Sunday, April 12, 2020

रोटरी इंटरनेशनल डिस्ट्रिक्ट 3100 में इस वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में डीके शर्मा की जीत के चलते संजीव रस्तोगी के बढ़े 'राजनीतिक भाव' के बीच सीओएल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करके योगेश मोहन गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपने आपको मजाक का विषय बना लिया है, और अपनी फजीहत को ही आमंत्रित किया है

मेरठ । योगेश मोहन गुप्ता ने सीओएल के लिए अपनी उम्मीदवारी प्रस्तुत करके डिस्ट्रिक्ट की चुनावी राजनीति को दिलचस्प बनाने के साथ-साथ अपनी घटिया व षड्यंत्रपूर्ण हरकतों का एक बार फिर नजारा पेश किया है, और अपनी फजीहत के हालात बनाए हैं । उल्लेखनीय है कि रोटरी क्लब मेरठ से 'निकाले' जाने के बाद योगेश मोहन गुप्ता को किसी क्लब में शरण नहीं मिली, और वह रोटरी से बाहर ही हो गए थे । लेकिन सीओएल के लिए उनकी उम्मीदवारी जिस क्लब से आई है, आरोप सुने जा रहे हैं कि उसकी सदस्यता उन्होंने फर्जी तरह से 'प्राप्त' की है । डिस्ट्रिक्ट में लोग इस बात को भी याद कर रहे हैं कि योगेश मोहन गुप्ता ने रोटरी में कोई भी चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी; दरअसल योगेश मोहन गुप्ता की बेईमानीपूर्ण हरकतों को लेकर रोटरी इंटरनेशनल कार्यालय ने उनके खिलाफ कुछ फैसले किए/लिए थे, जिससे नाराज होकर उन्होंने रोटरी, रोटेरियंस तथा रोटरी के कामकाज को लेकर प्रतिकूल टिप्पणियाँ की थीं - और उसी नाराजगी में उन्होंने रोटरी में कोई चुनाव न लड़ने की घोषणा की थी; लेकिन जैसी कि एक मशहूर कहावत है कि 'बंदर गुलाटियाँ मारना नहीं छोड़ पाता', सो योगेश मोहन गुप्ता से ज्यादा दिन रोटरी से और चुनाव लड़ने से दूर नहीं रहा गया । योगेश मोहन गुप्ता रोटरी में वापस लौटे - और चुनाव लड़ने के उद्देश्य से वापस लौटे, तो लोगों के बीच उनकी करतूतों और कारस्तानियों के गड़े मुर्दे उखड़ने लगे । इससे डिस्ट्रिक्ट का राजनीतिक माहौल दिलचस्प हो उठा है ।
योगेश मोहन गुप्ता की करतूतों और कारस्तानियों के गड़े मुर्दों के उखड़ने और उन पर लोगों के बीच होने वाली चर्चाओं के चलते संजीव रस्तोगी के लिए सीओएल का चुनाव आसान होता नजर आ रहा है । असल में योगेश मोहन गुप्ता के डिस्ट्रिक्ट में अलग अलग लोगों से इतने झगड़े-फसाद रहे हैं कि उन सभी का समर्थन संजीव रस्तोगी को स्वतः मिलने की उम्मीद बन रही है । इसका एक पुख्ता सुबूत राजीव रस्तोगी के अपनी उम्मीदवारी को वापस लेने के प्रसंग में देखा/पहचाना जा सकता है । उल्लेखनीय है कि सीओएल के लिए राजीव रस्तोगी भी उम्मीदवारी प्रस्तुत करने की तैयारी कर रहे थे, लेकिन योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी प्रस्तुत होने के बाद उन्हें लगा कि तीन उम्मीदवार होने से कहीं योगेश मोहन गुप्ता बाजी न मार लें, और क्षेत्रावार वोटों की