Tuesday, February 2, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता की बचती दिख रही कुर्सी ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई की 'सक्रियता' पर सवाल खड़े किए; उनके अधिकार क्षेत्र व उनकी 'हैसियत' को चुनौती तो सुनील गुप्ता से ही मिल रही है

मेरठ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता ने इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई को रोटरी इंटरनेशनल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने की धमकी देकर अपनी कुर्सी क्या सचमुच बचा ली है ? सुनील गुप्ता तो अपने नजदीकियों के बीच यही दावा कर रहे हैं । डिस्ट्रिक्ट में तमाम लोग जहाँ इस बात को लेकर प्रश्नाकुल व परेशान हैं कि सुनील गुप्ता के खिलाफ शिकायत पर रोटरी इंटरनेशनल बोर्ड ने आखिर फैसला क्या किया है; वहाँ सुनील गुप्ता अपने नजदीकियों को बता रहे हैं कि रोटरी के बड़े नेताओं ने उनके खिलाफ कार्रवाई करने तथा उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटाने की तैयारी तो पूरी कर ली थी, लेकिन मैंने जब रोटरी के बड़े नेताओं को दो-टूक शब्दों में बता दिया कि मेरे खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और मुझे डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से हटाया तो मैं रोटरी इंटरनेशनल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करूँगा - तब रोटरी के बड़े नेताओं ने मेरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल देने में ही अपनी भलाई समझी । सुनील गुप्ता अपने मामले में मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई तथा पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के रवैये से खासे नाराज हैं; और आरोप लगा रहे हैं कि इन दोनों ने अपनी अपनी राजनीति चमकाने के लिए उन्हें बलि का बकरा बनाने का षड्यंत्र किया - और धोखे से उनका 'शिकार' करने की कोशिश की । सुनील गुप्ता का अपने नजदीकियों के बीच कहना है कि ईश्वर की कृपा से वह मनोज देसाई तथा सुशील गुप्ता की बातों में नहीं आए - और इसलिए अभी भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर न सिर्फ बने हुए हैं, बल्कि उनके विरोधियों को भी विश्वास हो चला है कि रोटरी इंटरनेशनल उनके खिलाफ कोई कार्रवाई करने नहीं जा रहा है । 
उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 में पिछले करीब दस दिन से चर्चा गर्म है कि सुनील गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से अब गए कि तब गए; लोगों के बीच बहस इस बात पर रही कि सुनील गुप्ता डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से सस्पेंड होंगे या टर्मिनेट होंगे । सुनील गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से सस्पेंड/टर्मिनेट होने की संभावना इतनी प्रबल रही कि कुछेक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने तो उनकी जगह 'लेने' के लिए लॉबीइंग भी शुरू कर दी । सुनील गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से सस्पेंड/टर्मिनेट होने की संभावना के प्रबल होने का कारण मनोज देसाई ने उपलब्ध कराया । उल्लेखनीय है कि कुछेक लोगों को रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस से पता चला तो कुछेक लोगों को खुद सुनील गुप्ता ने बताया कि रोटरी इंटरनेशनल की बोर्ड मीटिंग शुरू होने से ठीक पहले मनोज देसाई ने सुनील गुप्ता को फोन