Friday, June 9, 2017

लायंस इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 सी वन में खर्चे से बचने की कोशिश में अपनी उम्मीदवारी की जरूरी सक्रियता से पीछे हट कर अश्वनी काम्बोज ने वास्तव में अपनी कमजोरी के साथ-साथ रणनीतिक सोच के अभाव को भी जाहिर किया है क्या ?

देहरादून । मुकेश गोयल की बदली चुनावी रणनीति तथा अश्वनी काम्बोज की उम्मीदवार के रूप में छिपने/दुबकने की कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के विरोधी खेमे के नेताओं की मुसीबतों को बढ़ा दिया है । इस वर्ष के चुनाव में अश्वनी काम्बोज की हुई बुरी हार के बावजूद विरोधी खेमे के नेता यह सोच कर उत्साहित थे कि अगले वर्ष की चुनावी राजनीति में वह मुकेश गोयल को अवश्य ही घेर लेंगे । विरोधी खेमे के नेता यूँ तो प्रायः हर वर्ष यह ख़्बाव देखते हैं, और प्रायः हर बार बेचारे बुरी तरह 'पिटते' हैं - उनके हौंसले की लेकिन तारीफ करनी होगी कि फिर भी वह मुकेश गोयल से निपटने का ख़्बाव देखना छोड़ते नहीं हैं । लेकिन अगले वर्ष की राजनीति में मुकेश गोयल को घेर लेने के उनके ख़्बाव को लेकर गंभीरता नजर आ रही थी तो इसके दो कारण थे : पहला कारण तो यह कि विरोधी खेमे के नेताओं के पास अश्वनी काम्बोज के रूप में एक 'दमदार' उम्मीदवार बिलकुल शुरू से मौजूद था, दूसरा यह कि मुकेश गोयल के पास कोई भारी उम्मीदवार 'दिख' नहीं रहा था । अश्वनी काम्बोज ने इस बार का चुनाव जिस दमदारी से लड़ा; और हारने के तुरंत बाद अगले वर्ष में उम्मीदवार होने की घोषणा उन्होंने जिस अंदाज में की - उससे संकेत मिला कि वह अगली बार चुनाव के लिए पहले से ही इतना दबाव बना देंगे कि उनके सामने कोई और उम्मीदवार बनने की हिम्मत ही नहीं करेगा । विरोधी खेमे के नेताओं को यह भी उम्मीद थी कि अश्वनी काम्बोज की सक्रियता के जरिए वह अजय सिंघल को भी साध कर अपनी तरफ मिला लेंगे । दरअसल अजय सिंघल को मुकेश गोयल खेमे में एक कमजोर कड़ी के रूप में देखा/पहचाना जाता है; और माना जाता है कि यदि थोड़ा गंभीरता से काम किया जाए तो अजय सिंघल को मुकेश गोयल खेमे से अलग किया जा सकता है । इन्हीं कारणों से विरोधी खेमे के नेताओं ने मुकेश गोयल से निपटने की अपनी पुरानी हसरत को पूरा कर सकने के लिए उम्मीद का गुब्बारा फुलाया हुआ था ।
उनकी उम्मीद के गुब्बारे में लेकिन अश्वनी काम्बोज ने ही सुई चुभो दी है । अश्वनी काम्बोज ने अगले लायन वर्ष में उम्मीदवार होने की घोषणा तो कर दी है, लेकिन एक उम्मीदवार के रूप में सक्रिय होने और 'दिखने' से वह बचने की ही कोशिश कर रहे हैं । उनके नजदीकियों का कहना है कि उन्होंने सक्रिय होने के लिए सोचा तो था, लेकिन अपने आप को उनका शुभचिंतक और समर्थक बताने वाले लोगों ने उन्हें जिस तरह के खर्चे का प्लान बताया, उसे सुन/जान कर अश्वनी काम्बोज के होश ही उड़ गए । उन्होंने समझ लिया कि उन्होंने अभी से 'इस' तरह से खर्चा करना शुरू किया, तो चुनाव आते आते तक तो वह कंगाल ही हो जायेंगे । नजदीकियों के अनुसार, अश्वनी काम्बोज को यह भी शक हुआ कि जो लोग अपने आप को उनका शुभचिंतक और समर्थक बता/जता रहे हैं, वह कहीं उनके पैसे पर अपनी अपनी राजनीति करने की फिराक में तो नहीं हैं - और इसीलिए उन्होंने सक्रिय होने की तैयारी को फिलहाल स्थगित ही कर दिया, तथा वाट्स-ऐप के जरिए ही अपनी उम्मीदवारी को प्रमोट करते रहने में अपनी भलाई देखी है । उनके नजदीकियों का कहना है कि वह अभी यह देखना चाहते हैं कि मुकेश गोयल खेमे की तरफ से कौन उम्मीदवार के रूप में आता है - और यह देखने के बाद ही वह अपनी सक्रियता बनायेंगे/दिखायेंगे । अश्वनी काम्बोज ने अपने नजदीकियों को बता दिया है कि जब तक मुकेश गोयल खेमे की तरफ से उम्मीदवार घोषित नहीं हो जाता, वह वाट्स-ऐप के अलावा कहीं कोई सक्रियता नहीं दिखायेंगे और इकन्नी भी खर्च नहीं करेंगे ।
