Thursday, January 7, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में सोनीपत वाले दीपक कुमार गुप्ता की बनी बुरी चुनावी-गत ने गाजियाबाद वाले दीपक गुप्ता की मुसीबतों को बढ़ाने का काम तो किया ही है

सोनीपत । मुकेश अरनेजा के चक्कर में सोनीपत वाले दीपक कुमार गुप्ता की जैसी चुनावी दुर्गति हुई है, उसने गाजियाबाद वाले दीपक गुप्ता तथा उनके समर्थकों को बुरी तरह डरा दिया है । उल्लेखनीय है कि सोनीपत वाले दीपक कुमार गुप्ता ने इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत की थी, जिसमें वह अपनी जमानत तक नहीं बचा सके और बुरी तरह चुनाव हारे । चुनाव में उनकी बुरी स्थिति का अंदाजा इस तथ्य से लगाया जा सकता है कि कुल पड़े वैध 23 हजार 28 वोटों में से दीपक कुमार गुप्ता को मात्र 196 वोट मिले । दीपक कुमार गुप्ता की यह शर्मनाक पराजय खबर इसलिए नहीं है कि उन्हें कुल पड़े वोटों में एक प्रतिशत से भी कम वोट मिले - उनकी पराजय खबर इसलिए है क्योंकि अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए उन्होंने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स पर भरोसा करने की बजाए मुकेश अरनेजा पर भरोसा करने की मूर्खता की । दीपक कुमार गुप्ता चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की सोनीपत ब्रांच के चेयरमैन रहे हैं, इस नाते उम्मीद की जाती है कि चार्टर्ड एकाउंटेंट्स की चुनावी राजनीति के अंदरूनी समीकरणों की उन्हें इतनी समझ तो होगी ही कि वह मुकेश अरनेजा की बातों में न फँसते । दीपक कुमार गुप्ता लेकिन मुकेश अरनेजा की बातों में फँसे और ऐसा फँसे कि चारों खाने चित्त होकर धूल फाँकने की स्थिति को प्राप्त हुए । 
उल्लेखनीय है कि दीपक कुमार गुप्ता के सामने चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट की नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के लिए समर्थन जुटाने के लिए बेहतर विकल्प थे । दिलचस्प संयोग रहा कि जिस समय दीपक कुमार गुप्ता को नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के लिए प्रस्तुत अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में अभियान चलाना था, उसी समय उनके रोटरी डिस्ट्रिक्ट में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अभियान चला रहे चार उम्मीदवारों में से तीन - अशोक गर्ग, प्रवीन निगम और सुभाष जैन ऑडीटर फर्म के पार्टनर थे । दीपक कुमार गुप्ता अपने चुनाव में फायदा लेने के लिए इन तीनों के साथ और/या इनमें से किसी एक के साथ जुड़ सकते थे । ऑडीटर फर्म के पार्टनर के रूप में यह दीपक कुमार गुप्ता के लिए उपयोगी साबित हो सकते थे । दीपक कुमार गुप्ता ने लेकिन इनसे जुड़ने की और इन पर भरोसा करने की बजाए मुकेश अरनेजा पर भरोसा किया । दरअसल मुकेश अरनेजा उन्हें यह समझाने में कामयाब रहे कि वह उन्हें रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन दिलवायेंगे; और सिर्फ दिल्ली के ही नहीं हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश के रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन भी उनके लिए जुटायेंगे । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में दिल्ली के साथ साथ हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश भी आता है; लिहाजा जाहिर है कि इन प्रदेशों के चार्टर्ड एकाउंटेंट्स भी नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के उम्मीदवारों के लिए वोट डालते हैं । मुकेश अरनेजा 'फेंकने' की कला के तो उस्ताद खिलाड़ी हैं ही; इस कला की अपनी उस्तादी का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने दीपक कुमार गुप्ता को समझाया कि तुम तो जानते ही हो कि मेरे तो दिल्ली के साथ साथ हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश के रोटेरियंस के साथ कैसे नजदीकी संबंध हैं; और इन चारों राज्यों में करीब ढाई-तीन हजार रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स हैं - जिनके वोट तो मैं तुम्हें घर बैठे ही दिलवा दूँगा; तुम्हें कहीं किसी और के पास जाने की और कुछ करने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी । 
