Tuesday, October 11, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी को लायंस क्लब संभल के लोगों की तरफ से क्लब के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आने तथा डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने की नसीहत लायंस इंटरनेशनल के इतिहास की पहली और अनोखी घटना है

गाजियाबाद । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शिव कुमार चौधरी को डिस्ट्रिक्ट के एक क्लब - लायंस क्लब संभल की तरफ से सार्वजनिक रूप से अप्रत्याशित चेतावनी मिली है कि वह 'हमारे क्लब के आंतरिक मामलों में बेवजह हस्तक्षेप न करें ।' क्लब की तरफ से शिव कुमार चौधरी को यह नसीहत भी दी गई है कि वह 'बेतुकी बातों में समय जाया न करते हुए अपने डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में ज्यादा ध्यान केंद्रित करें ।' यह इस बात का जीता-जागता उदाहरण है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में अपनी हरकतों और कारस्तानियों से शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपनी क्या गत बना ली है । उनसे पहले भी हालाँकि घटिया सोच और व्यवहार के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर हुए हैं, लेकिन अभी तक किसी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को सार्वजनिक रूप से लताड़ पड़ती नहीं सुनी गई । उल्लेखनीय है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रवैये के प्रति अलग अलग कारणों से अधिकतर लोगों के बीच नाराजगी व असंतोष रहता ही है; डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बना व्यक्ति भी इस बात को जानता/समझता है - और इसलिए वह प्रयास करता है कि वह ऐसा कुछ न करे जिससे कि लोगों की नाराजगी व असंतोष ज्यादा भड़के तथा मुखर बने । शिव कुमार चौधरी के साथ लेकिन उल्टा ही हो रहा है । उन्हें जानने वालों का कहना है कि दरअसल घटियापन उनकी सोच व उनके व्यवहार में इतना कूट कूट कर भरा है कि वह जो कुछ भी करते हैं - उससे अपनी फजीहत में और इजाफा ही कर/करवा लेते हैं । यही कारण है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नरी के चौथे महीने में ही उनके लिए यह नौबत आ गई है कि एक क्लब के लोग उन्हें वॉट्स-ऐप पर सार्वजनिक रूप से लताड़ लगाते हुए क्लब के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आने तथा डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने की नसीहत दे रहे हैं ।
यह इस बात का भी पुख्ता सुबूत है कि अपने आचरण और अपने व्यवहार से शिव कुमार चौधरी ने अपनी ही फजीहत नहीं कराई है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की गरिमा व प्रतिष्ठा को भी नीचे गिरा लिया है ।
डिस्ट्रिक्ट में फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर व सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के साथ टकराव बनाने/बढ़ाने में भी शिव कुमार चौधरी ने अनोखा रिकॉर्ड बनाया है । इस मामले में भी इस तथ्य को रेखांकित किया जा सकता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के अपने वाइस के साथ उचित तालमेल के न होने के उदाहरण दूसरे डिस्ट्रिक्ट्स में भी मिल जायेंगे; ऐसे उदाहरण भी मिल जायेंगे जिनमें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर और उनके वाइस एक दूसरे को फूटी आँख न देख रहे हों - लेकिन डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का अपने वाइस के साथ खुला टकराव हो, यह 'कमाल' सिर्फ और सिर्फ शिव कुमार चौधरी के नाम पर है । शिव कुमार चौधरी के लिए फ्रस्ट्रेशन का और चिढ़न का कारण वास्तव में यह है कि उनके दोनों वाइस एक साथ हैं, एकजुट हैं और डिस्ट्रिक्ट के लोगों को अपने साथ जोड़ने में सफल हैं । डिस्ट्रिक्ट के दोनों वाइस गवर्नर्स की देख/रेख में मसूरी में आयोजित हो रहे सेमीनार को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में शिव कुमार चौधरी द्धारा तमाम रोड़े डालने के बावजूद डिस्ट्रिक्ट के लोगों की तरफ से जो जबर्दस्त समर्थन मिला है, उसके कारण शिव कुमार चौधरी का फ्रस्ट्रेशन