नोएडा
। डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट सतीश सिंघल का पहला औपचारिक कार्यक्रम - पेम
वन - होने से पहले ही जिस तरह की आलोचना और विवाद का शिकार हो गया है, उससे
संकेत और सुबूत मिल रहे हैं कि सतीश सिंघल के गवर्नर-काल में रोटरी और
डिस्ट्रिक्ट का मजाक ही बनना तय है । सतीश
सिंघल ने घोषणा की भी है कि अपने गवर्नर-काल में वह ऐसे ऐसे काम करेंगे,
जैसे रोटरी और डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में पहले कभी नहीं हुए होंगे । इस
घोषणा में हालाँकि उनका आशय अच्छे और प्रभावी कामों से रहा होगा, पर अभी तक
जो होता हुआ नजर आ रहा है - उसमें बेवकूफियों और तमाशों का ज्यादा जोर बन
रहा है; और उसमें रोटरी के नियम-कानून तथा व्यवस्थाएँ टूट रही हैं और उनका
मजाक बन रहा है । पेम वन को सतीश सिंघल जिस तरह से आयोजित कर रहे हैं,
उसके बारे में जान/सुन कर आरोप यह लग रहा है कि पेम आयोजित करने के पीछे
रोटरी में जो उद्देश्य है, सतीश सिंघल ने अपने आयोजन में उसे ही अनदेखा कर
दिया है - और अपने इस पहले ही औपचारिक कार्यक्रम को पैसा बनाने तथा राजनीति करने का जरिया बना दिया है ।
उल्लेखनीय है कि पेम यानि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट, जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि अगले रोटरी वर्ष में होने/बनने वाले अध्यक्षों की मीटिंग का कार्यक्रम है - जिसका उद्देश्य उन्हें रोटरी की बातों और व्यवस्थाओं से परिचित कराना होता है । इस कार्यक्रम में प्रेसीडेंट इलेक्ट और रोटरी के अनुभवी व जानकार लोगों की उपस्थिति ही वांछनीय होती है । कार्यक्रम की व्यवस्था करने/देखने के लिए कुछेक और रोटेरियंस भी कार्यक्रम में न्यौत लिए जाते रहे हैं । कुछेक अदृश्य किस्म की 'मजबूरियों' व 'जरूरतों' के चलते व्यवस्था करने/देखने वाले रोटेरियंस की संख्या बढ़ती भी रही है, लेकिन पेम में मुख्य फोकस प्रेसीडेंट इलेक्ट पर ही रहा है । सतीश सिंघल ने लेकिन रोटरी और डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में पहली बार यह किया है कि इस फोकस को ही बदल दिया है । अपनी पेम वन में उन्होंने क्लब्स के मौजूदा प्रेसीडेंट तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के संभावित उम्मीदवारों को भी आमंत्रित किया है - और इस तरीके से पेम को मौजूदा रोटरी वर्ष की चुनावी राजनीति के अखाड़े के रूप में सजा दिया है, जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट तो बेचारे बस तमाशबीन होंगे । इस तरह जो आयोजन रोटरी के भावी कर्ता-धर्ताओं के लिए रोटरी की बुनियादी बातों व भावनाओं को जानने/समझने/पहचानने का मौका होना चाहिए था - सतीश सिंघल ने उसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के एक एडवांस-शो में कन्वर्ट कर दिया है ।
पेम के पीछे के रोटरी उद्देश्यों की ऐसी-तैसी करने के सतीश सिंघल के इस 'पराक्रम' का कारण तो और भी मजेदार है । पेम की तैयारी से जुड़े उनके ही नजदीकियों का कहना है कि मौजूदा रोटरी वर्ष के अध्यक्षों को आमंत्रित करने का फैसला यह सोच कर लिया गया कि उससे कार्यक्रम में भीड़ बढ़ेगी और ज्यादा से ज्यादा पैसे मिलेंगे/बनेंगे । उल्लेखनीय है कि पेम वन के आयोजन का खर्च जुटाने के लिए सतीश सिंघल ने 19 क्लब्स से साठ-साठ हजार रुपए लिए हैं । पेम वन का आयोजन यदि अपने मूल स्वरूप में होता - जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट के लिए तो भागीदारी मुफ़्त होती, लेकिन बाकी लोगों से रजिस्ट्रेशन का पैसा लिया जाता; तो क्लब्स से इकट्ठा हुए 11 लाख 40 हजार रुपए में से ज्यादा कुछ नहीं बचता । एक साधारण सा व्यापारिक फार्मूला पहचाना गया कि रजिस्ट्रेशन वाले भागीदारों की संख्या को यदि बढ़ा लिया जाए, तो रजिस्ट्रेशन