आगरा
। लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के नाम पर हो रही राजनीति ने डिस्ट्रिक्ट 321
सी टू में खासा दिलचस्प नजारा प्रस्तुत किया हुआ है - 'मार' बेचारे
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल पर पड़ रही है, लेकिन दर्द सेकेंड वाइस
डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवार मधु सिंह के समर्थक गवर्नर्स को हो रहा
है । इसका नतीजा यह हो रहा है कि मधु सिंह के समर्थक गवर्नर्स भी
सीपी सिंघल को 'पीटने' में जुट गए हैं - और सीपी सिंघल दोनों तरफ से 'पिट'
रहे हैं । विडंबनापूर्ण रोचक बात यह हुई है कि एक तरफ तो डिस्ट्रिक्ट
गवर्नर के रूप में सीपी सिंघल हर तरह से मधु सिंह की उम्मीदवारी को प्रमोट
करने में लगे हुए हैं, और इसके लिए वह दूसरे ग्रुप के लोगों की आलोचना का
शिकार भी हो रहे हैं - दूसरी तरफ लेकिन मधु सिंह की उम्मीदवारी के
समर्थक पूर्व गवर्नर्स सीपी सिंघल की फजीहत करते हुए कह रहे हैं कि सीपी
सिंघल की कारस्तानियों के चलते मधु सिंह को पिछली हार से भी बड़ी हार का
सामना करना पड़ जायेगा । लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के मामले को लेकर
सीपी सिंघल ने जिस तरह की अपरिपक्वता दिखाई, और उसके चलते जिस तरह का माहौल
बना है - उसमें मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स को खतरे की
घंटी की आवाज सुनाई दी है; और उन्हें लग रहा है कि यह माहौल सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए प्रस्तुत मधु सिंह की उम्मीदवारी के लिए मुसीबतों को बढ़ाने वाला साबित हो सकता है ।
दरअसल हुआ यह कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के बंद होने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल की कठपुतली भूमिका को जिम्मेदार माना/बताया गया, और आरोप लगा कि पिछले लायन वर्ष में मधु सिंह की चुनावी हार को सुनिश्चित करने में मेवरिक्स की चूँकि सक्रिय भूमिका थी - इसलिए उसका बदला लेने के लिए मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स ने सीपी सिंघल को इस्तेमाल करते हुए मेवरिक्स को बंद करवा दिया । इस आरोप को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जिस तरह का प्रचार और स्वीकार्यता मिली, उसे देख कर मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स परेशान हो उठे हैं । लिहाजा अब वह सीपी सिंघल पर आरोप मढ़ रहे हैं, कि उन्होंने मामले को उचित तरीके से हैंडल नहीं किया और अपनी बेवकूफी से एक छोटे से मामले का बबाल बनवा दिया । मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स जान/समझ रहे हैं कि इस बबाल से सीपी सिंघल की तो सिर्फ बदनामी हो रही है, जो पहले से ही है भी - इसलिए उनका तो कुछ बिगड़ना नहीं है; लेकिन इस बबाल ने मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को जिस तरह से आरोपों के घेरे में ले लिया है - उसके चलते मधु सिंह की उम्मीदवारी के अभियान को खासा तगड़ा झटका लगा है ।
उल्लेखनीय है कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर योगेश कंसल के क्लब के रूप में पहचाना जाता रहा है । योगेश कंसल ने अपनी उम्मीदवारी के साल में इसे अपने बेटे को आगे रखकर खुलवाया/बनवाया था । यह क्लब यूँ तो काफी सक्रिय क्लब के रूप में जाना/पहचाना जाता रहा, लेकिन इसकी ज्यादातर सक्रियता नाच/गाने की मस्ती तक ही सीमित रही - जो कभी कभी लफंगई की सीमाओं को भी छूती नजर आई । क्लब के लोगों ने ही कहना शुरू किया कि क्लब के आयोजनों में आकर उन्हें नहीं लगता कि वह किसी लायंस क्लब के आयोजन में आए हैं, उन्हें लगता है कि जैसे वह किसी रेव पार्टी में आ गए हैं । इस तरह की बातों के बीच क्लब में दो ग्रुप बन गए । एक ग्रुप का प्रयास रहा कि जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहे; और दूसरे ग्रुप के प्रयासों में इसकी खिलाफत थी । पहला ग्रुप चूँकि सत्ता में था, लिहाजा वह मनमानी करता रहा । दूसरे ग्रुप के लोगों ने तब - पिछले लायन वर्ष में शिकायत करने का रास्ता पकड़ा । यहाँ तक मामला क्लब का आपसी झगड़ा भर था - डिस्ट्रिक्ट के नेता, यानि गवर्नर्स चाहते