Monday, October 3, 2016

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3012 में ई-वोटिंग से डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव होने की तैयारी ने दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं की मुसीबतों को बढ़ाया

नई दिल्ली । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन के डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद का चुनाव ई-वोटिंग से कराने की तैयारी शुरू करने से दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को तगड़ा वाला झटका लगा है । उल्लेखनीय है कि रोटरी इंटरनेशनल की डायरेक्टर्स बोर्ड मीटिंग में इस आशय का फैसला हो जाने के बाद से ही मुकेश अरनेजा और सतीश सिंघल दावा करते रहे हैं कि मौजूदा वर्ष से ई-वोटिंग करा पाना व्यावहारिक कारणों से संभव ही नहीं होगा, इसलिए इस वर्ष तो डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस में ही चुनाव होगा - और पहले से चले आ रहे तरीके से ही होगा । किंतु डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन ने क्लब्स के पदाधिकारियों के साथ-साथ डिस्ट्रिक्ट के अन्य लोगों को भी रोटरी इंटरनेशनल की डायरेक्टर्स बोर्ड मीटिंग में हुए फैसले से अवगत कराते हुए जरूरी कार्रवाई शुरू करने के संकेत देकर मुकेश अरनेजा व सतीश सिंघल के दावों को झूठा ठहरा दिया है । ई-वोटिंग को लेकर लोगों के बीच फैले असमंजस को दूर करने के लिए शरत जैन ने जिस तरह की पहल की है, उससे दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को यह अहसास तो हो गया है कि शरत जैन इसी वर्ष से ई-वोटिंग से चुनाव कराने का काम शुरू कर देंगे । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थकों के ही अनुसार, शरत जैन की इस तैयारी को देखते हुए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को अपनी चुनावी रणनीति पर पुनर्विचार करने की जरूरत महसूस हुई है ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के कुछेक समर्थकों ने ही इन पँक्तियों के लेखक को बताया है कि मुकेश अरनेजा को लगता है कि ई-वोटिंग के कारण चुनाव में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की भूमिका बढ़ जायेगी, और इस बढ़ी भूमिका के कारण डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुनाव व चुनावी नतीजे को प्रभावित करने की स्थिति में आ जायेगा । मुकेश अरनेजा का साफ कहना है कि इस स्थिति का सीधा फायदा अशोक जैन को मिलेगा । मुसीबत की बात यह है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के पास अपने उम्मीदवार को फायदा पहुँचाने का जो 'मौका' होगा, वह बेईमानी की श्रेणी में भी नहीं आयेगा - इसलिए उसकी कहीं कोई शिकायत भी नहीं हो सकेगी । ई-वोटिंग में चुनावी बेईमानी करने की गुंजाइश तो - शायद - नहीं होगी; लेकिन चुनाव व चुनावी नतीजे को प्रभावित करने के मौके बहुत होंगे । पिछले रोटरी वर्ष के अंतिम महीनों में ई-वोटिंग से हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव में सी बासकर से पराजित हुए सुनील जचारिआ के समर्थकों का रोना रहा कि उनके लिए चुनावी नतीजा बहुत ही अप्रत्याशित रहा और उन्हें यह समझ में ही नहीं आया कि जो हुआ, वह आखिर हुआ क्यों और कैसे ? उल्लेखनीय है कि सुनील जचारिआ को रोटरी के तमाम बड़े तुर्रमखाओं का समर्थन था, और इस आधार पर उनके ही जीतने की उम्मीद व घोषणा की जा रही थी; लेकिन फिर भी वह चुनाव हार गए - सुनील जचारिआ के नजदीकियों और समर्थकों ने उनकी हार के लिए ई-वोटिंग को जिम्मेदार ठहराया ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को भी डर हुआ है कि ई-वोटिंग से चुनाव होने