नई
दिल्ली । दीपक गर्ग के बाद, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की पहचान की
फजीहतभरी बदनामी करवाने की जिम्मेदारी लगता है कि राकेश मक्कड़ ने सँभाल ली
है । इसी जिम्मेदारी को निभाने के तहत राकेश मक्कड़ लोगों के बीच अपने
आप को एनआईआरसी टीम को-कॉर्डीनेटर के रूप में प्रोजेक्ट करने लगे हैं ।
काउंसिल के कार्यालय में वह चेयरपरसन की कुर्सी पर बैठते हैं, और स्टॉफ को
वह खुद को चेयरपरसन जताते हुए आदेश देते हैं । उनकी इस हरकत पर काउंसिल के
पॉवर ग्रुप के सदस्यों ने ही विरोध जताया है, और उनकी अच्छी-खासी बेइज्जती
भी की है - लेकिन छंटे हुए बेशर्मों की तरह उन पर इसका कोई असर नहीं पड़ा है
। राकेश मक्कड़ की इन हरकतों और इन्हें लेकर पॉवर ग्रुप में मचे
गाली-गलौच भरे घमासान की बातें बॉट्स-ऐप समूहों में चर्चित होने के बावजूद
राकेश मक्कड़ तरह तरह से अपने आपको नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल का मुखिया
बताने/जताने का मौका निकालते रहते हैं । अपने आप के इस प्रोजेक्शन के
जरिए वह लोगों के बीच यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि नॉर्दर्न
इंडिया रीजनल काउंसिल अब उनके ही नियंत्रण तथा दिशा-निर्देशन में काम कर
रही है । राकेश मक्कड़ की बदकिस्मती लेकिन यह है कि अपनी इन तमाम कोशिशों
के चलते वह लोगों के बीच मजाक का पात्र बनते जा रहे हैं, तथा अपनी हँसी ही
उड़वा रहे हैं ।
राकेश मक्कड़ की इन हरकतों को लोग उनकी बौखलाहट के रूप में देख रहे हैं । दरअसल नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पिछले दिनों जो तमाशा हुआ, उसमें राकेश मक्कड़ को 'अगले' छह महीनों के लिए चेयरमैन बन जाने का भरोसा था । लेकिन घटनाओं का जो चक्र घूमा, उसमें उनके चेयरमैन बनने की सारी योजना धूल-धूसरित हो गई । सिर्फ इतना ही नहीं, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अगले दो वर्षों के चेयरमैन पद को लेकर बनते नजर आ रहे समीकरणों में राकेश मक्कड़ कहीं भी फिट बैठते नहीं दिख रहे हैं । यह देख/जान/समझ कर राकेश मक्कड़ वास्तव में बुरी तरह बौखला गए हैं । बौखलाहट में वह चेयरमैन की कुर्सी पर बैठ कर और स्वयंभू एनआईआरसी टीम को-ऑर्डीनेटर बन कर ही चेयरमैन बनने के अपने ख़्बाव को पूरा हुआ मान लेने की मसखरी कर रहे हैं । बौखलाहट में वह ऐसी ओछी हरकतों पर उतर आए हैं, जिनके कारण उनकी खुद की तो बदनामी और फजीहत हो ही रही है - साथ ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की भी बदनामी हो रही है ।
दीपक गर्ग के इस्तीफे से शुरू हुए नाटक का पटापेक्ष जिस तरह पूजा बंसल को चेयरपरसन पद का कार्यभार मिलने से हुआ - उससे यूँ तो कई लोगों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं को झटका लगा है; लेकिन राकेश मक्कड़ की हरकतों को देख कर लग रहा है कि जैसे उनका तो दिमागी संतुलन ही बिगड़ गया है । बिगड़े दिमागी संतुलन में ही उन्होंने एनआईआरसी टीम को-कॉर्डीनेटर का फर्जी पद बना लिया और अपने आप ही यह पद अपने नाम कर लिया । उल्लेखनीय है कि इस तरह का कोई पद इंस्टीट्यूट और या एनआईआरसी की व्यवस्था में नहीं है; 'टीम एनआईआरसी' शब्द प्रयोग अभी तक कहीं कहीं होता भी रहा है, तो उसमें एनआईआरसी के सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व संदर्भित रहा है । पॉवर ग्रुप के लिए टीम एनआईआरसी शब्द का प्रयोग न तो कभी हुआ है, और न अभी इसे स्वीकार किया जा रहा है । यही कारण है कि पॉवर ग्रुप के आठ सदस्यों के लिए इस शब्द का प्रयोग किए जाने को लेकर राकेश मक्कड़ की वाट्स-ऐप ग्रुप्स में खासी थुक्का-फजीहत हो रही है ।
