नई
दिल्ली । शरत जैन की डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में मुख्य अतिथि के रूप में
आमंत्रित पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर को शरत जैन के खिलाफ जिस
तरह की शिकायतें मिली हैं तथा मिल रही हैं, उन्हें सुन/जान कर मुख्य अतिथि
के रूप में दिए जाने वाले अपने भाषण के नोट्स बनाने में उन्हें समस्या आ रही है । उनके
लिए एक साथ मजे की और मुसीबत की बात यह हुई कि अपने प्रस्तावित भाषण के
नोट्स तैयार करने हेतु उन्होंने डिस्ट्रिक्ट के हाल-चाल जानने के लिए अपने
कुछेक परिचितों से बात की, तो उनके सामने शिकायतों का जैसे पिटारा खुल गया ।
पीटी प्रभाकर को जो कुछ भी कहा/बताया गया उसका निचोड़ कुल मिलाकर यह निकला
कि शरत जैन एक कठपुतली गवर्नर साबित होने जा रहे हैं, और उनकी गर्दन पूरी
तरह डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर रमेश अग्रवाल के हाथों में फँसी हुई है -
इस कारण से डिस्ट्रिक्ट में हर स्तर पर व्यापक असंतोष पैदा हुआ है । लोगों
का आरोप है कि रमेश अग्रवाल के साथ मिलीभगत करके शरत जैन ने डिस्ट्रिक्ट
के हर मौके का न सिर्फ मनमाना इस्तेमाल करना शुरू कर दिया है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को किनारे/ठिकाने लगाने का काम भी शुरू
किया हुआ है । डिस्ट्रिक्ट के दूसरे लोगों को तो शरत जैन व रमेश अग्रवाल से
शिकायतें हैं हीं, उनके क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली अशोका के सदस्यों के बीच
भी इनकी कारस्तानियों के प्रति नाराजगी व शिकायतें सुनी जाने लगी हैं ।
क्लब के सदस्यों की नाराजगी के निशाने पर इन दोनों के साथ साथ अशोक जैन भी
आ गए हैं, और क्लब के सदस्यों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी पद की उम्मीदवारी की आड़ में अशोक जैन भी क्लब के सदस्यों पर मनमानी
थोपने लगे हैं । रमेश अग्रवाल, शरत जैन व अशोक जैन की तिकड़ी ने डिस्ट्रिक्ट
असेम्बली के नाम पर अपने ही क्लब के सदस्यों से पैसे ऐंठने की जो कोशिश की है, उसके चलते क्लब के तमाम सदस्यों का गुस्सा और भड़का हुआ है ।
शरत जैन और रमेश अग्रवाल को लेकर मिली शिकायतों के कारण पीटी प्रभाकर भारी गफलत में हैं : आयोजन
के मुख्य अतिथि होने के नाते उनका धर्म है कि उनके मेजबान की हरकतें चाहें
जैसी भी हों, उन्हें उन पर बात नहीं करना चाहिए और मेजबान की तारीफ ही
करना चाहिए - भले ही सब जान रहे हों कि यह तारीफ झूठी ही है; लेकिन एक लीडर
होने के नाते पीटी प्रभाकर के सामने लोगों के बीच अपनी यह छवि बनाने की
जिम्मेदारी भी है कि वह सब जानते हैं और गलत बात को गलत कहने का साहस रखते
हैं । पीटी प्रभाकर के सामने समस्या की बात यह है कि मुख्य अतिथि के
रूप में उन्हें 'सुनने' वाले लोग डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन व उनके
डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रमेश अग्रवाल की कारस्तानियों की शिकायतों से भरे बैठे
होंगे, और उम्मीद कर रहे होंगे कि पीटी प्रभाकर उन्हें आश्वस्त करें कि
रोटरी में इन दोनों की पक्षपातपूर्ण घटिया हरकतें स्वीकार नहीं होंगी;
लेकिन पीटी प्रभाकर खुद मेजबान की भूमिका निभा रहे इन दोनों के प्रति अपने
मुख्य अतिथि के 'धर्म' से भी बँधे होंगे । शरत जैन और रमेश अग्रवाल
वास्तव में इसीलिए आश्वस्त भी हैं कि पीटी प्रभाकर को उनकी कारस्तानियों के
चाहें कितने ही किस्से बता/सुना दिए गए होंगे, किंतु डिस्ट्रिक्ट असेम्बली