से इकट्ठा हुए पैसे से ही खर्चा निकल आयेगा - और क्लब्स से इकट्ठा हुए पैसे को बचाया जा सकेगा । समस्या लेकिन यह पैदा हुई कि रजिस्ट्रेशन वाले भागीदारों को कहाँ से और कैसे जुटाया जाए ? तब क्लब्स के मौजूदा अध्यक्षों पर निगाह गई, और ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो सकें - इसके लिए उन्हें भी पेम में आमंत्रित कर लिया गया । अब लोग माथापच्ची करते रहें कि पेम का जो डिजाईन है, जो कॉन्सेप्ट है - उसमें मौजूदा अध्यक्षों का भला क्या काम है ? आरोप है कि सतीश सिंघल ने रोटरी को कमाई का जरिया बनाने में जो महारत हासिल की हुई है, और रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के जरिए अपनी इस व्यापारिक महारत का जो सुबूत दिया हुआ है - उसी का उन्होंने अपनी गवर्नरी के पहले औपचारिक कार्यक्रम पेम वन में एक और नजारा प्रस्तुत किया है ।
सतीश सिंघल ने अभी तक जो भी कार्यक्रम किए हैं, उनमें अपनी सोच का बेतुकापन और स्वार्थी रूप ही जाहिर किया है । पिछले दिनों तो उन्होंने कोर टीम का गठन किए बिना ही कोर टीम की मीटिंग तक कर लेने का - 'कमाल' दिखाया था । उनके हर कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों ने अपने आपको ठगा हुआ और ताली बजाने वाली भूमिका में ही महसूस किया था । पेम वन में भी इसी का और बड़ा रूप देखने/दिखाने का सतीश सिंघल ने इंतजाम किया है । आमंत्रितों के 'ग्रुप्स' देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेम वन में रोटरी का तो कोई भी काम हो पाना मुश्किल ही होगा - और आमंत्रितों को बस बेवकूफ ही बनना होगा । सतीश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि सतीश सिंघल लेकिन आश्वस्त हैं कि उनके कार्यक्रमों में लोग भले ही अपमानित महसूस करते हों, और अपने को ठगा हुआ पाते हों - लेकिन देखना, भारी संख्या में वह आयेंगे जरूर । सतीश सिंघल की व्यापारिक सोच व्यापार में उन्हें भले ही कामयाबी न दिला पाई हो, लेकिन रोटरी का व्यापारिक इस्तेमाल करने के मामले में उन्हें फायदा पहुँचाने वाली साबित हुई है । आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार ही, इसी नाते सतीश सिंघल को पूरा भरोसा है कि पेम वन के नाम पर वह जो तमाशा करने जा रहे हैं : वह प्रेसीडेंट इलेक्ट के लिए भले ही बेमतलब की कसरत हो, मौजूदा प्रेसीडेंट्स व दूसरे भागीदारों के लिए भले ही ताली बजाने वाली भूमिका निभाने का अपमानजनक मौका हो, और रोटरी को व डिस्ट्रिक्ट को भले ही बदनाम करने वाला अवसर हो - लेकिन खुद उनके लिए निश्चित रूप से जेब भरने वाला मौका साबित होगा ।
उल्लेखनीय है कि पेम यानि प्रेसीडेंट इलेक्ट मीट, जैसा कि नाम से ही जाहिर है कि अगले रोटरी वर्ष में होने/बनने वाले अध्यक्षों की मीटिंग का कार्यक्रम है - जिसका उद्देश्य उन्हें रोटरी की बातों और व्यवस्थाओं से परिचित कराना होता है । इस कार्यक्रम में प्रेसीडेंट इलेक्ट और रोटरी के अनुभवी व जानकार लोगों की उपस्थिति ही वांछनीय होती है । कार्यक्रम की व्यवस्था करने/देखने के लिए कुछेक और रोटेरियंस भी कार्यक्रम में न्यौत लिए जाते रहे हैं । कुछेक अदृश्य किस्म की 'मजबूरियों' व 'जरूरतों' के चलते व्यवस्था करने/देखने वाले रोटेरियंस की संख्या बढ़ती भी रही है, लेकिन पेम में मुख्य फोकस प्रेसीडेंट इलेक्ट पर ही रहा है । सतीश सिंघल ने लेकिन रोटरी और डिस्ट्रिक्ट के इतिहास में पहली बार यह किया है कि इस फोकस को ही बदल दिया है । अपनी पेम वन में उन्होंने क्लब्स के मौजूदा प्रेसीडेंट तथा डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के संभावित उम्मीदवारों को भी आमंत्रित किया है - और इस तरीके से पेम को मौजूदा रोटरी वर्ष की चुनावी राजनीति के अखाड़े के रूप में सजा दिया है, जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट तो बेचारे बस तमाशबीन होंगे । इस तरह जो आयोजन रोटरी के भावी कर्ता-धर्ताओं के लिए रोटरी की बुनियादी बातों व भावनाओं को जानने/समझने/पहचानने का मौका होना चाहिए था - सतीश सिंघल ने उसे डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के एक एडवांस-शो में कन्वर्ट कर दिया है ।
