Monday, May 2, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के उम्मीदवार संजीवा अग्रवाल के दूर दूर रहने के रवैये ने शिव कुमार चौधरी के सामने संकट पैदा किया

गाजियाबाद । संजीवा अग्रवाल ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार सँभालने जा रहे शिव कुमार चौधरी तथा उनके नजदीकियों से जो दूरी बनाई और 'दिखाई' हुई है, उसने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को दिलचस्प दोराहे पर खड़ा कर दिया है । संजीवा अग्रवाल अगले लायन वर्ष में सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं, और इस तैयारी के तहत उन्होंने अपनी सक्रियता व संलग्नता को संयोजित किया हुआ है । इसी नाते से उम्मीद की जाती है कि एक उम्मीदवार के रूप में संजीवा अग्रवाल अपनी उम्मीदवारी वाले वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर बैठे शिव कुमार चौधरी के नजदीक रहने की कोशिश करेंगे, ताकि उनका समर्थन और सहयोग भी उन्हें मिल सके । संजीवा अग्रवाल का रवैया लेकिन बिलकुल उल्टा है । शिव कुमार चौधरी के नजदीक रहने की बजाए संजीवा अग्रवाल उनसे दूर रहने ही नहीं, बल्कि दूर 'दिखने' का भी काम कर रहे हैं । हद तो यह हुई कि गाजियाबाद में हुए डिस्ट्रिक्ट ऑफिस के उद्घाटन अवसर पर भी संजीवा अग्रवाल उपस्थित नहीं हुए । इस मौके पर गाजियाबाद के हालाँकि और भी कई प्रमुख व सक्रिय रहने वाले लायन सदस्य उपस्थित नहीं हुए, किंतु संजीवा अग्रवाल की अनुपस्थिति का लोगों ने खास नोटिस लिया । यूँ भी दूसरे लोग उपस्थित हों या न हों, उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता है - किंतु सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का उम्मीदवार ऐसे किसी आयोजन में यदि गायब दिखे, तो लोगों के बीच सवाल तो उठेंगे ही । सवाल उठे तो शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों ने संजीवा अग्रवाल की अनुपस्थिति का ठीकरा मुकेश गोयल के सिर फोड़ दिया । उनका आरोप रहा कि मुकेश गोयल ने संजीवा अग्रवाल को शिव कुमार चौधरी के आयोजन से दूर रहने के लिए कहा था, और संजीवा अग्रवाल इसीलिए उक्त कार्यक्रम में नहीं पहुँचे ।
उल्लेखनीय है कि संजीवा अग्रवाल को मुकेश गोयल के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है, और अभी मुकेश गोयल व शिव कुमार चौधरी के बीच शीत-युद्ध जैसी स्थिति है - इसलिए डिस्ट्रिक्ट ऑफिस के उद्घाटन अवसर पर संजीवा अग्रवाल की अनुपस्थिति को लेकर शिव कुमार चौधरी के नजदीकियों ने जो कारण बताया, उसे कई लोगों ने स्वीकार भी कर लिया । हालाँकि कुछेक लोगों को यह जरूर लगा कि मुकेश गोयल ने संजीवा अग्रवाल को कार्यक्रम में जाने से मना किया, वह तो ठीक है - लेकिन संजीवा अग्रवाल ने उनकी ऐसी बात क्यों मानी, जिससे कि उनकी उम्मीदवारी को नुकसान हो सकता है ? अभी तक माना/समझा जा रहा था कि संजीवा अग्रवाल ने अपनी उम्मीदवारी भले ही मुकेश गोयल के भरोसे प्रस्तुत की है, लेकिन वह दूसरे लोगों का सहयोग-समर्थन भी लेने का प्रयास करेंगे - जिससे कि उनकी नाव निर्विरोध रूप से किनारे लग जाए । इसी नाते से उम्मीद की जा रही थी कि वह शिव कुमार चौधरी के साथ भी अपने तार जोड़ कर रखेंगे । शिव कुमार चौधरी के साथ उनके चूँकि कुछेक बिजनेस रिलेशन रहे हैं, इसलिए उनके लिए तार जोड़े रखना आसान भी होता । लेकिन डिस्ट्रिक्ट ऑफिस के उद्घाटन अवसर पर अनुपस्थित होकर संजीवा अग्रवाल ने फिलहाल तो यही दिखाया है कि अपने चुनाव के संदर्भ में वह सिर्फ और सिर्फ मुकेश गोयल पर भरोसा कर रहे हैं ।
