चंडीगढ़
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार के रूप में
जितेंद्र ढींगरा के चुने जाने पर सत्ता खेमे में मची खलबली में राजेंद्र
उर्फ राजा साबू की भूमिका को लेकर मधुकर मल्होत्रा और शाजु पीटर के बीच जो
'जंग' छिड़ी है, उसने एक दिलचस्प नजारा पेश किया हुआ है । उल्लेखनीय है
कि नोमीनेटिंग कमेटी में जितेंद्र ढींगरा को अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने के
दो दिन बाद ही पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर मधुकर मल्होत्रा ने जितेंद्र
ढींगरा के नजदीकियों को संदेश दिया कि राजा साबू नोमीनेटिंग कमेटी के इस
फैसले से खुश नहीं हैं, और उन्होंने कह दिया है कि जितेंद्र ढींगरा यदि
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी चुने गए - तो वह रोटरी छोड़ देंगे । यह बताते
हुए मधुकर मल्होत्रा ने सुझाव दिया कि अच्छा होगा कि जितेंद्र ढींगरा इस
पचड़े से खुद को अलग कर लें और चैलेंजिंग उम्मीदवार को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर
नॉमिनी बन जाने दें । मधुकर मल्होत्रा ने जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों को
आश्वस्त किया कि दो-चार वर्ष में राजा साबू खुद आगे बढ़ कर जितेंद्र ढींगरा
को भी और टीके रूबी को भी गवर्नर चुनवायेंगे/बनवायेंगे । यह बात एक
दूसरे पूर्व गवर्नर शाजु पीटर तक पहुँची, तो उन्होंने इस मामले में मधुकर
मल्होत्रा द्वारा राजा साबू को घसीटे जाने पर अपना ऐतराज जताया । शाजु पीटर
का कहना रहा कि जितेंद्र ढींगरा के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने से
डिस्ट्रिक्ट में बहुत से लोग खुश नहीं हैं, और वह चाहते हैं कि नोमीनेटिंग
कमेटी के इस फैसले को चैलेंज किया जाए - किंतु इस बात में राजा साबू का कोई
रोल नहीं है । शाजु पीटर का साफ कहना रहा कि मधुकर मल्होत्रा को इस
मामले में राजा साबू का नाम नहीं लेना चाहिए और राजा साबू के नाम पर इस तरह
की राजनीति नहीं होनी चाहिए ।
यहाँ यह याद करना उचित
होगा कि डिस्ट्रिक्ट में ही नहीं, डिस्ट्रिक्ट के बाहर/ऊपर की रोटरी में भी
मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर को रोटरी की 'राजनीति' में एक-दूसरे के
प्रतिस्पर्द्धी के रूप में देखा/पहचाना जाता है । माना/समझा जाता है कि इन
दोनों को रोटरी में 'आगे' जाना है और बड़े बड़े असाइनमेंट व पद लेने हैं - और
इसके लिए दोनों के बीच राजा साबू के ज्यादा से ज्यादा नजदीक होने/रहने की
होड़ लगी रहती है । रोटरी में 'आगे' रहने की, बड़े असाइनमेंट व पद लेने की
ख्वाहिश तो और भी पूर्व गवर्नर्स में है - और इसके लिए राजा साबू की
गुडबुक में आने के लिए वह अपने अपने तरीके से प्रयास भी खूब करते हैं;
लेकिन मधुकर मल्होत्रा व शाजु पीटर के प्रयासों के सामने उनके प्रयास फीके
पड़ जाते हैं और इस कारण से फ्रंट रनर्स के रूप में मधुकर मल्होत्रा व शाजु
पीटर को ही पहचान मिली है । इन दोनों का भी तरीका अलग अलग है : मधुकर