मुकेश गोयल लेकिन इस बार अपनी रणनीति बदलते हुए दिख रहे हैं । हर बार वह उम्मीदवार की घोषणा जल्दी से जल्दी कर देने की कोशिश करते हैं, किंतु इस बार अपनी बदली हुई रणनीति में वह उम्मीदवार की घोषणा करने में जल्दबाजी नहीं करना चाहते हैं । अपनी रणनीति में बदलाव करके मुकेश गोयल ने दरअसल अश्वनी काम्बोज की 'खूबी' को ही उनके गले का फंदा बना दिया है । अश्वनी काम्बोज के समर्थक नेताओं की तरफ से संकेत मिल रहे थे कि मुकेश गोयल खेमे की तरफ से उम्मीदवार घोषित होने पर, अश्वनी काम्बोज ताबड़तोड़ खर्चा करके उस पर शुरू से ही बढ़त बना लेंगे और हावी हो जायेंगे । विरोधी खेमे के नेताओं की इस रणनीति को फेल करने के लिए ही मुकेश गोयल ने  चाल चली कि वह अभी अपना उम्मीदवार घोषित ही नहीं कर रहे हैं । मुकेश गोयल की इस चाल से अश्वनी काम्बोज और उनके समर्थक नेताओं के बीच विवाद पैदा हो गया है - समर्थक नेता चाहते हैं कि अश्वनी काम्बोज को अकेले उम्मीदवार होने का फायदा उठाना चाहिए, और अपनी सक्रियता से लोगों के बीच अपनी पैठ मजबूत कर लेना चाहिए; अश्वनी काम्बोज जान रहे हैं कि सक्रियता का मतलब पैसा खर्च होना शुरू, उनके अनुसार जो बेकार ही जायेगा, इसलिए अभी से क्यों सक्रिय होना ? अश्वनी काम्बोज के नजदीकियों का भी मानना और कहना है कि सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद की उम्मीदवारी की सक्रियता से पीछे हट कर अश्वनी काम्बोज ने वास्तव में अपनी कमजोरी को तो जाहिर किया ही है, साथ ही साथ यह भी साबित किया है कि उनके पास कोई रणनीतिक सोच भी नहीं है ।
अश्वनी काम्बोज के प्रति हमदर्दी रखने वाले लोगों का कहना है कि अश्वनी काम्बोज को पिछले चुनाव में हुई अपनी बुरी पराजय के कारणों का तथा इस समय की स्थितियों का तथ्यपरक तरीके से विश्लेषण करना चाहिए; और अपनी खूबियों व कमियों को पहचान कर अपनी रणनीति तैयार करना - और उस पर अमल करना चाहिए । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों का ही मानना/कहना है कि अश्वनी काम्बोज को समझना चाहिए कि बचकानी हरकतों से वह मुकेश गोयल जैसे अनुभवी नेता के सामने सफल नहीं हो पायेंगे, जो प्रतिकूल स्थितियों को भी अनुकूल बना लेने की कला में माहिर हैं । डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के खिलाड़ियों के अनुसार, मुकेश गोयल ने इस बार उम्मीदवार घोषित करने में जल्दबाजी न करने की जो रणनीति अपनाई है, वह दरअसल मजबूरी में लिया गया फैसला भी है । यह फैसला लेने के लिए उन्हें इसलिए मजबूर होना पड़ा, क्योंकि अभी उनकी राजनीति में फिट बैठने वाला कोई दमदार उम्मीदवार उन्हें मिला ही नहीं है; लेकिन इस प्रतिकूल स्थिति को उन्होंने पैंतरा बदल कर अनुकूल बना लिया - और अपनी बदली रणनीति से उम्मीदवार के मामले में 'अमीर' दिख रहे विरोधी खेमे के नेताओं को मुसीबत में डाल दिया है । विरोधी खेमे के नेताओं का रोना यह है कि जब उनका अपना 'घोड़ा' ही लंगड़ाने लगा हो, तो ऐसे में आखिर वही क्या करें ?