तथा उनकी चिढ़न और बढ़ गई है । कुछेक लोगों ने शिव कुमार चौधरी को सुझाव भी दिया कि डिस्ट्रिक्ट के दोनों वाइस द्धारा किए जा रहे आयोजन और उसे मिल रहे व्यापक समर्थन से यदि इतना ही जल-भुन रहे हो, तो उनसे भी बड़ा आयोजन करके उन्हें जबाव दो । इस सुझाव पर अमल कर पाना लेकिन शिव कुमार चौधरी के बस की बात नहीं है । उनके द्धारा किए गए डिस्ट्रिक्ट के आयोजनों की जैसी जो भद्द पिटी है और व्यवस्था तथा उपस्थिति के लिहाज से उनका हर आयोजन जिस तरह से फ्लॉप साबित हुआ है, उससे शिव कुमार चौधरी ने इतना सबक तो सीख ही लिया है कि कुछ करने की बजाए - जो हो रहा है, उसे बिगाड़ने की कोशिश करने का काम करना ही उनके लिए संभव है ।
बिगाड़ने का काम भी चूँकि एक काम होता है, इसलिए शिव कुमार चौधरी को उसमें भी कोई सफलता नहीं मिल रही है । मसूरी में हो रहे आयोजन के खिलाफ लोगों को भड़काने की शिव कुमार चौधरी ने जो कोशिश की, उसका वास्तव में उल्टा ही असर हुआ, और उक्त आयोजन के प्रति लोगों का जोश व समर्थन और ज्यादा बढ़ा नजर आया । शिव कुमार चौधरी ने डिस्ट्रिक्ट के विभाजन की जो चाल चली है, वह भी औंधे मुँह गिरती दिख रही है । इस मामले में शिव कुमार चौधरी को जितने समर्थन की उम्मीद थी भी, वह भी उन्हें मिलता हुआ नहीं दिख रहा है । इस मामले में शिव कुमार चौधरी के लिए भारी फजीहत का कारण यह तथ्य भी बना है कि उनकी अपनी कैबिनेट के सदस्यों और उनके क्लब्स का समर्थन भी उन्हें मिलता हुआ नहीं नजर आ रहा है । इस मामले में शिव कुमार चौधरी को सबसे बड़ा झटका पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स अरुण मित्तल व अनीता गुप्ता की तरफ से लगा है । उन्हें उम्मीद थी कि इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की इच्छा रखने वाले यह दोनों पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर अलग अलग डिस्ट्रिक्ट में हो जाने को अपने अपने लिए फायदेमंद समझेंगे, और इस कारण से डिस्ट्रिक्ट विभाजन के उनके अभियान को बढ़-चढ़ कर आगे बढ़ायेंगे; किंतु इन दोनों ने ही डिस्ट्रिक्ट विभाजन मुद्दे पर ठंडा रुख अपनाया है । समझा जाता है कि अरुण मित्तल और अनीता गुप्ता को दरअसल भरोसा नहीं है कि डिस्ट्रिक्ट में शिव कुमार चौधरी की जैसी फजीहत हो रही है, उसके चलते डिस्ट्रिक्ट विभाजन का उनका अभियान सफल हो भी पायेगा; दोनों वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने जिस तरह से डिस्ट्रिक्ट विभाजन की बात का दो-टूक विरोध किया है - उसके कारण डिस्ट्रिक्ट विभाजन के मुद्दे की पूरी तरह से हवा निकल गई है । ऐसे में, अरुण मित्तल और अनीता गुप्ता को डर है कि उनके विभाजन के पक्ष में उतरने के बाद भी विभाजन नहीं हुआ तो वह 'दूसरे' क्षेत्र के क्लब्स में तो मुँह दिखाने लायक भी नहीं रहेंगे - इसी डर की वजह से अरुण मित्तल तथा अनीता गुप्ता ने विभाजन के मुद्दे से दूरी बनाई हुई है; उनके इस रवैये ने शिव कुमार चौधरी को पूरी तरह अलग-थलग कर दिया है ।
शिव कुमार चौधरी ने आपदा पीड़ितों की मदद के नाम पर झूठ बोल कर और नरेश अग्रवाल तथा नेविल मेहता जैसे बड़े नेताओं को चकमा देकर एलसीआईएफ एमरजेंसी ग्रांट की पाँच हजार अमेरिकी डॉलर की रकम हड़पने की जो कोशिश की, उसके कारण लायंस इंटरनेशनल के बड़े पदाधिकारियों को भी उनकी ठगीबाजी के 'सुबूत' मिल गए हैं । शिव कुमार चौधरी की ठगीबाजी के एक शिकार सतीश अग्रवाल जब-तब वाट्स-ऐप पर शिव कुमार चौधरी की फजीहत करते ही रहते हैं । इस तरह, चौतरफा मुसीबतों में घिरे शिव कुमार चौधरी का फ्रस्ट्रेशन व चिढ़न इस हद तक बढ़ गई है कि वह क्लब्स के लोगों से खुन्नस निकालने लगे हैं । लायंस क्लब संभल के लोगों की तरफ से लेकिन उन्हें जो करारा जबाव मिला है, वह उनकी फजीहत में और इजाफा करने वाला तो है ही, साथ ही लायंस इंटरनेशनल के इतिहास की पहली और अनोखी घटना भी है, जिसमें एक क्लब के लोग एक डिस्ट्रिक्ट गवर्नर को क्लब के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने से बाज आने तथा डिस्ट्रिक्ट की गतिविधियों में ध्यान केंद्रित करने की नसीहत दे रहे हैं ।