Tuesday, February 9, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ता जो मशीनें पहले एक करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत की बता रहे थे, सतीश सिंघल के डबल-क्रॉस के बाद उन्हें अब वह पचास-साठ लाख रुपए में खरीद लेने की बातें करने लगे हैं

गाजियाबाद । रोटरी वरदान ब्लड बैंक पर आए/छाए खतरे के लिए जेके गौड़, रमेश अग्रवाल व शरत जैन की तिकड़ी ने सतीश सिंघल को जिम्मेदार ठहराना शुरू कर दिया है । इनकी तरफ से कहा/बताया जा रहा है कि सतीश सिंघल ने अजय सिन्हा को बातों में फँसा कर पहले तो हेराफेरी करने का तरीका बताया और हेराफेरी होने के बाद फिर 'पकड़वा' दिया । अजय सिन्हा रोटरी क्लब साहिबाबाद के वरिष्ठ सदस्य हैं, और रोटरी वरदान ब्लड बैंक से जुड़े कामकाज की जिम्मेदारी उन्हीं ने निभाई है । जिम्मेदारी निभाते हुए ही अजय सिन्हा ने सतीश सिंघल से शुरुआती जरूरी बातें कीं और सुझाव लिए । सतीश सिंघल ने चूँकि नोएडा में रोटरी ब्लड बैंक बनाया है और उसे 'चला' रहे हैं, इसलिए उनके अनुभव का फायदा उठाने के उद्देश्य से उनसे सुझाव लिए । कहा/बताया जा रहा है कि सतीश सिंघल ने ही अजय सिन्हा को 'बताया' था कि सप्लायर से कैसे कम कीमत की मशीनों के बढ़ा-चढ़ा कर बिल बनवाए जा सकते हैं; और कैसे प्रोजेक्ट की कीमत को 'बढ़ाया' जा सकता है ? कहा/बताया जा रहा है कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक की सारी कार्रवाई ठीक वैसे ही हुई, जैसे कि सतीश सिंघल ने बताया था । जेके गौड़, रमेश अग्रवाल व शरत जैन की तिकड़ी का कहना है कि लेकिन जैसे ही रोटरी फाउंडेशन से पैसा रिलीज कराने के लिए रोटरी वरदान ब्लड बैंक के संबंधित कागजात डीआरएफसी मुकेश अरनेजा के पास पहुँचे, वैसे ही सतीश सिंघल ने मुकेश अरनेजा के सामने सारी पोलपट्टी खोल दी - नतीजा यह रहा है कि डीआरएफसी के रूप में मुकेश अरनेजा ने जो सवाल उठाए, उनके जबाव देने की बजाए रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ताओं को मुँह छिपाने पड़ रहे हैं । 
रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ताओं को सतीश सिंघल के डबल-क्रॉस करने पर नाराजगी तो है ही, साथ ही हैरानी भी है; उनके लिए यह समझना मुश्किल हो रहा है कि सतीश सिंघल ने उनके साथ यह डबल-गेम क्यों खेला ? उन्हें इसके दो कारण समझ में आ रहे हैं : एक कारण तो यह कि सतीश सिंघल नहीं चाहते हैं कि डिस्ट्रिक्ट में कोई दूसरा ब्लड बैंक बने और इसलिए ही उन्होंने योजनाबद्ध तरीके से रोटरी वरदान ब्लड बैंक का मामला फँसा दिया है; दूसरा कारण उन्हें यह समझ में आ रहा है कि सतीश सिंघल को लगा होगा कि प्रोजेक्ट का खर्चा बढ़ा-चढ़ा कर दिखाने का फार्मूला उन्होंने बताया, फार्मूले को इम्प्लीमेंट उन्होंने करवाया और 'मलाई' अकेले यह खा रहे हैं, उन्हें उनका हिस्सा भी नहीं दे रहे हैं - सो उन्होंने 'मलाई' बिखेरने का इंतजाम कर दिया । रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ताओं को हैरानी इस बात की भी हुई है कि सतीश सिंघल ने जो तरकीब उन्हें बताई, उसे अपना कर वह तो फँस गए - लेकिन सतीश सिंघल नहीं 'पकड़े' गए । इसकी बजह सतीश सिंघल ने ही उन्हें बताई और वह यह कि उन्होंने जो ब्लड बैंक बनाया, वह क्लब प्रोजेक्ट के तहत बनाया, जिसका किसी को हिसाब नहीं देना - इसलिए मजे से कुछ भी काला-पीला करते रहो; रोटरी वरदान ब्लड बैंक डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के रूप में बनाया जा रहा है - जिसका हिसाब देना पड़ेगा, और इसलिए 'पकड़े' जाने का डर बना रहेगा । रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ताओं को सतीश सिंघल से जब यह 'ज्ञान' मिला तो उन्होंने रोटरी वरदान ब्लड बैंक को डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट से क्लब प्रोजेक्ट में बदलने की कोशिश की । 