करके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से इस्तीफा देने का सुझाव दिया है । मनोज देसाई ने उन्हें स्पष्ट शब्दों में बताया कि उनके खिलाफ जो शिकायतें हैं, उन्हें इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन ने बहुत गंभीरता से लिया है और वह सख्त कार्रवाई करने के पक्ष में हैं; केआर रवींद्रन की बातों से लगता है कि वह तुम्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से तो टर्मिनेट कर ही देंगे, संभव है कि तुम्हारे डिस्ट्रिक्ट को भी खत्म कर दें । यह बताते हुए मनोज देसाई ने सुनील गुप्ता को सुझाव दिया कि टर्मिनेट होने की बदनामी से बचने के लिए तथा अपने डिस्ट्रिक्ट को खत्म होने से बचाने के लिए अच्छा होगा कि तुम पहले ही डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद से इस्तीफा दे दो । मनोज देसाई की तरफ से यह प्रयास भी होता हुआ सुना गया कि डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स सुनील गुप्ता को इस्तीफे के लिए राजी करें ।  
मनोज देसाई से अपने खिलाफ कार्रवाई होने की बात सुनकर सुनील गुप्ता को कोई आश्चर्य नहीं हुआ । दरअसल अपनी कारस्तानियों से सुनील गुप्ता ने रोटरी में इतनी बदनामी कमा ली है कि उनके खिलाफ कार्रवाई की जमीन तैयार होने लगी थी । इस तैयारी को भाँप कर सुनील गुप्ता ने पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता से मदद की गुहार भी लगाई थी, और सुशील गुप्ता ने उन्हें मदद का भरोसा भी दिया था । किंतु कुछ ही दिन पहले सुशील गुप्ता ने सुनील गुप्ता को बता दिया था कि तुम्हारा मामला इतना खराब है कि मेरे लिए कुछ कर पाना संभव नहीं होगा । सुशील गुप्ता के मदद करने के आश्वासन से पलटने के बाद सुनील गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद पर अपने दिन गिनना शुरू कर दिया था । इसीलिए इंटरनेशनल बोर्ड की मीटिंग से पहले जब मनोज देसाई ने उन्हें हालात का हवाला देते हुए इस्तीफा देने का सुझाव दिया, तो सुनील गुप्ता को कोई आश्चर्य नहीं हुआ । वह बल्कि इस स्थिति का सामना करने की तैयारी कर चुके थे । उन्होंने खुद ही लोगों को बताया कि मनोज देसाई ने जब उन्हें इस्तीफ़ा देने का सुझाव दिया, तो उन्होंने उनसे पूछा कि इस्तीफा देने के बाद उन्हें पीडीजी (पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर) की पहचान और उसके अधिकार मिलेंगे क्या ? मनोज देसाई ने इससे इंकार किया, जिसे सुनकर - सुनील गुप्ता ने खुद लोगों को बताया कि उन्हें पता नहीं कहाँ से और कैसे हिम्मत मिली कि उन्होंने मनोज देसाई से साफ कह दिया कि रोटरी इंटरनेशनल को जो करना हो करे, वह इस्तीफा नहीं देंगे । सुनील गुप्ता ने साथ ही साथ मनोज देसाई को स्पष्ट शब्दों में यह बता भी बता दिया कि उन्हें यदि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पद से हटाया गया, तो वह रोटरी इंटरनेशनल के पदाधिकारियों के खिलाफ उचित कानूनी कार्रवाई करेंगे । 