पेम के पीछे के रोटरी उद्देश्यों की ऐसी-तैसी करने के सतीश सिंघल के इस 'पराक्रम' का कारण तो और भी मजेदार है । पेम की तैयारी से जुड़े उनके ही नजदीकियों का कहना है कि मौजूदा रोटरी वर्ष के अध्यक्षों को आमंत्रित करने का फैसला यह सोच कर लिया गया कि उससे कार्यक्रम में भीड़ बढ़ेगी और ज्यादा से ज्यादा पैसे मिलेंगे/बनेंगे । उल्लेखनीय है कि पेम वन के आयोजन का खर्च जुटाने के लिए सतीश सिंघल ने 19 क्लब्स से साठ-साठ हजार रुपए लिए हैं । पेम वन का आयोजन यदि अपने मूल स्वरूप में होता - जिसमें प्रेसीडेंट इलेक्ट के लिए तो भागीदारी मुफ़्त होती, लेकिन बाकी लोगों से रजिस्ट्रेशन का पैसा लिया जाता; तो क्लब्स से इकट्ठा हुए 11 लाख 40 हजार रुपए में से ज्यादा कुछ नहीं बचता । एक साधारण सा व्यापारिक फार्मूला पहचाना गया कि रजिस्ट्रेशन वाले भागीदारों की संख्या को यदि बढ़ा लिया जाए, तो रजिस्ट्रेशन से इकट्ठा हुए पैसे से ही खर्चा निकल आयेगा - और क्लब्स से इकट्ठा हुए पैसे को बचाया जा सकेगा । समस्या लेकिन यह पैदा हुई कि रजिस्ट्रेशन वाले भागीदारों को कहाँ से और कैसे जुटाया जाए ? तब क्लब्स के मौजूदा अध्यक्षों पर निगाह गई, और ज्यादा से ज्यादा रजिस्ट्रेशन हो सकें - इसके लिए उन्हें भी पेम में आमंत्रित कर लिया गया । अब लोग माथापच्ची करते रहें कि पेम का जो डिजाईन है, जो कॉन्सेप्ट है - उसमें मौजूदा अध्यक्षों का भला क्या काम है ? आरोप है कि सतीश सिंघल ने रोटरी को कमाई का जरिया बनाने में जो महारत हासिल की हुई है, और रोटरी नोएडा ब्लड बैंक के जरिए अपनी इस व्यापारिक महारत का जो सुबूत दिया हुआ है - उसी का उन्होंने अपनी गवर्नरी के पहले औपचारिक कार्यक्रम पेम वन में एक और नजारा प्रस्तुत किया है ।
सतीश सिंघल ने अभी तक जो भी कार्यक्रम किए हैं, उनमें अपनी सोच का बेतुकापन और स्वार्थी रूप ही जाहिर किया है । पिछले दिनों तो उन्होंने कोर टीम का गठन किए बिना ही कोर टीम की मीटिंग तक कर लेने का - 'कमाल' दिखाया था । उनके हर कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोगों ने अपने आपको ठगा हुआ और ताली बजाने वाली भूमिका में ही महसूस किया था । पेम वन में भी इसी का और बड़ा रूप देखने/दिखाने का सतीश सिंघल ने इंतजाम किया है । आमंत्रितों के 'ग्रुप्स' देख कर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि पेम वन में रोटरी का तो कोई भी काम हो पाना मुश्किल ही होगा - और आमंत्रितों को बस बेवकूफ ही बनना होगा । सतीश सिंघल के नजदीकियों का कहना है कि सतीश सिंघल लेकिन आश्वस्त हैं कि उनके कार्यक्रमों में लोग भले ही अपमानित महसूस करते हों, और अपने को ठगा हुआ पाते हों - लेकिन देखना, भारी संख्या में वह आयेंगे जरूर । सतीश सिंघल की व्यापारिक सोच व्यापार में उन्हें भले ही कामयाबी न दिला पाई हो, लेकिन रोटरी का व्यापारिक इस्तेमाल करने के मामले में उन्हें फायदा पहुँचाने वाली साबित हुई है । आरोपपूर्ण चर्चाओं के अनुसार ही, इसी नाते सतीश सिंघल को पूरा भरोसा है कि पेम वन के नाम पर वह जो तमाशा करने जा रहे हैं : वह प्रेसीडेंट इलेक्ट के लिए भले ही बेमतलब की कसरत हो, मौजूदा प्रेसीडेंट्स व दूसरे भागीदारों के लिए भले ही ताली बजाने वाली भूमिका निभाने का अपमानजनक मौका हो, और रोटरी को व डिस्ट्रिक्ट को भले ही बदनाम करने वाला अवसर हो - लेकिन खुद उनके लिए निश्चित रूप से जेब भरने वाला मौका साबित होगा ।