Sunday, March 16, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करने की दीपक बाबू की माँग को रोटरी इंटरनेशनल द्धारा ख़ारिज कर दिए जाने के बाद तो कॉन्करेंस जुटाने की दीपक बाबू की कोशिशों और उम्मीदों पर कुठाराघात ही हो गया है

मुरादाबाद । दीपक बाबू को अब रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने भी बता दिया है कि दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को लेकर उनकी जो शिकायतें हैं, उनमें किसी भी तरह का कोई तर्क-दम नहीं है । इसी के साथ, दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करवा कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने का सपना देखने वाले दीपक बाबू की सारी तरकीबें धूल-धूसरित हो गईं हैं । दीपक बाबू के लिए इससे भी ज्यादा मुसीबत की बात यह हुई है कि रोटरी इंटरनेशनल का फैसला ऐसे समय आया है, जबकि रोटरी इंटरनेशनल में की गई अपनी शिकायत का वास्ता देकर वह अपनी उम्मीदवारी को मान्य करवाने के लिए आवश्यक क्लब्स के कॉन्करेंस जुटाने की कोशिशों में लगे हुए हैं । उल्लेखनीय है कि कॉन्करेंस के लिए क्लब्स के पदाधिकारियों को पटाने के उद्देश्य से वह बराबर यह तर्क दे रहे थे कि रोटरी इंटरनेशनल उनकी शिकायत पर कार्रवाई करते हुए दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त कर देगा, इसलिए क्लब्स के पदाधिकारियों को उनके साथ रहने में ही फायदा है । रोटरी इंटरनेशनल का नाम लेकर दीपक बाबू लोगों को दरअसल उल्लू बनाने का ही प्रयास कर रहे थे - अन्यथा वह अच्छी तरह से जानते/समझते थे कि दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी के खिलाफ उनकी जो शिकायत है उसमें कोई तर्क-दम नहीं है; यदि सचमुच में होता तो डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ही दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त कर देते । गौर करने वाला तथ्य यह है कि दीपक बाबू ने दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करने हेतु अपना शिकायती पत्र पहले डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल को ही सौंपा था, और राकेश सिंघल ने उनकी आपत्तियों के बारे में रोटरी के तमाम बड़े नेताओं से पूछताछ की थी; लेकिन सभी ने राकेश सिंघल को साफ साफ चेता दिया था कि दीपक बाबू की शिकायत में जो तर्क-तथ्य दिए गए हैं उनके आधार पर दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त नहीं किया जा सकता है ।
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल इसी कारण से दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को स्वीकार करने के लिए मजबूर हुए थे । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल के यहाँ दीपक बाबू की जब दाल नहीं गली तब वह अपनी शिकायत को लेकर रोटरी इंटरनेशनल में जा पहुँचे । रोटरी इंटरनेशनल में अपनी शिकायत को ले जाते समय दीपक बाबू को अच्छी तरह पता था कि रोटरी इंटरनेशनल भी उनकी शिकायत के आधार पर दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त नहीं करेगा, लेकिन फिर भी वह अपनी शिकायत को लेकर रोटरी इंटरनेशनल में गए तो सिर्फ इसलिए ताकि इसे दिखा/बता कर वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों को भ्रमित कर सकें और लोगों को धोखे में रखकर अपना उल्लू सीधा कर सकें । उनकी तरकीब काम तो नहीं कर रही थी, लेकिन फिर भी वह लोगों को उल्लू बनाने के काम में जुटे हुए थे । अभी वह कॉन्करेंस जुटाने हेतु जिन लोगों से मिले उन्हें वह यही बता रहे थे कि रोटरी इंटरनेशनल में उन्होंने जो शिकायत की है, उसका फैसला बस आने ही वाला है और उस फैसले में दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त करने का ही फैसला होगा । रोटरी इंटरनेशनल के फैसले ने लेकिन उनके सपनों पर पानी फेर दिया है ।
रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने दीपक बाबू को सूचित किया है कि उनकी शिकायत में दिए गए तथ्यों की पड़ताल हेतु तीन सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई थी, जिसने बड़ी बारीकी से तथ्यों को देखा और उनकी व्याख्या की । अपनी पड़ताल और अपनी व्याख्या में उक्त कमेटी ने पाया कि ऐसा कोई कारण प्रस्तुत तथ्यों में नहीं मिलता है जिसके आधार पर दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को निरस्त किया जाये । रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय से मिले इस तो-टूक जबाव से साबित हो गया है कि दीपक बाबू जिस भरोसे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने जाने की तिकड़म लगा रहे थे, वह अपनी प्रकृति और अपनी सोच में कितना नकारात्मक और फर्जी था ।
मजे की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के उम्मीदवार के रूप में दीपक बाबू ने लोगों से व्यवहार ही नहीं किया । लोगों की एक आम शिकायत रही है कि उम्मीदवार होने के बावजूद उन्होंने लोगों से कभी भी सीधे मुँह बात तक नहीं की; कई मौकों पर तो उन्होंने बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में व्यवहार किया । कुछेक पूर्व गवर्नर्स तक ने यह महसूस किया और इस बात का जिक्र भी किया कि दीपक बाबू तो अपने आप को गवर्नर समझ रहे हैं । दिवाकर अग्रवाल के प्रति डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल की खुन्नस को अपने लिए वरदान समझने वाले दीपक बाबू को उम्मीद रही कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल किसी भी कीमत पर दिवाकर अग्रवाल की उम्मीदवारी को मान्य नहीं होने देंगे, और वह बिना कुछ किए-धरे ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी हो जायेंगे । इस चक्कर में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल ने अपनी खासी किरकिरी करवाई और हुआ कुछ नहीं । दीपक बाबू सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल के भरोसे रहे और उन्होंने लोगों की कोई परवाह नहीं की । बदले में लोगों ने भी उनकी कोई परवाह नहीं की । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश सिंघल की मदद भी दीपक बाबू के काम नहीं आई और नोमीनेटिंग कमेटी में भी लोगों ने दीपक बाबू को नकार दिया ।
दीपक बाबू ने लेकिन इस सब से कोई सबक नहीं सीखा है । अभी भी वह दावा कर रहे हैं कि उनकी उम्मीदवारी यदि मान्य हो जाती है तो वह वोट तो अध्यक्षों को पैसे देकर खरीद लेंगे । वोट खरीद कर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने का सपना देख रहे और दावा कर रहे दीपक बाबू को लेकिन अभी तो कॉन्करेंस जुटाने के लाले पड़ रहे हैं । रोटरी इंटरनेशनल द्धारा उनकी शिकायत रद्द कर देने के बाद तो कॉन्करेंस जुटाने की उनकी कोशिशों और उम्मीदों पर कुठाराघात ही हो गया है । लोगों के सामने दीपक बाबू की पोल अब पूरी तरह खुल गई है और उनके नजदीकियों व समर्थकों ने भी मानना और कहना शुरू कर दिया है कि दिवाकर अग्रवाल को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी बनने से अब किसी भी तरह से नहीं रोका जा सकता है ।