Friday, January 22, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में अरविंद संगल की पत्नी को डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन बनाने का ऑफर देकर अरविंद संगल को अपनी तरफ करने का शिवकुमार चौधरी का दाँव अभी तो सफल होता हुआ नहीं दिख रहा है

गाजियाबाद । अरविंद संगल की पत्नी को डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन बनाने का लालच देकर शिवकुमार चौधरी ने अरविंद संगल को अपनी तरफ करने का जो दाँव चला है, उसने उन महिलाओं को खासा भड़का दिया है - शिवकुमार चौधरी जिन्हें पिछले कुछ समय से डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन बनाने की बात कह/कर रहे थे । इसी से भेद खुला कि शिवकुमार चौधरी तो पिछले कुछ समय से तीन-चार महिलाओं को डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन बनाने का झाँसा दे रहे थे । यह भेद खुलने से अरविंद संगल भी सावधान हो गए हैं, और उनके सावधान होने से शिवकुमार चौधरी का गेम-प्लान भी बिगड़ गया है । अरविंद संगल के रवैये ने दरअसल शिवकुमार चौधरी के 'मुकेश गोयल विरोधी मंच' को शुरू से ही झटका दिया हुआ है । शिवकुमार चौधरी ने उम्मीद की थी कि वह जैसे ही मुकेश गोयल विरोधी मंच की घोषणा करेंगे, वैसे ही उन्हें पहला समर्थन अरविंद संगल का मिलेगा - अरविंद संगल ने लेकिन उनके अभियान के प्रति कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई । अरविंद संगल के नजदीकियों के अनुसार इसके दो कारण रहे : एक यह कि शिवकुमार चौधरी ने जिस गुपचुप तरीके से रेखा गुप्ता को उम्मीदवार बनाया, उससे अरविंद संगल को लगा कि शिवकुमार चौधरी ने अपने कुछेक स्वार्थों की पूर्ति के लिए रेखा गुप्ता को मोहरा बनाया है; दूसरे, उनका आकलन है कि रेखा गुप्ता चुनाव-अभियान के प्रेशर को झेल नहीं पायेंगी और अंततः चुनावी दौड़ से बाहर ही होंगी । इसके अलावा, अरविंद संगल इस बात को लेकर शिवकुमार चौधरी से खफा भी थे कि अपने गवर्नर-काल के तमाम महत्वपूर्ण पद वह मुकेश गोयल के कहने से पहले ही बाँट चुके हैं, तथा उसके पैसे भी बसूल कर चुके हैं; और इस बारे में उन्हें पूछा तक नहीं । शिवकुमार चौधरी जिस तरह मुकेश गोयल के प्रति अपना अवसरवादी रवैया दिखाते रहे हैं - कभी उन्हें गाली देने लगते हैं, और कभी उनकी खुशामद में लगे नजर आते हैं; उससे भी अरविंद संगल ने शिवकुमार चौधरी को भरोसा करने लायक नहीं समझा ।
अरविंद संगल का भरोसा जीतने के लिए ही शिवकुमार चौधरी ने अरविंद संगल की पत्नी को डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन बनाने का ऑफर दिया । शिवकुमार चौधरी की बदकिस्मती रही कि अपने नजदीकियों के बीच अभी वह यह दावा कर ही रहे थे कि अपने इस ऑफर के जरिए वह अरविंद संगल को अपने साथ ले आयेंगे कि तभी यह भेद खुल गया कि डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन का ऑफर तो वह पहले ही तीन-चार महिलाओं को दे चुके हैं । यह भेद खुलने के बाद अरविंद संगल की तरफ से शिवकुमार चौधरी को कोई उत्साहित करने वाला जबाव नहीं मिला, और शिवकुमार चौधरी के लिए भी यह मुश्किल हुआ कि अरविंद संगल के सामने वह अपने ऑफर को विश्वसनीय रूप दे सकें । डिस्ट्रिक्ट लायनेस चेयरपरसन के मामले में ही नहीं, बल्कि अन्य कई महत्वपूर्ण पदों के मामले में शिवकुमार चौधरी के सामने यही समस्या है । अगले लायन वर्ष के अपने गवर्नर-काल के अधिकतर महत्वपूर्ण पद वह पहले ही 'बेच' चुके हैं - जिन्हें वह दोबारा दोबारा 'बेचने' के प्रयास कर रहे हैं । लायन राजनीति में पद 'बेच' कर वोट खरीदने का फार्मूला बड़ा पुराना फार्मूला है - शिवकुमार चौधरी ने भी इस फार्मूले को अपनाया; उनके सामने समस्या लेकिन यह पैदा हुई कि पदों का सौदा तो वह पहले ही कर चुके हैं । लोगों के बीच चर्चा है कि वह चार-पाँच लोगों को तो वह कैबिनेट सेक्रेटरी ही बना चुके हैं । उल्लेखनीय है कि लायंस इंटरनेशनल सिर्फ एक कैबिनेट सेक्रेटरी को ही मान्यता देता है; कुछेक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर लेकिन पैसा उगाहने के लिए एक से अधिक कैबिनेट सेक्रेटरी बना लेते/देते हैं । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर 'जानते' हैं कि लोग डिस्ट्रिक्ट डायरेक्टरी में अपना नाम/फोटो छपा देखने के लिए इतने उत्साहित होते हैं कि उन्हें 'शिकारपुर का' बनाना बड़ा आसान होता है । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में अपनी धाक जमाने के लिए शिवकुमार चौधरी ने भी यही आसान रास्ता चुन लिया है ।
इस आसान रास्ते को अपनाने के मामले में शिवकुमार चौधरी के सामने किंतु बड़ी मुसीबत यह आ रही है कि डिस्ट्रिक्ट में लोग यह जानते हैं कि वह अपने गवर्नर-काल के अधिकतर महत्वपूर्ण पद 'बेच' चुके हैं, और पैसा भी बसूल कर चुके हैं - लिहाजा अब लोग आसानी से उनके झाँसे में नहीं आ रहे हैं । इससे भी बड़ी समस्या है कि अब जिन लोगों को जो भी और जैसे भी पद मिल भी रहे हैं, वह पद के बदले में माँगे जा रहे पैसे देने से बचने की कोशिश कर रहे हैं । लोगों का कहना है कि शिवकुमार चौधरी उनका वोट पाने/लेने के लिए उन्हें पद दे रहे हैं, इसलिए पैसे की उम्मीद क्यों कर रहे हैं ? शिवकुमार चौधरी पैसा छोड़ने को भी तैयार नहीं दिख रहे हैं । इस चक्कर में उन्हें फिलहाल पद लेने वाले लोग मिल नहीं पा रहे हैं । हालाँकि वह आश्वस्त हैं कि डिस्ट्रिक्ट में 'शिकारपुर के' लोगों की कमी नहीं है, उन्हें ऐसे लोग अवश्य ही मिलेंगे जो पद के बदले में पैसा भी देंगे और वोट भी देंगे । यह देखना सचमुच दिलचस्प होगा कि शिवकुमार चौधरी के हाथों कौन कौन 'शिकारपुर का' बनता है ?