद्र तथा यूनिसेफ के प्रमुख पदाधिकारियों के बीच सुधीर मंगला जब उन्हें बुरी तरह लताड़ रहे थे, तब यह दोनों चुपचाप खड़े मजे ले रहे थे । सुशील गुप्ता यदि बीच-बचाव नहीं करते, तो सुधीर मंगला पता नहीं उनका क्या हाल करते । रमेश अग्रवाल का दुःख है कि सुधीर मंगला के हाथों होती उनकी फजीहत पर संजय खन्ना, विनोद बंसल, रमेश चंद्र आदि ने मजे लिए - यह तो वह समझ सकते हैं; किंतु शरत जैन और जेके गौड़ जैसे लोग भी मजे लेने से नहीं चूके, जो गवर्नर बनने के लिए और गवर्नरी चलाने के लिए पूरी तरह उन पर निर्भर रहे हैं और हैं । सुधीर मंगला के हाथों हुई रमेश अग्रवाल की फजीहत के दृश्य ने राजेंद्र जैना द्वारा हुई रमेश अग्रवाल की पिटाई/दौड़ाई के दृश्य को याद दिला दिया ।
मजे की बात यह रही कि राजेंद्र जैना के मामले की तरह ही सुधीर मंगला के मामले में भी अपनी फजीहत को रमेश अग्रवाल ने खुद ही आमंत्रित किया । रमेश अग्रवाल का दरअसल स्वभाव और तरीका ही ऐसा है कि वह दूसरों को उकसाता है । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंडिया विन्स कमेटी व यूनिसेफ के बीच मेमोरेण्डम पर हस्ताक्षर होने का कार्यक्रम बड़े मजे से और गरिमापूर्ण तरीके से चल रहा था । आपसी बातचीत के बीच सुधीर मंगला ने रोटरी इंडिया विन्स कमेटी के चेयरमैन सुशील गुप्ता से 'वाश' प्रोग्राम की एक वीडियो फिल्म उपलब्ध करवाने की बात की, जिसे वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच प्रदर्शित करना चाहते थे । सुशील गुप्ता ने उन्हें बताया कि उक्त वीडियो फिल्म रमेश अग्रवाल के पास है और वह उनसे ले सकते हैं । सुशील गुप्ता से यह जानकर सुधीर मंगला ने तुरंत ही वहीं मौजूद रमेश अग्रवाल से उक्त वीडियो फिल्म उपलब्ध करवाने की बात कही । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, रमेश अग्रवाल ने सुधीर मंगला को जबाव दिया कि वीडियो फिल्म तो वह उपलब्ध करवा देंगे, लेकिन शिकायत यह है कि तुम अपने कार्यक्रमों में मुझे बुलाते ही नहीं हो । सुधीर मंगला ने उनसे यह शिकायत सुनी, तो रमेश अग्रवाल को तुरंत से पूरी विनम्रता से आश्वस्त किया कि वह उन्हें अपने अगले किसी कार्यक्रम में अवश्य ही बुलायेंगे । बात यहाँ खत्म हो जानी चाहिए थी - किंतु पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल की यह खूबी है कि सामने वाला यदि उनसे तमीज से बात कर रहा होता है, तो वह सामने वाले को कमजोर समझने लगते हैं और फिर उसके सिर पर सवार होने की कोशिश करने लगते हैं ।
सुधीर मंगला के साथ भी उन्होंने यही किया । सुधीर मंगला ने उनकी शिकायत सुनकर तमीज के साथ जब उन्हें अपने अगले किसी कार्यक्रम में बुलाने के प्रति आश्वस्त किया, तो सुधीर मंगला की इस तमीज और विनम्रता को रमेश अग्रवाल ने उनकी कमजोरी समझा और उनके सिर पर सवार होने की कोशिश करते हुए सुधीर मंगला से कुछ अनाप-शनाप कहने लगे । रमेश अग्रवाल का कहना रहा कि मैंने तुम्हें गवर्नर बनवाया और पहले तुम मेरी खुशामद किया करते थे और अब अपने कार्यक्रमों में जिस-तिस को बुलाते हो, लेकिन मुझे नहीं बुलाते हो । मेमोरेण्डम हस्ताक्षरित होने वाला कार्यक्रम एक छोटा कार्यक्रम था, और वहाँ गिनती के ही लोग मौजूद थे । वहाँ का माहौल ऐसा था ही नहीं जिसमें कि रमेश अग्रवाल इस तरह की बातें करते । लेकिन रमेश अग्रवाल तो रमेश अग्रवाल हैं - अपनी निजी खुन्नस निकालने के लिए वह इस बात