नई
दिल्ली । लायंस इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करवाने के लिए 17 जून को
मल्टीपल कन्वेंशन होने के फैसले तथा लायंस इंटरनेशनल की अनुशासनात्मक
कार्रवाई से बचने के लिए तेजपाल
खिल्लन की नरेश अग्रवाल के 'घर' फिर से घुसने की कोशिशों की खबरों ने वीएस
कुकरेजा को निराश करते हुए इंटरनेशनल डायरेक्टर बनने की उनकी हसरत और तैयारी को हवा में उड़ा दिया है । वीएस कुकरेजा ने
अपने नजदीकियों से आशंका व्यक्त की है कि तेजपाल खिल्लन अपने आप को बचाने
के लिए तो नरेश अग्रवाल से माफी भी माँग लेंगे तथा उनके साथ सौदेबाजी भी कर लेंगे, लेकिन उन्हें बीच मँझदार में छोड़
देंगे । अपनी इस आशंका को विश्वसनीय साबित करने के लिए वीएस कुकरेजा ने
बताया है कि नरेश अग्रवाल के नजदीकियों से उन्हें जानकारी मिली है कि अभी
तो तेजपाल खिल्लन ने नरेश अग्रवाल को फोन पर यह समझाने/जताने की कोशिश की
है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की कॉन्फ्रेंस और कन्वेंशन में जो उत्पात हुआ -
उसमें उनकी कोई भूमिका नहीं थी । तेजपाल खिल्लन ने नरेश अग्रवाल से बात
करते हुए स्वीकार किया कि मल्टीपल काउंसिल के पदाधिकारियों के कुछेक फैसलों
को लेकर उनका विरोध जरूर था, और मल्टीपल की चुनावी राजनीति में वह एक पक्ष
जरूर थे - लेकिन अपने विरोध और अपने पक्ष को स्वीकार करवाने के लिए हिंसा
का सहारा लेने की किसी योजना में उनकी कोई भूमिका नहीं थी । वीएस कुकरेजा
को तगड़ा झटका यह जानकर लगा है कि तेजपाल खिल्लन ने इंटरनेशनल डायरेक्टर पद
के चुनाव को रोकने के लिए अदालती कार्रवाई में अपनी मिलीभगत या सहमति की
बात से भी पल्ला झाड़ लिया है । वीएस कुकरेजा को नरेश अग्रवाल के नजदीकियों
से पता चला है कि तेजपाल खिल्लन ने नरेश अग्रवाल को कहा/बताया है कि
कन्वेंशन से पंद्रह दिन पहले उनके साथियों ने इंटरनेशनल डायरेक्टर के चुनाव
को रोकने के लिए अदालती कार्रवाई करने का सुझाव दिया था, जिसे लेकिन
उन्होंने तुरंत खारिज कर दिया था; उन्हें नहीं पता कि तब फिर किसके कहने पर
किसने अदालती कार्रवाई की ? तेजपाल खिल्लन की इन बातों से वीएस कुकरेजा ने
समझ लिया है कि तेजपाल खिल्लन अपने आपको बचाने के लिए उनके साथ धोखा करने
जा रहे हैं ।
वीएस कुकरेजा की बदकिस्मती यह है कि वह जिन लोगों से तेजपाल खिल्लन से धोखा मिलने का रोना रो रहे हैं, उनसे भी उन्हें सहानुभूति नहीं मिल रही है । वीएस कुकरेजा को लोगों से यही सुनने को मिल रहा है कि वह क्या तेजपाल खिल्लन को जानते नहीं हैं क्या ? उन्हें नहीं पता क्या कि तेजपाल खिल्लन तो लोगों को इस्तेमाल ही करते हैं, और जब कोई उनके काम का नहीं रह जाता - तो वह उसे बीच मँझदार में छोड़ ही देते हैं । वीएस कुकरेजा को क्या इतनी सी बात समझ में नहीं आ रही है कि वह अब तेजपाल खिल्लन के लिए काम के तो नहीं ही रह गए हैं, उनके लिए परेशानी का कारण भी बन गए हैं । अदालती कार्रवाई में वीएस कुकरेजा की मिलीभगत के जो तथ्य जानकारी में आए हैं, उसमें यदि तेजपाल खिल्लन की मिलीभगत भी साबित हुई तो लायंस इंटरनेशनल की अनुशासनात्मक कार्रवाई से बच पाना तेजपाल खिल्लन के लिए भी मुश्किल होगा । तेजपाल खिल्लन के लिए अपने आप को लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई से बचाना बहुत ही जरूरी है, अन्यथा उनका तो धंधा ही चौपट हो जाएगा । अब इसके लिए उन्हें यदि वीएस कुकरेजा की बलि चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, तो वह ज्यादा सोचें-विचारें क्यों ? धंधे के लिए ही तो उन्होंने वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था - अब वह झंडा ही उनके धंधे में बाधा बनेगा, तो वह उसे क्यों उठाए चलेंगे ? धंधे के लिए ही तेजपाल खिल्लन ने नरेश अग्रवाल के प्रति अपने रवैये में भी यू-टर्न ले लिया है । मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में हिंसक उत्पात होने से पहले तक तेजपाल खिल्लन लोगों के बीच नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी के खिलाफ भद्दी और अपमानजनक टिप्पणियाँ किया करते थे; लोगों को अपना फोन दिखा दिखा कर बताते थे कि नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी उन्हें फोन कर कर के उन्हें अपनी तरफ मिलाने और पटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह उनके फोन उठा नहीं रहे हैं; किंतु अब वह नरेश अग्रवाल को फोन कर कर के अपने आप को निर्दोष दिखाने/जताने का प्रयास कर रहे हैं ।
तेजपाल खिल्लन हालाँकि सिर्फ इसी भरोसे नहीं हैं कि वह नरेश अग्रवाल को अपनी निर्दोषता का भरोसा दिला कर ही लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई से अपने को बचा लेंगे; एक कुशल धंधेबाज की तरह एक तरफ वह वीएस कुकरेजा से पीछा छुड़ा कर नरेश अग्रवाल से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ चमनलाल गुप्ता के मार्फ़त उन्हें 'ब्लैकमेल' करने का काम भी कर रहे हैं । उनकी इसी रणनीति के कारण मल्टीपल काउंसिल में हुए झगड़े/टंटे के चलते दर्ज हुईं एफआईआर को वापस कराने के लिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा ने पिछले दिनों जो प्रयास किए, वह ऐन मौके पर चमनलाल गुप्ता के पलट जाने से खटाई में पड़ गए हैं । दरअसल एक एफआईआर डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चमनलाल गुप्ता की तरफ से दर्ज करवाई गई है, जिसमें नरेश अग्रवाल का भी नाम है । मल्टीपल काउंसिल की कॉन्फ्रेंस में जो झगड़ा/टंटा हुआ, उसमें सबसे ज्यादा खामियाजा डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पदाधिकारियों व नेताओं को भुगतना पड़ रहा है । अपनी हरकतों के चलते उन्हें लोगों से मुँह तक छिपाना पड़ रहा है, जिसके चलते भुवनेश्वर में एक से पाँच जून के बीच आयोजित हुई ऑल इंडिया स्कूलिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट इंद्रजीत सिंह तथा फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि मेहरा को अनुपस्थित होना पड़ा । लायनिज्म में इसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण और जरूरी कार्यक्रम के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जिसे डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों के लिए उपयोगी माना जाता है । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की कॉन्फ्रेंस में हुई घटनाओं के कारण मिली बदनामी के कारण इंद्रजीत सिंह और रवि मेहरा की लेकिन इसमें शामिल होने की हिम्मत ही नहीं हुई । डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों को इस फजीहत से बचाने के लिए चमनलाल गुप्ता ने जेसी वर्मा को आश्वस्त किया था कि वह अपनी पुलिस रिपोर्ट वापस ले लेंगे । लेकिन जेसी वर्मा जब रिपोर्ट वापसी की कार्रवाई को पूरा करवाने पहुँचे, तब चमनलाल गुप्ता अपनी ही बात से यह कहते हुए पीछे हट गए कि इस मामले में वह कोई भी अंतिम फैसला अपने साथियों से सलाह करने के बाद ही करेंगे ।
