नई दिल्ली । 17 जून को दोबारा होने वाली मल्टीपल कन्वेंशन को लेकर भी मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट 321 में राजनीतिक तापमान जिस तरह बढ़ता दिख रहा है, उससे लगता नहीं है कि दोबारा होने वाली कन्वेंशन में भी कोई 'काम' शांति से हो पायेगा ।
दोबारा कन्वेंशन होने की घोषणा को लेकर ही जिस तरह का संदेह बना है, उससे
मामला सुलटने की बजाए उलझता हुआ ज्यादा नजर आ रहा है । दोबारा होने वाली
कन्वेंशन की घोषणा पर सुशील अग्रवाल, केएम गोयल, जगदीश गुलाटी आदि पूर्व
इंटरनेशनल डायरेक्टर तक ने जिस तरह से हैरानी प्रकट की है, उससे लोगों को
लगा है कि उक्त घोषणा करने से पहले मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा ने
इन्हें भी भरोसे में नहीं लिया है । दरअसल इससे ही जेसी वर्मा द्वारा की
गई घोषणा संदेहास्पद हो उठी है, और उसके पीछे छिपे उद्देश्यों को लेकर
जितने मुँह उतनी बातें वाला माहौल बन गया है । मल्टीपल काउंसिल
पदाधिकारियों की तरफ से भी कुछ स्पष्ट नहीं किया जा रहा है, इसलिए दोबारा
होने वाली मल्टीपल कन्वेंशन को लेकर तरह तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं - जो मामले
और माहौल को गर्म बना रहे हैं ।
मल्टीपल के लोगों के बीच जोरदार चर्चा तो यह है कि मल्टीपल कॉन्फ्रेंस और कन्वेंशन में हिंसा करने वाले और हिंसा का शिकार होने वाले नेताओं के बीच समझौता हो गया है; जिसके तहत दोबारा होने वाली कन्वेंशन में जेपी सिंह इंटरनेशनल डायरेक्टर तथा विनय गर्ग मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन चुन लिए जायेंगे - और पीछे जो हुआ, उसे भूल जाया जायेगा । कई लोगों को लेकिन यह भी लगता है कि दोनों खेमों में ही चूँकि उप-खेमे भी बन गए हैं, इसलिए उक्त फार्मूले के हिसाब से समझौता होना आसान नहीं होगा । सत्ता खेमे में कुछ लोग जरूर चाहते हैं कि जेपी सिंह को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवा लो, और बाकी बातें भूल जाओ; लेकिन सत्ता खेमे में ही ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो चाहते हैं कि अदालती कार्रवाई और हिंसक उत्पात करने वाले लोगों के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए तथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए । इसी तरह विरोधी खेमे में भी कुछ लोग चाहते हैं कि विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवा लो, तथा बाकी बातों पर मिट्टी डालो; लेकिन विरोधी खेमे में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो जेपी सिंह को किसी भी हालत में इंटरनेशनल डायरेक्टर चुना जाता नहीं देखना चाहते हैं । दोनों खेमों में ही चूँकि किसी एक मुद्दे और/या उद्देश्य पर एकता नहीं है, इसलिए दोनों खेमों में ही इस बात पर असमंजस बना हुआ है कि उन्हें आखिर करना क्या है और कैसे करना है ?