और कोशिश करते - तो क्लब के झगड़े को ख़त्म करवा सकते थे । शिकायत होने के बाद मामला जब लायंस इंटरनेशनल तक पहुँच गया, तब इसे लेकर डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर्स भी दो खेमों में बँट गए । पिछले लायन वर्ष की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रेणु नंदा के कामकाज की बागडोर चूँकि जितेंद्र चौहान के हाथ में थी, इसलिए उन्होंने चालबाजी करके लायंस क्लब मेवरिक्स के खिलाफ हो सकने वाली कार्रवाई को टलवा दिया । इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल के कामकाज की बागडोर चूँकि दूसरे ग्रुप के लोगों के हाथ में आ गई, सो चालबाजी करने का मौका उन्हें मिला और उन्होंने लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ करवा दिया ।
मामला यदि सिर्फ इतना भर ही होता, तो ज्यादा बबाल न मचता । मामले की आड़ में लेकिन जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने पैसे बनाने की कोशिश की - तो बात बिगड़ गई । क्लब के पदाधिकारियों के अनुसार, क्लब बचाने के ऐवज में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने तथा डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के पद बेचने की सौदेबाजी की । क्लब के पदाधिकारियों के आरोप के अनुसार, क्लब की तरफ से सीपी सिंघल की ऊँची डिमांड को चूँकि पूरा नहीं किया जा सका - तो क्लब को बंद करवा दिया गया । लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के पदाधिकारियों के इन आरोपों ने डिस्ट्रिक्ट में बबाल मचा दिया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच चूँकि पहले से ही काफी बदनामी है, इसलिए उक्त आरोपों को लेकर लोगों के बीच नाराजगी और बढ़ी । अलग अलग कारणों से सीपी सिंघल से नाराज होने वाले लोगों की डिस्ट्रिक्ट में जो एक बड़ी संख्या है, उन सभी को सीपी सिंघल के खिलाफ अपनी अपनी नाराजगी व्यक्त करने का मौका मिल गया । डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के कुछेक बड़े पदाधिकारियों ने अपने अपने पदों से इस्तीफ़ा देकर सीपी सिंघल की फजीहत करने में 'मदद' की । सीपी सिंघल की फजीहत में जब मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स भी फँसने लगे, तब मामला और गंभीर व रोचक हो गया । मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स ने अपने आप को बचाने के लिए, अपनी तरफ से भी सीपी सिंघल की 'धुलाई' शुरू दी । उनके द्धारा सीपी सिंघल की 'धुलाई' मधु सिंह की उम्मीदवारी के अभियान को नुकसान से बचा पायेगी, या नहीं - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों की प्रतिक्रिया में नजारा यह देखने को मिल रहा है कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल बेचारे 'घर' और 'घाट' दोनों जगह 'मार' खा रहे हैं ।
दरअसल हुआ यह कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के बंद होने के लिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल की कठपुतली भूमिका को जिम्मेदार माना/बताया गया, और आरोप लगा कि पिछले लायन वर्ष में मधु सिंह की चुनावी हार को सुनिश्चित करने में मेवरिक्स की चूँकि सक्रिय भूमिका थी - इसलिए उसका बदला लेने के लिए मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स ने सीपी सिंघल को इस्तेमाल करते हुए मेवरिक्स को बंद करवा दिया । इस आरोप को डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच जिस तरह का प्रचार और स्वीकार्यता मिली, उसे देख कर मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स परेशान हो उठे हैं । लिहाजा अब वह सीपी सिंघल पर आरोप मढ़ रहे हैं, कि उन्होंने मामले को उचित तरीके से हैंडल नहीं किया और अपनी बेवकूफी से एक छोटे से मामले का बबाल बनवा दिया । मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स जान/समझ रहे हैं कि इस बबाल से सीपी सिंघल की तो सिर्फ बदनामी हो रही है, जो पहले से ही है भी - इसलिए उनका तो कुछ बिगड़ना नहीं है; लेकिन इस बबाल ने मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को जिस तरह से आरोपों के घेरे में ले लिया है - उसके चलते मधु सिंह की उम्मीदवारी के अभियान को खासा तगड़ा झटका लगा है ।