मल्होत्रा के तरीकों में एक आक्रामकता व 'गर्मी' देखी जाती है, जबकि शाजु
पीटर के प्रयासों में शालीनता व ठंडापन महसूस किया जाता है । अधिकृत
उम्मीदवार के रूप में चुने गए जितेंद्र ढींगरा के आगे बढ़ने को रोकने के
मामले में भी दोनों के तरीकों के इस फर्क को देखा/पहचाना जा सकता है । मधुकर
मल्होत्रा तुरंत धौंस-डपट पर उतर आए हैं, और अपनी धौंस को दमदार बनाने के
लिए राजा साबू के नाम का इस्तेमाल करने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं; जबकि
शाजु पीटर मामले की नाजुकता को समझ कर होशियारी से 'काम' करने की तरकीब लड़ा रहे हैं । शाजु पीटर ने यह जरूर किया कि जैसे ही उन्होंने मौका देखा, राजा साबू का नाम इस्तेमाल न करने की नसीहत देकर मधुकर मल्होत्रा को लताड़ लगाने का मौका उन्होंने नहीं गँवाया ।
डिस्ट्रिक्ट
में हर किसी के सामने यह अब जरूर साफ हो गया है कि अधिकृत उम्मीदवार के
रूप में जितेंद्र ढींगरा को चुने जाने का नोमीनेटिंग कमेटी का फैसला
डिस्ट्रिक्ट में राजा साबू के नेतृत्व वाले सत्ता गिरोह को पसंद नहीं आया
है और वह इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं । नोमीनेटिंग कमेटी का
फैसला डिस्ट्रिक्ट के सत्ता गिरोह के लिए वास्तव में किसी सदमे से कम नहीं
है । दरअसल, जितेंद्र ढींगरा को सफल न होने देने के लिए सत्ता गिरोह के
नेताओं ने पूरी तरह से कमर कस ली थी, और डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में
नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग होने से पहले ही चुनाव की बागडोर पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर यशपाल दास ने संभाल ली थी ।
नोमीनेटिंग कमेटी की मीटिंग होने से पहले सत्ता गिरोह के नेताओं ने अपने
आपसी मतभेदों को भुलाकर प्रवीन चंद्र गोयल के नाम पर एकजुटता बना ली थी ।
यही कारण रहा कि नोमीनेटिंग कमेटी के लिए चुने गए नौ नामों के सामने आते ही
प्रवीन चंद्र गोयल ने पाँच-चार से अपने जीतने की घोषणा करना शुरू कर दिया
था । प्रदीप जैन, बीएस सत्याल, नवनीत नागलिया, अरुण त्रेहन और ज्ञान प्रकाश
शर्मा के वोट मिलने का प्रवीन चंद्र गोयल को पक्का भरोसा था । उन्हें ही
नहीं, सत्ता गिरोह के नेताओं को भी पूरा पूरा भरोसा था - और इसीलिए वह भी
प्रवीन चंद्र गोयल के अधिकृत उम्मीदवार चुने जाने को लेकर आश्वस्त थे ।
लेकिन जब नतीजा आया, तो उनके होश फाख्ता हो गए । प्रवीन चंद्र गोयल तथा
सत्ता गिरोह के नेताओं को नवनीत नागलिया पर धोखा देने का शक है । नवनीत
नागलिया को डिस्ट्रिक्ट में पानीपत ग्रुप के एक नेता प्रमोद विज के 'आदमी' के रूप में देखा/पहचाना जाता है, और इस नाते प्रवीन चंद्र गोयल व सत्ता गिरोह के नेताओं
को उनका वोट मिलने का पक्का भरोसा था । प्रवीन चंद्र गोयल को उनका वोट
मिलने का इसलिए भी भरोसा था, क्योंकि प्रवीन चंद्र गोयल खुद पानीपत ग्रुप
