Wednesday, May 4, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट असेम्बली से पहले हुई जेके गौड़ के क्लब की असेम्बली में शामिल होकर शरत जैन ने भी अपनी 'असलियत' दिखाई

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ अपने क्लब की असेम्बली को लेकर खुद तो भारी फजीहत का शिकार हो ही रहे हैं, साथ में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट शरत जैन तथा डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर रमेश अग्रवाल का भी मजाक बनवा दिया है । डिस्ट्रिक्ट के और रोटरी सर्किल के जानकारों के बीच इन तीनों की इस बात के लिए जबर्दस्त खिंचाई हो रही है कि इन्होंने रोटरी के पहले चैप्टर का यह बुनियादी सबक भी नहीं सीखा है क्या कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली से पहले क्लब की असेम्बली हो ही नहीं सकती है ? डिस्ट्रिक्ट असेम्बली अभी दस दिन बाद होगी, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ ने अपने क्लब की असेम्बली लेकिन उससे पंद्रह दिन पहले ही कर ली है । जेके गौड़ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर हैं, उनसे इतनी उम्मीद तो की ही जाती है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होते हुए वह अपने ही क्लब में रोटरी विरोधी यह हरकत नहीं होने देते । जेके गौड़ को कई लोग चूँकि 'अंधे के हाथ बटेर लगी' कहावत के अनुरूप डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी मिली मानते हैं, इसलिए उनकी बात जानें भी दें - तो शरत जैन को क्या हुआ ? शरत जैन को तो लोग बड़ा होशियार व कायदे-अनुसार काम करने वाले व्यक्ति के रूप में 'देखते' हैं, उन्होंने रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर के पदाधिकारियों तथा जेके गौड़ से यह क्यों नहीं कहा कि डिस्ट्रिक्ट असेम्बली से पहले क्लब की असेम्बली नहीं हो सकती है; यह कहना तो दूर की बात है, शरत जैन ने इस असेम्बली में अतिथि के रूप में शामिल होकर यही साबित किया कि रोटरी की समझ के मामले में वह भी उतने ही 'पैदल' हैं, जितने जेके गौड़ हैं । इस आलोचना में, इन दोनों के डिस्ट्रिक्ट ट्रेनर होने के नाते पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रमेश अग्रवाल भी आ घिरे हैं । लोगों का कहना है कि रमेश अग्रवाल माइक पकड़ कर रोटरी के बारे में ऐसा ऐसा ज्ञान बघारते हैं जैसे उनके शरीर में खून की बजाए रोटरी बहती हो - लेकिन वह अपने इन दो चेलों को रोटरी की एक बुनियादी बात नहीं सिखा सके, और इन दोनों को उन्होंने रोटरी का चीरहरण करने के लिए खुला छोड़ दिया है ।
उल्लेखनीय है कि रोटरी में असेम्बली का बड़ा महत्त्व है । असेम्बली वास्तव में रोटरी की जान है । यह असेम्बली ही है, जिसमें आने वाले वर्ष के लिए रोटरी का एजेंडा, उसके कार्यक्रम व उसके लक्ष्य निर्धारित होते हैं तथा उन्हें क्रियान्वित करने की रूप रेखा गहन विचार-विमर्श के साथ तैयार होती है । इसीलिए असेम्बली होने का क्रम इंटरनेशनल से क्लब की तरफ बढ़ता है : पहले इंटरनेशनल एसेम्बली होती है, जिसमें अगले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को प्रशिक्षित किया जाता है; फिर डिस्ट्रिक्ट असेम्बली होती है, जिसमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर क्लब्स के पदाधिकारियों को प्रशिक्षित करता है; और फिर उसके