Friday, March 21, 2014

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ए थ्री में बदनाम और अपमानित करने वाली चिट्ठियों के पीछे विजय शिरोहा को ब्लैकमेल करके उनसे विक्रम शर्मा के चुनाव में खर्च हुए पैसे बसूलने की राकेश त्रेहन की चाल है क्या ?

नई दिल्ली । विक्रम शर्मा ने अपने क्लब - लायंस क्लब नई दिल्ली गीतांजली - के अध्यक्ष सतीश दिवाकर को आश्वस्त किया है कि उनके नाम से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को परेशान, बदनाम और अपमानित वाले जो पत्र लिखे जा रहे हैं, उनसे उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा और इसलिए अपने नाम को इस्तेमाल होने को लेकर उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है । विक्रम शर्मा ने उन्हें बताया है कि यह सब जो चिट्ठीबाजी हो रही है, यह पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर राकेश त्रेहन की रणनीति का हिस्सा है और इस सब के जरिये राकेश त्रेहन दबाव बना कर विजय शिरोहा से उन्हें सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में खर्च हुई उनकी रकम को वापस दिलवायेंगे । विक्रम शर्मा ने अभी हाल ही में अपने क्लब के अध्यक्ष तथा कुछेक अन्य सदस्यों से जो कुछ कहा है उसका मतलब यही है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को निशाना बना कर जो चिट्ठियाँ प्रसारित/प्रचारित की जा रही हैं, उसके पीछे असल उद्देश्य विजय शिरोहा और आरके शाह से पैसा ऐंठना है । विक्रम शर्मा के अनुसार, राकेश त्रेहन ने उन्हें भरोसा दिया है कि वह अलग-अलग नामों से रोजाना चिट्ठियाँ लिख लिख कर विजय शिरोहा को इतना परेशान कर देंगे कि विजय शिरोहा समझौता करने की बात करने लगेंगे और तब वह विजय शिरोहा से विक्रम शर्मा के चुनाव में खर्च हुए पैसे की भरपाई करने की माँग करेंगे ।
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के आयोजन को लेकर विक्रम शर्मा की तरफ से लायंस इंटरनेशनल में औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करवाई गई है और इस शिकायत में डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस को अमान्य करने की माँग की गई है । शिकायत करने/करवाने वालों को यदि अपने तथ्यों और लायंस इंटरनेशनल के न्याय-विवेक पर भरोसा है, तो उन्हें लायंस इंटरनेशनल से फैसला होने का इंतजार करना चाहिए । लेकिन फैसले का इंतजार करने की बजाये, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को जिस तरह से बदनाम करने की मुहिम छेड़ दी गई है, उससे साफ है कि डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस के आयोजन को लेकर शिकायत करने/करवाने वालों को अच्छी तरह पता है कि उनकी शिकायत में कोई दम नहीं है और लायंस इंटरनेशनल से उन्हें कोई राहत नहीं मिलने वाली है । इसीलिए उस शिकायत की आड़ लेकर उन्होंने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के खिलाफ हमला बोल दिया है, ताकि उन्हें ब्लैकमेल किया जा सके । राकेश त्रेहन की यह रणनीति विक्रम शर्मा को पसंद आ रही है - उन्हें लग रहा है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो वह नहीं बन पाये, कम से कम उनका जो पैसा खर्च हुआ है, वही वापस मिल जाये ।
