Monday, November 16, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के प्रचार में इंदौर ब्रांच की अधिकृत आईडी इस्तेमाल करने के कारण केमिशा सोनी मुसीबत में फँसी

इंदौर । केमिशा सोनी सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के प्रचार अभियान में इंदौर ब्रांच की सुविधाओं का फायदा उठाने के गंभीर आरोप में फँस गई हैं । इस आरोप को लेकर जो बबाल हुआ है, उसके कारण केमिशा सोनी की उम्मीदवारी के समर्थक व शुभचिंतक खासे दबाव में आ गए हैं और उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि इस आरोप के चलते केमिशा सोनी की उम्मीदवारी तथा उनके प्रचार-तंत्र की व्यवस्था को लेकर जो नकारात्मक माहौल बना है - उससे वह कैसे निपटें ? कोढ़ में खाज वाली बात यह हुई कि इस आरोप को लेकर केमिशा सोनी ने जो सफाई दी, उससे मामला सुधरने की बजाए बिगड़ और गया ।  
हुआ यह कि एसएस देशपांडे, पीडी नागर, बीएल बंसल, डीजे दवे, एमपी अग्रवाल आदि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की तरफ से इंदौर व बाहर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स को बल्क में एक एसएमएस भेजा गया जिसमें इंदौर ब्रांच व सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल की चेयरपरसन के रूप में केमिशा सोनी की योग्यता का जिक्र करते सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में पहली वरीयता के वोट देने की अपील की गई थी । अपनी इस अपील को भावनात्मक रूप से स्ट्रॉंग बनाने लिए इसी एसएमएस में इस तथ्य का भी जिक्र किया गया कि केमिशा सोनी ने पिछली बार सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत की जाने वाली अपनी उम्मीदवारी को इंदौर और मनोज फडनिस के हित में त्याग दिया था । इस एसएमएस में जो कुछ भी कहा/बताया गया, उसमें हालाँकि आपत्तिजनक कुछ नहीं था - लेकिन फिर भी इस एसएमएस ने इंदौर के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स के बीच बबाल पैदा कर दिया । इसका कारण यह रहा कि यह एसएमएस जिस आईडी से भेजा गया, वह इंदौर ब्रांच की आधिकारिक आईडी है । इस नाते आरोप लगा कि केमिशा सोनी और उनके समर्थक अपने प्रचार अभियान में फर्जी व बेईमानीपूर्ण तरीके से इंदौर ब्रांच की आईडी इस्तेमाल कर रहे हैं । आरोप लगना और विवाद बढ़ना शुरू होते ही केमिशा सोनी व उनके समर्थक तुरंत से सक्रिय हुए और उनकी तरफ से एक सफाईपूर्ण संदेश यह दिया गया कि उनके पिछले एसएमएस को जिस आईडी से भेजा गया है, उसे इंदौर ब्रांच की आईडी न समझा जाए । किंतु उनकी यह सफाई उनके जरा भी काम नहीं आई, क्योंकि दोनों ही आईडी जब एक ही थीं, और यह आईडी इंदौर ब्रांच की अधिकृत आईडी के रूप में लोगों के बीच जानी/पहचानी जाती है - तो उनकी इस सफाई को लोगों की आँखों में धूल झोंकने की कोशिश के रूप में ही देखा गया ।  
केमिशा सोनी ने मामले में जो सफाई दी, उससे बात और बिगड़ गई । उन्होंने पहले कहा कि उक्त जिस आईडी का उन्होंने इस्तेमाल किया, वह टेलीकॉम सेंटर ने उन्हें दी थी और इसलिए इसमें उनका भला क्या दोष । किंतु जब उन्हें लगा कि उनका यह तर्क व दावा चलेगा नहीं, और उनका झूठ पकड़ा जायेगा तो उन्होंने पैंतरा बदला और कहा कि जो हुआ वह गलतफहमी में हुआ, उसे उन्होंने जानबूझ कर नहीं किया । लेकिन उनके इस दावे पर सवाल उठे कि वह जिम्मेदार पदों पर रही हैं और इंस्टीट्यूट की सेंट्रल काउंसिल में जाना चाहती हैं - इसलिए अपने निजी हित में प्रशासनिक आईडी का इस्तेमाल गलतफहमी में कैसे कर सकती हैं ? और यदि कर सकती हैं तो फिर कैसे भरोसा किया जाए कि सेंट्रल काउंसिल सदस्य के रूप में वह गलतफहमी में अर्थ का अनर्थ नहीं करेंगी ? केमिशा सोनी के लिए इस सवाल का जबाव देना मुश्किल हुआ, तो इस सारे झमेले से पल्ला झाड़ते हुए उन्होंने इस कांड की जिम्मेदारी अपने समर्थकों के सिर मढ़ दी । उन्होंने कहा कि जो हुआ वह उन्होंने नहीं, उनके समर्थकों ने किया है और इसके लिए उन्हें जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता । यह तर्क काम कर सकता था, लेकिन उन्होंने जिस तरह से बार-बार बयान बदले और परस्पर अंतर्विरोधी बातें कहीं उससे लोगों के बीच संदेश गया कि वह सच को छिपाने का प्रयास कर रही हैं । इससे केमिशा सोनी के लिए मामला और खराब हुआ । 
केमिशा सोनी के समर्थकों व शुभचिंतकों का ही मानना और कहना है कि मामला इतना गंभीर था नहीं, और केमिशा सोनी यदि होशियारी से मामले को हैंडल करतीं तो बात इतना न बिगड़ती; लेकिन केमिशा सोनी ने मामले की गंभीरता को समझा नहीं और लापरवाही में परस्पर विरोधी बातें की/कहीं - जिससे मामला खासा संगीन हो उठा है । इन्हीं समर्थकों व शुभचिंतकों का हालाँकि कहना यह भी है कि केमिशा सोनी जो हुआ उससे सबक लेकर आगे क्या करती हैं, इससे यह तय होगा कि यह मामला उनके लिए बड़ी मुसीबत बनेगा या कुछेक दिन की चर्चा के बाद खुद ही दफ्न हो जायेगा । आगे क्या होगा, यह तो आगे पता चलेगा - अभी लेकिन इस मामले ने केमिशा सोनी की मुसीबत बढ़ा दी है ।