Tuesday, January 5, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में क्लब्स के सदस्यों को एक दूसरे के खिलाफ भड़काने तथा उन्हें आपस में लड़वाने की मुकेश अरनेजा वाली रणनीति खुद अपना कर दीपक गुप्ता दोहरी मुसीबत में फँसे

गाजियाबाद । दीपक गुप्ता के नजदीकी मुकेश अरनेजा के तौर-तरीकों को अपनाते हुए क्लब्स में झगड़े कराने के प्रयासों में जिस तरह की बातें कर रहे हैं, उनमें से कुछ के रिकॉर्ड पर आने की खबर से दीपक गुप्ता के नजदीकियों व समर्थकों के बीच खलबली मच गई है । हुआ यह कि दीपक गुप्ता के नजदीकी विभिन्न क्लब्स के सदस्यों को उनके पदाधिकारियों के खिलाफ पट्टी पढ़ाने की कोशिश में बेसिरपैर की तथा बदनामीभरी ऐसी ऐसी बातें कर रहे हैं, जिनसे क्लब्स के लोगों के बीच मनमुटाव पैदा हो तथा उनके बीच झगड़े हों । क्लब्स में झगड़े करवा कर अपना उल्लू सीधा करने की उनकी यह चाल लेकिन यह जान कर मुश्किल में पड़ गई कि फोन पर की गईं उनकी इस तरह की कुछेक बातें रिकॉर्ड कर ली गईं हैं । इससे लोगों के बीच यह बहुत स्पष्ट हो गया है कि दीपक गुप्ता के नजदीकी दीपक गुप्ता की चुनावी पराजय को सामने देख कर क्लब्स के पदाधिकारियों को बदनाम करने तथा क्लब्स में झगड़े करवाने के घटिया स्तर तक पर उतर आए हैं । 
यह मुकेश अरनेजा की चुनावी राजनीति का ही नहीं, उनके सामान्य व्यवहार का बड़ा पुराना और घिसपिट चुका तरीका है - जिसमें सामने वाले को तरह तरह से बदनाम करने का प्रयास किया जाता है । मुकेश अरनेजा के लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि इस तरीके को इस्तेमाल करने के बावजूद उन्हें हासिल कुछ नहीं हुआ, और उन्होंने बदनामियों का जो घोल दूसरों के लिए तैयार किया वह घोल उन्हीं पर चढ़ता रहा । दीपक गुप्ता के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि मुकेश अरनेजा के हाल से दीपक गुप्ता ने लगता है कि कोई सबक नहीं सीखा है और बदनामी पाने वाले काम वह खुद भी करने लगे हैं । यह बात सामने आने के बाद दीपक गुप्ता के शुभचिंतकों को यह जान कर धक्का लगा है कि चुनावी हार को सामने देख कर दीपक गुप्ता और उनके नजदीकी इस कदर बदहवास हो गए हैं कि मुकेश अरनेजा के स्तर के घटियापने पर उतर आए हैं । दीपक गुप्ता के साथ हमदर्दी रखने वाले लोगों का ही मानना और कहना है कि इस तरह की बातों व हरकतों से अपनी हार को तो वह जीत में नहीं ही बदल पायेंगे, अपनी साख व प्रतिष्ठा और हार के कारण लोगों के बीच पैदा होने वाली सहानुभूति को लेकिन वह जरूर खो देंगे । इन लोगों का दीपक गुप्ता के लिए सुझाव है कि सामने दिख रही अपनी चुनावी पराजय को उन्हें खिलाड़ी-भावना  के साथ स्वीकार करना चाहिए और गंभीरता के साथ अपने चुनाव अभियान में रह गई कमियों की पड़ताल करना चाहिए और उन्हें दूर करते हुए आगे के वर्षों में फिर प्रयास करना चाहिए । इस तरह के रिएक्शन से साबित हुआ कि क्लब्स के सदस्यों व पदाधिकारियों को भड़काने की रणनीति से दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को दोतरफा नुकसान हुआ : पोल खुलने से एक तरफ तो लोगों के बीच नाराजगी पैदा हुई कि दीपक गुप्ता के नजदीकी उन्हें एक दूसरे से लड़ाने के प्रयास कर रहे हैं; और दूसरी तरफ उनके शुभचिंतक भी इस तरह की बातों से भड़के हैं तथा उनके खिलाफ होते नजर आ रहे हैं । 
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के अभियान के साथ मजेदार किस्म की बुरी बात यह हुई कि उसे डिस्ट्रिक्ट में लोगों का समर्थन तो नहीं ही मिला, टेक्नोलॉजी ने भी उसकी मदद नहीं की - उलटे बल्कि उनकी पोल ही खोली । रोटरी क्लब वैशाली की एक मीटिंग में क्लब के पदाधिकारियों की पदों के बदले अपना समर्थन 'बेचने' की स्वीकारोक्ति रिकॉर्ड न हुई होती, तो यह सच्चाई कभी लोगों के सामने न आ पाती कि सतीश सिंघल के गवर्नर-काल के पद बेच कर मुकेश अरनेजा - दीपक गुप्ता के लिए समर्थन जुटाने का काम कर रहे हैं । इसी तरह, क्लब्स के सदस्यों व पदाधिकारियों को एक दूसरे के खिलाफ भड़का कर उन्हें आपस में लड़ाने की कोशिश करना दीपक गुप्ता के अभियान को भारी पड़ा है । इस प्रसंग ने दिखाया/जताया है कि सामने दिख रही हार ने दीपक गुप्ता के नजदीकियों व समर्थकों को बुरी तरह से हताश व निराश कर दिया है और अपनी हताशा/निराशा में वह क्लब्स के पदाधिकरियों को बदनाम करने की हद तक जा पहुँचे हैं ।