Thursday, February 18, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3080 की देहरादून में होने वाली डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रेसीडेंट नॉमिनी ईआन रिसले को अपने ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों से दूर रखने की राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स की कोशिश सफल होगी क्या ?

चंडीगढ़/देहरादून । राजेंद्र उर्फ राजा साबू तथा उनके साथी गवर्नर्स के लिए रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी ईआन रिसले को डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में अपने डिस्ट्रिक्ट के उन वरिष्ठ सदस्यों से 'बचा' कर रखना बड़ी चुनौती होगी, जो उनसे मिल कर डिस्ट्रिक्ट में होने वाली फंड की गड़बड़ियों पर बात करना चाहेंगे । ईआन रिसले देहरादून में होने वाली डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट के आधिकारिक प्रवक्ता के रूप में शामिल होने पहुँच रहे हैं । राजा साबू तथा डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों को खबर मिली है कि डिस्ट्रिक्ट के कुछेक वरिष्ठ सदस्य ईआन रिसले के संज्ञान में डिस्ट्रिक्ट में फंड को लेकर होने वाली अनियमितताओं तथा गड़बड़ियों की बात लाने की तैयारी कर रहे हैं, और वह इस संदर्भ में ईआन रिसले को ज्ञापन आदि सौपेंगे । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब चंडीगढ़ सिटी ब्यूटीफुल के वरिष्ठ सदस्य व पूर्व प्रेसीडेंट एमपी गुप्ता इस तरह की कार्रवाई मौजूदा इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के साथ कर चुके हैं, जिसके चलते पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट राजा साबू तथा डिस्ट्रिक्ट के दूसरे प्रमुख गवर्नर्स को रोटरी समाज में भारी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा है । उनकी मुसीबत को केआर रवींद्रन की तरफ से एमपी गुप्ता को मिली तवज्जो ने और बढ़ाया । इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने लोगों के सामने एमपी गुप्ता को जिस तरह की इम्पोर्टेंस दी, उससे डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच एमपी गुप्ता का कद खासा बढ़ा नजर आया । इसमें राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स के लिए बुरी बात यह हुई कि इससे प्रेरित होकर डिस्ट्रिक्ट के कुछेक और लोग भी एमपी गुप्ता के नक्शेकदम पर चलने को तैयार होने लगे हैं ।
हैरत की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट से जुड़े कई मामलों के फंड के हिसाब-किताब को लेकर सवाल उठने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट गवर्नर डेविड हिल्टन और दूसरे प्रोजेक्ट्स से जुड़े पूर्व गवर्नर्स हिसाब-किताब देने/बताने को तैयार नहीं दिख रहे हैं; और तरह तरह की बहानेबाजियों से हिसाब-किताब देने को टालने की कोशिश करते हुए ही देखे जा रहे हैं । इस कोशिश को राजा साबू का पूरा समर्थन बताया और देखा जा रहा है । राजा साबू के समर्थन के भरोसे ही पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास ने तो 18 अक्टूबर को अंबाला में हुई इंटरसिटी में यह कहते हुए लोगों को सीधी चुनौती ही दे डाली थी कि हम कोई हिसाब-किताब नहीं देंगे, बताओ क्या कर लोगे ? हिसाब-किताब को लेकर सबसे ज्यादा छीछालेदर पिछले रोटरी वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर दिलीप पटनायक की हुई है - और उनके चक्कर में पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हेमंत अरोड़ा भी फजीहत का शिकार हुए । दरअसल डिस्ट्रिक्ट में हिसाब-किताब देने की माँग के बढ़ने से जो दबाव बना, उससे दिलीप पटनायक के गवर्नर-काल की दो बैलेंस-शीट सामने आने का अद्भुत नजारा पेश हुआ । चूँकि पिछले वर्षों में होता यह रहा है कि गवर्नर अपने कार्यकाल की काली-पीली जैसी जो बैलेंस-शीट बनाता है, वह चुपचाप पास करा लेता रहा है - तो उसी तर्ज पर दिलीप पटनायक के कार्यकाल की भी बैलेंस-शीट बन गई । इस बीच लेकिन डिस्ट्रिक्ट में लोगों के बीच हिसाब-किताब को लेकर जागरूकता बढ़ी देखी