Friday, March 7, 2014

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3010 में अपनी उम्मीदवारी की संभावना से साफ-साफ इंकार कर चुके डॉक्टर सुब्रमणियन को चालबाज नेताओं ने सब्जबाग दिखाना शुरू किया

नई दिल्ली । डॉक्टर सुब्रमणियन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को लेकर उनके अपने क्लब में विवाद पैदा हो गया है । मजे की बात यह है कि डॉक्टर सुब्रमणियन अपनी उम्मीदवारी से साफ तौर से इंकार कर चुके हैं, लेकिन फिर भी क्लब के कुछेक लोग उन्हें उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए उकसा रहे हैं । क्लब के ही अन्य कुछेक लोग लेकिन उनकी उम्मीदवारी का यह कह कर विरोध कर रहे हैं कि जब वह खुद ही अपनी उम्मीदवारी की संभावना से इंकार कर चुके हैं और यह कह चुके हैं कि यह 'खेल' उनके बस का नहीं है, तब फिर क्यों कुछेक लोग उन्हें उम्मीदवारी के लिए उकसा कर उन्हें बलि का बकरा बनाने की कोशिश कर रहे हैं । यहाँ यह याद करना प्रासंगिक होगा कि अभी हाल ही में जब डिस्ट्रिक्ट के कुछेक बड़े नेताओं ने डॉक्टर सुब्रमणियन से उनकी उम्मीदवारी की संभावना को लेकर बात की थी, तब डॉक्टर सुब्रमणियन ने उन सभी से दो-टूक शब्दों में कह दिया था कि उन्होंने एक बार उम्मीदवार बन कर देख लिया है और समझ लिया है कि एक उम्मीदवार से जिस जिस तरह की अपेक्षाएँ की जाती हैं, उन्हें पूरा कर पाना उनके बस की बात नहीं है इसलिए वह उम्मीदवारी के बारे में न सोच रहे हैं और न कभी सोचेंगे । कुछ नेताओं के द्धारा डॉक्टर सुब्रमणियन को उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए उकसाने की ख़बरें चूँकि आम हो गईं थीं, इसलिए और कई लोगों ने भी उनसे उनकी उम्मीदवारी के बारे में पूछा था, लेकिन डॉक्टर सुब्रमणियन ने सभी को एक ही जबाव दिया था कि वह अपनी उम्मीदवारी के बारे में कुछ भी नहीं सोच रहे हैं ।
शिमला में अभी हाल ही में ऐजीटीएस में जुटे डिस्ट्रिक्ट के नेताओं ने आपसी बातचीत में अपनी अपनी जानकारियों के आधार पर यही निष्कर्ष निकाला था कि डॉक्टर सुब्रमणियन की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की उम्मीदवारी को लेकर कोई सोच नहीं है और इसलिए उन्होंने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के प्रति एकतरफा समर्थन का भाव व्यक्त किया था । इसके साथ ही डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी की संभावना पर पर्दा पूरी तरह पड़ गया था । किंतु कुछेक लोगों द्धारा इस पर्दे को उठाने की कोशिश करने की बातें इन दिनों सुनी जा रही हैं । डॉक्टर सुब्रमणियन के कुछेक नजदीकी लोगों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के कुछेक खिलाड़ी अपने अपने राजनीतिक स्वार्थ में डॉक्टर सुब्रमणियन को उकसाने में लगे हैं और इसके लिए वह डॉक्टर सुब्रमणियन के क्लब के सदस्यों की सेवाएँ ले रहे हैं । वह डॉक्टर सुब्रमणियन को समझाने में लगे हैं कि अब की बार उनके लिए मौका बहुत ही अनुकूल है और इसलिए अब की बार उन्हें नहीं चूकना चाहिए ।
डॉक्टर सुब्रमणियन को हालाँकि यह समझाने वालों की भी कमी नहीं है कि जो नेता लोग उनके लिए मौके को अनुकूल बता रहे हैं उनके पिछले व्यवहार को उन्हें याद कर लेना चाहिए - क्योंकि उनमें से कुछ ऐसे हैं जो धोखेबाजी की कला के उस्ताद हैं और कुछ ऐसे हैं जो सिर्फ बातें ही करते हैं, सचमुच में कुछ नहीं करते हैं । यह समझाने वालों का डॉक्टर सुब्रमणियन से कहना है कि पिछली बार इन्हीं लोगों ने उन्हें धोखा दिया था, जिसके चलते उम्मीदवारी की दौड़ में उनकी बुरी गत बनी थी । ऐसे लोगों के कहने में आकर यदि वह अब फिर अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं, तो उन्हें फिर से उनके धोखे का शिकार होना पड़ेगा । इन लोगों का यह भी कहना है कि डॉक्टर सुब्रमणियन चूँकि अभी हाल तक अपनी उम्मीदवारी की संभावना से साफ साफ इंकार करते रहे हैं, इसलिए अब यदि उन्होंने अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत की तो उन्हें एक कन्फ्यूज्ड व्यक्ति ही समझा जायेगा, जो अपने अनुभव और अपने आकलन के आधार पर नहीं, बल्कि दूसरों के उकसाने में आकर फैसले करता है ।