में मुख्य अतिथि के रूप में पीटी प्रभाकर उनकी भद्द नहीं उड़ायेंगे और उनकी
कारस्तानियों पर चुप ही रहेंगे ।
डिस्ट्रिक्ट असेम्बली
में पीटी प्रभाकर भले ही चुप रहें, किंतु डिस्ट्रिक्ट में शरत जैन के
प्रति नाराजगी व विरोध जिस तरह से बढ़ता जा रहा है - डिस्ट्रिक्ट के लिए उसे
कोई अच्छा संकेत नहीं माना जा रहा है । लोग हालाँकि मान रहे हैं और कह रहे
हैं कि शरत जैन बेचारे रमेश अग्रवाल व अशोक जैन के चक्कर में फँस गए हैं,
और उनके चक्कर में अपनी फजीहत करा रहे हैं । शरत जैन को जो लोग नजदीक से
जानते हैं, वह हैरान हैं कि शरत जैन तो होशियार व क्षमतावान व्यक्ति हैं,
फिर पता नहीं किस मजबूरी में वह रमेश अग्रवाल के हाथों की कठपुतली बन बैठे
हैं ? लोगों को इससे भी ज्यादा हैरानी इस बात पर है कि शरत जैन सिर्फ रमेश
अग्रवाल के हाथों ही नहीं, बल्कि अशोक जैन के हाथों भी इस्तेमाल हो रहे
हैं । अशोक जैन उन्हें जैसी जो पट्टी पढ़ा देते हैं, शरत जैन उसे वैसे
ही पढ़ लेते हैं । डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के एजेंडे से लोगों को पता चला है
कि असेम्बली में रमेश अग्रवाल को तो तीन-चार बार अलग अलग बहानों से लोगों
के सामने मंच पर आने का मौका मिलेगा, किंतु बाकी पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर्स को कोई मौका नहीं मिलेगा । मुकेश अरनेजा को कोई मौका नहीं मिलेगा,
इसके पीछे तो चलो मुकेश अरनेजा के प्रति रमेश अग्रवाल की निजी खुन्नस को
कारण माना जा सकता है - किंतु बाकी पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को भी
डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में कोई तवज्जो न मिलने की बात पर लोगों को खासी
हैरानी है । इसी तरह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवारों के
मामले में पक्षपात किया गया है - अशोक जैन के लिए तो लोगों के सामने मंच पर
आने का मौका 'बनाया' गया है, किंतु अन्य उम्मीदवारों को पर्दे के पीछे
रखने का ही इंतजाम किया गया है । इस तरह की बातों से शरत जैन को लोगों की नाराजगी व आलोचनाओं का ज्यादा शिकार होना पड़ रहा है ।
शरत जैन को सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती लेकिन अपने ही क्लब में मिल रही है । डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की व्यवस्था चूँकि इनका ही क्लब देख रहा है - इसलिए रजिस्ट्रेशन की रकम क्लब के खाते में ही आ रही है; लेकिन खाते में आने वाली रकम और खर्चे के डिटेल्स यह किसी को बताने के लिए तैयार नहीं हैं । क्लब के सदस्यों को डिटेल्स इसलिए चाहिए क्योंकि शरत जैन और रमेश अग्रवाल ने असेम्बली में घाटा होने की स्थिति में क्लब के सदस्यों से पैसे बसूलने की बात कही है । क्लब के सदस्यों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की जिम्मेदारी जब अशोक जैन की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ली गई है, तो अतिरिक्त खर्चा अशोक जैन से ही लिया जाना चाहिए - उसका बोझ क्लब के सदस्यों को क्यों उठाना चाहिए ? क्लब के सदस्यों का कहना है कि शरत जैन पहले उनके इस तर्क से सहमत थे, लेकिन रमेश अग्रवाल के दबाव में उन्होंने फिर पलटी मार ली । अशोक जैन ने जो हिसाब समझाया, शरत जैन ने उसे फिर वैसे ही मान लिया । इस मामले में क्लब के सदस्यों का गंभीर आरोप यह है कि शरत जैन और रमेश अग्रवाल इस बात को भी छिपा रहे हैं