Tuesday, June 13, 2017

लायंस क्लब्स इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 321 ई में बीएम सिंह के उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रमोट करते हुए आरकेएस चौहान के मुकाबले उतरने की अनिल जायसवाल की कोशिशों ने डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के परिदृश्य को दिलचस्प बनाया

इलाहाबाद । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के लिए अनिल जायसवाल की उम्मीदवारी की चर्चा ने आरकेएस चौहान के लिए न सिर्फ गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है, बल्कि डिस्ट्रिक्ट के चुनावी परिदृश्य को भी दिलचस्प बना दिया है । अभी तक अगले लायन वर्ष में होने वाले सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव के लिए आरकेएस चौहान और अजय मेहरोत्रा के नाम चर्चा में थे, और माना जा रहा था कि अजय मेहरोत्रा अंततः अपनी उम्मीदवारी से पीछे हट जायेंगे और आरकेएस चौहान आराम से सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर चुन लिए जायेंगे । अजय मेहरोत्रा के बारे में लोग मानने और कहने लगे हैं कि यह कई बार उम्मीदवार के रूप में अपना नाम उछाल चुके हैं, लेकिन उम्मीदवारी की डगर पर आगे बढ़ते नहीं हैं - जिस कारण उनकी उम्मीदवारी को अब कोई गंभीरता से लेता नहीं है । इसीलिए उनकी उम्मीदवारी की चर्चा आरकेएस चौहान के लिए रक्षा-कवच का काम कर रही थी - लोग मान/समझ रहे थे कि अजय मेहरोत्रा कुछ दिन अपना नाम उछालते हुए चर्चा में बने रहेंगे, और फिर एक दिन वापस हो लेंगे; उसके बाद आरकेएस चौहान बिना चुनाव के सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर बन जायेंगे । लेकिन अचानक से सामने आई अनिल जायसवाल की उम्मीदवारी की चर्चा ने बन रहे उक्त माहौल को गड़बड़ा दिया है, जिसमें न सिर्फ आरकेएस चौहान के लिए मामला चुनौतीपूर्ण बन गया है - बल्कि डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का परिदृश्य भी बदल गया है ।
अनिल जायसवाल यूँ तो सभी गवर्नर्स के साथ अच्छे संबंध बना कर रहे हैं; पुष्पा स्वरूप के गवर्नर-काल में तो वह कैबिनेट सेक्रेटरी रहे थे, जिस कारण डिस्ट्रिक्ट के लोगों के साथ उनके निकट के संबंध बने थे - लेकिन उनके नजदीकियों को ही लगता है कि उम्मीदवार बनने का उचित समय उन्होंने खो दिया है । चार वर्ष पहले जब वह कैबिनेट सेक्रेटरी थे, उसके बाद यदि वह उम्मीदवार बनते - तो लोगों के बीच अपनी सक्रियता और अपने परिचय का फायदा उठा सकते थे; अब लेकिन बहुत देर हो चुकी है । जिन आरकेएस चौहान के साथ उनका चुनावी मुकाबला होने की उम्मीद की जा रही है, वह पिछले लायन वर्ष में प्रकाश अग्रवाल की डिस्ट्रिक्ट टीम में जोन चेयरमैन थे, और मौजूदा लायन वर्ष में अनिल तुलस्यान की डिस्ट्रिक्ट टीम में रीजन चेयरमैन हैं - इस नाते से लोगों के बीच उनका परिचय और उनकी सक्रियता नयी है । इसके अलावा, पिछले दो-तीन वर्षों में डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति के समीकरण भी काफी बदल गए हैं - जिसके चलते अनिल जायसवाल ने अभी तक डिस्ट्रिक्ट में और लायनिज्म में जो 'कमाया' है, वह तो उनके काम नहीं आने वाला है; और इसीलिए सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद का चुनाव उनके लिए भी आसान नहीं होगा ।
अनिल जायसवाल के लिए एक समस्या और देखी/पहचानी जा रही है - उन्हें डिस्ट्रिक्ट गवर्नर इलेक्ट बीएम सिंह के उम्मीदवार के रूप में देखा/पहचाना जा रहा है; लोगों का कहना है कि यह पहचान उन्होंने खुद ही बनाई है, उन्हें लगता है कि डिस्ट्रिक्ट गवर्नर के उम्मीदवार के रूप में चुनावी मुकाबले में उन्हें फायदा मिलेगा । बीएम सिंह ने लेकिन डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले प्रायः सभी नेताओं से अलग अलग कारणों से संबंध बिगाड़े हुए हैं; उनके चुनाव में उनकी उम्मीदवारी की खिलाफत करने वाले नेताओं से तो उनके संबंध बिगड़े हुए थे ही, जिन लोगों ने उनकी उम्मीदवारी का समर्थन किया था और उन्हें जितवाया था - उनसे भी वह इस कारण नाराज रहे हैं कि उन्होंने चुनाव में उनका बहुत पैसा खर्च करवा दिया । लोगों को लगता है कि बीएम सिंह दरअसल लायन राजनीति के ताने-बाने में अपने आप को फिट नहीं कर पा रहे हैं, इसलिए वह अलग-थलग से दिखाई पड़ते हैं । ऐसे में, अनिल जायसवाल के लिए उनके भरोसे अपनी उम्मीदवारी को कामयाब बनाना/बनवाना आसान नहीं होगा । सेकेंड वाइस डिस्ट्रिक्ट गवर्नर पद के चुनाव में किसका पलड़ा भारी रहेगा, इस बारे में अभी से तो कुछ नहीं कहा जा सकता है - क्योंकि सारा खेल इस बात पर निर्भर होगा कि कौन उम्मीदवार अपने अभियान को कितनी दमदारी से संयोजित करता है; लेकिन बीएम सिंह के उम्मीदवार के रूप में खुद को प्रमोट करने की अनिल जायसवाल की कोशिशों के चलते डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति का खेल दिलचस्प जरूर हो उठा है ।