राकेश मक्कड़ की फर्जी मनमानियों के लिए पूजा बंसल की व्यवस्थापकीय-कमजोरी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । दरअसल पॉवर ग्रुप के जिन लोगों को चेयरपरसन पद का कार्यभार मिलने से पूजा बंसल की बढ़ी राजनीतिक हैसियत में अपने लिए खतरा महसूस हो रहा है, उन्हें राकेश मक्कड़ की हरकतों की आड़ में पूजा बंसल को निशाना बनाने का मौका मिल गया है । उनकी तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि चेयरपरसन पद का कार्यभार संभाल रहीं पूजा बंसल को राकेश मक्कड़ की हरकतों का संज्ञान लेना चाहिए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना चाहिए । उनका आरोप है कि पूजा बंसल की ढीलमढाल के चलते राकेश मक्कड़ को शह मिल रही है, और वह अपनी हरकतों से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को बदनाम कर रहे हैं । पूजा बंसल ने लेकिन राकेश मक्कड़ की हरकतों पर पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है । उनके नजदीकियों का कहना है कि राकेश मक्कड़ की हरकतों में पूजा बंसल को अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित व मजबूत होने का भरोसा मिला/दिखा है । उन्हें उम्मीद है कि राकेश मक्कड़ की हरकतें पॉवर ग्रुप में बबाल और विभाजन ही पैदा करेंगी, जिसका फायदा अंततः उन्हें ही मिल सकेगा - इसलिए उन्होंने चुपचाप तमाशा देखते रहने का निश्चय किया है । राकेश मक्कड़ की बौखलाहटभरी हरकतों में पूजा बंसल के लिए बन रही उम्मीदों ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप में चेयरमैन पद पर निगाह लगाए दूसरे सदस्यों के सामने एक अलग तरह की मुसीबत खड़ी कर दी है ।
जाहिर है कि राकेश मक्कड़ ने अपनी हरकतों से अपनी और काउंसिल की बदनामीभरी फजीहत कराने के साथ-साथ नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद के आकाँक्षियों के बीच चूहे-बिल्ली जैसा खेल भी शुरू कर/करा दिया है ।
राकेश मक्कड़ की इन हरकतों को लोग उनकी बौखलाहट के रूप में देख रहे हैं । दरअसल नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में पिछले दिनों जो तमाशा हुआ, उसमें राकेश मक्कड़ को 'अगले' छह महीनों के लिए चेयरमैन बन जाने का भरोसा था । लेकिन घटनाओं का जो चक्र घूमा, उसमें उनके चेयरमैन बनने की सारी योजना धूल-धूसरित हो गई । सिर्फ इतना ही नहीं, नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में अगले दो वर्षों के चेयरमैन पद को लेकर बनते नजर आ रहे समीकरणों में राकेश मक्कड़ कहीं भी फिट बैठते नहीं दिख रहे हैं । यह देख/जान/समझ कर राकेश मक्कड़ वास्तव में बुरी तरह बौखला गए हैं । बौखलाहट में वह चेयरमैन की कुर्सी पर बैठ कर और स्वयंभू एनआईआरसी टीम को-ऑर्डीनेटर बन कर ही चेयरमैन बनने के अपने ख़्बाव को पूरा हुआ मान लेने की मसखरी कर रहे हैं । बौखलाहट में वह ऐसी ओछी हरकतों पर उतर आए हैं, जिनके कारण उनकी खुद की तो बदनामी और फजीहत हो ही रही है - साथ ही नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल की भी बदनामी हो रही है ।
