Wednesday, November 4, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार अतुल गुप्ता को दिल्ली में नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के उम्मीदवार विशाल तायल ने आईना दिखाया, तो अतुल गुप्ता भड़क कर सड़क-छाप स्टाइल पर उतर आए

नई दिल्ली । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के कुछेक उम्मीदवारों और/या उनके समर्थकों को पिछले दिनों सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार अतुल गुप्ता के गुस्से और नाराजगी का जिस तरह शिकार होना पड़ा, उससे लोगों के बीच इस चर्चा को बल मिला है कि चुनावी नतीजों को लेकर अतुल गुप्ता खासा दबाव महसूस कर रहे हैं क्या ? दूसरे लोगों को उनकी चुनावी स्थिति भले ही कंफर्टेबल लग रही हो; लेकिन उनके नजदीकियों के अनुसार, खुद अतुल गुप्ता अपनी स्थिति को लेकर आश्वस्त नहीं हैं । उनके सामने समस्या दरअसल चुनाव जीतने की नहीं है । किसी को भी - उनके घनघोर किस्म के विरोधियों को भी उनके जीतने को लेकर कोई शक नहीं है । अतुल गुप्ता की समस्या लेकिन अपनी छवि और अपने ऑरा (आभामंडल) को लेकर है । अतुल गुप्ता ने बहुत सावधानी के साथ और बहुत सुनियोजित तरीके से अपनी 'छवि' गढ़ी है, और अपने आप को दूसरों से अलग व बेहतर 'दिखाने' व 'बनाने' का प्रयास किया है । शुरू में ऐसा लगा भी कि वह अपने प्रयास में कामयाब हो रहे हैं, लेकिन पिछले दिनों उनकी जिस तरह की 'हरकतें' सामने आईं, उससे लोगों के बीच उनकी असलियत की पोल खुलने लगी । मजे की बात यह रही कि अपनी कई 'हरकतों' को उन्होंने जाने/अनजाने खुद ही लोगों के बीच 'जाहिर' किया । इंस्टीट्यूट के आयोजनों में अपने भाई/भतीजों को आगे करना/रखना; प्रोफेशनल सेमिनार के बीच अपनी शादी की वर्षगाँठ मनाना; विदेशी प्रोफेशनल टूर में अपने परिवार को साथ ले जाना; 'अकेले' किए गए विदेशी प्रोफेशनल टूर से लौट कर लोगों को बॉडी मसाज के फायदे बताना; आदि-इत्यादि बातों/हरकतों के जरिए अतुल गुप्ता ने लोगों के बीच खुद को खुद ही 'गिराया' ।
अतुल गुप्ता के लिए पिछली बार के चुनाव के दौरान अपने ऑफिस में नौकरी पर रखे गए वह युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पहले से ही मुसीबत बने हुए हैं, जिन्हें चुनाव के तुरंत बाद तरह-तरह की बहानेबाजी करके नौकरी से निकाल दिया गया था । उल्लेखनीय है कि पिछले चुनाव से पाँच-छह महीने पहले अतुल गुप्ता ने करीब पच्चीस-तीस युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को यह आश्वासन देकर अपने ऑफिस में 12 से 20 हजार रुपये प्रति माह की नौकरी पर रखा कि उनके यहाँ काम करके वह प्रोफेशनली एक्सपर्ट बनेंगे । काम किंतु उनसे चुनाव का कराया और चुनाव होते ही उन्हें निकाल बाहर किया । वह युवा चार्टर्ड एकाउंटेंट्स अब दूसरी जगहों पर काम कर रहे हैं, या अपनी प्रैक्टिस कर रहे हैं - और हर उपलब्ध व संभव तरीके से अतुल गुप्ता की कारस्तानियों के बारे में लोगों को बताते हैं । अतुल गुप्ता के प्रति उनके मन में कितनी नफरत व गुस्सा भरा है, इसे इस बात से समझा जा सकता है कि उनमें से कुछेक ने 'रचनात्मक संकल्प' को फोन करके अतुल गुप्ता के 'असली चेहरे' को दिखाने का प्रयास किया है । उनके इस तरह के प्रयास अतुल गुप्ता के चुनावी भविष्य पर भले ही कोई असर न डालें, किंतु अतुल गुप्ता की छवि और गढ़े जा रहे 'ऑरा' को मटिया देने का काम तो कर ही रहे हैं । अपनी राजनीति ज़माने के उद्देश्य से कुछेक ब्रांचेज में अतुल गुप्ता ने किसी को उठाने व किसी को गिराने का जो खेल किया हुआ है, उसके नतीजे भी उनके लिए चुनावी गणित के नजरिए से भले ही फायदेमंद रहे हों - लेकिन उनकी छवि को चोट पहुँचाने वाले साबित हुए हैं । लगता है कि अतुल गुप्ता को भी अपना यह अंतर्विरोध समझ में आ रहा है कि वह बनना तो 'बड़ा' चाहते हैं, लेकिन बन 'छोटे' रहे हैं । 
