पानीपत । राजेंद्र उर्फ राजा साबू को संबोधित एक पत्र के मजमून ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी रमन अनेजा के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है । इस पत्र ने करीब चार वर्ष पहले की रमन अनेजा की बदनामी से जुड़ी धूल खा रही एक घटना की धूल को झाड़ कर एक बार फिर रमन अनेजा के सामने ला खड़ा किया है । पत्र में राजा साबू से अनुरोध किया गया है कि वह रमन अनेजा से उक्त घटना के सही सही तथ्य जानें और उन्हें लोगों के बीच प्रसारित करें, ताकि उस घटना को लेकर चल रही बदनामीपूर्ण चर्चाओं पर विराम लग सके । अपने आप को पानीपत में पिछले कई वर्षों से सक्रिय रोटेरियन बताने वाले लोगों की तरफ से लिखे इस पत्र में कहा गया है कि उक्त घटना की चर्चा से न सिर्फ रमन अनेजा की बदनामी हो रही है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट व रोटरी का भी नाम खराब हो रहा है । पत्र में कहा गया है कि उक्त घटना की चर्चा से चूँकि डिस्ट्रिक्ट व रोटरी की भी बदनामी हो रही है, इसलिए हम आपसे अनुरोध कर रहे हैं कि आपको इस मामले से जुड़े सही तथ्यों को सामने लाने के लिए कार्रवाई करना चाहिए और रमन अनेजा से कहना चाहिए कि इस मामले में वह अपना पक्ष स्पष्ट रूप से लोगों के बीच रखें - जिससे कि लोगों द्वारा की जा रही बदनामीपूर्ण चर्चाओं पर विराम लग सके । पत्र में कहा गया है कि उक्त घटना को लेकर चूँकि रमन अनेजा ने पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है, और उनकी चुप्पी के कारण उक्त घटना की चर्चा को और बल मिल रहा है, इसलिए मामले में हस्तक्षेप करने के लिए हमें आपसे अनुरोध करना पड़ रहा है ।
लोगों के बीच जो चर्चा है उसके अनुसार करीब चार वर्ष पहले रमन अनेजा पानीपत में एक होटल में पकड़े गए थे - क्यों पकड़े गए थे, इसे लेकर जितने मुँह उतनी बातें हैं । उनके पकड़े जाने की बात चूँकि रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हुई थी, इसलिए रमन अनेजा की तरफ से औपचारिक तरीके से कभी भी उसका कोई जबाव नहीं दिया गया । औपचारिक रूप से जबाव देने की हालाँकि उन्हें कभी जरूरत भी नहीं पड़ी । लोग उनके पकड़े जाने की बात पर चर्चा करते रहे, और रमन अनेजा इस चर्चा को इग्नोर करते रहे । दो वर्ष पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उन्होंने जब अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की, तब यह मामला पानीपत की सीमा से बाहर निकल कर डिस्ट्रिक्ट में चर्चा का विषय बना । रमन अनेजा की तरफ से हालाँकि तब भी औपचारिक रूप से इस मामले में कुछ नहीं कहा/बताया गया । उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों ने अपनी अपनी समझ के हिसाब से जरूर इसका जबाव दिया : किसी ने कहा कि पानीपत में रमन अनेजा के विरोधियों ने षड्यंत्र करके उन्हें पकड़वा दिया था; किसी ने कहा कि पुलिस की गलतफहमी के चलते वह पुलिस का शिकार हो गए थे; किसी ने कहा कि उनके पकड़े जाने की बात जब रिकॉर्ड पर ही नहीं है तो इसे लेकर बात क्यों की जा रही है; आदि-इत्यादि । डिस्ट्रिक्ट के बड़े नेताओं/पदाधिकारियों के सामने भी यह मामला आया और उनसे माँग की गई कि रमन अनेजा की बदनामी को देखते हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए प्रस्तुत उनकी उम्मीदवारी के नामांकन को रद्द किया जाए । रमन अनेजा के समर्थकों की तरफ से इस माँग का विरोध करने के लिए पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मनमोहन सिंह का उदाहरण दिया गया । कहा गया कि मनमोहन सिंह के खिलाफ तो रिपोर्ट दर्ज है और उनके खिलाफ तो कोर्ट में केस चल रहा है, लेकिन फिर भी उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बनने ने नहीं रोका गया; रमन अनेजा के खिलाफ तो कोई रिपोर्ट भी दर्ज नहीं है - लिहाजा उनकी उम्मीदवारी को कैसे रोका जा सकता है ?
बदनामीपूर्ण चर्चाओं के बावजूद रमन अनेजा की उम्मीदवारी का नामांकन न सिर्फ स्वीकार हुआ, बल्कि उनकी उम्मीदवारी सफल भी हुई । बदनामीपूर्ण चर्चा डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में रमन अनेजा के बढ़ते कदमों को तो नहीं रोक पाई; लेकिन उनके लिए बुरी बात यह हुई कि जैसे जैसे उन्होंने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति की सीढ़ियाँ चढ़ना शुरू कीं, वैसे वैसे उक्त घटना के संदर्भ में उनकी बदनामी का दायरा भी फैलता गया । पहले यह बात पानीपत में कुछेक लोगों को पता थी और उनके बीच चर्चा का विषय थी । रमन अनेजा ने लेकिन जैसे ही रोटरी में अपने कदम पानीपत से बाहर निकाले और डिस्ट्रिक्ट में उन्होंने अपनी जगह व पोजीशन पाने के प्रयास शुरू किए, वैसे ही यह मामला भी डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी जगह बनाता गया । राजा साबू को लिखे पत्र में कहा गया है कि डिस्ट्रिक्ट में अनौपचारिक बातचीत में लोग रमन अनेजा के लिए प्रायः 'होटल वाले' संबोधन का प्रयोग करते हैं ।
रमन अनेजा से सहानुभूति रखने वाले लोगों का कहना है कि रमन अनेजा की सफलता को हजम न कर पाने वाले लोग अब रमन अनेजा को बदनाम करने पर उतर आए हैं, और किसी न किसी तरह से मामले को चर्चा में बनाए रखने का प्रयत्न कर रहे हैं । ऐसे लोगों ने ही राजा साबू को पत्र लिख कर इस मामले में अब राजा साबू को भी घसीट लिया है । सहानुभूति रखने वाले ही कुछेक लोगों का यह भी मानना और कहना है कि इस मामले में रमन अनेजा की होशियारी ही अब उन्हें महँगी पड़ रही है । उनके लिए एक समय तक तो चर्चा को इग्नोर करना ठीक फैसला था; लेकिन जब वह आगे बढ़े तो उन्हें समझना चाहिए कि उनके साथ साथ यह चर्चा आगे न बढ़े और इसके लिए उन्हें अपनी तरफ से सही तथ्य प्रस्तुत करना चाहिए था । उन्होंने सोचा था कि मामले को लेकर वह चुप बने रहेंगे तो मामला अपने आप शांत हो जायेगा । उनकी बदकिस्मती से लेकिन ऐसा नहीं हो सका । रमन अनेजा की इस चुप्पी ने उक्त घटना को लेकर उनकी स्थिति को और विवादपूर्ण बना दिया है, जो उनके लिए भारी फजीहत का सबब बन सकती है ।