Thursday, October 20, 2016

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 बी वन में नरेश अग्रवाल से फर्जी एल्मनॅक विमोचित करवाने की धोखाधड़ी से पीछा अभी छूटा भी नहीं था, कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा दूसरी कैबिनेट मीटिंग के लिए पैसा माँगने को लेकर निशाने पर आ गए

लखनऊ । डिस्ट्रिक्ट गवर्नर विशाल सिन्हा डिस्ट्रिक्ट की सेकेंड कैबिनेट मीटिंग के लिए कैबिनेट के सदस्यों से पैसे माँग कर गंभीर आरोपों के घेरे में फँस गए हैं । दरअसल विशाल सिन्हा कैबिनेट सदस्यों से पहले ही मोटी रकम बसूल चुके हैं, और उक्त रकम बसूलते समय उन्होंने दावा/वायदा किया था कि कैबिनेट सदस्यों से किसी कैबिनेट मीटिंग में, अधिष्ठापन समारोह और अवॉर्ड समारोह में पैसा नहीं लिया जायेगा । लोगों को हैरानी है कि विशाल सिन्हा दूसरी कैबिनेट मीटिंग तक आते-आते अपना दावा/वायदा भूल गए, और कैबिनेट मीटिंग के लिए पैसे माँगने लगे । विशाल सिन्हा हालाँकि लोगों को पैसे माँगने का 'कारण' बता/समझा रहे हैं, लेकिन उनकी बदकिस्मती है कि लोग उनके द्धारा बताए जा रहे कारण को समझने की बजाए उन्हें कोसने में लगे हैं - और उनके द्धारा बताए जा रहे कारण को उनकी ठगी की एक तरकीब के रूप में देख/बता रहे हैं । विशाल सिन्हा का कहना है कि दूसरी कैबिनेट मीटिंग वह भीमताल में कर रहे हैं, और वहाँ एक बढ़िया होटल में लोगों के एक रात ठहरने की व्यवस्था कर रहे हैं - वह तो एक रात होटल में ठहरने के खर्च को पूरा करने के लिए पैसे माँग रहे हैं । विशाल सिन्हा का यह तर्क कैबिनेट सदस्यों को लेकिन उनकी चालाकी लग रहा है । लोगों का कहना है कि विशाल सिन्हा कान सीधे न पकड़ कर, थोड़ा घुमा कर पकड़ रहे हैं - और चाह रहे हैं कि लोग उनकी इस चालाकी को चुपचाप स्वीकार कर लें । लोगों का कहना है कि विशाल सिन्हा कैबिनेट मीटिंग भीमताल में करें या झुमरी तलैया में करें - अपने दावे/वायदे के अनुसार उसके लिए कोई पैसा न माँगे; और जो कोई वहाँ होटल में रुकना चाहता है, उसे अपना इंतजाम खुद करने का मौका/अधिकार दें । हाँ, वह अपनी तरफ से एक विकल्प/पैकेज दे सकते हैं; जिसे उनका पैकेज पसंद आएगा, वह उनसे ले लेगा । लोगों का कहना है कि विशाल सिन्हा को कैबिनेट सदस्यों से किए गए अपने दावे/वायदे को याद करते/रखते हुए कैबिनेट मीटिंग के लिए पैकेज थोपना नहीं चाहिए ।
विशाल सिन्हा के तर्क से जो लोग सहमत भी हैं, उनका भी कहना है कि विशाल सिन्हा ने एक रात होटल में ठहरने/ठहराने के नाम पर कैबिनेट सदस्यों से पैसे माँग कर गलत किया है, और नाहक ही परेशानी मोल ले ली है । विशाल सिन्हा लेकिन अपनी 'गलती' मानने को तैयार ही नहीं हैं । उनका कहना है कि पिछले वर्षों में कई एक (पूर्व) डिस्ट्रिक्ट गवर्नर्स ने भीमताल और या ऐसी ही जगहों पर कैबिनेट मीटिंग्स या अन्य कार्यक्रम किए हैं, और उसके लिए लोगों से पैसे लिए हैं - इस पर कभी कोई विरोध नहीं हुआ; उन्हें लेकिन निशाना बनाया जा रहा है । लोगों की तरफ से इसका जबाव भी सुनने को मिला है, जिसमें कहा/बताया जा रहा है कि दूसरे गवर्नर्स की तुलना में विशाल सिन्हा की बदनामी ज्यादा है; लोग अच्छी तरह जानते/पहचानते हैं कि विशाल सिन्हा झूठ बोलने में, सामने कुछ और पीछे कुछ कहने में, धोखेबाजी करने में, इधर की उधर करने में बड़े एक्सपर्ट हैं - इसलिए उनकी हर बात, उनका हर काम शक के घेरे में आ जाता है । वह हर काम इतना घुमाफिरा कर तथा छिपा कर करते हैं कि कुछेक लोगों का शक फिर सभी का विश्वास बन जाता है । बेचारे विशाल सिन्हा की डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच (कु)ख्याति ऐसी है कि उनकी हर हरकत तुरंत से लोगों की पकड़ में आ जाती है - और फिर उनकी खुद की सफाई भी उन्हें किसी भी तरह से नहीं बचा पाती है ।
डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में डिस्ट्रिक्ट एल्मनॅक को लेकर विशाल सिन्हा ने इंटरनेशनल फर्स्ट वाइस प्रेसीडेंट नरेश अग्रवाल तथा इंटरनेशनल डायरेक्टर अरुणा ओसवाल सहित लायंस इंटरनेशनल के अन्य पदाधिकारियों सहित डिस्ट्रिक्ट के लोगों की आँखों में धूल झोंकने का जो काम किया - वह इस बात का सुबूत है कि धोखाधड़ी करने में विशाल सिन्हा खासा दुस्साहस रखते हैं । डिस्ट्रिक्ट के अधिष्ठापन समारोह में विशाल सिन्हा ने नरेश अग्रवाल से डिस्ट्रिक्ट एल्मनॅक को विमोचित करवाया । एल्मनॅक हालाँकि उन्होंने किसी को दी नहीं - उनका कहना था कि प्रिंटर/बाइंडर ने अभी कुछ ही प्रतियाँ दी हैं; जैसे ही उन्हें एल्मनॅक की प्रतियाँ मिलेंगी, वह सभी के पते पर पहुँचा देंगे । विमोचित करते समय जो थोड़ी सी प्रतियाँ मंचासीन अतिथियों के पास थीं, विशाल सिन्हा ने उन्हें भी झटपट तरीके से इकट्ठा करके छिपा दिया । बाद में प्रिंटर/बाइंडर से लोगों को पता चला कि एल्मनॅक तो अभी तैयार ही नहीं हुई है; और विशाल सिन्हा ने रद्दी कागजों को जोड़ कर फर्जी एल्मनॅक की पाँच/सात कॉपी बनवा ली थीं, और नरेश अग्रवाल से उसे ही विमोचित करवा लिया । फर्जी एल्मनॅक की एक कॉपी 'रचनात्मक संकल्प' के पास भी आ गई है । फर्जी एल्मनॅक का भेद खुला, तो विशाल सिन्हा ने पैंतरा बदला और लीपापोती करते हुए कहना शुरू किया कि उन्होंने एल्मनॅक नहीं, बल्कि एल्मनॅक का टाइटल कवर विमोचित करवाया था । इस सवाल का जबाव लेकिन उन्होंने नहीं दिया कि टाइटल कवर ही यदि उन्हें विमोचित करवाना था, तो प्रिंटर/बाइंडर से रद्दी कागजों को जोड़ कर फर्जी एल्मनॅक की पाँच/सात कॉपी बनवाने की उन्हें क्या जरूरत थी ? एल्मनॅक के नाम पर किए गए फर्जीवाड़े की पोल खुलने से विशाल सिन्हा की कार्यक्षमता की पोल और खुल गई : लोगों ने पूछना शुरू किया है कि गवर्नरी के तीसरे महीने में तो वह एल्मनॅक का कवर तैयार कर/करवा पाए हैं - ऐसे में एल्मनॅक उनकी गवर्नरी का कार्यकाल पूरा होने तक आ जाएगी या नहीं ?
एल्मनॅक के फर्जीवाड़े को लेकर विशाल सिन्हा की फजीहत अभी हो ही रही थी, कि दूसरी डिस्ट्रिक्ट कैबिनेट मीटिंग के लिए कैबिनेट सदस्यों से पैसे माँगने का विवाद शुरू हो गया । लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के रूप में विशाल सिन्हा विवादों का कोई रिकॉर्ड बनायेंगे - एक विवाद थमता नहीं है, कि वह दूसरे विवाद में जा फँसते हैं । विशाल सिन्हा से हमदर्दी रखने वाले लायन सदस्यों को भी लगता है और वह कहते भी हैं कि विशाल सिन्हा ने अपनी हरकतों से अपनी गवर्नरी का मज़ाक बनवा लिया है, और इसी का नतीजा है कि डिस्ट्रिक्ट में उनकी बातों को कोई भी गंभीरता से नहीं लेता है । यही कारण है कि विशाल सिन्हा जिस किसी को भी सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अपने उम्मीदवार के रूप में तैयार करते हैं, वह डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच विशाल सिन्हा की असलियत देख/जान कर भाग खड़ा होता है - और तमाम कोशिशों के बावजूद विशाल सिन्हा एक उम्मीदवार खड़ा नहीं कर पा रहे हैं ।