Sunday, March 23, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में राकेश त्रेहन और नरेश गुप्ता की जोड़ी ने लायंस क्लब दिल्ली किरण के एक प्रोजेक्ट के जरिये हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल, सुरेश बिंदल और अजय बुद्धराज को ऐसी 'गुप्त' चोट पहुँचाई है कि यह बेचारे खुल कर कराह भी नहीं पा रहे हैं

नई दिल्ली । लायंस क्लब दिल्ली किरण द्धारा आयोजित 'रक्तदान शिविर' के जरिये निवृत्तमान डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन ने अपने ही साथी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को जिस तरह उनकी औकात दिखा कर चोट पहुँचाई है, उससे उनके साथी गवर्नर्स बुरी तरह भन्नाए हुए हैं । मजे की बात यह हुई कि इस आयोजन के जरिये राकेश त्रेहन ने तैयारी तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को चोट पहुँचाने की - की थी, लेकिन चोट लगी राकेश त्रेहन के साथी पूर्व गवर्नर्स को । हर्ष बंसल, डी के अग्रवाल, अजय बुद्धराज आदि ने शिकायत की कि डिस्ट्रिक्ट के एक महत्वपूर्ण क्लब के आयोजन के निमंत्रण पत्र में बीस लोगों के नाम प्रकाशित हुए, लेकिन उनके नाम के लिए उसमें जगह नहीं बन सकी । राकेश त्रेहन ने तो यह कह कर पल्ला झाड़ लिया कि निमंत्रण पत्र में किसके नाम प्रकाशित होंगे, यह फैसला तो क्लब के पदाधिकारियों तथा आयोजन के कर्ता-धर्ताओं का था । उन्होंने हर्ष बंसल, डी के अग्रवाल, अजय बुद्धराज का नाम यदि नहीं प्रकाशित किया तो इसमें वह क्या कर सकते हैं ? क्लब के पदाधिकारियों और आयोजन के कर्ता-धर्ताओं ने लेकिन सच्चाई बता कर सारी पोल खोल दी । उनका कहना था कि इस आयोजन के जरिये वह तो कोई राजनीति नहीं करना चाहते थे, लेकिन नरेश गुप्ता और राकेश त्रेहन ने उन्हें मजबूर किया कि जैसा वह कहें, उन्हें वैसा ही करना पड़ेगा । नरेश गुप्ता अगले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद पर होंगे, इसलिए क्लब के पदाधिकारियों व आयोजन के कर्ता-धर्ताओं के लिए उनकी बात मानना तो मजबूरी थी ही; और नरेश गुप्ता ने उन्हें मजबूर किया कि उन्हें राकेश त्रेहन के दिशा-निर्देशन में ही सभी काम करने हैं ।
राकेश त्रेहन के लिए यह आयोजन यह 'दिखाने' का अच्छा अवसर था कि नरेश गुप्ता पूरी तरह उनकी गिरफ्त में हैं और अगले लायन वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का ताज भले ही नरेश गुप्ता के सिर पर होगा, लेकिन गवर्नरी वह करेंगे । नरेश गुप्ता पूरी तरह सिर्फ और सिर्फ उनकी कठपुतली होंगे - इस बात को दिखाने/जताने के लिए राकेश त्रेहन को यह जरूरी लगा कि निमंत्रण पत्र में हर्ष बंसल, डी के अग्रवाल, अजय बुद्धराज आदि का नाम गलती से भी प्रकाशित न हो जाये । इन तीनों से भी ज्यादा बुरी गत तो बेचारे सुरेश बिंदल की बनी । दिलचस्प तथ्य यह है कि पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुरेश बिंदल आयोजक क्लब - लायंस क्लब दिल्ली किरण के ही सदस्य हैं, लेकिन इस आयोजन के निमंत्रण पत्र में उनका नाम निवेदकों की भीड़ के बीच डाला हुआ था । यहाँ सुरेश बिंदल को बेचारा इसलिए कहा गया है कि नरेश गुप्ता के गवर्नर-काल में सुरेश बिंदल ने अपनी चलने की उम्मीद संजोई हुई थी, लेकिन नरेश गुप्ता ने राकेश त्रेहन के साथ मिल कर उन्हें बिलकुल किनारे पर ही धकेल दिया है ।
लायंस क्लब दिल्ली किरण के इस आयोजन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा का भी नाम नहीं दिया गया । इसे लेकिन ज्यादा बड़ी बात के रूप में नहीं देखा/समझा गया - क्योंकि डिस्ट्रिक्ट में सभी जानते हैं कि लायंस क्लब दिल्ली किरण का डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के साथ शुरू से ही विरोध का संबंध रहा है । विरोध के इसी संबंध के चलते लायंस क्लब दिल्ली किरण के अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को - तथा उनके समर्थक दिल्ली के तीनों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दीपक तलवार, अरुण पुरी व दीपक टुटेजा को नहीं बुलाया गया था । लायंस क्लब दिल्ली किरण के कर्ता-धर्ता यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा तथा उनके नजदीकियों के साथ विरोध का संबंध रखे हुए हैं और पहले से ही उन्हें अपने आयोजनों में आमंत्रित करने से बचते रहे हैं, तो इस बार भी उन्हें न आमंत्रित किये जाने में कोई हैरानी की बात नहीं है । लेकिन अपने अधिष्ठापन कार्यक्रम में हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल, अजय बुद्धराज आदि को इज्जत के साथ बुलाने वाले तथा उनका नाम निमंत्रण पत्र में प्रकाशित करने वाले वाले क्लब के पदाधिकारियों ने अब अपने एक प्रमुख कार्यक्रम में उन्हें - तथा अपने ही क्लब के सुरेश बिंदल को जिस तरह से बेइज्जत करने का प्रयास किया है, उसकी चर्चा छिड़ने पर उन्होंने इस सब के लिए राकेश त्रेहन को जिम्मेदार ठहराया है ।
राकेश त्रेहन और नरेश गुप्ता की जोड़ी ने लायंस क्लब दिल्ली किरण के एक प्रोजेक्ट को जिस तरह हर्ष बंसल, डीके अग्रवाल, सुरेश बिंदल और अजय बुद्धराज का धुआँ निकालने के एक अवसर के रूप में इस्तेमाल किया है - उसके चलते डिस्ट्रिक्ट में एक दिलचस्प नजारा प्रस्तुत हुआ है । नरेश गुप्ता के साथ मिल कर राकेश त्रेहन ने इन्हें ऐसी 'गुप्त' चोट पहुँचाई है कि यह बेचारे भन्नाए हुए तो हैं, लेकिन खुल कर कराह नहीं पा रहे हैं ।