Friday, November 20, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में चरनजोत सिंह नंदा के रवैये से राजेश शर्मा अपने आप को ठगा हुआ पा रहे हैं

नई दिल्ली । राजेश शर्मा, चरनजोत सिंह नंदा और उमेश वर्मा जिस तरह से एक-दूसरे को कोस रहे हैं और उनके बीच आरोपों-प्रत्यारोपों की बातें हो रही हैं, उससे चरनजोत सिंह नंदा की राजनीतिक विरासत तथा राजेश शर्मा व उमेश वर्मा की उम्मीदवारी एक साथ खतरे में पड़ी दिख रही है । मजे की बात यह है कि कहने को तो यह तीनों एक साथ हैं, लेकिन इनमें आपस का अविश्वास इतना मुखर हो गया है कि लोगों के बीच सवाल पैदा हो रहा है कि यह एक साथ होने का ढोंग आखिर क्यों कर रहे हैं ? राजेश शर्मा अपने खास समर्थकों व नजदीकियों के बीच यह शिकायत कर रहे हैं कि चरनजोत सिंह नंदा उनका समर्थन करने के नाम पर उनका उल्लू बना रहे हैं और उन्हें इस्तेमाल कर रहे हैं; राजेश शर्मा का गंभीर आरोप यह है कि चरनजोत सिंह नंदा बात तो उनके समर्थन की कर रहे हैं, लेकिन उनके तमाम समर्थक, खासकर पंजाब के उनके समर्थक संजय अग्रवाल और/या संजय वासुदेवा के साथ घूम रहे हैं; चरनजोत सिंह नंदा का रोना है कि राजेश शर्मा उनकी बात तो मानते नहीं हैं, सिर्फ शिकायत करते रहते हैं कि वह उनके लिए कुछ कर नहीं रहे हैं; उमेश वर्मा को अपनी फिक्र है और अपनी इस फिक्र में उनका जिक्र यह है कि राजेश शर्मा सेंट्रल काउंसिल की अपनी उम्मीदवारी के लिए उनका समर्थन तो ले रहे हैं, किंतु बदले में रीजनल काउंसिल की उनकी उम्मीदवारी को कोई मदद नहीं कर रहे हैं । 
दरअसल, जैसा कि राजेश शर्मा के नजदीकियों ने बताया कि इन तीनों के बीच अविश्वास व परस्पर आरोपों का सिलसिला तब शुरू हुआ, जब चरनजोत सिंह नंदा ने राजेश शर्मा से उमेश वर्मा की रीजनल काउंसिल की उम्मीदवारी में मदद करने का अनुरोध किया । राजेश शर्मा की खूबी यह है कि कि वह किसी का भी काम करें भले ही न, लेकिन इंकार किसी को नहीं करते हैं । सो उन्होंने उमेश वर्मा की उम्मीदवारी का सहयोग/समर्थन करने के लिए चरनजोत सिंह नंदा से हामी भर दी । अपने स्वभाव के अनुरूप इस संबंध में उन्होंने लेकिन किया कुछ भी नहीं । चरनजोत सिंह नंदा ने भी किंतु कोई कच्ची गोलियाँ नहीं खेली हैं - सो उन्होंने राजेश शर्मा द्वारा आयोजित की जाने वाली पार्टियों/मीटिंगों में उमेश वर्मा को भी आमंत्रित करना शुरू कर दिया । इन पार्टियों/मीटिंगों में उमेश वर्मा ने अपने साथियों व अपने कार्यकर्ताओं को बुलाना शुरू कर दिया । इस कारण से हुआ यह कि राजेश शर्मा द्वारा की जाने पार्टियाँ/मीटिंग उमेश वर्मा की पार्टियाँ/मीटिंग लगने लगीं - ऐसा लगने का कारण यह भी रहा क्योंकि चरनजोत सिंह नंदा इन पार्टियों/मीटिंगों में राजेश शर्मा की बजाए उमेश वर्मा की बात ज्यादा करते सुने जाते । यही सब देख कर राजेश शर्मा को लगा और उन्होंने कहना भी शुरू किया कि चरनजोत सिंह नंदा उनके पैसे पर उमेश वर्मा का प्रचार कर रहे हैं । राजेश शर्मा को सबसे बड़ा झटका तो पंजाब में लगा । उन्हें उम्मीद थी कि पंजाब में चरनजोत सिंह नंदा के समर्थक उनकी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने का काम करेंगे; लेकिन वह यह देख कर हैरान/परेशान हो गए कि पंजाब में चरनजोत सिंह नंदा के समर्थक या तो संजय अग्रवाल की उम्मीदवारी का झंडा लेकर घूम रहे हैं, और या संजय वासुदेवा के साथ हैं । यह देख/जान कर राजेश शर्मा को पक्का यकीन हो गया है कि चरनजोत सिंह नंदा समर्थन के नाम पर उन्हें धोखा ही दे रहे हैं । 