दीपक गर्ग के इस्तीफे से शुरू हुए नाटक का पटापेक्ष जिस तरह पूजा बंसल को चेयरपरसन पद का कार्यभार मिलने से हुआ - उससे यूँ तो कई लोगों की राजनीतिक महत्त्वाकांक्षाओं को झटका लगा है; लेकिन राकेश मक्कड़ की हरकतों को देख कर लग रहा है कि जैसे उनका तो दिमागी संतुलन ही बिगड़ गया है । बिगड़े दिमागी संतुलन में ही उन्होंने एनआईआरसी टीम को-कॉर्डीनेटर का फर्जी पद बना लिया और अपने आप ही यह पद अपने नाम कर लिया । उल्लेखनीय है कि इस तरह का कोई पद इंस्टीट्यूट और या एनआईआरसी की व्यवस्था में नहीं है; 'टीम एनआईआरसी' शब्द प्रयोग अभी तक कहीं कहीं होता भी रहा है, तो उसमें एनआईआरसी के सभी सदस्यों का प्रतिनिधित्व संदर्भित रहा है । पॉवर ग्रुप के लिए टीम एनआईआरसी शब्द का प्रयोग न तो कभी हुआ है, और न अभी इसे स्वीकार किया जा रहा है । यही कारण है कि पॉवर ग्रुप के आठ सदस्यों के लिए इस शब्द का प्रयोग किए जाने को लेकर राकेश मक्कड़ की वाट्स-ऐप ग्रुप्स में खासी थुक्का-फजीहत हो रही है ।
राकेश मक्कड़ की फर्जी मनमानियों के लिए पूजा बंसल की व्यवस्थापकीय-कमजोरी को भी जिम्मेदार ठहराया जा रहा है । दरअसल पॉवर ग्रुप के जिन लोगों को चेयरपरसन पद का कार्यभार मिलने से पूजा बंसल की बढ़ी राजनीतिक हैसियत में अपने लिए खतरा महसूस हो रहा है, उन्हें राकेश मक्कड़ की हरकतों की आड़ में पूजा बंसल को निशाना बनाने का मौका मिल गया है । उनकी तरफ से कहा/सुना जा रहा है कि चेयरपरसन पद का कार्यभार संभाल रहीं पूजा बंसल को राकेश मक्कड़ की हरकतों का संज्ञान लेना चाहिए और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई करना चाहिए । उनका आरोप है कि पूजा बंसल की ढीलमढाल के चलते राकेश मक्कड़ को शह मिल रही है, और वह अपनी हरकतों से नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल को बदनाम कर रहे हैं । पूजा बंसल ने लेकिन राकेश मक्कड़ की हरकतों पर पूरी तरह से चुप्पी साधी हुई है । उनके नजदीकियों का कहना है कि राकेश मक्कड़ की हरकतों में पूजा बंसल को अपना राजनीतिक भविष्य सुरक्षित व मजबूत होने का भरोसा मिला/दिखा है । उन्हें उम्मीद है कि राकेश मक्कड़ की हरकतें पॉवर ग्रुप में बबाल और विभाजन ही पैदा करेंगी, जिसका फायदा अंततः उन्हें ही मिल सकेगा - इसलिए उन्होंने चुपचाप तमाशा देखते रहने का निश्चय किया है । राकेश मक्कड़ की बौखलाहटभरी हरकतों में पूजा बंसल के लिए बन रही उम्मीदों ने नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल के पॉवर ग्रुप में चेयरमैन पद पर निगाह लगाए दूसरे सदस्यों के सामने एक अलग तरह की मुसीबत खड़ी कर दी है ।
जाहिर है कि राकेश मक्कड़ ने अपनी हरकतों से अपनी और काउंसिल की बदनामीभरी फजीहत कराने के साथ-साथ नॉर्दर्न इंडिया रीजनल काउंसिल में चेयरमैन पद के आकाँक्षियों के बीच चूहे-बिल्ली जैसा खेल भी शुरू कर/करा दिया है ।