उल्लेखनीय है कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर योगेश कंसल के क्लब के रूप में पहचाना जाता रहा है । योगेश कंसल ने अपनी उम्मीदवारी के साल में इसे अपने बेटे को आगे रखकर खुलवाया/बनवाया था । यह क्लब यूँ तो काफी सक्रिय क्लब के रूप में जाना/पहचाना जाता रहा, लेकिन इसकी ज्यादातर सक्रियता नाच/गाने की मस्ती तक ही सीमित रही - जो कभी कभी लफंगई की सीमाओं को भी छूती नजर आई । क्लब के लोगों ने ही कहना शुरू किया कि क्लब के आयोजनों में आकर उन्हें नहीं लगता कि वह किसी लायंस क्लब के आयोजन में आए हैं, उन्हें लगता है कि जैसे वह किसी रेव पार्टी में आ गए हैं । इस तरह की बातों के बीच क्लब में दो ग्रुप बन गए । एक ग्रुप का प्रयास रहा कि जैसा चल रहा है, वैसा चलता रहे; और दूसरे ग्रुप के प्रयासों में इसकी खिलाफत थी । पहला ग्रुप चूँकि सत्ता में था, लिहाजा वह मनमानी करता रहा । दूसरे ग्रुप के लोगों ने तब - पिछले लायन वर्ष में शिकायत करने का रास्ता पकड़ा । यहाँ तक मामला क्लब का आपसी झगड़ा भर था - डिस्ट्रिक्ट के नेता, यानि गवर्नर्स चाहते और कोशिश करते - तो क्लब के झगड़े को ख़त्म करवा सकते थे । शिकायत होने के बाद मामला जब लायंस इंटरनेशनल तक पहुँच गया, तब इसे लेकर डिस्ट्रिक्ट के गवर्नर्स भी दो खेमों में बँट गए । पिछले लायन वर्ष की डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रेणु नंदा के कामकाज की बागडोर चूँकि जितेंद्र चौहान के हाथ में थी, इसलिए उन्होंने चालबाजी करके लायंस क्लब मेवरिक्स के खिलाफ हो सकने वाली कार्रवाई को टलवा दिया । इस वर्ष के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल के कामकाज की बागडोर चूँकि दूसरे ग्रुप के लोगों के हाथ में आ गई, सो चालबाजी करने का मौका उन्हें मिला और उन्होंने लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के खिलाफ कार्रवाई का रास्ता साफ करवा दिया ।
मामला यदि सिर्फ इतना भर ही होता, तो ज्यादा बबाल न मचता । मामले की आड़ में लेकिन जब डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने पैसे बनाने की कोशिश की - तो बात बिगड़ गई । क्लब के पदाधिकारियों के अनुसार, क्लब बचाने के ऐवज में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल ने डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन कराने तथा डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के पद बेचने की सौदेबाजी की । क्लब के पदाधिकारियों के आरोप के अनुसार, क्लब की तरफ से सीपी सिंघल की ऊँची डिमांड को चूँकि पूरा नहीं किया जा सका - तो क्लब को बंद करवा दिया गया । लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के पदाधिकारियों के इन आरोपों ने डिस्ट्रिक्ट में बबाल मचा दिया । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच चूँकि पहले से ही काफी बदनामी है, इसलिए उक्त आरोपों को लेकर लोगों के बीच नाराजगी और बढ़ी । अलग अलग कारणों से सीपी सिंघल से नाराज होने वाले लोगों की डिस्ट्रिक्ट में जो एक बड़ी संख्या है, उन सभी को सीपी सिंघल के खिलाफ अपनी अपनी नाराजगी व्यक्त करने का मौका मिल गया । डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट के कुछेक बड़े पदाधिकारियों ने अपने अपने पदों से इस्तीफ़ा देकर सीपी सिंघल की फजीहत करने में 'मदद' की । सीपी सिंघल की फजीहत में जब मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक गवर्नर्स भी फँसने लगे, तब मामला और गंभीर व रोचक हो गया । मधु सिंह की उम्मीदवारी के समर्थक पूर्व गवर्नर्स ने अपने आप को बचाने के लिए, अपनी तरफ से भी सीपी सिंघल की 'धुलाई' शुरू दी । उनके द्धारा सीपी सिंघल की 'धुलाई' मधु सिंह की उम्मीदवारी के अभियान को नुकसान से बचा पायेगी, या नहीं - यह तो बाद में पता चलेगा; अभी तो डिस्ट्रिक्ट के लोगों की प्रतिक्रिया में नजारा यह देखने को मिल रहा है कि लायंस क्लब आगरा मेवरिक्स के मामले में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर सीपी सिंघल बेचारे 'घर' और 'घाट' दोनों जगह 'मार' खा रहे हैं ।