सुनील गुप्ता के जरिए लोगों को जब मनोज देसाई के साथ उनकी हुई इस बातचीत के बारे में पता चला - तो हर किसी ने मान लिया कि इंटरनेशनल बोर्ड मीटिंग खत्म होते होते सुनील गुप्ता की गवर्नरी गई । हर किसी को अब सिर्फ आधिकारिक घोषणा का इंतज़ार था । लोगों के बीच सवाल सिर्फ यह था कि सुनील गुप्ता अकेले जायेंगे, या अपने साथ डिस्ट्रिक्ट को भी ले जायेंगे । यहाँ तक कि खुद सुनील गुप्ता ने भी अपनी 'जाने की' तैयारी कर ली थी - उस समय जिस किसी से भी उनकी बात हो रही थी, उनसे वह यही कह रहे थे : गवर्नरी ही तो ले रहे हैं, जान थोड़े ही ले रहे हैं । जाहिर है कि सब तैयार थे : सुनील गुप्ता जाने के लिए तैयार थे, दूसरे लोग उन्हें जाता हुआ देखने के लिए तैयार थे; सभी को रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से आधिकारिक सूचना मिलने का इंतजार था । लेकिन इंतज़ार है कि ख़त्म होने में ही नहीं आ रहा है । इंटरनेशनल बोर्ड मीटिंग को संपन्न हुए छह-सात दिन हो चुके हैं; दूसरे डिस्ट्रिक्ट के मामलों में उक्त मीटिंग में जो फैसले हुए हैं, वह सार्वजनिक हो चुके हैं - लेकिन डिस्ट्रिक्ट 3100 और उसके डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सुनील गुप्ता के मामले में जो फैसला होने की बात की जा रही थी, उस पर पूरी तरह से चुप्पीभरा सन्नाटा है । डिस्ट्रिक्ट में हर कोई अपने अपने सोर्सेज से - कोई रोटरी इंटरनेशनल के दिल्ली स्थित साऊथ एशिया ऑफिस से तो कोई इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई से तो कोई किसी और अथॉरिटी से पता करने का प्रयास कर रहा है कि आखिर फैसला हुआ क्या है - लेकिन किसी को कहीं से भी कोई जबाव नहीं मिल रहा है । मजे की बात यह है कि रोटरी इंटरनेशनल के किसी जिम्मेदार अधिकारी की तरफ से यह भी नहीं कहा/बताया जा रहा है कि डिस्ट्रिक्ट 3100 और उसके गवर्नर सुनील गुप्ता के खिलाफ कोई मामला था ही नहीं, तो आप किस फैसले की बात कर रहे हो ?
रोटरी इंटरनेशनल की तरफ से बरती जा रही इस चुप्पी ने सुनील गुप्ता में विश्वास भरने का काम किया है, और उन्हें अपनी हिलती/गिरती नजर आ रही कुर्सी अब मजबूती से जमी रहती दिखने लगी है - और इसी विश्वास के चलते उन्होंने सुशील गुप्ता व मनोज देसाई तथा रोटरी इंटरनेशनल के खिलाफ अपनी नाराजगी जताना/दिखाना शुरू कर दिया है । सुनील गुप्ता को लग रहा है कि इन दोनों ने इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन के नाम पर उन्हें डरा कर अपना कोई छिपा मकसद पूरा करने की चाल चली थी; किंतु अपनी होशियारी व अपनी हिम्मत से वह उनकी चाल में नहीं फँसे । मनोज देसाई के रवैये को लेकर तो सुनील गुप्ता बहुत ही खफा हैं । उनका आरोप है कि मनोज देसाई ने उन्हें जिस तरह डरा कर उनका इस्तीफा कराने का प्रयास किया, उससे उनका मानसिक उत्पीड़न हुआ है । जो हुआ, उससे सुनील गुप्ता ने एक निष्कर्ष यह और निकाला है कि मनोज देसाई आदि के बस की कुछ है नहीं - और यह झूठ बोल कर तथा डरा-धमका कर रोटेरियंस के बीच अपनी चौधराहट ज़माने की कोशिश करते हैं तथा अपने स्वार्थ पूरा करते हैं । सुनील गुप्ता का कहना है कि मनोज देसाई खुद फोन करके उनका इस्तीफा माँग रहे थे तथा डिस्ट्रिक्ट के पूर्व गवर्नर्स को उनके खिलाफ इकट्ठा कर रहे थे, लेकिन जैसे ही उन्होंने कानूनी कार्रवाई की बात कही - उसके बाद से मनोज देसाई की उनके खिलाफ या उनके डिस्ट्रिक्ट के खिलाफ कोई बात कहने की हिम्मत नहीं हुई है । 
सुनील गुप्ता की धमकी से डर कर ही मनोज देसाई उनके खिलाफ कार्रवाई करने से पीछे हटे हैं, या सुनील गुप्ता को 'माफ़ करने' के पीछे कोई और बजह है - यह तो मनोज देसाई ही बता सकते हैं; लेकिन मनोज देसाई की सक्रियता के बावजूद सुनील गुप्ता की कुर्सी जिस तरह बचती हुई नजर आ रही है - उससे कुल मिलाकर फजीहत मनोज देसाई की ही हो रही है । मनोज देसाई के लिए मुसीबत की बात यह हुई है कि खुद सुनील गुप्ता उनके अधिकार क्षेत्र व उनकी हैसियत को चुनौती दे रहे हैं ।