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति से परिचित लोगों को संजीवा अग्रवाल के इस रवैये पर हैरानी है । उन्हें लग रहा है कि इस रवैये से तो संजीवा अग्रवाल अपने लिए मुश्किलों को जैसे आमंत्रित कर रहे हैं । शिव कुमार चौधरी राह में रोड़े बिछाने के लिए यूँ भी बदनाम हैं; उन्होंने जब विनय मित्तल को नहीं छोड़ा - जिन्होंने हमेशा हर तरह से उनकी मदद ही की, तो संजीवा अग्रवाल विरोधी तेवर दिखा कर उनसे भला कैसे बच सकेंगे ? मजे की बात लेकिन यह है कि दूसरों को भले ही यह आशंका हो, लेकिन संजीवा अग्रवाल के नजदीकियों को शिव कुमार चौधरी के रवैये का कोई डर नहीं है । संजीवा अग्रवाल के क्लब के लोगों का कहना है कि राजनीतिक मुकाबला चाहें जैसा जो हो, शिव कुमार चौधरी और उनके संगी-साथी लेकिन उस तरह की विरोधी हरकतें संजीवा अग्रवाल के साथ नहीं कर पायेंगे, जैसी उन्होंने विनय मित्तल के साथ कीं । संजीवा अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि उन्होंने दोनों तरह से स्थितियों का आकलन किया है - और पाया है कि शिव कुमार चौधरी के नजदीक रहने में ज्यादा नुकसान है; इसलिए उन्होंने उनसे दूरी बना कर रहने का फैसला किया है । यह आकलन उन्होंने रेखा गुप्ता के अनुभव व उनकी बातों के आधार पर किया है । उम्मीदवारी के चक्कर में रेखा गुप्ता के जो अनापशनाप पैसे खर्च हुए हैं, वह तो हुए ही - पाँच/सात लाख रुपए तो उनके 'चोरी' हुए हैं । यह 'चोरी' हुए रुपए उनकी उम्मीदवारी के किस समर्थक की जेब में गए या किन किन समर्थकों के बीच बंटे, इसका खुलासा तो रेखा गुप्ता की तरफ से नहीं हुआ है - लेकिन उनकी इस तरह की शिकायतों ने संजीवा अग्रवाल को जरूर सावधान कर दिया है । इसी सावधानी में संजीवा अग्रवाल ने शिव कुमार चौधरी से दूर रहने का निश्चय किया है ।
संजीवा अग्रवाल के इस निश्चय में लोगों के बीच दो तरह के मत आ रहे हैं : कुछेक लोगों को लग रहा है कि इसके चलते शिव कुमार चौधरी उनका विनय मित्तल जैसा हाल करेंगे, वह उनकी संभावित जीत को तो भले ही प्रभावित न कर सकें - लेकिन उनके लिए चुनाव मुश्किलों भरा जरूर बना देंगे; अन्य कुछेक लोगों का कहना किंतु यह है कि संजीवा अग्रवाल चूँकि लायंस क्लब गाजियाबाद के सदस्य हैं, इसलिए शिव कुमार चौधरी और उनके संगी-साथी संजीवा अग्रवाल के साथ विनय मित्तल जैसा बर्ताब नहीं कर सकेंगे । लायंस क्लब गाजियाबाद में संजीवा अग्रवाल के नजदीकियों का कहना है कि शिव कुमार चौधरी को लायंस क्लब गाजियाबाद की 'ताकत' का अंदाजा है, और इस कारण से वह संजीवा अग्रवाल से नाहक ही पंगा नहीं लेंगे । उनका कहना है कि शिव कुमार चौधरी इतनी समझ तो रखते ही हैं कि वह तय करें कि उन्हें कब कहाँ क्या करना है । इस बात को वह एक उदाहरण बता कर साबित करते हैं : इस बार के चुनाव में कुछेक खबरों से नाराज होकर शिव कुमार चौधरी ने ऐलान किया था कि वह फलाँ तारीख को विरोधी पक्ष के कुछेक पूर्व गवर्नर्स के चाल-चलन की पोल खोलेंगे । विरोधी पक्ष की तरफ से भी जबाव आया कि शिव कुमार चौधरी ने यदि कोई बकवास की तो वह भी लोगों को बतायेंगे कि लायनिज्म में उन्होंने किस किस के पैसे मारे हुए हैं । दोनों तरफ से इस तरह की बयानबाजी के चलते लोगों ने तमाशा देखने की तैयारी शुरू कर दी । किंतु तमाशे का शोर तो बहुत हुआ, मगर तमाशा न हुआ । विरोधी पक्ष के कुछेक पूर्व गवर्नर्स के चाल-चलन की पोल खोलने के लिए शिव कुमार चौधरी ने जिस तारीख की घोषणा की थी, वह तारीख निकल गई - और पूरा चुनाव निकल गया, लेकिन शिव कुमार चौधरी ने वह काम किया ही नहीं, जिसे करने की उन्होंने जोरशोर से घोषणा की थी । दरअसल उन्होंने समझ लिया था कि जिस खेल को वह खेलने की बात कर रहे हैं, वह खेल उलटे कहीं उनपर ही चोट न करे - इसलिए फिर अपनी ही घोषणा से पीछे हटने में उन्होंने अपनी भलाई समझी । इस उदाहरण को देते हुए लायंस क्लब गाजियाबाद के लोगों का दावा है कि शिव कुमार चौधरी दूरी बनाए रखने के संजीवा अग्रवाल के रवैये पर भड़कें चाहें जितना, लेकिन उनके साथ वह उस तरह की हरकत नहीं कर सकेंगे - जैसी उन्होंने विनय मित्तल के साथ की । संजीवा अग्रवाल के रवैये ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को सचमुच दिलचस्प दोराहे पर ला खड़ा किया है ।