गई, तो दिलीप पटनायक व उनके सलाहकारों को बैलेंस-शीट 'ठीक' से बनाने की जरूरत महसूस हुई । हेमंत अरोड़ा 'सेवा' करने के लिए तैयार बैठे ही थे । हेमंत अरोड़ा को लोग पढ़े-लिखे चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में समझते/पहचानते रहे हैं - किंतु लोगों को अब पता चला कि चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में हेमंत अरोड़ा तो बस आँख बंद करके 'ठप्पे' लगाने का काम करते हैं - उनकी फीस उन्हें दे दो, और जहाँ चाहो वहाँ ठप्पा लगवा लो । चार्टर्ड एकाउंटेंट के रूप में हेमंत अरोड़ा ने दिलीप पटनायक के गवर्नर-काल की पहली बैलेंस-शीट में जिस श्रद्धा-भाव से ठप्पा लगाया था, उसी श्रद्धा-भाव से उन्होंने दूसरी बैलेंस-शीट में भी ठप्पा लगा दिया । पहली बैलेंस-शीट में दिखाया गया फायदा दूसरी बैलेंस-शीट में भारी घाटे में बदल गया । फायदे को भारी घाटे में बदलने के लिए की गई हेराफेरी के लिए हेमंत अरोड़ा को फीस कितनी मिली, यह तो हेमंत अरोड़ा और दिलीप पटनायक ही जानते होंगे - लेकिन फायदे के भारी घाटे में बदलने का जादू लोगों ने मुफ्त में देखा ।
यशपाल दास की 'हिसाब नहीं देंगे, बताओ क्या कर लोगे' जैसी धमकीभरी चुनौती और दिलीप पटनायक के गवर्नर-काल की दो बैलेंस-शीट आने से साफ हो गया कि मामला 'दाल में कुछ काला' भर होने का नहीं है, बल्कि पूरी की पूरी दाल के काला होने का है । राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स को हालाँकि इस बात की ज्यादा परवाह नहीं है कि डिस्ट्रिक्ट में और या रोटरी में लोग उनके बारे में कैसी कैसी बातें कर रहे हैं, और कैसे कैसे सवाल उठा रहे हैं; लोगों  के सवालों पर वह चुप्पी मार कर बैठे हैं - क्योंकि वह जानते हैं कि लोग सवाल करने के अलावा कुछ और कर भी नहीं पायेंगे । दरअसल इसी विश्वास के चलते यशपाल दास यह कहने का साहस कर सके कि 'हम हिसाब नहीं देंगे, बताओ क्या कर लोगे ।' किंतु उनकी समस्या और चिंता यह है कि ईआन रिसले के मन में यदि यह बात बैठ गई कि राजा साबू और उनके संगी-साथी हिसाब-किताब में गड़बड़ी करते हैं, तो क्या होगा । ईआन रिसले अभी रोटरी इंटरनेशनल प्रेसीडेंट नॉमिनी हैं - उनके प्रेसीडेंट बनने में अभी समय है; पर अभी से उनके मन में यदि यह बात बैठा दी गई कि राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट में हिसाब-किताब में भारी हेराफेरी होती है, और इसके चलते प्रेसीडेंट पद तक पहुँचने पर उन्होंने राजा साबू के डिस्ट्रिक्ट के हिसाब-किताब को सख्ती से देखना/दिखवाना शुरू कर दिया - तो फिर क्या होगा ? राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स को एमपी गुप्ता तथा दूसरे लोगों के सवालों से ज्यादा परेशानी नहीं है; वह जानते/समझते हैं कि एमपी गुप्ता तथा दूसरे लोगों के सवाल उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकेंगे; लेकिन यह बात वह जरूर समझ रहे हैं कि एमपी गुप्ता तथा दूसरे लोगों द्धारा लगातार उठाए जा रहे सवालों से रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय में उनके खिलाफ सुबूत इकट्ठे हो रहे हैं, जो उनके लिए परेशानी का सबब बन सकते हैं । उल्लेखनीय है कि कुछ समय पहले तक कौन इस बात पर विश्वास कर सकता था कि राजा साबू का डिस्ट्रिक्ट पायलट प्रोजेक्ट के घेरे में आ जायेगा, और डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू कोई मनमानी करें - और रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय उनकी मनमानी को पूरा नहीं होने देगा । इसी तरह के झटकों से सबक लेते हुए राजा साबू तथा उनके संगी-साथी गवर्नर्स कोशिश करना चाहते हैं कि हिसाब-किताब पर सवाल उठा रहे लोगों की डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में ईआन रिसले से ज्यादा देर की मुलाकात और बातचीत न हो सके । देहरादून में होने वाली डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में प्रेसीडेंट नॉमिनी ईआन रिसले को अपने ही डिस्ट्रिक्ट के लोगों से दूर रखने की राजा साबू और उनके संगी-साथी गवर्नर्स की यह कोशिश क्या गुल खिलायेगी, यह देखना दिलचस्प होगा ।