Tuesday, May 10, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ ने नए बने रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के कर्ताधर्ताओं से अपनी खुन्नस निकालने के लिए ही साढ़े तीन सौ डॉलर में पीएचएफ बनाने के अपने ही ऑफर को रद्द किया है क्या ?

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ पीएचएफ बनाने के अपने ही फार्मूले को लागू करने से इंकार करने के कारण, क्लब्स के पदाधिकारियों की गाली खा रहे हैं । क्लब्स के पदाधिकारी जेके गौड़ को इस बात के लिए कोस रहे हैं कि जेके गौड़ ने अपनी मूर्खतापूर्ण व खुन्नसी हरकतों से उन्हें बेकार की मुसीबत में फँसा दिया है । दरअसल डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ ने क्लब्स के पदाधिकारियों को ऑफर दिया था कि वह साढ़े तीन सौ डॉलर में पीएचएफ बना/बनवा देंगे । उनके इस ऑफर के ऐवज में कई क्लब्स के पदाधिकारियों ने अपने अपने क्लब में सदस्यों को साढ़े तीन सौ साढ़े डॉलर प्रति सदस्य देने के लिए राजी किया - लेकिन अब जेके गौड़ कह रहे हैं कि इस रकम में पीएचएफ नहीं बनाया जा सकेगा, तथा पीएचएफ बनने/बनाने के लिए और पैसे देने होंगे । जेके गौड़ के इस बदले रूप ने क्लब्स के पदाधिकारियों के लिए मुसीबत खड़ी कर दी है; क्योंकि इसके चलते उन्हें अब अपने क्लब के सदस्यों के सामने लज्जित होना पड़ेगा और उनके लिए सदस्यों के बीच अपनी साख को बचाने की गंभीर चुनौती खड़ी होगी । क्लब्स के पदाधिकारियों का कहना है कि क्लब को चलाने में सदस्यों के बीच बनी साख की महत्वपूर्ण व निर्णायक भूमिका होती है, उसके न होने और या खत्म हो जाने से क्लब के सदस्यों का सहयोग मिलने में दिक्कत होती है । जेके गौड़ के ऑफर के भरोसे ही क्लब्स के पदाधिकारियों ने अपने अपने क्लब में सदस्यों को साढ़े तीन सौ डॉलर में पीएचएफ बनने के लिए मुश्किल से तो राजी किया, ऐसे में अब वह किस मुँह से सदस्यों से कहें कि पीएचएफ बनने के लिए उन्हें और रकम देनी होगी । जिन क्लब्स के पदाधिकारियों ने साढ़े तीन सौ डॉलर प्रति सदस्य के हिसाब से रकम इकट्ठा कर जेके गौड़ को पहले ही सौंप दी है, उनके सामने समस्या और विकट हो गई है - उनके तो पैसे भी गए और पीएचएफ बनाने की बजाये जेके गौड़ ने उन्हें झुनझुना थमा दिया है ।
जेके गौड़ के इस रवैये से क्लब्स के पदाधिकारी अपने आप को ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं । ऐसे क्लब्स में अभी हाल ही में चार्टर हुए रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के पदाधिकारियों के सामने संकट खासा गंभीर है । यह एक नया क्लब है और इसमें अधिकतर सदस्य पहली बार रोटरी के संपर्क में आए हैं । ऐसे में जाहिर तौर पर क्लब्स के प्रमुख कर्ताधर्ताओं व पदाधिकारियों ने पहली बार रोटरी के संपर्क में आए लोगों को प्रेरित करने तथा रोटरी के लिए कुछ करने हेतु तैयार करने में काफी मेहनत की और उन्हें पीएचएफ बनने के लिए राजी किया । रोटरी सदस्य बनते ही पीएचएफ बनने के उदाहरण कम ही देखने को मिलते हैं - रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास में चार्टर लेने/मिलने के साथ ही यह काम हुआ, तो इसे रोटरी व डिस्ट्रिक्ट के इतिहास की एक उल्लेखनीय घटना के रूप में देखा/पहचाना गया । किंतु रोटरी व डिस्ट्रिक्ट के इतिहास की यह उल्लेखनीय घटना डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ की वायदाखिलाफी व मूर्खता की भेंट चढ़ती नजर आ रही है । रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के मामले में गंभीर बात यह है कि कुछेक लोगों को लगता है कि जेके गौड़ ने वायदाखिलाफी का जो कदम उठाया है, उसके पीछे वास्तव में उनका उद्देश्य इस क्लब के मुख्य कर्ताधर्ताओं को परेशान करना ही है । इस क्लब के मुख्य कर्ताधर्ताओं के प्रति जेके गौड़ का 'दुश्मनी' वाला भाव किसी से छिपा हुआ नहीं है । इस क्लब के गठन को रोकने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में जेके गौड़ जितने प्रयास कर सकते थे, वह उन्होंने किए; रोटरी के बड़े नेताओं ने हस्तक्षेप न किया होता तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ इस क्लब को कभी भी बनने नहीं देते ।
