नोएडा । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल की पेम वन में आमंत्रितों के तमाशबीन बनने और ठगे जाने का जो अनुमान था, वह तो सच साबित हुआ ही - बदइंतजामी के कारण वह परेशानी व दुर्गति के दोहरे शिकार और बने । जो वरिष्ठ रोटेरियन पिछले वर्षों में पेम में शामिल होते रहे हैं, उनमें से जिनसे भी
इन पँक्तियों के लेखक की बात हो सकी - उनका बेहिचक कहना रहा कि इतना घटिया
आयोजन इससे पहले उन्होंने नहीं देखा है । आमतौर से रोटरी के और खासतौर से
डिस्ट्रिक्ट 3012 (पूर्व के 3010) के आयोजनों के बारे में माना/कहा जाता
रहा है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चाहें जितना भी नाकारा हो, उसके कार्यक्रम अच्छे से हो ही जाते हैं ।
इसका कारण यह बताया/समझा जाता रहा है कि आयोजन का एक बना-बनाया ढाँचा होता
है और आयोजन किसी बड़े होटल में होता है - लिहाजा बिना किसी खास प्रयास के
आयोजन अच्छा हो ही जाता है । सतीश सिंघल ने लेकिन यह रिकॉर्ड तोड़ दिया -
उन्होंने साबित कर दिया कि बने-बनाए ढाँचे में और एक बड़े होटल में आयोजित
होने वाले कार्यक्रम को भी बिगाड़ा जा सकता है और उसे घटिया रूप दिया जा
सकता है ।
पेम वन से लौटे
लोगों की शिकायत रही कि आयोजन-स्थल का हॉल बहुत छोटा था, जिसमें कुर्सी-मेज
सटा सटा कर लगाए गए थे - जिस कारण एक जगह से दूसरी जगह तक पहुँच पाना संभव
ही नहीं हो रहा था, और इसका नतीजा यह हुआ कि स्नैक्स अधिकतर लोगों को सर्व
ही नहीं हो सके । फैलोशिप-स्टॉल की बदइंतजामी का हाल मछली बाज़ार का
माहौल बना रहा था, और खाने की क्वालिटी देख कर लोगों को भ्रम हो रहा था कि
खाने की व्यवस्था कहीं किसी लो-बजट हलवाई से तो नहीं करवा ली गई ।
अव्यवस्था सिर्फ खाने-पीने के मामले में ही नहीं थी - साँस्कृतिक
कार्यक्रम के तहत नृत्य प्रस्तुत करने वाली बच्चियों को सम्मानित करने का
काम सतीश सिंघल को करना था; इसके लिए सतीश सिंघल का नाम पुकारा भी गया,
लेकिन जब तक वह 'मौके' पर पहुँचते - मोमेंटो लेकर आने वाली युवतियों ने ही
बच्चियों को मोमेंटो दे दिया और बच्चियाँ सम्मानित होकर वहाँ से निकल चुकी
थीं । बच्चियों को सम्मानित करने 'मौके' पर पहुँचे सतीश सिंघल को खिसिया कर बैरंग ही वापस लौटना पड़ा । एमओसी की भूमिका
निभा रहे जनाब ने तो और कमाल किया - डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन को वह
पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर कहते/बताते हुए संबोधित कर रहे थे । यह संबोधन सुनकर
शरत जैन ने अपने आसपास बैठे लोगों से चुटकी भी ली कि सतीश सिंघल और उनके
लोगों ने तो उन्हें आठ महीने पहले ही रिटायर कर दिया है । यह पेम वन के अलग-अलग मौकों के कुछ उदाहरण हैं, जो बताते हैं कि पेम वन के आयोजन में हर स्तर पर अव्यवस्था, बदइंतजामी व अराजकता का राज था ।
सतीश
सिंघल के नजदीकियों का ही कहना है कि इसका मुख्य कारण योजना का अभाव था ।
कार्यक्रम की तैयारी तथा उसके विभिन्न चरणों को लेकर सतीश सिंघल के पास कोई
योजना थी ही नहीं; और यदि थी भी तो उन्होंने उसे किसी के साथ शेयर नहीं
किया था । कार्यक्रम की तैयारी को लेकर सतीश सिंघल ने कुछेक लोगों के
साथ मीटिंग्स की तो थीं, लेकिन उन मीटिंग्स में अपनी शेखी मारने के अलावा
उन्होंने और कुछ नहीं किया । पेम वन की तैयारी से जुड़े लोगों को भी यह नहीं
पता था कि किस मौके पर क्या काम होना है, और कैसे होना है ? यहाँ तक
कि किन किन लोगों को पेम वन में आमंत्रित करना है, और कितने लोगों के लिए
व्यवस्था करनी है - इसका भी किसी को नहीं पता था । मुकेश अरनेजा को जिस जिस
की याद आती जा रही थी, वह उसे उसे आमंत्रित करते जा रहे थे । सतीश
सिंघल भी ऐन मौके तक उन लोगों को भी फोन करके आमंत्रित कर रहे थे, जिनके
साथ वह पहले खासी बुरी तरह से पेश आ कर झगड़ चुके थे । सतीश सिंघल पेम वन
में लोगों की भारी भीड़ जुटा कर लोगों के बीच अपनी स्वीकार्यता व लोकप्रियता
दिखाना चाहते थे; और साथ ही साथ, जैसा कि लोगों का आरोप रहा कि ज्यादा से
ज्यादा पैसा इकट्ठा कर लेना चाहते थे ।
सतीश
सिंघल अपने इन दोनों उद्देश्यों को पाने में तो सफल रहे, किंतु इस सफलता
के चक्कर में उन्होंने कार्यक्रम का कबाड़ा कर लिया और पेम को लेकर रोटरी का
जो कॉन्सेप्ट है, उसकी ऐसी-तैसी कर दी । पेम यानि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट,
सिर्फ प्रेसीडेंट इलेक्ट का आयोजन होना चाहिए था - और इसमें सिर्फ उन्हें
ही तवज्जो मिलना चाहिए थी, जिसके तहत वह रोटरी से और अपने समानधर्मा
साथियों से परिचित होते । सतीश सिंघल ने लेकिन पेम के नाम पर ऐसा मेला
जमाया कि बेचारे प्रेसीडेंट्स इलेक्ट को तो आपस में मिलने-जुलने तथा
एक-दूसरे से परिचित होने का मौका ही नहीं मिल पाया । पेम वन के नाम पर मुकेश अरनेजा ने अपने जिस राजनीतिक मंसूबे को पूरा करने की योजना बनाई थी, वह भी आयोजन
की बदइंतजामी व अव्यवस्था के चलते धूल-धूसरित हो गई । मुकेश अरनेजा ने
मौजूदा रोटरी वर्ष के अध्यक्षों तथा कई वरिष्ठ रोटेरियंस को आमंत्रित तो कर
लिया, लेकिन आयोजन में उन्हें चूँकि कोई तवज्जो नहीं मिली - और उनकी
भूमिका सिर्फ ताली बजाने वाले तमाशबीनों जैसी बन कर रह गई, इसलिए वह बुरी
तरह नाराज़ हुए हैं । मौजूदा रोटरी वर्ष के कई अध्यक्षों व वरिष्ठ रोटेरियंस
का कहना है कि सतीश सिंघल और मुकेश अरनेजा ने पेम वन के आयोजन में उन्हें
क्या अपमानित करने के लिए ही बुलाया था ?