कि रजिस्ट्रेशन व स्पॉन्सरशिप से कितनी रकम इकट्ठा हुई है और किस किस मद में कितने कितने पैसे खर्च हो रहे हैं ? रोटरी की राजनीति से परिचित लोगों का मानना और कहना है कि इस तरह की हरकतों से शरत जैन की ज्यादा बदनामी और फजीहत हो रही है । शरत जैन से ऊँची ऊँची उम्मीदें लगाए हुए लोगों को शरत जैन की हालत पर तरस भी आ रहा है - उन्हें लग रहा है कि गवर्नर-काल शुरू होने से पहले ही शरत जैन की जिस तरह की बदनामी व फजीहत हो रही है, वह अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में शरत जैन की कारस्तानियों की खबरें पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर तक पहुँचने की बात से यह भी नजर आ रहा है कि शरत जैन की बदनामी अब सिर्फ डिस्ट्रिक्ट के भीतर की ही बात नहीं रह गई है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट की सीमाओं से बाहर निकल कर रोटरी के बड़े नेताओं तक पहुँच रही है । बदनामी की चादर शरत जैन को जितनी जल्दी मिल गई है, उतनी जल्दी उनसे पहले शायद ही किसी गवर्नर ने ओढ़ी हो !
शरत जैन को सबसे बड़ी और गंभीर चुनौती लेकिन अपने ही क्लब में मिल रही है । डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की व्यवस्था चूँकि इनका ही क्लब देख रहा है - इसलिए रजिस्ट्रेशन की रकम क्लब के खाते में ही आ रही है; लेकिन खाते में आने वाली रकम और खर्चे के डिटेल्स यह किसी को बताने के लिए तैयार नहीं हैं । क्लब के सदस्यों को डिटेल्स इसलिए चाहिए क्योंकि शरत जैन और रमेश अग्रवाल ने असेम्बली में घाटा होने की स्थिति में क्लब के सदस्यों से पैसे बसूलने की बात कही है । क्लब के सदस्यों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली की जिम्मेदारी जब अशोक जैन की उम्मीदवारी को फायदा पहुँचाने के उद्देश्य से ली गई है, तो अतिरिक्त खर्चा अशोक जैन से ही लिया जाना चाहिए - उसका बोझ क्लब के सदस्यों को क्यों उठाना चाहिए ? क्लब के सदस्यों का कहना है कि शरत जैन पहले उनके इस तर्क से सहमत थे, लेकिन रमेश अग्रवाल के दबाव में उन्होंने फिर पलटी मार ली । अशोक जैन ने जो हिसाब समझाया, शरत जैन ने उसे फिर वैसे ही मान लिया । इस मामले में क्लब के सदस्यों का गंभीर आरोप यह है कि शरत जैन और रमेश अग्रवाल इस बात को भी छिपा रहे हैं कि रजिस्ट्रेशन व स्पॉन्सरशिप से कितनी रकम इकट्ठा हुई है और किस किस मद में कितने कितने पैसे खर्च हो रहे हैं ? रोटरी की राजनीति से परिचित लोगों का मानना और कहना है कि इस तरह की हरकतों से शरत जैन की ज्यादा बदनामी और फजीहत हो रही है । शरत जैन से ऊँची ऊँची उम्मीदें लगाए हुए लोगों को शरत जैन की हालत पर तरस भी आ रहा है - उन्हें लग रहा है कि गवर्नर-काल शुरू होने से पहले ही शरत जैन की जिस तरह की बदनामी व फजीहत हो रही है, वह अपने आप में एक अनोखा उदाहरण है । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट के रूप में शरत जैन की कारस्तानियों की खबरें पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर पीटी प्रभाकर तक पहुँचने की बात से यह भी नजर आ रहा है कि शरत जैन की बदनामी अब सिर्फ डिस्ट्रिक्ट के भीतर की ही बात नहीं रह गई है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट की सीमाओं से बाहर निकल कर रोटरी के बड़े नेताओं तक पहुँच रही है । बदनामी की चादर शरत जैन को जितनी जल्दी मिल गई है, उतनी जल्दी उनसे पहले शायद ही किसी गवर्नर ने ओढ़ी हो !