जेके गौड़ ने रोटरी फाउंडेशन कार्यालय को पत्र लिख कर बताया कि ग्लोबल ग्रांट नंबर 1527923 के तहत रोटरी वरदान ब्लड बैंक का जो प्रोजेक्ट है, उसे 'गलती से' डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट कह दिया गया है, वास्तव में वह क्लब प्रोजेक्ट है । रोटरी फाउंडेशन कार्यालय के लोगों को भी लगा होगा कि कैसे कैसे लोग गवर्नर बन जाते हैं, जिन्हें इतना भी नहीं पता कि डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के फॉर्मेट में जब आवेदन दे रहे हो, तो वह डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट ही है - उसमें गलती क्या हो गई, और उसे क्लब प्रोजेक्ट कैसे कहा जा सकता है ? रोटरी फाउंडेशन कार्यालय के लोगों को क्या पता कि जेके गौड़ यह 'नाटक' पकड़े जाने से बचने के लिए कर रहे हैं । जेके गौड़ ने तो यह समझा कि जिस तरह की मनमानियों व बेवकूफियों से वह डिस्ट्रिक्ट चला रहे हैं, वैसे ही रोटरी फाउंडेशन कार्यालय भी चल रहा होगा - और वह कहेंगे कि हमारे प्रोजेक्ट को डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट की जगह क्लब प्रोजेक्ट बना दो, ताकि हमें किसी को कोई हिसाब न देना पड़े, और रोटरी फाउंडेशन कार्यालय तुरंत उनकी बात मान लेगा । रोटरी फाउंडेशन कार्यालय ने लेकिन उनकी माँग को दो-टूक तरीके से खारिज कर दिया और ग्लोबल ग्रांट नंबर 1527923 के प्रोजेक्ट को डिस्ट्रिक्ट प्रोजेक्ट के रूप में ही रेखांकित किया । जेके गौड़ और रोटरी वरदान ब्लड बैंक की हेराफेरी में शामिल दूसरे लोगों को इसके कारण भारी झटका लगा । 
उनके लिए झटके की लेकिन इससे भी बड़ी बात यह है कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक के लिए रोटरी क्लब साहिबाबाद, रोटरी क्लब ग्रेटर व रोटरी क्लब इंडस्ट्रियल टाउन के जिन सदस्यों ने पैसे दिए हैं - उनके बीच इस बात को लेकर खलबली है कि एक नेक काम के नाम पर उनसे लिए गए पैसों में हेराफेरी की जा रही है । उनके बीच इस तरह की आवाजें सुनी जा रही हैं कि यदि यह प्रोजेक्ट समय से पूरा नहीं हो रहा है तो उनके पैसे वापस किए जाएँ । प्रोजेक्ट-कॉस्ट कम करने की खबरों को लेकर भी हलचल है । सुना जा रहा है कि रोटरी वरदान ब्लड बैंक के कर्ता-धर्ता अब इस बात के लिए राजी हो रहे हैं, कि जो मशीनें पहले वह एक करोड़ रुपए से भी अधिक कीमत की बता रहे थे, उन्हें अब वह पचास-साठ लाख रुपए में खरीद लेंगे । यह फैसला करने से पहले हालाँकि वह यह समझने की भी कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा कुछ करने पर उनकी तारीफ होगी, या और ज्यादा लानत-मलानत होगी ? जेके गौड़, रमेश अग्रवाल और शरत जैन की तिकड़ी सतीश सिंघल के खिलाफ पहले से ही थी, रोटरी वरदान ब्लड बैंक को लेकर फजीहत में फँसने के बाद तो यह तिकड़ी सतीश सिंघल के और भी ज्यादा खिलाफ हो गई है । इससे डिस्ट्रिक्ट में आगे और क्या क्या नज़ारे देखने को मिलेंगे, यह आगे पता चलेगा ।