अतुल गुप्ता की समस्या लेकिन यह है कि अपने को अंतर्विरोधी स्थिति में फँसा पाकर भी वह यह नहीं समझ पा रहे हैं कि वह इस स्थिति से निपटें कैसे ? यदि सचमुच समझ पा रहे होते, तो रोहिणी में की गई अपनी चुनावी मीटिंग में रीजनल काउंसिल के उम्मीदवारों के साथ बदतमीजी नहीं करते । उल्लेखनीय है कि इंस्टीट्यूट के चुनाव में यह एक बड़ा आम दृश्य है कि सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार द्वारा आयोजित की गई मीटिंग/पार्टी में रीजनल काउंसिल के कुछेक उम्मीदवार और/या उनके समर्थक भी पहुँच जाते हैं और मीटिंग में आने वाले लोगों को वह अपनी उम्मीदवारी की प्रचार सामग्री देते हैं और इस तरह से अपनी उम्मीदवारी का प्रचार करते हैं । कई बार मीटिंग/पार्टी के आयोजक को इससे परेशानी तो होती है, लेकिन कुछ कर न सकने की बेचारगी में वह चुप लगा जाता है । कुछेक आयोजक-उम्मीदवार अपनी मीटिंग/पार्टी ऐसी जगह पर करते हैं कि इस तरह की कार्रवाई हो ही नहीं पाती है । अतुल गुप्ता ने रोहिणी में की गई अपनी मीटिंग/पार्टी में इस स्थिति से बचने के लिए व्यवस्था तो कुछ की नहीं; और जब उन्हें पता चला कि उनकी मीटिंग/पार्टी में आए लोगों को रीजनल काउंसिल के कुछेक उम्मीदवार और उनके समर्थक अपनी अपनी चुनाव प्रचार सामग्री बाँट रहे हैं, तो वह भड़क गए और उन्हें खदेड़ने में जुट गए । प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, इस मौके पर अतुल गुप्ता की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के उम्मीदवार विशाल तायल से तेज झड़प हुई । विशाल तायल का कुसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने अतुल गुप्ता को याद दिलाया कि वह खुद भी तो दूसरों की मीटिंग/पार्टी में अपने समर्थकों को अपनी चुनाव सामग्री बाँटने के लिए भेजते रहे हैं । विशाल तायल से यह सुनकर अतुल गुप्ता का पारा इतना गर्म हुआ कि वह विशाल तायल तथा दूसरे लोगों से सड़क-छाप स्टाइल में पेश आने लगे । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि विशाल तायल कुछ समय पहले तक अतुल गुप्ता की 'अपरा टीम' के सदस्य हुआ करते थे, और इस नाते अतुल गुप्ता के काम करने के तरीकों को जानते/पहचानते ही होंगे । इसी बिना पर अतुल गुप्ता को लगा कि विशाल तायल उन्हें आईना दिखा रहे हैं, सो वह बुरी तरह भड़क गए । वहाँ मौजूद रीजनल काउंसिल के कुछेक उम्मीदवारों व उनके समर्थकों को खदेड़ने के लिए अतुल गुप्ता ने अपने भाई व भतीजों के साथ-साथ अपने दूसरे कुछेक समर्थकों को भी इकट्ठा कर लिया, और उन्हें खदेड़ कर ही दम लिया । इस 'काम' में अतुल गुप्ता को जीत तो मिली, लेकिन इस जीत ने उनके फ्रस्ट्रेशन को भी लोगों के बीच जाहिर कर दिया । इसी से लोगों को लगा है कि इंस्टीट्यूट की चुनावी राजनीति में अपनी 'स्थिति' को लेकर अतुल गुप्ता खासे परेशान हैं । हालाँकि यह तय है कि यह परेशानी जीत के बाबत तो नहीं ही है ।