Wednesday, January 13, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में दीपक गुप्ता की पुनर्प्रस्तुत उम्मीदवारी की आशंका से सत्ता खेमा अपने उम्मीदवार को लेकर असमंजस में

गाजियाबाद/नई दिल्ली । सुभाष जैन की बड़ी जीत से उत्साहित, उनकी जीत के सूत्रधारों ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अगले उम्मीदवार की तलाश शुरू कर दी है - जो बार बार घूम फिर कर फिलहाल रवींद्र सिंह और ललित खन्ना पर टिक जा रही है । सुभाष जैन की उम्मीदवारी के संचालन में लगे कुछेक लोगों को लग रहा है कि इस बार के चुनाव में रोटरी क्लब गाजियाबाद हैरिटेज के रवींद्र सिंह की जिस तरह की संलग्नता रही है, उसे देखते हुए रवींद्र सिंह ही उपर्युक्त उम्मीदवार होंगे - क्योंकि सुभाष जैन की उम्मीदवारी के एक अत्यंत सक्रिय समर्थक के रूप में रवींद्र सिंह का लोगों के बीच प्रभावी परिचय बन ही गया है, और डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के तमाम समीकरणों को उन्होंने नजदीक से देख/समझ भी लिया है । सुभाष जैन की उम्मीदवारी के संचालन में लगे अन्य कुछेक लोग रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के वरिष्ठ सदस्य ललित खन्ना की बात कर रहे हैं - उन्हें लगता है कि ललित खन्ना को आगे करके मुकेश अरनेजा को उनके अपने क्लब में तथा सतीश सिंघल को नोएडा में एक साथ घेरा जा सकेगा । उल्लेखनीय है कि रवींद्र सिंह और ललित खन्ना पहले भी एक एक बार अपनी अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत कर चुके हैं - रवींद्र सिंह ने दोस्ती निभाने के चक्कर में विनोद बंसल के पक्ष में अपनी उम्मीदवारी को वापस ले लिया था; और ललित खन्ना नोमीनेटिंग कमेटी में नहीं चुने जाने के कारण चुनावी दौड़ से बाहर हो गए थे । इन दोनों के बारे में एक मजे की कॉमन बात यह भी है कि एक समय यह दोनों मुकेश अरनेजा के बड़े खास हुआ करते थे, लेकिन अब दोनों ही मुकेश अरनेजा के धुर विरोधी हैं । 
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के अगले उम्मीदवार के रूप में सत्ता पक्ष के लोग भले ही रवींद्र सिंह और ललित खन्ना का नाम ले रहे हों, लेकिन इन दोनों ने अपनी अपनी उम्मीदवारी को लेकर अभी तक कोई बहुत उत्सुकता नहीं दिखाई है । इसके बावजूद इनका नाम चर्चा में है, तो इसका कारण यह है कि इन्होंने अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार भी नहीं किया है । इनके नजदीकियों का कहना है कि अभी जल्दबाजी में यह कोई फैसला नहीं करना चाहते हैं, तथा 'देखो और इंतजार करो' की रणनीति अपनाते हुए अभी यह देखना चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनावी परिदृश्य किस रास्ते पर आगे बढ़ता है ? सत्ता खेमे के नेता दरअसल पहले दीपक गुप्ता के रवैये को देखना चाहते हैं : असल में हर किसी के सामने यह सवाल तो है, पर उसका कोई जबाव नहीं है कि दीपक गुप्ता फिर से अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करेंगे या नहीं ? पहले लोगों को लग रहा था कि दीपक गुप्ता का जोश ठंडा पड़ गया है और वह दोबारा पचड़े में नहीं पड़ेंगे, किंतु दीपक गुप्ता की तरफ से लोगों को जो एसएमएस मिला है - उसका मिलना और उसकी भाषा से संकेत मिला है कि दीपक गुप्ता पिछली बार वाली गलती से सबक लेकर नए दमखम के साथ मैदान में उतर सकते हैं । इस संकेत ने सत्ता खेमे के नेताओं को सावधान किया है । वह भी मान रहे हैं कि दीपक गुप्ता ने यदि पिछली गलतियों को नहीं दोहराया तो अब की बार उनका मुकाबला करना आसान नहीं होगा । सत्ता खेमे के नेताओं को यह डर भी है कि दीपक गुप्ता ने जिस तैयारी के साथ यह चुनाव लड़ा था, उसे देखते हुए फिर से उनके उम्मीदवार होने पर हो सकता है कि सत्ता खेमे को कोई उम्मीदवार ही न मिले । इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए होने वाली अगली लड़ाई का समीकरण दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी की संभावना और पिछली गलतियों के प्रति उनके रवैये पर निर्भर करेगा ।
सत्ता पक्ष के नेता और उनके संभावित उम्मीदवार इसीलिए अभी उम्मीदवारी को लेकर कोई स्पष्ट फैसला करने से बच रहे हैं । सत्ता पक्ष के नेताओं के सामने यह समझने/पहचानने की दुविधा भी है कि दीपक गुप्ता यदि सचमुच उम्मीदवार होते हैं, तो उन्हें अपना उम्मीदवार गाजियाबाद/उत्तरप्रदेश से चुनना चाहिए या दिल्ली से ? दीपक गुप्ता के उम्मीदवार न होने की स्थिति में तो उनके लिए मैदान साफ है - फिर तो कोई भी उम्मीदवार हो सकता । इस सारे झमेले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के एकमात्र 'घोषित' उम्मीदवार मनोज लाम्बा के लिए हालात खासे मुश्किल हो गए हैं । रोटरी क्लब दिल्ली रिवरसाइड के मनोज लाम्बा को सतीश सिंघल के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है । दीपक गुप्ता और सुभाष जैन के बीच हुए चुनाव में सबसे ज्यादा फजीहत सतीश सिंघल की ही हुई है - जिसके बाद सतीश सिंघल के भरोसे उम्मीदवारी प्रस्तुत करना मनोज लाम्बा के लिए आत्मघाती ही होगा । मनोज लाम्बा के नजदीकियों का कहना भी है कि सतीश सिंघल अपनी तमाम सक्रियता के बावजूद दीपक गुप्ता के समर्थन में कोई इजाफा कर पाने में जिस तरह से नाकाम रहे/दिखे हैं, उससे अपनी उम्मीदवारी के संदर्भ में मनोज लाम्बा के हौंसले पस्त पड़ते नजर आ रहे हैं । जाहिर है कि तमाम अगर-मगर के बीच डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के अगले उम्मीदवारों को लेकर मामला अभी उलझा हुआ है । हालाँकि उम्मीद की जा रही है कि जल्दी ही यह उलझन दूर हो जाएगी । सत्ता पक्ष में जिस तरह से रवींद्र सिंह और ललित खन्ना का नाम चला है, उससे लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में हलचल जरूर मची है ।