Sunday, May 1, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080, यानि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में प्रवीन चंद्र गोयल व डीसी बंसल को चुनाव जितवाने की जिम्मेदारी अब डेविड हिल्टन व रमन अनेजा को 'मिली'

चंडीगढ़ । प्रवीन चंद्र गोयल के समर्थन में कुल चौदह कॉन्करेंस मिल पाने से यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर की तिकड़ी के डिस्ट्रिक्ट पर कब्जा बनाए रखने के अभियान को तगड़ा झटका लगा है - और इस झटके के लिए इन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रमन अनेजा को कोसना शुरू कर दिया है । इनका रोना है कि डेविड हिल्टन और रमन अनेजा व्यावहारिक कारणों से इस समय क्लब्स के पदाधिकारियों के ज्यादा नजदीक हैं, और अपनी अपनी झोली में अवार्ड व पद रखने के कारण वह ऐसी 'स्थिति' में भी हैं कि क्लब्स के पदाधिकारियों को 'प्रभावित' भी कर सकें - और इस नाते से उम्मीद थी कि यह प्रवीन चंद्र गोयल के समर्थन में कॉन्करेंस जुटाने में मदद करेंगे । इन दोनों की मदद के भरोसे ही तिकड़ी को विश्वास था कि प्रवीन चंद्र गोयल को पच्चीस से तीस क्लब्स की कॉन्करेंस तो आराम से मिल जायेंगी । लेकिन कॉन्करेंस देने वाले क्लब्स की संख्या के 14 पर ही रुक जाने से इनके विश्वास को तगड़ा झटका लगा है । झटका इसलिए भी लगा है क्योंकि इन चौदह में भी कई क्लब्स से कॉन्करेंस जुटाने के लिए तिकड़ी के नेताओं को क्लब्स के पदाधिकारियों के सामने तरह तरह के झूठ बोलने पड़े थे - इन्हें उनके सामने झूठे दावे करने पड़े थे कि 'इतने' और 'उतने' क्लब्स से कॉन्करेंस मिल गई हैं: और 'अब' उद्देश्य सिर्फ प्रवीन चंद्र गोयल के चेलैंज को मान्यता दिलाना नहीं, बल्कि उनके प्रति डिस्ट्रिक्ट के इकतरफा समर्थन को दिखाना है । झूठ बोल बोल कर और राजेंद्र उर्फ राजा साबू के नाम का वास्ता दे दे कर तिकड़ी के नेताओं ने जो कॉन्करेंस इकट्ठा कीं, उनकी संख्या के चौदह पर ही ठहर जाने से तिकड़ी के नेताओं को जोर का करंट लगा है । तिकड़ी के नेताओं को कुछेक और क्लब्स की कॉन्करेंस मिलने का आश्वासन मिला था, जिसके पूरा होने की उम्मीद में इन्होंने चार दिन तक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को कॉन्करेंस की कुल संख्या घोषित करने से रोके रखा - लेकिन आश्वासन पूरा न हो पाने से जिसका कोई फायदा नहीं हुआ, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच फजीहत ही हुई ।
यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर की तिकड़ी ने अपनी इस फजीहत के लिए डिस्ट्रिक्ट के बाकी के पूर्व गवर्नर्स को जिम्मेदार ठहराया, किंतु इस चक्कर में उन्हें कुछेक पूर्व गवर्नर्स से खरी-खोटी भी सुननी पड़ी है । बाकी पूर्व गवर्नर्स को धिक्कारते हुए इस तिकड़ी की तरफ से कहा जा रहा है कि कई पूर्व गवर्नर्स इंटरनेशनल असाइनमेंट्स पाने के लिए तो राजा साबू के चक्कर लगाते रहते हैं, लेकिन जब राजा साबू के 'उम्मीदवार' प्रवीन चंद्र गोयल की मदद करने का समय आया, तो पता नहीं कहाँ कौन से बिल में छिप कर बैठ गए ? इस पर कुछेक पूर्व गवर्नर्स की तरफ से सुनने को मिला है कि प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी की आड़ में इन तीनों ने दरअसल अपनी अपनी राजनीति जमाने और फैलाने की तिकड़म लगाई हुई है, और इसके लिए यह राजा साबू का नाम लेने तथा उन्हें बदनाम करने/कराने तक की हद तक उतर आए हैं । कई एक पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि राजा साबू ने उनसे तो नहीं कहा है कि उन्हें प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के लिए कुछ करना है । उन्होंने तो राजा साबू को यही कहते हुए सुना है कि उन्हें चुनावी राजनीति से कोई लेना देना नहीं है । कुछेक पूर्व गवर्नर्स का कहना रहा कि पिछले दिनों कई बार उनकी राजा साबू से मुलाकात और बात हुई है, लेकिन राजा साबू ने उनसे तो चुनाव के बारे में कोई बात ही नहीं की । पूर्व गवर्नर्स की इस तरह की बातों ने यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर के लिए अजीब किस्म की मुसीबत पैदा कर दी है - क्योंकि पूर्व गवर्नर्स की इस तरह की बातों के कारण तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स के लिए डिस्ट्रिक्ट के लोगों को यह विश्वास दिलाना मुश्किल हो गया है कि प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी को किसी भी तरह कामयाब करने/बनाने की जिम्मेदारी उन्हें राजा साबू ने ही सौंपी है ।