राजेश शर्मा की यह शिकायतें चरनजोत सिंह नंदा तक पहुँची तो उन्होंने राजेश शर्मा की इन शिकायतों के लिए राजेश शर्मा को ही जिम्मेदार ठहरा दिया । उनका कहना है कि उन्होंने राजेश शर्मा से जो जो जैसे जैसे करने को कहा, राजेश शर्मा ने कुछ किया ही नहीं; वह अपनी ही मनमानी से काम कर रहे हैं - ऐसा लग रहा है जैसे कि उन्हें मेरी मदद की जरूरत ही नहीं है; ऐसे में वह यह शिकायत कैसे कर सकते हैं कि उन्हें मेरी मदद मिल नहीं रही है ? चरनजोत सिंह नंदा का कहना है कि राजेश शर्मा यदि मेरे समर्थकों का सहयोग/समर्थन चाहते हैं, तो पहले तो उन्हें यह जानना/समझना होगा कि मेरे किन समर्थकों को साथ लाने के लिए क्या करना होगा और कैसे करना होगा, फिर उसे 'करना' होगा । चरनजोत सिंह नंदा का आरोप है कि राजेश शर्मा यह सब तो करना नहीं चाहते; वह बस यह चाहते हैं कि मुझसे जुड़े रहे लोग उनकी उम्मीदवारी के समर्थन में जुट जाएँ - वह यह नहीं समझ रहे हैं कि ऐसा होता नहीं है । चरनजोत सिंह नंदा का कहना है कि संजय अग्रवाल और संजय वासुदेवा ने ज्यादा होशियारी से काम किया और पहले से सक्रियता बना कर तमाम लोगों को अपने साथ जोड़ लिया । संजय वासुदेवा को अपने पिता के नाम का फायदा मिला है, और संजय अग्रवाल ने अपनी निरंतर सक्रियता तथा नेटवर्किंग से लोगों को अपने साथ जोड़ा है । चरनजोत सिंह नंदा को इस बात पर बड़ी आपत्ति है कि राजेश शर्मा अपनी कमजोरियों व कमियों के लिए उन्हें नाहक ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । 
चरनजोत सिंह नंदा के सुर में सुर मिलाकर उमेश वर्मा को भी राजेश शर्मा पर हमला बोलते हुए सुना गया है । उमेश वर्मा का आरोप है कि राजेश शर्मा अपनी उम्मीदवारी के लिए तो उनसे मदद की उम्मीद कर रहे हैं और ले रहे हैं - लेकिन बदले में वह उनकी कोई मदद नहीं कर रहे हैं । उमेश वर्मा के अनुसार, इस मामले में राजेश शर्मा का तर्क है कि वह यदि उनकी मदद करते हुए 'दिखेंगे', तो रीजनल काउंसिल के दूसरे उम्मीदवार बिदकेंगे तथा उनके खिलाफ सक्रिय होंगे । राजेश शर्मा ने उमेश वर्मा को पाठ पढ़ाया है कि इसलिए वह उनकी खुलकर नहीं, बल्कि पर्दे के पीछे से ही मदद करेंगे । राजेश शर्मा का यह तर्क उमेश वर्मा को भा नहीं रहा है; और वह इस तर्क को राजेश शर्मा की बहानेबाजी के रूप में ही देख रहे हैं और राजेश शर्मा के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त कर रहे हैं ।
इस सारे नजारे को देख कर राजेश शर्मा के नजदीकियों व समर्थकों को लग रहा है कि चरनजोत सिंह नंदा ने राजेश शर्मा को ऐसा फँसा दिया है कि राजेश शर्मा के लिए न आगे बढ़ पाना संभव रह गया है, और न पीछे हटना ही उनके लिए आसान है । मजे की बात यह है कि औरों को दिखाई तो यह दे रहा है कि चरनजोत सिंह नंदा पूरी तरह से राजेश शर्मा की उम्मीदवारी के साथ हैं; लेकिन राजेश शर्मा और उनके समर्थक जान/समझ रहे हैं तथा आपस की बातचीत में रोना भी रो रहे हैं कि चरनजोत सिंह नंदा उनकी उम्मीदवारी के लिए वास्तव में कुछ कर नहीं रहे हैं और इसलिए ही उनकी उम्मीदवारी के पक्ष में वैसा माहौल नहीं बन पा रहा है, जैसे माहौल की उम्मीद की गई थी । राजेश शर्मा यह देख कर तो अपने आप को और ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं कि चरनजोत सिंह नंदा उनके समर्थन के नाम पर उनसे अनाप-शनाप पैसे खर्च करवा रहे हैं और उनके पैसे पर उमेश वर्मा को चुनाव लड़वा रहे हैं ।