की बात ने उनकी मुश्किलों को बढ़ाने का काम किया है । उनके लिए मुसीबत की बात यह है कि दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के मुकेश अरनेजा जैसे समर्थक दरअसल अभी तक प्रचलित चुनावी प्रक्रिया में ही तिकड़में करने के उस्ताद हैं; किंतु ई-वोटिंग में उनकी उक्त उस्तादी तो काम आने वाली नहीं है । पिछली बार मुकेश अरनेजा जैसे अस्वस्थ केके भटनागर को गाड़ी में लाद कर वोट डलवाने ले आए थे, वैसी हरकतें कर पाना तो अब उनके लिए मुश्किल क्या, असंभव ही होगा । ई-वोटिंग की प्रक्रिया में वह क्या क्या बदमाशियाँ कर सकते हैं - इसका उन्हें अभी पता नहीं है । ई-वोटिंग की प्रक्रिया को लेकर हालाँकि अभी सभी असमंजस में हैं; और कोई भी अभी बहुत दावे से यह नहीं कह सकता है कि इस प्रक्रिया के जेनुइन और बेईमानी वाले फायदे या नुकसान आखिर क्या हैं ? इस असमंजस की स्थिति में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की भूमिका बढ़ जाती है - वास्तव में किसी को कुछ जानना/पूछना/समझना है तो वह डिस्ट्रिक्ट गवर्नर से ही संपर्क करेगा; और किसी को कुछ बताना/समझाना है तो यह काम भी डिस्ट्रिक्ट गवर्नर ही करेगा । दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की इस बढ़ी हुई भूमिका में अपने लिए खतरे और नुकसान के संकेत दिख/मिल रहे हैं ।
दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं के लिए इससे भी बड़ी मुसीबत की बात यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की भूमिका को लेकर वह कहीं कोई शिकायत भी नहीं कर सकते हैं । शिकायतबाजी के काम में मुकेश अरनेजा वास्तव में कुख्याति की हद तक एक्सपर्ट हैं; पर यहाँ इस मामले में उनके हाथ बुरी तरह बँधे हुए हैं । इसका एक कारण तो यह है कि ई-वोटिंग से चुनाव कराने का फैसला इंटरनेशनल डायरेक्टर्स बोर्ड ने लिया है, और डिस्ट्रिक्ट गवर्नर तो बस उस फैसले को क्रियान्वित करने का काम कर रहा है - ऐसे में, डिस्ट्रिक्ट गवर्नर की कार्रवाई की शिकायत करने का अर्थ इंटरनेशनल डायरेक्टर्स बोर्ड के फैसले को चुनौती देने वाला माना/समझा जायेगा । रोटरी में राजनीति करने वालों पर हंटर बरसाने वाले के रूप में मशहूर निवर्तमान इंटरनेशनल प्रेसीडेंट केआर रवींद्रन इस वर्ष भी जिस भूमिका में हैं, उसे देखते/जानते हुए मुकेश अरनेजा अपनी 'एक्सपर्टीज' दिखाने से बचने का ही प्रयास करेंगे । दूसरा कारण यह भी है कि मुकेश अरनेजा पहले से ही रोटरी के बड़े नेताओं के बीच काफी बदनाम हैं, जिसके चलते इस वर्ष के रोटरी इंस्टीट्यूट की तैयारियों के लिए बनी करीब 170 लोगों की टीम में मुकेश अरनेजा को कोई जगह नहीं मिली । इंस्टीट्यूट के कन्वेनर इंटरनेशनल डायरेक्टर मनोज देसाई हैं, जिनके साथ अपनी नजदीकियत के किस्से सुनाते/बताते मुकेश अरनेजा थकते नहीं हैं । मुकेश अरनेजा के लिए शर्मनाक स्थिति यह हुई है कि मनोज देसाई ने टीम में जेके गौड़ को तो जगह दे दी है, लेकिन मुकेश अरनेजा को जगह नहीं दी है । ऐसे में, मुकेश अरनेजा को डर यह है कि ई-वोटिंग को लेकर उन्होंने यदि कोई चूँ-चपड़ की तो उनकी बची-खुची पहुँच भी खतरे में पड़ जाएगी ।
इसलिए मुकेश अरनेजा तथा दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के दूसरे समर्थक नेताओं के सामने ई-वोटिंग की व्यवस्था को - तथा इस व्यवस्था को क्रियान्वित करती डिस्ट्रिक्ट गवर्नर शरत जैन की भूमिका को चुपचाप देखते रहने का ही विकल्प बचा है । इस अकेले विकल्प को देखते हुए दीपक गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थक नेताओं को ई-वोटिंग के जरिए चुनाव होने की तैयारी देख/जान कर तगड़ा वाला झटका महसूस हो रहा है, तो बहुत स्वाभाविक बात है ।