दोबारा होने वाली कन्वेंशन में चूँकि किसी बड़े नेता और पदाधिकारी की उपस्थिति के आसार नहीं हैं - नरेश अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, केएम गोयल, जगदीश गुलाटी के तो उपस्थित होने/रहने की उम्मीद किसी को नहीं है; विनोद खन्ना के बारे में लोगों को जरूर शक है कि जेसी वर्मा के षड्यंत्र में वह शामिल हो सकते हैं - इसलिए उसमें किसी एक पक्ष द्वारा अपनी मनमानी कर सकना मुश्किल भी होगा, और दोनों पक्ष अपनी अपनी मनमानी करने का प्रयास भी कर सकते हैं । इसलिए आशंका है कि दोबारा होने वाली कन्वेंशन भी कहीं हिंसक उत्पात का शिकार न हो जाए । दोबारा होने वाली कन्वेंशन को लेकर सबसे ज्यादा उबाल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में है । यूँ तो यहाँ दो खेमे हैं - एक जेपी सिंह का खेमा है, और दूसरा जेपी सिंह विरोधियों का खेमा है; इस हिसाब से जेपी सिंह के समर्थकों को लगता है कि एक पद जेपी सिंह को और दूसरा पद विनय गर्ग को दिलवा कर वह दोबारा होने वाली कन्वेंशन को आराम से पूरा करवा लेंगे । समस्या लेकिन यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट में जेपी सिंह विरोधी खेमे में भी दो खेमे बन गए हैं - विनय गर्ग और उनके नजदीकी तो समझौता कर लेना चाहते हैं, लेकिन दूसरे कई लोग जेपी सिंह के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हैं । ऐसे ही लोगों ने चमनलाल गुप्ता को आगे करके मोर्चा सँभाला हुआ है; इनका कहना है कि चमनलाल गुप्ता के बेटे संजीव गुप्ता ने भरी मीटिंग में जेपी सिंह समर्थकों से क्या इसीलिए मार खाई थी कि जेपी सिंह इंटरनेशनल डायरेक्टर बन जाएँ ? इन्होंने विनय गर्ग और उनके समर्थकों को भी चेतावनी दी है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लालच में उन्होंने यदि जेपी सिंह से हाथ मिला लिया, तो अच्छा नहीं होगा ।
मल्टीपल में कई लोगों को यह भी लगता है कि दोबारा होने वाली कन्वेंशन में जेपी सिंह के समर्थक किसी भी तरह से जेपी सिंह को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने का प्रयास करेंगे । उनकी तरफ से समझौते का रास्ता भी 'पकड़ा' गया है, और यदि किसी कारण से समझौता नहीं हो पाता है - तो किसी भी तिकड़म से वह इंटरनेशनल डायरेक्टर का 'चुनाव' करवा ही लेंगे । उन्हें लगता है कि पिछली बार हुए हिंसक उत्पात के चलते विरोधी खेमे के लोगों की जो बदनामी हुई है, उससे उनके हौंसले वैसे ही पस्त पड़े हैं; समझौते की बात से उनके बीच आपस में ही अविश्वास भी पैदा हो गया है - जिससे उनकी ताकत कमजोर पड़ गयी है; बचे-खुचे जो लोग शोर मचा रहे हैं, उन्हें 'काबू' करना मुश्किल नहीं होगा - और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का 'चुनाव' करवा लिया जा सकेगा । जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि दोबारा होने वाली मल्टीपल कन्वेंशन को लेकर चूँकि असमंजस बना हुआ है, और हर कोई अपने अपने तरीके से इसके पीछे छिपे उद्देश्य को लेकर अनुमान लगा रहा है - इसलिए लग रहा है कि इसमें भी मामला आसानी से निपटेगा नहीं ।
मल्टीपल के लोगों के बीच जोरदार चर्चा तो यह है कि मल्टीपल कॉन्फ्रेंस और कन्वेंशन में हिंसा करने वाले और हिंसा का शिकार होने वाले नेताओं के बीच समझौता हो गया है; जिसके तहत दोबारा होने वाली कन्वेंशन में जेपी सिंह इंटरनेशनल डायरेक्टर तथा विनय गर्ग मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन चुन लिए जायेंगे - और पीछे जो हुआ, उसे भूल जाया जायेगा । कई लोगों को लेकिन यह भी लगता है कि दोनों खेमों में ही चूँकि उप-खेमे भी बन गए हैं, इसलिए उक्त फार्मूले के हिसाब से समझौता होना आसान नहीं होगा । सत्ता खेमे में कुछ लोग जरूर चाहते हैं कि जेपी सिंह को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवा लो, और बाकी बातें भूल जाओ; लेकिन सत्ता खेमे में ही ऐसे लोग भी कम नहीं हैं जो चाहते हैं कि अदालती कार्रवाई और हिंसक उत्पात करने वाले लोगों के साथ कोई समझौता नहीं होना चाहिए तथा उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए । इसी तरह विरोधी खेमे में भी कुछ लोग चाहते हैं कि विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवा लो, तथा बाकी बातों पर मिट्टी डालो; लेकिन विरोधी खेमे में ऐसे लोगों की भी कमी नहीं है जो जेपी सिंह को किसी भी हालत में इंटरनेशनल डायरेक्टर चुना जाता नहीं देखना चाहते हैं । दोनों खेमों में ही चूँकि किसी एक मुद्दे और/या उद्देश्य पर एकता नहीं है, इसलिए दोनों खेमों में ही इस बात पर असमंजस बना हुआ है कि उन्हें आखिर करना क्या है और कैसे करना है ?