गणना करते हुए उन्हें यह भी समझ में आया कि योगेश मोहन गुप्ता के मंसूबों को संजीव रस्तोगी ही धूल चटा सकते हैं - सो, उन्होंने संजीव रस्तोगी के पक्ष में अपनी उम्मीदवारी वापस ले ली । अखिलेश कोठीवाल भी उम्मीदवारी के इच्छुक सुने/बताये जा रहे हैं, लेकिन उनके नजदीकी और समर्थक ही उन्हें समझा रहे हैं कि डिस्ट्रिक्ट में जो चुनावी परिदृश्य दिख रहा है, उसमें उनके लिए कहीं कोई संभावना है नहीं - इसलिए उनकी उम्मीदवारी सिर्फ औपचारिक ही होगी और उन्हें पचड़े में नहीं पड़ना चाहिए । सबसे ज्यादा मजे की बात अशोक गुप्ता और विकास गोयल के रवैये में देखने/सुनने को मिल रही है - यह दोनों अगले रोटरी वर्ष में डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के लिए उम्मीदवार बनने की तैयारी कर रहे हैं; इसलिए दोनों अगले रोटरी वर्ष में प्रस्तुत होने वाली अपनी अपनी उम्मीदवारी के लिए संजीव रस्तोगी का समर्थन पाने की उम्मीद में सीओएल के चुनाव में संजीव रस्तोगी की उम्मीदवारी का समर्थन करते नजर आ रहे हैं ।
दरअसल इस वर्ष हुए डिस्ट्रिक्ट गवर्नर नॉमिनी पद के चुनाव में डीके शर्मा की जीत ने संजीव रस्तोगी का 'राजनीतिक भाव' बढ़ाया हुआ है । डीके शर्मा को संजीव रस्तोगी के उम्मीदवार के रूप में ही देखा/पहचाना गया था । डीके शर्मा की चुनावी जीत में हालाँकि और बहुत से कारण जिम्मेदार बने, लेकिन माना/समझा यही जा रहा है कि डीके शर्मा की उम्मीदवारी के अभियान का समीकरण बनाने और उसे क्रियान्वित करने की तैयारी के पीछे संजीव रस्तोगी ही थे, इसलिए डीके शर्मा की जीत वास्तव में संजीव रस्तोगी की जीत ही है ।डीके शर्मा की जीत के चलते संजीव रस्तोगी के 'राजनीतिक भाव' बढ़ने का असर डिस्ट्रिक्ट गवर्नर का पदभार संभालने की तैयारी कर रहे मनीष शारदा पर पड़ा है । मनीष शारदा कहने के लिए तो योगेश मोहन गुप्ता की उम्मीदवारी के समर्थन में हैं, लेकिन योगेश मोहन गुप्ता की शिकायत यह है कि मनीष शारदा उनकी उम्मीदवारी को समर्थन/वोट दिलवाने के लिए कोई प्रयास ही नहीं कर रहे हैं । मनीष शारदा की चिंता यह है कि उन्होंने योगेश मोहन गुप्ता के लिए यदि काम किया, तो संजीव रस्तोगी के नजदीकी और समर्थक - तथा अलग अलग कारणों से योगेश मोहन गुप्ता के विरोधी बने लोग उनके गवर्नर-वर्ष में उनके साथ सहयोग नहीं करेंगे, और तब उनके लिए गवर्नरी करना ही मुश्किल हो जायेगा । मनीष शारदा को यह भी 'नजर' आ रहा है कि योगेश मोहन गुप्ता चाहें जो कर लें, सीओएल का चुनाव जीतेंगे तो नहीं ही - इसलिए उनके चक्कर में वह अपना गवर्नर-वर्ष खतरे में क्यों डालें ? योगेश मोहन गुप्ता के साथ जिन लोगों को सहानुभूति है, उनका भी मानना और कहना है कि सीओएल के लिए उम्मीदवारी प्रस्तुत करके योगेश मोहन गुप्ता ने डिस्ट्रिक्ट के लोगों के बीच अपने आपको मजाक का विषय बना लिया है, और अपनी फजीहत को ही आमंत्रित किया है ।