Thursday, January 14, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी घपलेबाजियों से जुड़ीं बैंक प्रबंधन की अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना कर रहे उनके पति राजेश गुप्ता के लिए दोहरी मुसीबत बन कर आई है

नई दिल्ली । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में कार्यरत उनके पति राजेश गुप्ता की मुसीबतों को और बढ़ाने का कारण बन गई है । उल्लेखनीय है कि राजेश गुप्ता पिछले कुछ समय से घपलेबाजियों से जुड़ीं अपनी कामकाजी अनिमितताओं के कारण बैंक प्रबंधन की अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना कर रहे हैं, और कई तरह की सजाएँ पा रहे हैं । सजाओं से बचने की राजेश गुप्ता की तमाम कोशिशें फेल हो जा रही हैं । अभी हाल ही में नई दिल्ली स्थित सेंट्रल इंफॉर्मेशन कमीशन ने उनकी एक एप्लीकेशन को रिजेक्ट किया है । इंफॉर्मेशन कमिश्नर शरत सभरवाल ने बैंक प्रबंधन के तर्क को सही ठहराते हुए राजेश गुप्ता की अपील को न सिर्फ खारिज कर दिया, बल्कि उनके संदर्भित मामले में हस्तक्षेप करने से भी स्पष्ट इंकार इंकार कर दिया । कमीशन के इस फैसले ने राजेश गुप्ता के दावों तथा आरोपों व सजाओं से बचने के प्रयासों को तगड़ा झटका दिया है - तथा उनके दावों व प्रयासों को कमजोर साबित किया है । कमीशन के इस फैसले ने राजेश गुप्ता के खिलाफ कार्रवाई कर रहे बैंक प्रबंधन के हाथ स्वाभाविक रूप से और मजबूत किए हैं । 
राजेश गुप्ता की पत्नी रेखा गुप्ता के लायंस इंटरनेशनल में डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी बनने के प्रयासों की खबरों ने बैंक प्रबंधन के कान और खड़े कर दिए हैं । दरअसल प्रबंधन के लोगों को पता है कि डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी बनने को लेकर होने वाले चुनाव में पचासों लाख रुपए खर्च होते हैं । उल्लेखनीय है कि राजेश गुप्ता घपलेबाजियों से जुड़ी कामकाजी अनियमितताओं में अपने फँसने के लिए बैंक प्रबंधन की टॉप मैनेजमेंट कमेटी के लोगों की आपसी प्रतिस्पर्द्धात्मक लड़ाई को जिम्मेदार ठहराते रहे हैं । वह बताते/कहते रहे हैं कि टॉप मैनेजमेंट कमेटी के लोगों की लड़ाई में बलि का बकरा वह बन गए हैं, तथा उक्त कमेटी के कुछेक सदस्यों से नजदीकी की कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है । समझा जाता है कि बैंक के जिन उच्चाधिकारियों का हाथ राजेश गुप्ता को फँसाने में है, उन्हीं उच्चाधिकारियों ने प्रबंधन के कान भरे हैं कि घपलेबाजी से राजेश गुप्ता ने जो पैसे बनाए हैं, उसी पैसे से वह अपनी पत्नी को लायंस इंटरनेशनल में डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी बनवा रहे हैं । इस खबर से बैंक अधिकारियों व राजेश गुप्ता के साथी-सहयोगियों में यह चर्चा भी चल पड़ी है कि राजेश गुप्ता ने घपलेबाजी से आखिर इतनी कितनी रकम बना ली है, कि वह अपनी पत्नी को एक इंटरनेशनल संगठन के डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी बनाने/बनवाने के चुनाव में पचासों लाख रुपए बहाने के लिए तैयार हो गए हैं । 
बैंक प्रबंधन में जो पदाधिकारी राजेश गुप्ता से हमदर्दी रखते हैं, तथा आरोपों से उन्हें बचाने में उनकी मदद करते रहे हैं - उनका कहना है कि राजेश गुप्ता की पत्नी के एक इंटरनेशनल संगठन के डिस्ट्रिक्ट पदाधिकारी बनने के प्रयासों की खबर ने राजेश गुप्ता के केस को और गंभीर बना दिया है, तथा उन पर लगे आरोपों को और मजबूती दी है; जिससे राजेश गुप्ता का बचाव करने वाले लोग भी दबाव में आए हैं । सबसे बड़ी बात यह हुई है कि जिन लोगों को राजेश गुप्ता से हमदर्दी रही है, राजेश गुप्ता के प्रति उनका विश्वास डांवाडोल हुआ है । राजेश गुप्ता की तरफ से शेयरहोल्डर डायरेक्टर्स दिनेश कुमार अग्रवाल व अशोक कुमार शर्मा से मदद मिलने का इंप्रेशन दिया जाता रहा है, किंतु अब लग रहा है कि इन दोनों को भी डर हुआ है कि राजेश गुप्ता के हमदर्दों व मददगारों के रूप में उनकी चर्चा होगी तो बदनामी के छींटे उन पर भी पड़ेंगे । रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी की खबर मिलने के बाद से घपलेबाजियों से जुड़ीं अपनी कामकाजी अनिमितताओं के कारण बैंक प्रबंधन की अनुशासनात्मक कार्रवाइयों का सामना कर रहे राजेश गुप्ता पर लगे आरोपों को जिस तरह से स्वीकार्यता मिलती दिख रही है, उसे जान/पहचान कर राजेश गुप्ता से हमदर्दी रखने वाले लोगों ने जिस तरह से राजेश गुप्ता से 'बचना' शुरू कर दिया है - उससे लग रहा है कि रेखा गुप्ता की उम्मीदवारी राजेश गुप्ता के लिए दोहरी मुसीबत बन कर आई है ।