Wednesday, May 25, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3011 में हिसाब-किताब में गड़बड़ी के आरोपों के लिए सुरेश गुलाटी व सुशील मल्होत्रा को जिम्मेदार ठहरा कर डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकियों ने मामले को और गंभीर बना दिया है

नई दिल्ली । डॉक्टर सुब्रमनियम की पेम में हुए खर्चे का बोझ जबर्दस्ती क्लब पर डालने के मामले में डॉक्टर सुब्रमनियम के अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल में खासा बबाल हो गया है । बात सिर्फ पचास हजार रुपयों की है । क्लब के अध्यक्ष सुनील मुटनेजा चाहते हैं कि पेम के आयोजन में खर्च का घाटा पूरा करने के लिए उन्होंने क्लब की तरफ से जो पचास हजार रुपए डॉक्टर सुब्रमनियम को दिए, उसे क्लब का बोर्ड मंजूरी दे और इन पचास हजार रुपयों को क्लब के खर्च के रूप में मान्यता दे । क्लब के लोगों का कहना है कि क्लब के दूसरे पदाधिकारियों से विचार-विमर्श किए बिना सुनील मुटनेजा ने जिस मनमाने तरीके से पैसे पेम के लिए दे दिए, उसे मंजूर नहीं किया जा सकता है - सुनील मुटनेजा को समझना चाहिए कि भले ही वह क्लब के अध्यक्ष हैं, लेकिन क्लब के पैसे को वह मनमाने तरीके से खर्च नहीं कर सकते हैं । डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकी इस सारे झमेले के लिए क्लब के वरिष्ठ सदस्य सुरेश गुलाटी को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं । उनका कहना है कि सुरेश गुलाटी चूँकि डॉक्टर सुब्रमनियम से खफा हैं, इसलिए वह तरह तरह से डॉक्टर सुब्रमनियम के काम में रोड़े डालने तथा डॉक्टर सुब्रमनियम व उनके नजदीकियों को परेशान व बदनाम करने/कराने में लगे हुए हैं । क्लब के दूसरे कुछेक लोगों का कहना लेकिन यह है कि सुरेश गुलाटी जैसे वरिष्ठ सदस्य को निशाना बना कर डॉक्टर सुब्रमनियम व उनके साथी मामले को राजनीतिक रंग देने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि उनकी नाकामियों व बेवकूफियों पर पर्दा पड़ा रहे । सुरेश गुलाटी, डॉक्टर सुब्रमनियम से खफा हैं या नहीं हैं, इस बात का मामले से कोई लेना-देना ही नहीं है - मामला क्लब के बोर्ड का है, और सुरेश गुलाटी तो बोर्ड में हैं भी नहीं ! डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकी लेकिन सुरेश गुलाटी को बख़्शने के मूड में नहीं हैं । उनका कहना है कि सुरेश गुलाटी अक्सर यह शिकायत करते हुए सुने गए हैं कि डॉक्टर सुब्रमनियम जब उम्मीदवार थे, तब तो उनकी मदद लेने के लिए उनकी खुशामद किया करते थे - लेकिन अब उन्हें पूछते और पहचानते तक नहीं हैं । सुरेश गुलाटी की इस शिकायत को आधार बना कर ही डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकियों का कहना है कि क्लब में डॉक्टर सुब्रमनियम के खिलाफ जो कुछ हो रहा है, उसे सुरेश गुलाटी ही हवा दे रहे हैं ।
डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकियों ने सुरेश गुलाटी के साथ साथ क्लब के एक अन्य वरिष्ठ सदस्य सुशील मल्होत्रा को भी निशाने पर लिया हुआ है : उनका कहना है कि सुशील मल्होत्रा ने क्लब पर बोझ बने पेम में खर्च हुए पचास हजार अपनी तरफ से देने का वायदा किया था, लेकिन अब वह अपने वायदे को पूरा करने से पीछे हट रहे हैं । क्लब में चर्चा है कि सुशील मल्होत्रा ने रवि चौधरी के गवर्नरी वाले वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने का मन बनाया हुआ है । इसकी तैयारी के तहत उन्होंने डॉक्टर सुब्रमनियम से उम्मीद की हुई है कि अपने गवर्नर-काल के विभिन्न आयोजनों में वह उन्हें आगे आगे रखेंगे, जिससे कि उन्हें डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी पहचान बनाने का मौका मिलेगा - और यह मौका पाने के लिए ही उन्होंने क्लब पर बोझ बने पेम में खर्च हुए पचास हजार रुपए का बोझ उठाने का जिम्मा ले लिया था । बाद में सुशील मल्होत्रा ने लेकिन पाया कि डॉक्टर सुब्रमनियम उन्हें आगे आने/रहने का कोई मौका ही नहीं दे रहे हैं - लिहाजा उन्होंने भी उक्त पचास हजार रुपए देने में दिलचस्पी नहीं ली । क्लब के सदस्यों को बात सही भी लगती है - उनका कहना है कि डॉक्टर सुब्रमनियम ने जब सुशील मल्होत्रा के साथ एक 'सौदा' किया, तो सौदे की अपनी जिम्मेदारी का भी उन्हें निर्वाह करना चाहिए; और यदि वह अपनी जिम्मेदारी नहीं निभा रहे हैं, तो उन्हें सुशील मल्होत्रा से भी जिम्मेदारी निभाने की उम्मीद नहीं रखना चाहिए ।
डॉक्टर सुब्रमनियम पर दरअसल सबसे गंभीर आरोप ही यह है कि वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी जिम्मेदारी तो निभाना नहीं चाहते हैं, और दूसरों पर उन्हें विश्वास में लिए बिना ही जिम्मेदारी थोप देते हैं - नतीजे में उन्हें भी लोगों का सहयोग नहीं मिल पाता है, और आयोजनों का भट्टा बैठ जाता है । डॉक्टर सुब्रमनियम खुद कोई दिलचस्पी लेते नहीं हैं, तथा अपने नजदीकियों पर जिम्मेदारी छोड़ देते हैं - जिन पर कार्यक्रमों की आड़ में पैसे बनाने तक के गंभीर आरोप लग रहे हैं । पेम के हिसाब-किताब को लेकर भी आरोप हैं । क्लब के लोगों का कहना है कि पेम में पचास हजार के जिस घाटे की पूर्ति क्लब से की गई है, उसका वास्तविक उपयोग डॉक्टर सुब्रमनियम के कुछेक नजदीकियों की जेबें भरने में किया गया है । इस आरोप को तब और बल मिला, जब डॉक्टर सुब्रमनियम ने पेम का हिसाब देने/दिखाने से साफ मना कर दिया । हाल ही में एक ही दिन आयोजित हुए लिटरेसी ट्रेनिंग प्रोग्राम तथा डिस्ट्रिक्ट ग्रांट्स मैनेजमेंट सेमीनार को लेकर भी लोगों के बीच आरोप सुने गए । एक ही दिन दो कार्यक्रमों को आयोजित करने के फैसले को अव्यावहारिक माना/बताया गया, और इसीलिए इनमें ज्यादा लोगों की भागीदारी संभव नहीं हो सकी । उल्लेखनीय है कि लिटरेसी ट्रेनिंग प्रोग्राम के लिए तो रोटरी इंटरनेशनल से पैसे मिलते हैं - आरोप लगा/सुना गया है कि भागीदारों की संख्या को गड़बड़ी करके ज्यादा दिखाया गया और रोटरी इंटरनेशनल से ज्यादा पैसे ले लिए गए हैं । डॉक्टर सुब्रमनियम के अपने क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली सेंट्रल में लोगों को ऐतराज इस बात पर है कि डॉक्टर सुब्रमनियम जब तब खर्चों का बोझ तो क्लब पर डाल देते हैं, किंतु किसी भी कार्यक्रम का हिसाब माँग लो - तो कन्नी काट जाते हैं । हिसाब-किताब को लेकर उठते सवालों का जबाव देने से बचने की कोशिश में डॉक्टर सुब्रमनियम के नजदीकियों ने जिस तरह से क्लब के वरिष्ठ सदस्य सुरेश गुलाटी को घसीट लिया है, उसके कारण मामला और गर्म व गंभीर हो गया है ।