Wednesday, October 5, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी की सुशील गुप्ता द्धारा की जा रही वकालत में अशोक गुप्ता को अपने साथ धोखा क्यों नज़र आ रहा है ?

नई दिल्ली । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के संदर्भ में पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता के विरोधाभासी रवैये ने अशोक गुप्ता और उनके नजदीकियों व समर्थकों को चक्कर में डाला हुआ है । डिस्ट्रिक्ट 3052 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अशोक गुप्ता अगले रोटरी वर्ष में होने वाले इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी करते हुए सुने/बताए जा रहे हैं, और इसके लिए वह पूर्व इंटरनेशनल प्रेसीडेंट कल्याण बनर्जी, पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता और मौजूदा इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के समर्थन का दावा करते हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए डिस्ट्रिक्ट 3011 के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी भी आने की चर्चा से सुशील गुप्ता का अशोक गुप्ता को समर्थन संदेह के घेरे में आ गया है । रंजन ढींगरा को सुशील गुप्ता के बड़े खास नजदीकियों के रूप में देखा/पहचाना जाता है; और इसी बिना पर माना/समझा गया कि रंजन ढींगरा यदि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के लिए उम्मीदवार हो रहे हैं - तो निश्चित ही सुशील गुप्ता के साथ विचार-विमर्श करके और उनके समर्थन का आश्वासन मिलने के बाद ही हो रहे हैं । हालाँकि इस मानने/समझने को गलत साबित करने के लिए इस बीच सुशील गुप्ता ने रंजन ढींगरा के कुछेक असाइनमेंट दूसरे पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स को दिलवा दिए । सुशील गुप्ता की इस कार्रवाई ने लोगों को हैरान भी किया । दरअसल रोटरी में कोई इस बात की कल्पना भी नहीं कर सकता कि सुशील गुप्ता, रंजन ढींगरा से असाइनमेंट वापस ले/लिबवा कर किसी दूसरे को दे/दिलवा देंगे । पर सुशील गुप्ता की इस कार्रवाई ने अशोक गुप्ता को राहत की साँस दी थी और उन्होंने विश्वास कर लिया था कि रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी में सुशील गुप्ता का कोई हाथ नहीं है, और सुशील गुप्ता का समर्थन उनकी उम्मीदवारी को ही मिलेगा । अभी पिछले दिनों लेकिन अशोक गुप्ता को यह जान/सुन कर चक्कर सा आ गया कि सुशील गुप्ता रोटरी इंटरनेशनल के जोन 4 के विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी की वकालत कर रहे हैं ।
अशोक गुप्ता दरअसल यह देख/जान कर हैरान हुए कि पिछले दिनों जोन 4 के कुछेक डिस्ट्रिक्ट्स के महत्त्वपूर्ण आयोजनों में रंजन ढींगरा को बहुत अहमियत देते हुए निमंत्रण मिले और रंजन ढींगरा उन आयोजनों में शामिल हुए । डिस्ट्रिक्ट 3080 का समर्थन एक अन्य संभावित उम्मीदवार दीपक कपूर को मिलने का अनुमान लगाया जाता है, किंतु उसके एक प्रमुख आयोजन में रंजन ढींगरा की उल्लेखनीय उपस्थिति और संलग्नता देखी गई । जोन 4 के डिस्ट्रिक्ट्स में रंजन ढींगरा की अचानक से बढ़ी सक्रियता के बारे में जान/सुन कर अशोक गुप्ता का माथा ठनका, तो उन्होंने अपने स्तर पर सारे माजरे को जानने/समझने की कोशिश की, और अपनी कोशिश में उन्हें पता चला कि रंजन ढींगरा की इस अचानक बढ़ी सक्रियता में सुशील गुप्ता का भी 'योगदान' है । यह पता चलने पर अशोक गुप्ता को सुशील गुप्ता के रवैये पर हैरानी भी हुई, और साथ ही उन्होंने यह भी समझ लिया कि इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति में सुशील गुप्ता दोहरा खेल खेल रहे हैं ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति के समीकरण को जानने/समझने वाले तथा बदलते समीकरणों पर निगाह रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि अगले रोटरी वर्ष में होने वाला इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का चुनाव सुशील गुप्ता के 'भविष्य' के लक्ष्य के लिहाज से बहुत ही महत्त्वपूर्ण हैं, और अपने 'भविष्य' के लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए ही वह इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में अपनी भूमिका निभायेंगे । इसी लिहाज से माना जा रहा है कि 'सारे अण्डे एक ही टोकरी में न रखने' के सिद्धांत पर विश्वास और अमल करते हुए सुशील गुप्ता किसी एक उम्मीदवार की ही सरपरस्ती नहीं करेंगे । सुशील गुप्ता के नजदीकियों का भी कहना है कि सुशील गुप्ता अभी अशोक गुप्ता और रंजन ढींगरा - दोनों के ही साथ खड़े हैं; और वह देखेंगे कि चुनाव अभियान में किसका पलड़ा भारी रहता है । स्वाभाविक रूप से जिसका पलड़ा भारी दिखेगा - अंततः वह उसके साथ हो लेंगे । अभी सुशील गुप्ता ने एक सुरक्षित रास्ता यह निकाला/बनाया हुआ है कि वह रंजन ढींगरा के प्रति हमदर्दी रखने वालों के सामने रंजन ढींगरा की बात करते हैं, और अशोक गुप्ता के प्रति सहानुभूति रखने वाले लोगों के सामने अशोक गुप्ता की बात करते हैं । उनकी इस रणनीति में वह यदि रंजन ढींगरा के ज्यादा समर्थन में दिख रहे हैं, तो इसका कारण यही माना/समझा जा रहा है कि जोन 4 के अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोग ज्यादा हैं; और आश्चर्य की बात यह है कि कई डिस्ट्रिक्ट्स में लोग अशोक गुप्ता को ज्यादा जानते/पहचानते भी नहीं हैं ।
इंटरनेशनल डायरेक्टर पद की चुनावी राजनीति के समीकरणों पर निगाह रखने वाले लोगों का मानना और कहना है कि अशोक गुप्ता जिस तरह से अपनी उम्मीदवारी को बड़े नेताओं के भरोसे टिकाए/बनाए हुए हैं, और उम्मीद लगाए हुए हैं कि उन्हें तो मनोज देसाई ही इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवा देंगे - उसके कारण अशोक गुप्ता अपने समर्थन-आधार को और कमजोर करने का ही काम कर रहे हैं । लोगों को हैरानी है कि अशोक गुप्ता इंटरनेशनल डायरेक्टर बनना चाहते हैं, लेकिन जोन 4 के अधिकतर डिस्ट्रिक्ट्स में न तो उनकी कोई सक्रियता है, और न उनके भरोसे के कोई लोग हैं । आईआईएस यूनीवर्सिटी के स्वयंभू उपकुलपति के रूप में अशोक गुप्ता ने रोटरी के बड़े नेताओं को डॉक्टरेट बाँट कर उन्हें खुश करने का तो प्रयास किया, लेकिन रोटेरियंस के बीच जाने की उन्होंने कभी कोई कोशिश नहीं की । अशोक गुप्ता ने 'मैं तुम्हें डॉक्टरेट दूँगा, तुम मुझे इंटरनेशनल डायरेक्टर का पद देना' फार्मूले को अपना कर इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की जो योजना बनाई थी, वह तो काम करती हुई दिख नहीं रही है; और भरत पांड्या के मुकाबले उनकी स्थिति को बहुत ही कमजोर माना/समझा जा रहा है । दरअसल इसी कारण से सुशील गुप्ता ने रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी को हवा दी है । रोटरी के विभिन्न प्रोजेक्ट्स में अपनी संबद्धता के चलते रंजन ढींगरा का अपना जो काम है, तथा विभिन्न डिस्ट्रिक्ट्स में रोटेरियंस के बीच अपनी जो पहचान व सक्रियता है - उसमें सुशील गुप्ता के समर्थन के कारण और इजाफ़ा ही हुआ है । इस बात ने अशोक गुप्ता के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है; उन्हें और उनके समर्थकों को लग रहा है कि सुशील गुप्ता उनके साथ धोखा कर रहे हैं : सुशील गुप्ता एक तरफ तो अशोक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन करने की बात कर रहे हैं; लेकिन व्यवहार में वह रंजन ढींगरा की उम्मीदवारी को प्रमोट कर रहे हैं । सुशील गुप्ता के इस विरोधाभासी व्यवहार का कारण दूसरों को भले ही समझ में आ रहा हो - किंतु अशोक गुप्ता और उनके नजदीकी इस 'कारण' को तो पहचानने/देखने को तैयार नहीं हैं । वह तो बस सुशील गुप्ता को ही कोसने में लगे हैं ।