जेके गौड़ के नजदीकियों का ही कहना है कि रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के प्रमुख कर्ताधर्ताओं की तरफ से जेके गौड़ को जो दोतरफा 'मार' पड़ी, उसी का बदला लेने के लिए जेके गौड़ ने साढ़े तीन सौ डॉलर में पीएचएफ बनाने की अपनी ही योजना को बंद कर दिया है । उल्लेखनीय है कि जेके गौड़ अपनी तमाम कोशिशों के बावजूद इस क्लब के गठन को तो नहीं ही रोक सके - उनके लिए 'कोढ़ में खाज' वाली बात यह भी हुई कि इस क्लब के चार्टर प्रेजेंटेशन कार्यक्रम में मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता शामिल हुए । इस तरह से रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास को लेकर जेके गौड़ को दोहरी 'मार' पड़ी । ऐसे में, जेके गौड़ को यह बात पसंद नहीं आई कि इस क्लब के कई सदस्य पीएचएफ बन कर रोटरी व डिस्ट्रिक्ट में एक उल्लेखनीय रिकॉर्ड बनाएँ - और वह भी उनके द्वारा घोषित किए गए फार्मूले का फायदा उठा कर । सो, जेके गौड़ ने फार्मूला ही खत्म कर दिया - 'न रहेगा बाँस, और न बजेगी बाँसुरी' वाली तर्ज पर । जेके गौड़ के 'बदले की भावना' वाले इस रवैये ने रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के कर्ताधर्ताओं के सामने समस्या तो खड़ी कर ही दी है; उनकी समस्या इसलिए और बड़ी है - क्योंकि वह साढ़े तीन सौ डॉलर के हिसाब से पैसे दे चुके हैं । अब जब जेके गौड़ की धोखाधड़ी के चलते, साढ़े तीन सौ डॉलर देकर पीएचएफ बनने की तैयारी कर रहे सदस्य पीएचएफ नहीं बन सकेंगे - तब उनका निराश और नाराज होना स्वाभाविक ही होगा; क्लब के कर्ताधर्ताओं के सामने निराश व नाराज होने वाले सदस्यों को समझा पाना वास्तव में एक चुनौती होगा । यह उनसे जेके गौड़ का बदला होगा । क्लब के पदाधिकारियों की तरफ से हालाँकि कहा जा रहा है कि जेके गौड़ ने यदि अपना वायदा पूरा नहीं किया, तो वह साढ़े तीन सौ डॉलर के हिसाब से दी गई रकम वापस करने की माँग करेंगे और इस बारे में सुशील गुप्ता व मनोज देसाई से शिकायत करेंगे । जेके गौड़ की तरफ से कहा जा रहा है कि रकम तो वापस होगी नहीं, और इस बारे में सुशील गुप्ता व मनोज देसाई भी कुछ नहीं कर पायेंगे ।
रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के प्रमुख कर्ताधर्ताओं से अपनी खुन्नस निकालने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर जेके गौड़ ने जो यह रास्ता चुना है, उसने लेकिन दूसरे कई क्लब्स के पदाधिकारियों को भी मुसीबत में फँसा दिया है । हालाँकि उनमें कुछेक ऐसे भी हैं, जिन्होंने अपने अपने क्लब के सदस्यों से साढ़े तीन सौ डॉलर के हिसाब से पैसे इकट्ठे तो कर लिए हैं, किंतु अभी जेके गौड़ को नहीं सौंपे हैं । ऐसे पदाधिकारियों के सामने बचने का आसान तरीका यही है कि वह इकठ्ठा किए गए पैसे जेके गौड़ को देने की बजाए सदस्यों को वापस कर दें । ऐसे कुछेक पदाधिकारियों का लेकिन यह भी कहना है कि जेके गौड़ ने अपने नजदीकियों से उन्हें कहलवाया है कि वह अभी चुप रहें, कुछ दिनों में वह अपने फार्मूले के अनुसार साढ़े तीन सौ डॉलर में उनके सदस्यों को चुपचाप से पीएचएफ बना/बनवा देंगे । जेके गौड़ आगे क्या करेंगे और क्या नहीं करेंगे, यह तो आने वाले दिनों में ही पता चल पायेगा - अभी लेकिन रोटरी क्लब गाजियाबाद विकास के प्रमुख कर्ताधर्ताओं के साथ अपनी खुन्नस निकालने के लिए उन्होंने जिस तरह से साढ़े तीन सौ डॉलर में पीएचएफ बनाने के अपने ही ऑफर को रद्द कर दिया है, उसके कारण वह कई लोगों के निशाने पर आ गए हैं; जो उन्हें उनकी वायदाखिलाफी के लिए जम जम कर कोस रहे हैं ।