राजा साबू को लेकर पूर्व गवर्नर्स के विरोधाभासी दावों ने राजा साबू की भूमिका को संदेहास्पद बना दिया है - जिस कारण डिस्ट्रिक्ट में लोगों के लिए समझना मुश्किल हो रहा है कि राजा साबू के बारे में तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स का दावा सही है, और या बाकी पूर्व गवर्नर्स जो कह रहे हैं वह सच है ? राजा साबू को नजदीक से जानने वाले लोगों का कहना है कि राजा साबू की फितरत है कि वह अपने आप को ऐसी 'जगह' पर रखते हैं, जहाँ वह - जो हुआ, उसका - श्रेय भी ले सकें और उससे अपना पल्ला भी झाड़ सकें; और इसी फार्मूले के तहत प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के साथ भी उन्होंने ऐसा ही रिश्ता बनाया हुआ है - जिसमें कि वह उनके जीतने का श्रेय भी ले सकें, और हारने पर कह सकें कि मैं तो चुनावी राजनीति से दूर ही था । राजा साबू के इस फार्मूले ने लेकिन प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी के लिए संकट खड़ा कर दिया है, और इस संकट ने तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स की मुसीबतों को बढ़ा दिया है । समस्या दरअसल यह है कि प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी की आड़ में तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स ने जो राजनीति दिखाई है, उसके प्रति डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच गहरी नाराजगी पैदा हुई है; लोगों को लगा है कि यह तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स नकारात्मक राजनीति ही करते हैं और डिस्ट्रिक्ट पर अपनी चौधराहट बनाए रखने के लिए अधिकृत उम्मीदवार को चेलैंज न करने की डिस्ट्रिक्ट की वर्षों पुरानी परंपरा तक को भी इन्होंने धोखा दे दिया है । तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स के लिए मुसीबत इसलिए भी बढ़ गई क्योंकि प्रवीन चंद्र गोयल के पास अपना कुछ है ही नहीं, और उनकी उम्मीदवारी पूरी तरह से पूर्व गवर्नर्स पर बोझ बन गई है । प्रवीन चंद्र गोयल के नजदीकियों का कहना है कि प्रवीन चंद्र गोयल ने भी समझ लिया है कि उन्हें जितवाना अब तिकड़ी वाले गवर्नर्स की मजबूरी है - इसलिए उम्मीदवार होने के बावजूद प्रवीन चंद्र गोयल अब कुछ करने की जरूरत ही महसूस नहीं कर रहे और मजे में हैं; जबकि तिकड़ी वाले गवर्नर्स उनके चक्कर में अपनी फजीहत करा रहे हैं ।
प्रवीन चंद्र गोयल के पक्ष में ज्यादा कॉन्करेंस न मिल पाने के लिए यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर की तिकड़ी डीसी बंसल की तरफ से मिले धोखे को भी जिम्मेदार मान रही है और इसके लिए डीसी बंसल तथा उनके नजदीकियों को निशाना बना रहे हैं । उनकी शिकायत है कि डीसी बंसल तथा उनके नजदीकियों ने उन्हें छह-आठ क्लब की कॉन्करेंस दिलवाने का वायदा किया था, किंतु उन्हें सिर्फ एक डीसी बंसल के क्लब की ही कॉन्करेंस मिल सकी । तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स के लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि डीसी बंसल तथा उनके नजदीकियों ने कॉन्करेंस के लिए ईमानदारी से प्रयास नहीं किए, या उनकी चली नहीं और उनके प्रयास करने के बावजूद उनके ही समझे जाने वाले क्लब्स ने उनकी सुनी नहीं ? दोनों में से चाहें जो भी बात सच हो, वह तिकड़ी वाले गवर्नर्स की राजनीति को चोट पहुँचाती ही है । दरअसल इस तरह की बातों से पोल खुलती है कि तिकड़ी वाले गवर्नर्स अपने ही समर्थकों के साथ तालमेल नहीं बना पा रहे हैं, और उनके बीच में ही आपस में भरोसा तथा समन्वय नहीं है - और इस कारण से वह आपस में ही एक दूसरे से लड़ते हुए नजर आते हैं । डीसी बंसल तथा उनके नजदीकियों से प्रवीन चंद्र गोयल को जो मदद मिलने का आश्वासन मिला था, उसके पूरा न होने को प्रवीन चंद्र गोयल तथा उनके समर्थकों ने जिस तरह से धोखेबाजी कहा/बताया है - उससे उनके बीच विवाद व असहयोग और बढ़ने का ही अंदेशा है । तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स को डर दरअसल इसी बात का है कि जितेंद्र ढींगरा के खिलाफ प्रवीन चंद्र गोयल की उम्मीदवारी का मामला जिस तरह से मुसीबत में फँसा है, उसका असर कहीं टीके रूबी के साथ होने वाले डीसी बंसल के चुनाव पर न पड़े और कहीं वह चुनाव भी हाथ से न निकल जाए ?
यशपाल दास, मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर ने इसीलिए डेविड हिल्टन व रमन अनेजा पर दबाव बनाना शुरू किया है कि अपनी अपनी पोजीशन का फायदा उठाते हुए वह क्लब्स के पदाधिकारियों को प्रवीन चंद्र गोयल व डीसी बंसल के पक्ष में वोट देने के लिए राजी करें । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में डेविड हिल्टन को क्लब्स के पदाधिकरियों को अभी अवार्ड देने हैं, तथा आने वाले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में रमन अनेजा को डिस्ट्रिक्ट टीम के पद देने हैं - तिकड़ी वाले पूर्व गवर्नर्स का कहना है कि अवार्ड और पद के जरिए डेविड हिल्टन व रमन अनेजा क्लब्स के पदाधिकारियों के साथ वोटों की सौदेबाजी करें, ताकि प्रवीन चंद्र गोयल व डीसी बंसल की जीत को सुनिश्चित किया जा सके ।