गाजियाबाद/नई दिल्ली । प्रवीन निगम ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने हेतु गाजियाबाद में पिछले दो-तीन दिनों में जो चक्कर लगाए हैं, और अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में गाजियाबाद में मीटिंग करने का मौका बनाने का जो प्रयास किया है, उसने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों को निराश व हताश करने का काम किया है । इसका कारण बनता भी है । प्रवीन निगम अपनी उम्मीदवारी को लेकर कभी भी इतने गंभीर नहीं दिखे हैं, जितने गंभीर वह पिछले दो-तीन दिनों में नजर आए हैं - और इन दिनों की अपनी सारी गंभीरता उन्होंने गाजियाबाद में ही उड़ेल दी है । प्रवीन निगम की इस गंभीरतापूर्ण सक्रियता पर लोगों का ध्यान इस कारण से और गया है, क्योंकि इन्हीं दिनों मुकेश अरनेजा को दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रचार अभियान से पीछे हटते हुए देखा गया है । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में दिल्ली में हुई मीटिंग में तो मुकेश अरनेजा बहुत सक्रिय थे - सक्रिय क्या थे, पूरी मीटिंग की कमान उन्होंने ही संभाली हुई थी; किंतु उसके बाद सोनीपत व गाजियाबाद में हुई मीटिंग्स से वह पूरी तरह नदारत रहे । मुकेश अरनेजा चूँकि कुछ ही दिन पहले यह घोषणा कर चुके थे कि चुनावी प्रक्रिया में खुल कर भाग लेने को लेकर उनकी हुई शिकायत की उन्हें कोई परवाह नहीं है, और वह किसी से नहीं डरते हैं, और वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के पक्ष में खुलकर काम करते रहेंगे - इसलिए दीपक गुप्ता के प्रचार अभियान से मुकेश अरनेजा के अंतर्ध्यान होने का लोगों ने नोटिस लिया । लोगों के बीच चर्चा रही कि 'मैं किसी से नहीं डरता' का उद्घोष करने वाले मुकेश अरनेजा आखिर दीपक गुप्ता को बीच मँझदार में छोड़ कर कहाँ छिप गए हैं ? लोगों को पिछले तीन-चार दिनों में हुई इन दो 'घटनाओं' ने चकराया हुआ है - जिनमें दीपक गुप्ता के प्रचार अभियान से मुकेश अरनेजा के गायब होने के साथ साथ प्रवीन निगम के प्रचार अभियान में अचानक से गर्मी देखी गई । कुछ लोगों को यह महज एक संयोग दिख रहा है, तो कुछ लोग इसमें पर्दे के पीछे की राजनीति देख रहे हैं ।
दीपक गुप्ता के प्रचार अभियान से मुकेश अरनेजा के गायब होने को लेकर दीपक गुप्ता के समर्थक अलग अलग कारण बता रहे हैं - कोई कह रहा है कि मुकेश अरनेजा निजी व्यस्तता के चलते पिछले तीन-चार दिन रोटरी से छुट्टी पर रहे और इसलिए वह दीपक गुप्ता के आयोजनों में नजर नहीं आए; तो किसी ने बताया कि दीपक गुप्ता की दिल्ली की मीटिंग के फ्लॉप होने का ठीकरा जिस तरह मुकेश अरनेजा के सिर फोड़ा गया, उससे नाराज होकर मुकेश अरनेजा ने खुद को दीपक गुप्ता के प्रचार अभियान से दूर कर लिया है । उल्लेखनीय है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने/दिखाने हेतु दिल्ली में हुई मीटिंग में उपस्थिति तो अच्छी थी, लेकिन चुनावी मुकाबले में महत्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका निभाने वाले लोग वहाँ न के बराबर थे । यह देख कर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों व शुभचिंतकों का माथा ठनका । दिल्ली मीटिंग का सारा जिम्मा चूँकि मुकेश अरनेजा के पास था, इसलिए उन्हीं से पूछा गया कि जो लोग यहाँ दिख रहे हैं, क्या इन्हीं के भरोसे चुनाव जीता जायेगा ? चुनाव में महत्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका निभाने वाले लोगों की अनुपस्थिति से मुकेश अरनेजा खुद भी उखड़े हुए से थे, और ऐसे में इस तरह के सवालों ने उन्हें बुरी तरह बौखला दिया था । दिल्ली की मीटिंग में मुकेश अरनेजा ने जो बकवासबाजी की, उसे उनकी बौखलाहट के नतीजे के रूप में ही देखा/पहचाना गया । मुकेश अरनेजा की बौखलाहटभरी बकवासबाजी की खबर डिस्ट्रिक्ट में फैली, तो दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के संदर्भ में मामला और खराब हुआ । इसी के बाद दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों व शुभचिंतकों की तरफ से सुझाव मिलता सुना गया कि मुकेश अरनेजा के कारण फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो रहा है - इसलिए दीपक गुप्ता के प्रचार अभियान में उन्हें पीछे कर देना चाहिए । कुछेक लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा इसी सुझाव पर अमल करने के चलते दीपक गुप्ता की सोनीपत व गाजियाबाद की मीटिंग से दूर रहे; तो अन्य कुछेक लोगों का कहना है कि उक्त सुझाव से नाराज होकर मुकेश अरनेजा ने दीपक गुप्ता की मीटिंग्स से खुद को दूर कर लिया ।
मुकेश अरनेजा की नाराजगी की बात को प्रवीन निगम की सक्रियता से बल मिला । कई लोगों को लगता है कि प्रवीन निगम की सक्रियता के पीछे मुकेश अरनेजा ही हैं । मजे की बात है कि अभी कुछ दिन पहले ही दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों ने दावा किया था कि प्रवीन निगम जल्दी ही दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में अपनी उम्मीदवारी वापस ले लेंगे । प्रवीन निगम ने इस दावे पर सार्वजनिक रूप से गहरी नाराजगी व्यक्त की थी । दावा करने वाले लोगों का कहना था कि उन्हें मुकेश अरनेजा ने प्रवीन निगम की उम्मीदवारी की वापसी के बारे में आश्वस्त किया था; लेकिन प्रवीन निगम का कहना था कि मुकेश अरनेजा उनके निरंतर संपर्क में हैं और मुकेश अरनेजा ने उनसे कभी भी उम्मीदवारी को वापस लेने के बारे में नहीं कहा है । प्रवीन निगम यह बात अलग अलग मौकों पर लोगों को बताते रहे हैं कि मुकेश अरनेजा अपनी कंपनी के झगड़े /लफड़े में उनकी प्रोफेशनल मदद ले रहे हैं, और इसके बदले में उन्हें उनकी उम्मीदवारी के बारे में सलाह-सुझाव देते रहते हैं । प्रवीन निगम ने कभी-कभार इस बात पर निराशा तो जाहिर की कि उन्हें मुकेश अरनेजा से जितनी मदद की उम्मीद थी, मुकेश अरनेजा से उन्हें उतनी मदद नहीं मिली है - लेकिन इस बात को लेकर प्रवीन निगम ने ज्यादा रोना/धोना नहीं मचाया । घटना-चक्र ने जो मोड़ लिया है, उससे कुछेक लोगों को यह भी लग रहा है कि प्रवीन निगम को मुकेश अरनेजा की तरफ से यह आश्वासन रहा होगा कि ऐन मौके पर वह उनके साथ आ जायेंगे । धोखेबाजी में मुकेश अरनेजा ने दरअसल इतना नाम कमाया हुआ है कि लोग विश्वास करते हैं कि मुकेश अरनेजा कुछ भी कर सकते हैं । प्रवीन निगम के नजदीकियों का कहना है कि मुकेश अरनेजा को भी वास्तव में समझ में आ गया है कि दीपक गुप्ता के लिए वह ज्यादा कुछ कर नहीं सकते हैं, इसलिए अब वह प्रवीन निगम पर दाँव लगाना चाहते हैं । दिल्ली में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में हुई मीटिंग के फ्लॉप होने से मुकेश अरनेजा को सचमुच खासा तगड़ा वाला झटका लगा है, और इसके बाद ही मुकेश अरनेजा ने अपने आपको दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी से दूर करना/दिखाना शुरू कर दिया है - जिससे कि दीपक गुप्ता की पराजय का ठीकरा उनके सिर पर न फूटे । वह कह सकेंगे कि दीपक गुप्ता ने उन्हें अपने अभियान से चूँकि अलग कर दिया, और सोनीपत व गाजियाबाद में हुई मीटिंग की योजना व तैयारी से उन्हें दूर रखा - इसलिए इन दोनों जगहों पर हुई मीटिंग्स भी बहुत खराब गईं । गाजियाबाद की मीटिंग का हाल इसलिए और बुरा हुआ क्योंकि मीटिंग के लिए आमंत्रित किए गए कई एक क्लब-अध्यक्षों से तो फिर कहना पड़ा कि वह उनके कार्यक्रम में न आएँ । प्रवीन निगम के नजदीकियों के अनुसार, दीपक गुप्ता की तरफ से क्लब-अध्यक्षों का यह जो अपमान हुआ - उसके लिए मुकेश अरनेजा व दीपक गुप्ता के अभियान के बीच पैदा हुई तनातनी ही जिम्मेदार है । इस तनातनी से प्रवीन निगम और उनके समर्थक बम बम हैं - और इसकी प्रतिक्रिया में ही प्रवीन निगम ने अपनी सक्रियता अचानक से बढ़ा दी है । प्रवीन निगम की सक्रियता ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की बची-खुची उम्मीद को भी ग्रहण लगा दिया है ।