समझा जाता है कि चमनलाल गुप्ता ने अपनी ही बात से पलटी मारने का काम तेजपाल खिल्लन के कहने में आकर किया है । चर्चा है कि तेजपाल खिल्लन उक्त पुलिस रिपोर्ट के जरिए नरेश अग्रवाल पर दबाव बनाए रख कर उनके साथ सौदेबाजी करना चाहते हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के मामले में तो तेजपाल खिल्लन ने हार स्वीकार कर ली है, लेकिन वह पूरी तरह समर्पण करते हुए न दिखें - इसके लिए वह विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवाने के मामले को जिंदा रखना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पदाधिकारियों को उन्होंने समझाया है कि उक्त पुलिस रिपोर्ट को बनाए रख कर नरेश अग्रवाल से सौदेबाजी करना और उन्हें विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनाने के लिए राजी करना आसान होगा । इसी कारण से चमनलाल गुप्ता अपनी पुलिस रिपोर्ट को वापस लेने के लिए राजी हो जाने बाद फिर अपनी बात से पलट गए । कई लोगों को लग रहा है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस और कन्वेंशन में जो हिंसक हंगामा हुआ, उसके लिए किसी के खिलाफ कहीं कोई कार्रवाई नहीं होगी - और नेता लोग अपने अपने पाप छिपाने तथा अपनी अपनी 'दुकान' बचाने के लिए आपस में सौदेबाजी कर लेंगे ।
17 जून को इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने के लिए हो रही मल्टीपल कन्वेंशन ने नेताओं के बीच हो सकने वाली सौदेबाजी के लिए रास्ता खोल भी दिया है ।
वीएस कुकरेजा की बदकिस्मती यह है कि वह जिन लोगों से तेजपाल खिल्लन से धोखा मिलने का रोना रो रहे हैं, उनसे भी उन्हें सहानुभूति नहीं मिल रही है । वीएस कुकरेजा को लोगों से यही सुनने को मिल रहा है कि वह क्या तेजपाल खिल्लन को जानते नहीं हैं क्या ? उन्हें नहीं पता क्या कि तेजपाल खिल्लन तो लोगों को इस्तेमाल ही करते हैं, और जब कोई उनके काम का नहीं रह जाता - तो वह उसे बीच मँझदार में छोड़ ही देते हैं । वीएस कुकरेजा को क्या इतनी सी बात समझ में नहीं आ रही है कि वह अब तेजपाल खिल्लन के लिए काम के तो नहीं ही रह गए हैं, उनके लिए परेशानी का कारण भी बन गए हैं । अदालती कार्रवाई में वीएस कुकरेजा की मिलीभगत के जो तथ्य जानकारी में आए हैं, उसमें यदि तेजपाल खिल्लन की मिलीभगत भी साबित हुई तो लायंस इंटरनेशनल की अनुशासनात्मक कार्रवाई से बच पाना तेजपाल खिल्लन के लिए भी मुश्किल होगा । तेजपाल खिल्लन के लिए अपने आप को लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई से बचाना बहुत ही जरूरी है, अन्यथा उनका तो धंधा ही चौपट हो जाएगा । अब इसके लिए उन्हें यदि वीएस कुकरेजा की बलि चढ़ाने की जरूरत पड़ती है, तो वह ज्यादा सोचें-विचारें क्यों ? धंधे के लिए ही तो उन्होंने वीएस कुकरेजा की उम्मीदवारी का झंडा उठाया हुआ था - अब वह झंडा ही उनके धंधे में बाधा बनेगा, तो वह उसे क्यों उठाए चलेंगे ? धंधे के लिए ही तेजपाल खिल्लन ने नरेश अग्रवाल के प्रति अपने रवैये में भी यू-टर्न ले लिया है । मल्टीपल कॉन्फ्रेंस में हिंसक उत्पात होने से पहले तक तेजपाल खिल्लन लोगों के बीच नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी के खिलाफ भद्दी और अपमानजनक टिप्पणियाँ किया करते थे; लोगों को अपना फोन दिखा दिखा कर बताते थे कि नरेश अग्रवाल और उनकी पत्नी उन्हें फोन कर कर के उन्हें अपनी तरफ मिलाने और पटाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वह उनके फोन उठा नहीं रहे हैं; किंतु अब वह नरेश अग्रवाल को फोन कर कर के अपने आप को निर्दोष दिखाने/जताने का प्रयास कर रहे हैं ।