के 'आदमी' रहे हैं । प्रवीन चंद्र गोयल तथा सत्ता गिरोह के नेता हालाँकि अभी भी यही समझने का प्रयास कर रहे हैं कि गड़बड़ी नवनीत नागलिया की तरफ से हुई है, या प्रमोद विज से उन्हें गच्चा मिला है । अब सच चाहें जो हो, चुनावी सच यह है कि अधिकृत उम्मीदवार जितेंद्र ढींगरा चुने गए हैं ।
डिस्ट्रिक्ट
में राजा साबू के नेतृत्व वाले सत्ता गिरोह को लेकिन नोमीनेटिंग कमेटी का
यह फैसला स्वीकार नहीं है और इस फैसले को पलटवाने के लिए सत्ता गिरोह के नेता सक्रिय हो गए हैं । मधुकर
मल्होत्रा की तरफ से जितेंद्र ढींगरा के नजदीकियों को जो धौंस मिली है, वह
इसी सक्रियता का एक उदाहरण भर है । जितेंद्र ढींगरा को 'आगे बढ़ने' से
रोकने के तरीकों को लेकर सत्ता गिरोह के नेताओं के बीच मतभेद की खबरें भी
हालाँकि सुनने को मिल रही हैं । पिछले रोटरी वर्ष में नोमीनेटिंग कमेटी
के फैसले को पलटने के लिए सत्ता खेमे के नेताओं ने जो जो कारस्तानियाँ कीं
और उनके नतीजे में डिस्ट्रिक्ट में और रोटरी भर में उनकी जो थुक्का-फजीहत
हुई, उससे सबक लेकर सत्ता गिरोह के कुछेक नेता इस बार मामले को थोड़ा
होशियारी से हैंडल करने की वकालत कर रहे हैं । उनका कहना है कि पिछली बार
जैसे हथकंडे जब पिछली बार के मामले में मददगार साबित नहीं हुए, तो अबकी बार फिर से उन्हें इस्तेमाल करने में कौन सी अक्लमंदी होगी ? इसी
बिना पर कुछ लोगों का तो यहाँ तक मानना और कहना है कि सीधे-सच्चे तरीके से
कुछ हो सकता हो, तो करने का प्रयास अवश्य करना चाहिए - अन्यथा मामले को
अपनी इज्जत का सवाल नहीं बना लेना चाहिए । सत्ता गिरोह के कुछेक नेता लेकिन
इस बात पर आमादा हैं कि जितेंद्र ढींगरा को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी
चुने जाने से रोकने के लिए हर संभव हथकंडा अपनाना चाहिए, क्योंकि जितेंद्र
ढींगरा के सफल हो जाने से राजा साबू सहित दूसरे कई पूर्व डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर्स की बड़ी किरकिरी होगी । सत्ता गिरोह के नेताओं को अलग अलग तेवरों के साथ जितेंद्र ढींगरा के खिलाफ देख कर मधुकर मल्होत्रा
को अपनी नेतागिरी दिखाने का जो मौका दिखा, उसे तुरंत से लपक कर वह मैदान
में कूद पड़े हैं, और राजा साबू का नाम लेकर उन्होंने यह दिखाने/जताने का
प्रयास भी किया है कि राजा साबू जैसे उन्हीं पर सबसे ज्यादा विश्वास करते
हैं और इसीलिए जितेंद्र ढींगरा को आगे बढ़ने से रोकने की जिम्मेदारी राजा साबू ने उन्हें ही सौंपी है । मधुकर
मल्होत्रा को सक्रिय होता देख शाजु पीटर भी चुप नहीं बैठे रह सके और मधुकर
मल्होत्रा की लगाम कसते हुए उन्होंने स्पिन बॉल की कि मामले में राजा साबू
का नाम नहीं लेना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए अधिकृत उम्मीदवार के रूप में चुने गए
जितेंद्र ढींगरा को आगे बढ़ने से रोकने के नाम पर मधुकर मल्होत्रा और शाजु
पीटर जिस तरह से राजा साबू का नाम लेकर आपस में भिड़ गए हैं, उससे
डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का सीन खासा दिलचस्प हो गया है ।