Friday, November 13, 2015

इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के उम्मीदवार के रूप में निर्मल सोनी की बुरी और निराशाजनक स्थिति देख सत्यनारायण माहेश्वरी उनके समर्थन से पीछे हटे, तो देवेंद्र सोमानी का पलड़ा और भारी हुआ

उदयपुर । सत्यनारायण माहेश्वरी और उनके समर्थकों ने निर्मल सोनी से जिस तरह बचना शुरू कर दिया है, उसके चलते सेंट्रल इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत निर्मल सोनी की उम्मीदवारी के लिए संकट और बढ़ गया है । उल्लेखनीय है कि सेंट्रल काउंसिल के उम्मीदवार के रूप में सत्यनारायण माहेश्वरी जब तक निर्मल सोनी की उम्मीदवारी का समर्थन करते दिख रहे थे, तब तक निर्मल सोनी को चुनावी मुकाबले में बने रहने की उम्मीद थी; लेकिन अब जब सत्यनारायण माहेश्वरी ने उनकी उम्मीदवारी के समर्थक के रूप में दिखने से बचना शुरू कर दिया है, तो निर्मल सोनी के लिए दो तरफा मुसीबत खड़ी हो गई है और उनकी उम्मीदवारी को मिल सकने वाले समर्थन का ग्राफ तेजी से गिर गया है । निर्मल सोनी के लिए एक तरफ तो मुसीबत यह हुई कि सत्यनारायण माहेश्वरी के समर्थकों का समर्थन मिलने की संभावना धूमिल पड़ी, और दूसरी मुसीबत यह हुई कि सत्यनारायण माहेश्वरी के पीछे हटने से लोगों के बीच उनकी उम्मीदवारी की कमजोरी का लोगों के बीच संदेश गया । इस दूसरी मुसीबत ने रीजनल काउंसिल उम्मीदवार के रूप में निर्मल सोनी के लिए संकट ज्यादा बढ़ा दिया है । 
सत्यनारायण माहेश्वरी के नजदीकियों के अनुसार, उन्हें शुरू में दरअसल यह लगा कि रीजन में निर्मल सोनी का अच्छा समर्थन-आधार है और इसलिए उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने में उनका भी फायदा है । लेकिन जल्दी ही उन्हें समझ में आ गया कि रीजनल काउंसिल उम्मीदवार के रूप में उदयपुर में भी और राजस्थान की अन्य ब्रांचेज में भी निर्मल सोनी की बजाए देवेंद्र सोमानी का पलड़ा भारी है; और तब उन्हें निर्मल सोनी की उम्मीदवारी के साथ बने रहने तथा 'दिखने' में अपना नुकसान नजर आया । इसके चलते सत्यनारायण माहेश्वरी ने निर्मल सोनी की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछा छुड़ा लेने में अपनी भलाई देखी/पहचानी । सत्यनारायण माहेश्वरी के नजदीकियों का कहना है कि पिछले चुनाव में निर्मल सोनी हालाँकि चुनाव जीत नहीं सके थे, किंतु उनकी स्थिति चूँकि बहुत बुरी नहीं थी - इसलिए हमें लगा कि निर्मल सोनी ने पिछली बार की अपनी स्थिति में सुधार ही किया होगा और ऐसे में उनके साथ रहने में हमें लाभ ही होगा; किंतु हमने लोगों के बीच आना-जाना शुरू किया तो पता चला कि इस बार देवेंद्र सोमानी ने उनका सारा खेल ही बिगाड़ा हुआ है, और रीजनल काउंसिल उम्मीदवार के रूप में निर्मल सोनी के लिए इस बार बहुत ही बुरी स्थिति है । 
सत्यनारायण माहेश्वरी की तरफ से मिले इस झटके से निर्मल सोनी के समर्थकों के बीच भारी सन्नाटा खिंचा है । हालाँकि उनकी तरफ से यह दिखाने/जताने के प्रयास भी हो रहे हैं कि सत्यनारायण माहेश्वरी के इस बदले रवैये से उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा है । निर्मल सोनी के समर्थकों का कहना/पूछना है कि सत्यनारायण माहेश्वरी अपने स्वार्थ में उनकी उम्मीदवारी का समर्थन करने को तैयार हुए थे, इसलिए अब समर्थन से पीछे हटने के उनके फैसले से निर्मल सोनी की स्थिति पर भला क्या असर पड़ेगा । निर्मल सोनी लोगों को फोन कर कर के बता रहे हैं कि इस बार मैं आपको जीत के दिखाऊँगा । निर्मल सोनी के बारे में लोगों के बीच यह प्रचार दरअसल जोर पकड़ गया है कि वह दो बार उदयपुर ब्रांच का चुनाव लड़े हैं तथा दोनों बार हारे हैं, और पिछली बार रीजनल काउंसिल का चुनाव भी वह नहीं जीत सके - इसलिए लगता है कि चुनाव जीतना या तो उनकी किस्मत में नहीं है; और या चुनाव जीतने के लिए जिस तरह के हुनर की जरूरत होती है, वह हुनर उनमें नहीं है ।
इस बार, रीजनल काउंसिल के चुनाव में उदयपुर से ही देवेंद्र सोमानी द्वारा प्रस्तुत की गई उम्मीदवारी ने निर्मल सोनी की उम्मीदवारी के लिए शुरू में ही संकट खड़ा कर दिया था । लोगों को लगा कि पिछली बार निर्मल सोनी जब उदयपुर से अकेले उम्मीदवार थे, तब चुनाव नहीं जीत सके - तो इस बार उदयपुर से देवेंद्र सोमानी के भी उम्मीदवार हो जाने से तो उनके लिए और भी मुसीबत हो गई है । चुनाव अभियान आगे बढ़ा तो देवेंद्र सोमानी को उदयपुर में भी और राजस्थान की अधिकतर ब्रांचेज के साथ साथ रीजन के दूसरे क्षेत्रों में भी अच्छा समर्थन मिलता दिखा । निर्मल सोनी की तुलना में देवेंद्र सोमानी का चुनाव अभियान भी लोगों ने ज्यादा व्यापक, सक्रियताभरा और संगठित पाया; जिसके कारण उनके समर्थन-आधार में तेजी से वृद्धि हुई । देवेंद्र सोमानी के समर्थन-आधार में वृद्धि हुई, तो नतीजे के रूप में निर्मल सोनी का समर्थन-आधार घटा । जो कोई भी निर्मल सोनी से यह बात कहता, निर्मल सोनी उसे देवेंद्र सोमानी का 'आदमी' घोषित कर देते । लेकिन अब जब उम्मीदवार के रूप में निर्मल सोनी की बुरी और निराशाजनक स्थिति देख कर सत्यनारायण माहेश्वरी ने भी उनके समर्थन से हाथ खींच लिए हैं, तो निर्मल सोनी के लिए अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में लोगों के बीच कोई तर्क देना खासा मुश्किल हो गया है । अब सत्यनारायण माहेश्वरी को तो वह देवेंद्र सोमानी का 'आदमी' घोषित नहीं कर सकते न !