बाद क्लब्स की असेम्बली होती है, जिसमें क्लब के पदाधिकारी क्लब के दूसरे सदस्यों को अगले रोटरी वर्ष के एजेंडे के संबंध में प्रशिक्षित करते हैं और अगले रोटरी वर्ष के अपने कामकाज की योजना बनाते हैं । ऐसे में, यह सिर्फ नियम की और या व्यवस्था की ही बात नहीं है - बल्कि अक्ल की भी बात है कि क्लब की असेम्बली डिस्ट्रिक्ट असेम्बली के बाद होगी । क्लब के अगले रोटरी वर्ष के पदाधिकारी अपने कार्यकाल के रोटरी इंटरनेशनल के एजेंडे को लेकर क्लब के दूसरे सदस्यों के साथ तभी तो विचार-विमर्श कर पायेंगे, जब वह स्वयं अगले वर्ष के रोटरी के एजेंडे से परिचित होंगे - जिसका मौका उन्हें शरत जैन की डिस्ट्रिक्ट असेम्बली में ही मिलेगा ।
सोचिए, रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर के अगले रोटरी वर्ष के पदाधिकारियों का अगले रोटरी वर्ष के एजेंडे को लेकर अभी जब प्रशिक्षण हुआ ही नहीं है, तो उन्होंने अपने क्लब के सदस्यों के साथ क्लब की असेम्बली में क्या विचार विमर्श किया होगा ? जाहिर है कि असेम्बली के नाम पर उन्होंने पिकनिक ही मनाई होगी, और इस तरह रोटरी में असेम्बली जैसी महत्त्वपूर्ण व खूबसूरत अवधारणा को लागू करने वाले महान सोच के लोगों की खिल्ली ही उड़ाई होगी । संभव है कि क्लब के अगले रोटरी वर्ष के पदाधिकारियों को इसकी कोई जानकारी या समझ न हो; जानकारी या समझ के उनके अभाव को दूर करने की जिम्मेदारी क्लब के वरिष्ठ सदस्यों की होती है - रोटरी क्लब गाजियाबाद ग्रेटर में यह जिम्मेदारी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के नाते जेके गौड़ व डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेटर होने के नाते अशोक अग्रवाल को निभानी चाहिए थी । वैसे गलती इन बेचारों की भी नहीं है - क्योंकि इन्होंने रोटरी को पिकनिक मनाने व 'धंधा' करने वाले अड्डे से ज्यादा महत्त्व दिया ही नहीं है; असेम्बली का महत्त्व तो इन बेचारों ने खुद ही नहीं समझा; उसे वास्तव में इन्होंने यदि समझा होता, तब तो यह क्लब के नए पदाधिकारियों को डिस्ट्रिक्ट असेम्बली होने से पहले क्लब की असेम्बली करने से रोकते ?
जेके गौड़ की समय समय पर की गई हरकतों ने डिस्ट्रिक्ट व रोटरी को जिस तरह से बदनाम किया है, उसके बदले में उनकी खुद की काफी फजीहत होती रही है - जिसका नतीजा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर होने के बावजूद कोई भी उन्हें गंभीरता से नहीं लेता है, और रोटरी में उनकी स्थिति अलग-थलग व गई-गुजरी सी बन गई है । लेकिन शरत जैन को भी जेके गौड़ की ही राह पर चलते देख लोगों को आश्चर्य हुआ है । जेके गौड़ के क्लब की असेम्बली में शरत जैन के अतिथि के रूप में शामिल होने की जानकारी पर हैरान हो रहे लोगों को लगने लगा है कि शरत जैन भी जेके गौड़ जैसे ही हैं । इस मामले में हो रही आलोचना में जेके गौड़ के लिए राहत की बात यही है - वह इस बात से काफी परेशान रहे हैं कि उनकी तुलना में लोग शरत जैन को कुछ ज्यादा ही होशियार समझ रहे हैं; पर अब वह यह देख कर बहुत खुश हैं कि जैसी टोपी उनके सिर पर है, ठीक वैसी ही टोपी लोगों को शरत जैन के सिर पर भी नजर आने लगी है; और कुछेक लोगों को तो यह आशंका भी होने लगी है कि शरत जैन की पोलपट्टी जैसे जैसे खुल रही है तथा उनकी असलियत सामने आ रही है - कहीं ऐसा न हो कि वह जेके गौड़ से भी गए-गुजरे साबित हों ।