विक्रम शर्मा को अपने क्लब के अध्यक्ष सतीश दिवाकर से यह सब बातें कहने/बताने की जरूरत दरअसल इसलिए पड़ी, क्योंकि सतीश दिवाकर ने उनसे यह डर व्यक्त किया कि उनके नाम से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के बारे में जो बेबुनियाद और भद्दी बातें कही/लिखी जा रही हैं उसके कारण कहीं वह मुसीबत में न पड़ जाएँ । सतीश दिवाकर ने डर व्यक्त किया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा ने यदि उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई कर दी, तो वह बचेंगे कैसे ? क्लब के कुछेक दूसरे सदस्यों ने भी विक्रम शर्मा से इस बात के लिए विरोध जताया कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा के साथ निजी खुन्नस निकालने में लगे डिस्ट्रिक्ट के कुछेक नेताओं के जरिये वह सतीश दिवाकर के नाम को क्यों इस्तेमाल होने दे रहे हैं । इस पर ही विक्रम शर्मा ने उनके सामने यह खुलासा किया कि यह सब जो हो रहा है वह राकेश त्रेहन के द्धारा ही हो रहा है और राकेश त्रेहन ने मुझसे कहा है कि इससे किसी का कुछ नहीं बिगड़ेगा और मेरे जो पैसे चुनाव में खर्च हुए हैं वह मुझे विजय शिरोहा से मिल जायेंगे । क्लब के सदस्यों ने कहा भी कि राकेश त्रेहन जो काम दूसरे लोगों के नाम से कर रहे हैं, वही काम वह अपने नाम से क्यों नहीं करते हैं ? विक्रम शर्मा इस बात का कोई जबाव नहीं दे सके ।
विक्रम शर्मा से यह भी कहा गया कि चुनाव में उनके जो पैसे खर्च हुए हैं, वह डिस्ट्रिक्ट के कुछेक नेताओं के असली और नकली क्लब्स के ड्यूज देने में ही तो खर्च हुए हैं; तो जिन नेताओं ने अपने क्लब के ड्यूज के पैसे उनसे लिए हैं, वह उन्हें उनके पैसे वापस क्यों नहीं कर देते ? विक्रम शर्मा से कहा गया कि जो राकेश त्रेहन आपको विजय शिरोहा से पैसे दिलाने की बात कर रहे हैं, वह राकेश त्रेहन अपने असली और नकली क्लब्स के ड्यूज के उनसे लिए गए पैसे उन्हें वापस क्यों नहीं करते हैं ? विक्रम शर्मा इन बातों को सुनकर भी चुप ही रहे । विक्रम शर्मा लगातार एक ही बात कहते रहे कि राकेश त्रेहन ने उन्हें विश्वास दिलाया है कि वह विजय शिरोहा की ऐसी हालत कर देंगे, कि वह समझौता करने के लिए मजबूर होंगे और तब विजय शिरोहा को ब्लैकमेल करके उनसे वह सारे पैसे बसूल लिए जायेंगे जो चुनाव में खर्च हुए हैं ।
मजे की बात यह है कि विजय शिरोहा के खिलाफ चलाये जा रहे निंदा अभियान में प्रायः नकली क्लब्स के पदाधिकारियों को ही इस्तेमाल किया जा रहा है और इस तरह उन्हें एक संभावित मुश्किल की तरफ धकेला जा रहा है । नकली क्लब्स के जो पदाधिकारी बेचारे कभी किसी आयोजन में नहीं नजर आये और या जिन्होंने लायनिज्म के काम के लिए कभी चार लाइनें नहीं लिखीं, वह प्रायः रोज लंबे-लंबे पत्र लिख रहे हैं और उनमें लगभग एक सी ही भाषा है, एक सी ही बातें हैं, एक से ही तर्क हैं और एक से ही निशाने हैं । डिस्ट्रिक्ट में चर्चा है कि इन पत्रों के पीछे राकेश त्रेहन और हर्ष बंसल ही हैं । कुछेक पत्रों के पीछे अजय बुद्धराज और डीके अग्रवाल को भी पहचाना गया है । दिलचस्प बात यह है कि आपसी बातचीत में राकेश त्रेहन इन पत्रों के पीछे अजय बुद्धराज और डीके अग्रवाल के होने की बात करते हैं, तो अजय बुद्धराज और डीके अग्रवाल इन पत्रों को राकेश त्रेहन और हर्ष बंसल की कारस्तानी के रूप में देखते/बताते हैं । जाहिर है कि इन पत्रों के जरिये सिर्फ डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विजय शिरोहा को ही बदनाम करने की कोशिश नहीं की जा रही है, बल्कि अपने साथियों को भी बदनाम करने का मौका बना लिया जा रहा है ।