Saturday, January 16, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 में 'वीटीटी कम मेडिकल मिशन' के कामकाज को तथा उसके हिसाब-किताब को छिपाए रखने में राजा साबू का स्वार्थ आखिर क्या है ?

चंडीगढ़ । राजेंद्र उर्फ राजा साबू के अपनी पत्नी के साथ मेडिकल मिशन में वॉलिंटियर बन कर जाने तथा मिशन के खर्चे से जुड़े तथ्यों को छिपाने के प्रयासों के चलते 'वीटीटी कम मेडिकल मिशन' जैसा शानदार प्रोजेक्ट संदेहों के घेरे में आ गया है । उल्लेखनीय है कि इस मिशन के तहत वीटीटी कम मेडिकल टीम अफ्रीकी देशों में जाती है, और इस टीम में जाने वाले अनुभवी डॉक्टर्स वहाँ के स्थानीय डॉक्टर्स को अलग अलग तरह की सर्जरी के लिए ट्रेंड करते हैं - और ट्रेंड करने की प्रक्रिया में वहाँ के मरीजों की सर्जरी करते हैं । टीम में शामिल डॉक्टर्स की मदद करने तथा स्थानीय रोटेरियंस के साथ मिलकर उनके काम को संयोजित करने के लिए टीम में कुछेक रोटरी वॉलिंटियर्स भी होते हैं । अभी पिछले सितंबर में मलावी तथा उसके बाद नवंबर में इथिओपिया वीटीटी कम मेडिकल टीम गई थी । अगले माह, फरवरी में एक टीम के रवांडा जाने की योजना सुनी जा रही है । इस कार्यक्रम को अपनी ही तरह के एक अनोखे कार्यक्रम के रूप में देखा/पहचाना गया तथा इसे खासी प्रशंसा भी मिली है । प्रशंसा के साथ साथ लेकिन लोगों के बीच लेकिन अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि टीम में वॉलिंटियर्स के रूप में राजा साबू और उनकी पत्नी क्यों जुड़ जाते हैं ? पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट जैसे उनके ओहदे को तथा उनकी उम्र को देखते हुए उनके वॉलिंटियर्स बनने का सवाल और भी महत्वपूर्ण हो जाता है । पहली बात तो यह भी है कि टीम के डॉक्टर्स को आखिर ऐसी क्या मदद की जरूरत पड़ती होगी, जिसके लिए वॉलिंटियर्स चाहिए होते हों - और वह भी राजा साबू व उषा साबू जैसे वॉलिंटियर्स ? इस सवाल में ही सवाल का जबाव छिपा है - जिसे 'पढ़ने' में लोगों ने कोई गलती नहीं की और मान लिया गया है कि वॉलिंटियर्स तो लगता है कि सिर्फ पिकनिक मनाने और या अपना धंधा जमाने के चक्कर में ही जाते हैं । 
टीम में जाने वाले वॉलिंटियर्स का चयन कैसे होता है, यह भी एक रहस्य है । लोगों की शिकायत है कि उन्हें तो पता ही नहीं चलता है कि कहीं जाने के लिए कोई टीम बन रही है, जिसके लिए वॉलिंटियर्स चाहिए हैं । सारा कुछ बहुत ही गोपनीय तरीके से कर लिया जाता है । मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन तक को 'वीटीटी कम मेडिकल मिशन' की गतिविधियों की पूरी जानकारी नहीं है । इसके बारे में जब भी उनसे पूछा गया, पूछने वाले को यही जबाव सुनने को मिला कि इसके बारे में साबू जी से ही पूछो । डेविड हिल्टन का कहना रहा कि उन्हें तो उतना ही पता है, जितना साबू जी बताते हैं और वह उसी कार्यक्रम में शामिल हो पाते हैं - जिसमें शामिल होने के लिए साबू जी उनसे कहते हैं । डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स तो इस कार्यक्रम को लेकर पूरी तरह ही अनजान हैं । एक मधुकर मल्होत्रा जरूर इस कार्यक्रम के बारे में जानते हुए 'दिखते' हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि उनसे भी जब इसके बारे में पूछो तो वह जबाव देने से बचने लगते हैं । वीटीटी कम मेडिकल मिशन से जुड़ी बातों को - उसकी गतिविधियों की विस्तृत जानकारी तथा उसके खर्च संबंधी ब्यौरों पर जिस तरह से पर्दा डाल कर रखा जा रहा है, उससे लोगों के बीच संदेह और सवाल लगातार बढ़ते जा रहे हैं । 
वीटीटी कम मेडिकल मिशन को राजा साबू के 'मिशन' के रूप में प्रचारित किया जाता है; और इसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की जो थोड़ी सी भूमिका है भी वह सिर्फ इस कारण से है कि उनके इस मिशन के लिए जो पैसे आते हैं उसके आने को संभव करने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के हस्ताक्षर जरूरी होते हैं । इस मिशन से जुड़े सभी तथ्यों को अपने सीने से चिपकाए रखने तथा वॉलिंटियर्स टीम में अपनी पत्नी सहित अपने को शामिल कर लेने के कारण राजा साबू लोगों के निशाने पर हैं । राजा साबू ने इस मिशन को टीआरएफ से अलग रखने की जो 'होशियारी' दिखाई है, उससे भी मामला संदेहास्पद बना है । दरअसल इस मिशन के लिए टीआरएफ से पैसा मिलता तो उसका बाकायदा हिसाब देना पड़ता, राजा साबू ने इस पचड़े में पड़ने की बजाए दूसरे देशों के क्लब्स से संपर्क साध कर पैसा उगाहने को ज्यादा सुरक्षित समझा - जिसमें 'ठीक' से हिसाब देने/बताने की कोई जरूरत ही नहीं होती है । इससे ही लोगों को लग रहा है कि वीटीटी कम मेडिकल मिशन की आड़ में कहीं पैसा कमाने/बनाने, अपने काम-धंधों के लिए मौका देखने/बनाने और अपनी पिकनिक मनाने का काम तो नहीं किया जा रहा है । 
वीटीटी कम मेडिकल मिशन को लेकर लोगों के बीच पैदा हो रहे संदेहों को दूर करने का एक ही तरीका है - और वह यह कि राजा साबू इस मिशन के काम करने के तरीके को पारदर्शी बना दें, तथा इसके खर्चे के हिसाब को सबके सामने रख दें । राजा साबू लेकिन ऐसा कुछ करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं । मिशन के लिए दूसरे देशों के क्लब्स से पैसा मिलने की बात की जाती है - वह कितना होता है और वह कैसे खर्च होता है, इसे पूछे जाने वाले सवालों का जबाव किसी को नहीं मिला है । राजा साबू ने अपने इस रवैये से वीटीटी कम मेडिकल मिशन जैसे एक शानदार प्रोजेक्ट को विवाद का और संदेहों का मिशन बना दिया है ।