तेजपाल खिल्लन हालाँकि सिर्फ इसी भरोसे नहीं हैं कि वह नरेश अग्रवाल को अपनी निर्दोषता का भरोसा दिला कर ही लायंस इंटरनेशनल की कार्रवाई से अपने को बचा लेंगे; एक कुशल धंधेबाज की तरह एक तरफ वह वीएस कुकरेजा से पीछा छुड़ा कर नरेश अग्रवाल से संबंध सुधारने की कोशिश कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ चमनलाल गुप्ता के मार्फ़त उन्हें 'ब्लैकमेल' करने का काम भी कर रहे हैं । उनकी इसी रणनीति के कारण मल्टीपल काउंसिल में हुए झगड़े/टंटे के चलते दर्ज हुईं एफआईआर को वापस कराने के लिए मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन जेसी वर्मा ने पिछले दिनों जो प्रयास किए, वह ऐन मौके पर चमनलाल गुप्ता के पलट जाने से खटाई में पड़ गए हैं । दरअसल एक एफआईआर डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पूर्व डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चमनलाल गुप्ता की तरफ से दर्ज करवाई गई है, जिसमें नरेश अग्रवाल का भी नाम है । मल्टीपल काउंसिल की कॉन्फ्रेंस में जो झगड़ा/टंटा हुआ, उसमें सबसे ज्यादा खामियाजा डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पदाधिकारियों व नेताओं को भुगतना पड़ रहा है । अपनी हरकतों के चलते उन्हें लोगों से मुँह तक छिपाना पड़ रहा है, जिसके चलते भुवनेश्वर में एक से पाँच जून के बीच आयोजित हुई ऑल इंडिया स्कूलिंग में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट इंद्रजीत सिंह तथा फर्स्ट वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट रवि मेहरा को अनुपस्थित होना पड़ा । लायनिज्म में इसे बहुत ही महत्त्वपूर्ण और जरूरी कार्यक्रम के रूप में देखा/पहचाना जाता है, जिसे डिस्ट्रिक्ट्स के पदाधिकारियों के लिए उपयोगी माना जाता है । मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट की कॉन्फ्रेंस में हुई घटनाओं के कारण मिली बदनामी के कारण इंद्रजीत सिंह और रवि मेहरा की लेकिन इसमें शामिल होने की हिम्मत ही नहीं हुई । डिस्ट्रिक्ट के पदाधिकारियों को इस फजीहत से बचाने के लिए चमनलाल गुप्ता ने जेसी वर्मा को आश्वस्त किया था कि वह अपनी पुलिस रिपोर्ट वापस ले लेंगे । लेकिन जेसी वर्मा जब रिपोर्ट वापसी की कार्रवाई को पूरा करवाने पहुँचे, तब चमनलाल गुप्ता अपनी ही बात से यह कहते हुए पीछे हट गए कि इस मामले में वह कोई भी अंतिम फैसला अपने साथियों से सलाह करने के बाद ही करेंगे ।
समझा जाता है कि चमनलाल गुप्ता ने अपनी ही बात से पलटी मारने का काम तेजपाल खिल्लन के कहने में आकर किया है । चर्चा है कि तेजपाल खिल्लन उक्त पुलिस रिपोर्ट के जरिए नरेश अग्रवाल पर दबाव बनाए रख कर उनके साथ सौदेबाजी करना चाहते हैं । इंटरनेशनल डायरेक्टर पद के चुनाव के मामले में तो तेजपाल खिल्लन ने हार स्वीकार कर ली है, लेकिन वह पूरी तरह समर्पण करते हुए न दिखें - इसके लिए वह विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनवाने के मामले को जिंदा रखना चाहते हैं । डिस्ट्रिक्ट 321 ए टू के पदाधिकारियों को उन्होंने समझाया है कि उक्त पुलिस रिपोर्ट को बनाए रख कर नरेश अग्रवाल से सौदेबाजी करना और उन्हें विनय गर्ग को मल्टीपल काउंसिल चेयरमैन बनाने के लिए राजी करना आसान होगा । इसी कारण से चमनलाल गुप्ता अपनी पुलिस रिपोर्ट को वापस लेने के लिए राजी हो जाने बाद फिर अपनी बात से पलट गए । कई लोगों को लग रहा है कि मल्टीपल डिस्ट्रिक्ट कॉन्फ्रेंस और कन्वेंशन में जो हिंसक हंगामा हुआ, उसके लिए किसी के खिलाफ कहीं कोई कार्रवाई नहीं होगी - और नेता लोग अपने अपने पाप छिपाने तथा अपनी अपनी 'दुकान' बचाने के लिए आपस में सौदेबाजी कर लेंगे ।
17 जून को इंटरनेशनल डायरेक्टर का चुनाव करने के लिए हो रही मल्टीपल कन्वेंशन ने नेताओं के बीच हो सकने वाली सौदेबाजी के लिए रास्ता खोल भी दिया है ।