यह ऑफर यूँ तो हर किसी को अच्छा लगेगा, लेकिन जो लोग मुकेश अरनेजा की 'असलियत' को जानते/पहचानते हैं - उनसे तो उम्मीद की ही जाती है कि वह मुकेश अरनेजा के 'फेंकने' में नहीं फँसेंगे । इसके बावजूद दीपक कुमार गुप्ता उनके झाँसे में फँसे । दीपक कुमार गुप्ता लंबे समय से रोटरी में सक्रिय हैं, और मुकेश अरनेजा के बड़े नजदीक रहे हैं - इसके बावजूद वह मुकेश अरनेजा की 'असलियत' से परिचित नहीं हो सके हैं और उनके झाँसे में फँसे, तो उनसे किसी को हमदर्दी भी नहीं है । मुकेश अरनेजा खुशकिस्मत हैं कि उनकी सारी पोल-पट्टी जगजाहिर है, लेकिन फिर भी कुछ अंधभक्त लुटने-पिटने के लिए उन्हें मिल ही जाते हैं । मुकेश अरनेजा ने दीपक कुमार गुप्ता को जो सब्जबाग दिखाए, वह दरअसल अपना काम निकालने के उद्देश्य से दिखाए; उन्हें गाजियाबाद वाले दीपक गुप्ता को दिखाना था कि सोनीपत वाला उनका पट्ठा उनके साथ बना हुआ है । अब 'पट्ठा' यदि मूर्ख बन रहा है, तो इसमें मुकेश अरनेजा की भला क्या गलती है ? दीपक कुमार गुप्ता को रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन दिलवाने की मुकेश अरनेजा की झाँसा-पट्टी का असली हाल यह रहा कि हरियाणा, पंजाब व हिमाचल प्रदेश तो छोड़िये - दिल्ली तक में रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स का समर्थन दीपक कुमार गुप्ता को नहीं मिला । मुकेश अरनेजा के नजदीकी के रूप में देखे/पहचाने जाने वाले रोटेरियन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स तक दीपक कुमार गुप्ता की बजाए नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के दूसरे उम्मीदवारों के समर्थन में देखे जा रहे थे । जाहिर है कि मुकेश अरनेजा ने अपना काम निकालने के लिए दीपक कुमार गुप्ता को जमकर उल्लू बनाया । 
दीपक कुमार गुप्ता की शर्मनाक पराजय ने, जिसमें कि वह एक प्रतिशत से भी कम वोट पाने के कारण अपनी जमानत तक नहीं बचा सके हैं, दो दिन बाद होने वाले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव को दिलचस्प बना दिया है । दीपक गुप्ता के समर्थकों के बीच डर पैदा हुआ है कि मुकेश अरनेजा के 'फेंकने' में फँसने से दीपक कुमार गुप्ता की जो फजीहत हुई है, उसके कारण अब वह मुकेश अरनेजा से बदला लेना चाहेंगे तथा इसके लिए वह दीपक गुप्ता के समर्थन से पीछे हटेंगे । मुकेश अरनेजा हालाँकि अभी भी दीपक गुप्ता के समर्थकों को आश्वस्त कर रहे हैं कि दीपक कुमार गुप्ता उनके पक्के वाले चेले हैं; आप देखियेगा कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में वह उनके साथ सक्रिय नजर आयेंगे । नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के चुनाव में मुकेश अरनेजा की झाँसा-पट्टी में आकर अपनी फजीहत कराने वाले दीपक कुमार गुप्ता, दीपक गुप्ता के समर्थकों के डर को सच साबित करेंगे या मुकेश अरनेजा के भरोसे को - यह तो दस जनवरी को ही पता चलेगा; लेकिन चार्टर्ड एकाउंटेंट्स इंस्टीट्यूट के चुनाव में सोनीपत वाले दीपक कुमार गुप्ता की बनी बुरी गत ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में गाजियाबाद वाले दीपक गुप्ता की मुसीबतों को बढ़ाने का काम तो कर ही दिया है ।