की बिलकुल भी परवाह नहीं करते कि मौका क्या है, माहौल क्या है और आसपास कौन लोग हैं । सुधीर मंगला से वह जिस तरह भिड़े हुए थे, उससे लग रहा था कि सुधीर मंगला ने अपने कार्यक्रमों में उन्हें न बुला कर उन्हें गहरी चोट दी है और रमेश अग्रवाल अपने भीतर बहुत सा गुबार ले कर बैठे हैं । रमेश अग्रवाल को अपना गुबार निकालते देख सुधीर मंगला ने पहले तो उनकी बातों को नजरअंदाज किया, लेकिन जब उन्होंने देखा कि रमेश अग्रवाल उनकी भलमनसाहत को उनकी कमजोरी समझ कर बदतमीजी करते ही जा रहे हैं, तो फिर वह भी अपने हरियाणा वाले तेवर में आ गए; और फिर उन्होंने रमेश अग्रवाल को जो सुनाना शुरू किया तो रमेश अग्रवाल को बचने/छिपने की जगह भी नहीं दिखी/मिली । 
राजेंद्र जैना के मामले में भी ऐसा ही हुआ था - पहले तो रमेश अग्रवाल ने राजेंद्र जैना के साथ बदतमीजी की, लेकिन जब राजेंद्र जैना ने उन्हें जबाव देना शुरू किया तो रमेश अग्रवाल ने महिलाओं के बीच छिप कर अपने आप को बचाया था । यहाँ लेकिन लोग बहुत ही कम थे, लिहाजा रमेश अग्रवाल को बचने/छिपने के लिए जगह ही नहीं मिली । सुधीर मंगला ने जमकर रमेश अग्रवाल की क्लास ली और कहा कि तुम हो किसी लायक नहीं और बड़े नेताओं की खुशामद कर कर के अपने लिए निमंत्रण माँगते हो; दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स के गवर्नर इलेक्ट्स ने मुझे बताया है कि तुमने उनकी खुशामद कर कर के अपने लिए निमंत्रण जुटाए हैं; लोगों से काम निकालते हो और फिर उनके साथ बदतमीजी करते हो; तुम्हारी हरकतों के कारण ही रोटरी में तुम्हारी बदनामी है और तुम्हें कोई पसंद नहीं करता है; जैसे तैसे करके अपने लिए कुछ जगह बना लेते हो और फिर उसका प्रदर्शन करके अपने आप को बड़ा दिखाते हो; सब जानते हैं कि तुम क्या हो; आदि-इत्यादि । सुधीर मंगला ने जो कुछ कहा, यह तो भले शब्दों में उसकी एक बानगी भर है; उन्होंने रमेश अग्रवाल को ऐसा बहुत कुछ कहा जो यहाँ लिखा/छापा भी नहीं जा सकता । सुधीर मंगला के उग्र तेवर देख कर रमेश अग्रवाल की सिट्टीपिट्टी गुम हो गई थी । वहाँ मौजूद कोई भी वरिष्ठ रोटेरियन उनकी मदद को आगे नहीं आया । सुशील गुप्ता थोड़ा अलग यूनिसेफ के पदाधिकारियों के साथ बातचीत कर रहे थे । उन्होंने शोर सुना तो वह बीच-बचाव करने आए और उन्होंने सुधीर मंगला को शांत किया । 
रमेश अग्रवाल एक 'बहादुर' व्यक्ति हैं । सुधीर मंगला ने उनके साथ जो किया, उसकी उन्होंने कोई परवाह नहीं की है । राजेंद्र जैना ने उनके साथ जो किया था, उन्होंने उसकी भी कोई परवाह नहीं की थी । रमेश अग्रवाल अच्छी तरह से जानते हैं कि रोटरी में अधिकतर लोग उन्हें पसंद नहीं करते हैं - उन्हें इसकी भी परवाह नहीं है, क्योंकि इसके बावजूद रोटरी में वह अपने कुछ-कुछ काम बनाने में सफल हो ही जाते हैं । अपनी सफलताओं के साथ वह कुल मिलाकर खुश हैं । यहाँ भी रमेश अग्रवाल को इस बात से कोई रंज नहीं हुआ कि संजय खन्ना, विनोद बंसल, रमेश चंद्र आदि ने उन्हें सुधीर मंगला के प्रकोप से बचाने का कोई प्रयास नहीं किया और जो हुआ उसका मजा ही लिया । रमेश अग्रवाल को लेकिन यह देख कर बुरा लगा कि शरत जैन और जेके गौड़ जैसे उनके 'भक्त' भी मजा लेते रहे और इन्होंने भी सुधीर मंगला को रोकने की या मौके पर उनके साथ सहानुभूति दिखाने का कोई प्रयास तक नहीं किया । शरत जैन और जेके गौड़ के इस व्यवहार ने रमेश अग्रवाल को जरूर आहत किया है ।