दोबारा होने वाली कन्वेंशन में चूँकि किसी बड़े नेता और पदाधिकारी की उपस्थिति के आसार नहीं हैं - नरेश अग्रवाल, सुशील अग्रवाल, केएम गोयल, जगदीश गुलाटी के तो उपस्थित होने/रहने की उम्मीद किसी को नहीं है; विनोद खन्ना के बारे में लोगों को जरूर शक है कि जेसी वर्मा के षड्यंत्र में वह शामिल हो सकते हैं - इसलिए उसमें किसी एक पक्ष द्वारा अपनी मनमानी कर सकना मुश्किल भी होगा, और दोनों पक्ष अपनी अपनी मनमानी करने का प्रयास भी कर सकते हैं । इसलिए आशंका है कि दोबारा होने वाली कन्वेंशन भी कहीं हिंसक उत्पात का शिकार न हो जाए । दोबारा होने वाली कन्वेंशन को लेकर सबसे ज्यादा उबाल डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू में है । यूँ तो यहाँ दो खेमे हैं - एक जेपी सिंह का खेमा है, और दूसरा जेपी सिंह विरोधियों का खेमा है; इस हिसाब से जेपी सिंह के समर्थकों को लगता है कि एक पद जेपी सिंह को और दूसरा पद विनय गर्ग को दिलवा कर वह दोबारा होने वाली कन्वेंशन को आराम से पूरा करवा लेंगे । समस्या लेकिन यह हुई है कि डिस्ट्रिक्ट में जेपी सिंह विरोधी खेमे में भी दो खेमे बन गए हैं - विनय गर्ग और उनके नजदीकी तो समझौता कर लेना चाहते हैं, लेकिन दूसरे कई लोग जेपी सिंह के साथ समझौता करने को तैयार नहीं हैं । ऐसे ही लोगों ने चमनलाल गुप्ता को आगे करके मोर्चा सँभाला हुआ है; इनका कहना है कि चमनलाल गुप्ता के बेटे संजीव गुप्ता ने भरी मीटिंग में जेपी सिंह समर्थकों से क्या इसीलिए मार खाई थी कि जेपी सिंह इंटरनेशनल डायरेक्टर बन जाएँ ? इन्होंने विनय गर्ग और उनके समर्थकों को भी चेतावनी दी है कि मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन पद के लालच में उन्होंने यदि जेपी सिंह से हाथ मिला लिया, तो अच्छा नहीं होगा ।
मल्टीपल में कई लोगों को यह भी लगता है कि दोबारा होने वाली कन्वेंशन में जेपी सिंह के समर्थक किसी भी तरह से जेपी सिंह को इंटरनेशनल डायरेक्टर चुनवाने का प्रयास करेंगे । उनकी तरफ से समझौते का रास्ता भी 'पकड़ा' गया है, और यदि किसी कारण से समझौता नहीं हो पाता है - तो किसी भी तिकड़म से वह इंटरनेशनल डायरेक्टर का 'चुनाव' करवा ही लेंगे । उन्हें लगता है कि पिछली बार हुए हिंसक उत्पात के चलते विरोधी खेमे के लोगों की जो बदनामी हुई है, उससे उनके हौंसले वैसे ही पस्त पड़े हैं; समझौते की बात से उनके बीच आपस में ही अविश्वास भी पैदा हो गया है - जिससे उनकी ताकत कमजोर पड़ गयी है; बचे-खुचे जो लोग शोर मचा रहे हैं, उन्हें 'काबू' करना मुश्किल नहीं होगा - और इंटरनेशनल डायरेक्टर पद का 'चुनाव' करवा लिया जा सकेगा । जैसा कि पहले ही कहा जा चुका है कि दोबारा होने वाली मल्टीपल कन्वेंशन को लेकर चूँकि असमंजस बना हुआ है, और हर कोई अपने अपने तरीके से इसके पीछे छिपे उद्देश्य को लेकर अनुमान लगा रहा है - इसलिए लग रहा है कि इसमें भी मामला आसानी से निपटेगा नहीं ।