Sunday, October 23, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में दोहरे लाभ की उम्मीद में मुकेश अरनेजा द्धारा रमेश अग्रवाल की तरफ दोस्ती के बढ़ाए कदम ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है

नई दिल्ली । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के बीच दोस्ती होने की कोशिशों की पसीने में लथपथभरी जो एक झलक डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में देखने को मिली, उसने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति के परिदृश्य में खासी हलचल मचा दी है, जिसके नतीजे के रूप में दीपक गुप्ता और उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों के तोते उड़ने के लिए फड़फड़ा उठे हैं । दरअसल मुकेश अरनेजा डिस्ट्रिक्ट से ऊपर की रोटरी की राजनीति और व्यवस्था में जिस तरह से खदेड़े गए हैं, उससे मुकेश अरनेजा को रमेश अग्रवाल की शरण में लौटने की मजबूरी समझ में आ रही है । उल्लेखनीय है कि दिसंबर में हो रहे रोटरी जोन इंस्टीट्यूट की भारी-भरकम कमेटी में मुकेश अरनेजा को जगह तक नहीं मिली है; उनके लिए बदकिस्मती की बात यह रही कि उक्त कमेटी में रमेश अग्रवाल के साथ-साथ जेके गौड़ तक को जगह मिल गई, लेकिन उन्हें कमेटी से बाहर ही रखा गया है । मुकेश अरनेजा के लिए फजीहत की बात यह हुई कि जिन इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई के साथ वह अपनी निकटता की डींगे हाँकते रहे हैं, उन्हीं मनोज देसाई ने उन्हें उक्त कमेटी में 'घुसने' नहीं दिया । मुकेश अरनेजा के निकटवर्तियों का कहना है कि कुछेक दूसरे बड़े नेताओं के साथ साथ पूर्व इंटरनेशनल डायरेक्टर सुशील गुप्ता ने भी उन्हें बताया/समझाया है कि डिस्ट्रिक्ट की राजनीति में नकारात्मक भूमिका निभाने के कारण रोटरी के बड़े नेताओं के बीच उनकी बहुत बदनामी है, और इसीलिए रोटरी जोन इंस्टीट्यूट जैसे महत्त्वपूर्ण आयोजन में उन्हें कोई जगह नहीं मिल सकी ।
इन हालात में मुकेश अरनेजा को रमेश अग्रवाल के साथ दोस्ती कर लेने में ही अपनी भलाई नज़र आई है - और समझा जाता है कि मुकेश अरनेजा ने अपनी तरफ से रमेश अग्रवाल की तरफ दोस्ती का हाथ बढ़ा दिया है । हालाँकि रमेश अग्रवाल और मुकेश अरनेजा के जैसे जो संबंध चल रहे हैं, उन्हें देखते/पहचानते हुए दोनों के बीच सहयोगात्मक संबंध बन पाना आसान नहीं होगा - लेकिन फिर भी दोनों के ही निकटवर्तियों का मानना और कहना है कि रोटरी में और रोटरी की राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं है; और राजनीति में तो नए समीकरण बनते/बिगड़ते ही रहते हैं । मुकेश अरनेजा और रमेश अग्रवाल के मामले में भी लोगों ने देखा ही है कि दोनों के संबंध कई बार सर्द/गर्म होते रहे हैं । दोनों के बीच संबंध सुधारने की जरूरत इस समय भले ही मुकेश अरनेजा को लग रही है, लेकिन भविष्य की आहटों को सुनते/समझते हुए रमेश अग्रवाल को भी यह जरूरत महसूस हो रही है । रमेश अग्रवाल भी समझ रहे हैं कि जेके गौड़ जैसे लोग तक जब उन्हें आँखें दिखाने लगे हैं, तो भविष्य उनका भी कोई अच्छा नहीं है । भविष्य को सुरक्षित करने/बनाए रखने के लिए रमेश अग्रवाल को भी मुकेश अरनेजा के साथ तार एक बार फिर से जोड़ लेने की जरूरत महसूस हो रही है । रमेश अग्रवाल भी समझ रहे हैं कि मुकेश अरनेजा के साथ उनकी दोस्ती यदि फिर से हो जाएगी, तो 'नए' गवर्नर उन्हें अलग-थलग नहीं कर पायेंगे ।
मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल की जरूरतों के कारण भले ही अलग अलग हों, लेकिन जरूरतें चूँकि एक सी ही हैं - इसलिए दोनों के ही नजदीकियों का मानना और कहना है कि अपने अपने ईगो को छोड़कर साथ आ मिलने में दोनों को ही देर नहीं लगेगी । मुकेश अरनेजा व रमेश अग्रवाल के बीच हो सकने वाले इस मिलन समारोह ने दीपक गुप्ता और उनकी उम्मीदवारी के समर्थकों को बेचैन कर दिया है । दरअसल वह भी समझ रहे हैं कि दोनों के बीच संबंध सुधरे, तो इसका खामियाजा दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी को ही भुगतना पड़ेगा । वास्तव में हर कोई समझ रहा है कि रमेश अग्रवाल के लिए तो अशोक जैन की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछे हटना संभव नहीं होगा; और मुकेश अरनेजा के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन को छोड़ देने में कोई समस्या नहीं होगी । मुकेश अरनेजा खुद भी कहते रहे हैं कि पिछले रोटरी वर्ष में दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का झंडा तो उन्होंने मजबूरी में तब उठाया था, जब रमेश अग्रवाल एंड कंपनी ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की राजनीति में उन्हें अलग-थलग कर दिया था । यानि मुकेश अरनेजा के लिए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी का समर्थन डिस्ट्रिक्ट में अपनी उपस्थिति, पहचान और अहमियत बनाए रखने का एक जरिया भर है । ऐसे में, दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछे हट कर मुकेश अरनेजा को यदि रोटरी में अपनी उपस्थिति, पहचान और अहमियत बनाए रखने का मौका मिलता दिख रहा होगा - तो वह दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी से पीछे हटने में देर भला क्यों लगायेंगे ?
मुकेश अरनेजा ने डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद की चुनावी राजनीति में जातिवाद का कार्ड चल कर दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन से पीछे हटना वास्तव में शुरू भी कर दिया है । ललित खन्ना के नजदीक दिखने वाले गैर-पंजाबी लोगों को हाल-फिलहाल में मुकेश अरनेजा की तरफ से समझाने की कोशिश की गई है कि वह एक पंजाबी का साथ क्यों देना चाहते हैं, उन्हें गैर पंजाबी का साथ देना चाहिए - भले ही दीपक का साथ दो या अशोक का । मुकेश अरनेजा की जातिवादी राजनीति को रमेश अग्रवाल चूँकि अच्छे से जानते/समझते हैं, इसलिए उन्हें यह समझने/पहचानने में देर नहीं लगी कि इस तरह की बातों के स्रोत मुकेश अरनेजा ही हैं । मुकेश अरनेजा की इस समय दरअसल एक बड़ी खुन्नस ललित खन्ना हैं । मुकेश अरनेजा को अपने ही क्लब - रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ से जिस तरह अपमानित होकर निकलना/भागना पड़ा, और रोटरी क्लब दिल्ली नॉर्थ के पदाधिकारी व लोग अभी भी उनके साथ जिस तरह का परायापन दिखा/जता रहे हैं, मुकेश अरनेजा उसके लिए ललित खन्ना को ही जिम्मेदार मान रहे हैं । इसलिए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में मुकेश अरनेजा का मुख्य एजेंडा दीपक गुप्ता को जितवाना नहीं, बल्कि किसी भी तरह से ललित खन्ना का हरवाना है । इसके लिए यदि उन्हें अशोक जैन की उम्मीदवारी के समर्थन में भी जाने की जरूरत होगी, तो वह हिचकेंगे नहीं । अशोक जैन की उम्मीदवारी के समर्थन से यदि रमेश अग्रवाल के साथ उनके संबंध सुधरते हैं, तो फिर उनके लिए तो यह बात सोने पर सुहागे वाली बात होगी ।
यानि रमेश अग्रवाल के साथ पुनः दोस्ती करने से मुकेश अरनेजा को ललित खन्ना से निपटने के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट से ऊपर की 'व्यवस्था' में भी अपनी स्थिति ठीक करने का मौका मिलेगा - तो उनके लिए तो यह दोहरा लाभ पाने का तरीका हुआ । मुकेश अरनेजा के निकटवर्तियों का कहना है कि डिस्ट्रिक्ट तथा उससे ऊपर की राजनीति तथा व्यवस्था में अपनी जरूरतों का ध्यान करते हुए, और दोहरे लाभ को पाने की उम्मीद में मुकेश अरनेजा ने रमेश अग्रवाल की तरफ दोस्ती का कदम बढ़ा दिया है, जिसकी एक झलक हाल ही में हुए डिस्ट्रिक्ट दीवाली मेले में लोगों को भी देखने को मिली है । इस झलक ने लेकिन दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के लिए गंभीर संकट पैदा कर दिया है ।