डॉक्टर सुब्रमणियन के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों का भी मानना और कहना है कि अपनी उम्मीदवारी की संभावना से लगातार इंकार करते रहने के बाद अब यदि वह अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करते हैं तो इससे उनके बारे में लोगों के बीच ख़राब परसेप्शन ही बनेगा । ऐसे लोगों की डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए सलाह है कि उनके मन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद को लेकर सचमुच में कोई मोह है तो उन्हें सोच-विचार कर योजना बनानी चाहिए और अगले किसी वर्ष में सुनियोजित तरीके से अपनी उम्मीदवारी को प्रस्तुत करना चाहिए । इन लोगों का तर्क है कि अबकी बार के लिए सुरेश भसीन, शरत जैन और दीपक गुप्ता ने जिस तरह से पहले से अपनी अपनी तैयारी कर ली है और अपनी अपनी उम्मीदवारी के पक्ष में माहौल बनाना शुरू कर दिया है, उसके कारण डॉक्टर सुब्रमणियन के लिए अब बहुत देर हो चुकी है ।
मजे की बात यह है कि डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी की संभावना को बाकी तीनों संभावित उम्मीदवार अपने अपने लिए फायदे के अवसर के रूप में देख/पहचान रहे हैं । शरत जैन के समर्थकों को लगता है कि डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी उनके विरोधियों के वोटों का बँटवारा करेगी, जिससे उन्हें फायदा होगा । दीपक गुप्ता के समर्थकों को लगता है कि डॉक्टर सुब्रमणियन और शरत जैन का प्रभाव क्षेत्र काफी कुछ एक-सा है, इसलिए डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी शरत जैन को नुकसान पहुँचायेगी, जिससे उन्हें फायदा होगा । सुरेश भसीन के समर्थकों का आकलन है कि डॉक्टर सुब्रमणियन की उम्मीदवारी यदि सचमुच प्रस्तुत हुई तो वह एक तरफ शरत जैन को नुकसान पहुंचायेगी और दूसरी तरफ दीपक गुप्ता के समर्थन आधार में सेंध लगाएगी, जिससे उन्हें फायदा होगा । डॉक्टर सुब्रमणियन से वास्तव में हमदर्दी रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि अब की बार उनके मुकाबले पर जो उम्मीदवार हैं - सुरेश भसीन, शरत जैन और दीपक गुप्ता, वह व्यक्तित्व, पहचान और साख के मामले में उन जेके गौड़, सुधीर मंगला और आलोक गुप्ता से इक्कीस ही हैं जो पिछली बार उनके मुकाबले पर थे । इसलिए इस बार स्थितियाँ उनके लिए अनुकूल नहीं बल्कि प्रतिकूल हैं और इस बार का मुकाबला उनके लिए और मुश्किल होगा । यह मुश्किल इसलिए भी होगा, क्योंकि अपनी उम्मीदवारी को लेकर वह अभी तक भी कन्फ्यूज्ड ही हैं ।
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में दिलचस्पी रखने वाले लोगों का मानना और कहना यही है कि डॉक्टर सुब्रमणियन को उम्मीदवारी प्रस्तुत करने के लिए उकसाने का काम उनके क्लब के अंदर के और क्लब के बाहर के वही लोग कर रहे हैं जो उनकी उम्मीदवारी की आड़ में दरअसल अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं । यह देखना दिलचस्प होगा कि डॉक्टर सुब्रमणियन अपनी उम्मीदवारी से इंकार करने के अपने फैसले पर बने/टिके रहेंगे या उनकी उम्मीदवारी में अपना स्वार्थ देख रहे लोगों के चँगुल में फँसेगे ।